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गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिलाओं को उल्टी और मतली की समस्याएं होती ही हैं। इस अवधि में होने वाली उल्टी और मतली को मॉर्निंग सिकनेस कहते हैं और यह ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में अधिक होती है। यूं तो यह समस्या हर किसी को नहीं होती है किंतु यदि किसी को होती भी है तो यह बिलकुल सामान्य है। गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली के कारण व आप इसे कैसे रोक सकती हैं इस बारे में पूरी जानकारी के लिए यह लेख पढ़ें।
मॉर्निंग सिकनेस गर्भावस्था के शुरूआती लक्षणों में से एक हो सकती है और यह गर्भावस्था के 6वें सप्ताह में शुरू होती है और 8वें-9वें सप्ताह तक बहुत अधिक होने लगती है। मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण 12वें सप्ताह से थोड़े कम होने लगते हैं और 14वें सप्ताह तक पूरी तरह खत्म हो जाते हैं। कई महिलाओं ने बताया है कि गर्भावस्था के दौरान सुबह के समय में मतली बहुत अधिक होती है और कुछ महिलाओं को पूरे दिन इसका अनुभव होता रहता है साथ ही उल्टी दिन में किसी भी समय हो सकती है। इसकी तीव्रता एक महिला से दूसरी महिला में भिन्न हो सकती है और उबकाइयां या मतली दिन में बिना चेतावनी के कभी भी आ सकती हैं।
असहज करने के अलावा, मॉर्निंग सिकनेस और यहाँ तक कि हल्की मतली भी आपको जल्दी थका देने के लिए काफी है । गर्भवती महिलाएं अक्सर मॉर्निंग सिकनेस या सुबह होने वाली मतली के विचार से ही त्रस्त हो जाती हैं और बिस्तर से निकलना पसंद नहीं करती हैं, दिन की शुरुआत में हमेशा उल्टी होने का भय रहता है।
यद्यपि मॉर्निंग सिकनेस बहुत अच्छा अनुभव नहीं है किंतु गर्भावस्था के दौरान इसे स्वस्थ माना जाता है। गर्भावस्था में इसके लक्षण ज्यादातर महिलाओं को प्रभावित कर सकते हैं और समय के साथ–साथ कम होने लगते हैं। हालांकि यदि आपको अधिक और गंभीर रूप से उल्टियां होती हैं तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। गर्भावस्था के दौरान लगातार उल्टियां होने से महिला का वजन कम हो सकता है और उसे डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है। यदि इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया गया या इसका उपचार नहीं किया गया तो यह समस्या माँ और उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
वैसे तो गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली होने का कोई भी कारण नहीं है किन्तु कुछ बातें हैं जो सामान्य हैं और ज्यादातर महिलाओं को प्रभावित कर सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान उल्टी होने का एक सामान्य कारण एच.सी.जी. हॉर्मोन के स्तर में वृद्धि है। इसके अलावा शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन के बढे हुए स्तर के साथ पाचन तंत्र की मांसपेशियां आराम करती हैं जिसके कारण पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की गंध को महसूस करने की क्षमता भी बढ़ जाती है जिससे आप अपने आसपास की अलग–अलग गंध पर प्रतिक्रिया दे सकती हैं। इस दौरान आप महसूस कर सकती हैं कि आपको भोजन करने की इच्छा नहीं होती है और भोजन न करने से आपको मतली व खालीपन महसूस हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान उल्टी व मतली के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानते हैं;
गर्भावस्था के दौरान ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन हॉर्मोन में बहुत जल्दी वृद्धि होती है। एच.सी.जी. में वृद्धि आपकी मतली व उल्टी का कारण बन सकती है क्योंकि यह दोनों साथ–साथ होती हैं और इस समय मतली अधिक तीव्रता से प्रभावित करती है।
गर्भ में एक या एक से अधिक शिशु के होने से भी एच.सी.जी. हॉर्मोन के स्तर में वृद्धि होती है जिससे मतली की समस्या हो सकती है।
विशेषकर गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में अन्य हॉर्मोन के जैसे एस्ट्रोजन का स्तर भी बढ़ता है और इससे भी मतली की समस्या होने की संभावना बढ़ सकती है।
गर्भावस्था की शुरुआत में महिलाएं दूर की गंध को भी बहुत अधिक महसूस करती हैं जिसके कारण भी उन्हें तुरंत उल्टी हो सकती है। शोधों के अनुसार यह एस्ट्रोजन के बढे हुए स्तर के परिणामस्वरूप होता है।
गर्भावस्था की शुरुआत में पाचन तंत्र हर प्रकार के खाद्य पदार्थ और और उसके स्वाद के प्रति संवेदनशील हो जाता है। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरिया के होने से भी पेट उत्तेजित होता है जिससे उल्टी और मतली हो सकती है।
उल्टी और मतली तनाव के कारण भी हो सकती है या यह तनाव की प्रतिक्रिया के कारण भी हो सकती है। जो महिलाएं मानसिक रूप से मॉर्निंग सिकनेस के प्रति संवेदनशील होती हैं वे अन्य की तुलना में अधिक प्रभावित होती हैं।
जिन महिलाओं की माँ ने अपनी गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस का अनुभव किया था, उनमें यह होने की संभावना अधिक होती है।
जो महिलाएं ज्यादातर मोशन सिकनेस और माइग्रेन से ग्रसित होती हैं उनमें भी मॉर्निंग सिकनेस का अनुभव होने की संभावना अधिक होती है।
अल्ट्रासाउंड परीक्षण में यदि यह पता चले कि कॉर्पस लियुटियम दाहिने डिंबाशय में स्थित है तो मतली और मॉर्निंग सिकनेस की संभावना अधिक होती है।
वे महिलाएं जो गर्भावस्था से पहले वसा–युक्त भोजन का अत्यधिक सेवन करती हैं उन्हें मतली और मॉर्निंग सिकनेस की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
गर्भवती महिलाओं का अधिकतर चिंता का कारण यही रहता है कि कहीं मतली व उल्टी उनके गर्भस्थ शिशु को प्रभावित न करे किंतु हल्की उल्टी आने से गर्भ में पल रहे शिशु पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि यदि गर्भावस्था के 14वें सप्ताह तक लगातार हल्की उल्टी भी होती है तो गर्भ में पल रहे शिशु के विकास व वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना उचित होगा।
गंभीर रूप में मॉर्निंग सिकनेस और उल्टी होने से महिला का वजन कम हो सकता है और उसके शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ सकता है। यदि ऐसा होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि इसका उपचार न करने पर यह शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है।
एक गर्भवती महिला के लिए सबसे मुश्किल सवाल यह होता है कि गर्भावस्था के दौरान उल्टी से कैसे निजात पाएं और वे इस असुविधाजनक और अतिसंवेदनशील मनोभाव से छुटकारा पाने के लिए व्यग्र रहती हैं। इसका उपचार दो भागों में विभाजित किया जा सकता है, एक चिकित्सीय और दूसरा प्राकृतिक उपचार, दोनों के अपने अलग फायदे हैं। मॉर्निंग सिकनेस की समस्या को कम करने व गर्भावस्था के सफर को सरल बनाने के लिए निम्नलिखित उपचारों पर ध्यान दें।
गर्भावस्था के दौरान अपने दिन को एक सुविधाजनक व अच्छी गति देने का प्रयास करें। तनाव और थकान आपके लिए हानिकारक हो सकते हैं इसलिए काम कम करके ज्यादा से ज्यादा आराम करने से आपको अधिक मदद मिल सकती है।
अपने दिन की शुरुआत बिस्कुट या कुकीज से करें और अपनी दिनचर्या शुरू करने से पहले कुछ समय बिस्तर पर ही बिताएं। रसोई से ज्यादा से ज्यादा दूर रहें और अपने बिस्तर के पास कुछ बिस्कुट या रस्क रख लें। गर्भावस्था के दौरान या साधारणतः अक्सर महिलाओं को रसोई से बाहर रहना अच्छा नहीं लगता है लेकिन अगर आपको रसोई व भोजन की गंध से मतली की समस्या होती है, तो खाना पकाने के लिए बाहर से मदद लें (कुक रखना एक बेहतर विकल्प है)।
जब तक आप हल्का और साधारण भोजन का सेवन करती हैं तब तक आपका शिशु सुरक्षित और संरक्षित रहता है। मसालेदार, तेल–युक्त और वसा–युक्त खाद्य पदार्थों से बचें जो आपकी वर्तमान समस्याओं को बढ़ा सकते हैं। अक्सर थोड़े–थोड़े हिस्से में भोजन करें। आप जल्द ही समझ जाएंगी कि आपके लिए कौन सा खाद्य पदार्थ अच्छा है और कौन सा नहीं। गर्भावस्था के दौरान विटामिन ‘बी6’ से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे ब्राउन राइस, शकरकंद, केला, मक्का, चिकन (यदि आप मांसाहारी हैं) और अखरोट जैसे खाद्य पदार्थ खाने की सलाह अधिक दी जाती है।ये खाद्य पदार्थ सप्लीमेंट से बेहतर हैं जो उल्टी को प्रेरित कर सकते हैं और इससे मतली कम होने में मदद मिल सकती है।
अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए नियमित अंतराल पर पानी पिएं क्योंकि यह अपच, पाचन संबंधी समस्याएं और एसिडिटी सहित मॉर्निंग सिकनेस के लक्षणों को दूर करने के लिए जाना जाता है। पानी में ताजे नींबू को मिलाने से आपको उबकाई और संवेदनशील मनोभावों से मुक्ति मिल सकती है। गर्भावस्था के दौरान पानी के रूप में कोला, कॉफी और चाय न पिएं क्योंकि यह मूत्रवर्धक होते हैं।
योग निद्रा (गहरा विश्राम) और शवासन (विश्राम मुद्रा) जैसी सरल विश्राम तकनीकों का अभ्यास करने में मदद करने के लिए एक प्रशिक्षित प्रसव योग प्रशिक्षक की सहायता लें। गर्भावस्था के दौरान आप योग का अभ्यास कर सकती हैं क्योंकि यह आपके दिमाग और शरीर को शांत रखने में मदद करेगा और तनाव के स्तर को कम से कम करने में मदद करेगा।
कई सेंट और गंध से आपको बार–बार उबकाई आ सकती है, इसलिए यह सलाह दी जाती है कि आप अपने बैग में ताजे नींबू का एक्सट्रेक्ट रखें ताकि आवश्यकता पड़ने पर आप ताजा खुशबू सूंघ सकें। यह आपके लिए विशेषकर तब जरूरी है जब आप भीड़ में होती हैं या जल्दी खुले में नहीं जा सकती हैं।
सदियों से उपयोग में आने वाला अदरक मॉर्निंग सिकनेस और उल्टी के लिए भी बहुत प्रभावी है और मतली को ठीक करने के लिए यह एक बेहतरीन घरेलू उपचार माना जाता है। आप नियमित रूप से अपनी चाय में और गुनगुने पानी में थोड़ा सा अदरक मिला सकती हैं। अदरक कई रूपों में, जैसे अदरक की कैंडी, जिंजर ब्रेड, और यहाँ तक अदरक का सूप आपकी मदद कर सकता है। हालांकि यदि आपके डॉक्टर ने रक्त के थक्कों को रोकने के लिए एंटी–कोगुलेन्ट दवाएं लेने की सलाह दी है तो आपको अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए।
कई महिलाओं को इस अवधि में नींबू, इमली, आंवला और पुदीना जैसे खट्टे खाद्य पदार्थ अच्छे लगते हैं और साथ ही ये मतली की समस्या को भी कम करने में मदद करते हैं। इसमें सादा नींबू पानी अधिक प्रभावी हो सकता है और साथ ही जूस व चटनी के रूप में इमली भी लोकप्रिय विकल्प है। ताजा पुदीना भी काफी फायदा कर सकता है इसलिए अपनी मॉर्निंग सिकनेस की समस्या को तुरंत दूर करने के लिए इसे अपने फ्रिज में ही रखें।
मॉर्निंग सिकनेस से निजात पाने के लिए यह सबसे सरल उपाय है और इससे सुबह के समय आपको उल्टी का अनुभव भी नहीं होगा। डॉक्टर की सलाह के अनुसार मतली होने पर आप बिस्तर में ही आराम करें। लेटते समय आप कमरे में सूर्य की रोशनी न आए इसलिए पर्दा डालकर रखें और कमरे में हल्का अंधेरा भी रख सकती हैं। बाकि इसका प्रभाव आपके लिए अद्भुत होगा और यह आपकी समस्या को बिना किसी कठिनाई के कम कर सकता है।
नींबू, संतरा और मिंट की गंध मतली के मनोभाव को कम करने के लिए सर्वोत्तम उपाय है। इसके एसेंशियल ऑइल की कुछ बूंदों को डिफ्यूजर में डालकर कुछ समय के लिए इसके माध्यम से सांस लें। सफर के दौरान आप इसकी कुछ बूंदों को रुमाल में भी डालकर रखें।
यदि गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली की समस्या बढ़ जाती है तो डॉक्टर आपको कुछ दवाइयां दे सकते हैं। इससे आपकी मॉर्निंग सिकनेस की समस्या कम हो सकती है और आपको भोजन व तरल पदार्थ दोबारा लेने में मदद मिल सकती है, इसमें निम्नलिखित दवाएं शामिल हैं;
चेतावनी: ऊपर लिखे हुए चिकित्सीय उपचारों का उपयोग डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही लें।
यदि आप निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करती हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें;
स्थिति अधिक खराब होने से पहले डॉक्टर से बात कर लें। गंभीर रूप से मॉर्निंग सिकनेस की समस्या में आपको अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है और डिहाइड्रेशन के कारण शरीर में तरल पदार्थ की आवश्यकता पड़ सकती है।
आप माँ बनने वाली हैं और इस दौरान आप बिलकुल भी चिंतित न हों क्योंकि अपनी गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस से ग्रसित आप अकेली महिला नहीं हैं। 70% से भी अधिक महिलाएं अपनी गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली का अनुभव कर सकती हैं।
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