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गर्भवती महिलाओं को अपने खाने-पीने को लेकर सतर्क रहने के लिए कहा जाता है। क्योंकि कहीं न कहीं यह आप और आपके बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है, लोग अक्सर वाइन पीने के शौकीन होते हैं, लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने के लिए मना किया जाता है। हालांकि, कुछ महिलाएं यह सोचती हैं कि उनकी प्रेगनेंसी नॉर्मल है और बच्चे को कोई हेल्थ इशू नहीं है तो वो वाइन का सेवन कर सकती हैं या फिर कभी-कभार प्रेगनेंसी के दौरान वाइन पी सकती हैं। लोगों की अलग-अलग बातों के चलते आप कंफ्यूज हो सकती हैं कि क्या आपको प्रेगनेंसी के दौरान वाइन पीना चाहिए या नहीं?
प्रेगनेंसी के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में अल्कोहल का सेवन करने से आपको प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेशन का सामना करना पड़ सकता है। ये कॉम्प्लिकेशन उन महिलाओं पर ज्यादा बुरा प्रभाव नहीं डालते जो कभी-कभार इसका सेवन करती हैं। हालांकि, प्रेगनेंसी के दौरान वाइन का सेवन करने से जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है, लेकिन फिर भी वाइन का प्रेगनेंसी में सेवन करना किसी भी तरह से आपके लिए सुरक्षित नहीं माना जाता है। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को इससे पूरी तरह से बचने की सलाह दी जाती है।
गर्भावस्था के दौरान वाइट या रेड वाइन पीने से ये बच्चे के मेंटल और फिजिकल डिसेबिलिटी होने का खतरा होता है। यही कारण है कि ज्यादातर हेल्थकेयर एक्सपर्ट गर्भवती महिलाओं को अल्कोहल से दूर रहने की सलाह देते हैं।
यहाँ आपको गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल पीने से जुड़े कुछ जोखिमों के बारे में बताया गया है:
हालांकि, गर्भावस्था के दौरान थोड़ी भी मात्रा में वाइन पीने के लिए मना किया जाता है, लेकिन वाइन पीने के कुछ फायदे भी हैं।
गर्भावस्था के दौरान रेड वाइन पीना
गर्भावस्था के दौरान व्हाइट वाइन पीना
वाइन के इन लाभों के बावजूद भी आपको प्रेगनेंसी के दौरान इससे बचने का सुझाव दिया जाता है और सावधानी बरतने के लिए कहा जाता है।
गर्भावस्था के दौरान वाइन पीने के विषय में आपको कई सारी बातें सुनने को मिल जाएंगी, जो आपको कंफ्यूज कर सकती है कि कौन सी बात सच है कौन सी बात सिर्फ अफवाह है। तो आइए जानते हैं वाइन और गर्भावस्था से जुड़े कुछ कॉमन मिथ क्या हैं:
तथ्य: चूंकि शरीर नॉर्मल और खास दिन के बीच अंतर नहीं समझता है, इसलिए आपको जरा भी मात्रा में अल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए।
तथ्य: गर्भावस्था के दौरान जितना भी अल्कोहल का सेवन किया जाता है वह प्लेसेंटा के जरिए फीटस तक पहुँच जाता है। यह आपके बच्चे को एफएएस जैसी समस्या में डाल सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल से पूरी तरह बचना चाहिए, इसी में समझदारी है।
तथ्य: कोकेन, हेरोइन, मारीजुआना, अल्कोहल, आदि सभी चीजें आपके बच्चे पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं, लेकिन तुलनात्मक रूप से अल्कोहल का फीटस के न्यूरोबिहेवियोरल पर बुरा प्रभाव देखा गया है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल सहित इन सभी पदार्थों से बचा जाना चाहिए।
तथ्य: अल्कोहल पीने वाली महिलाओं में फीटल अल्कोहल सिंड्रोम वाले बच्चों को जन्म देने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि जो महिलाएं कम मात्रा में इसका सेवन करती हैं उनमें यह खतरा नहीं होता है। इस बात की कोई निश्चित रूप से अभी तक समझ नहीं जा सका है कि अल्कोहल का हर महिला पर किस प्रकार प्रभाव पड़ता है। हर माँ और बच्चे में अल्कोहल का अलग-अलग रिएक्शन पाया जा सकता है यहाँ तक कि यह जेनेटिक पर भी निर्भर करता है। इसलिए, भले ही आप अल्कोहलिक न हों, फिर भी फीटल अल्कोहल सिंड्रोम वाले बच्चे को जन्म देने का खतरा बना रहता है।
तथ्य: फिजिकल डिफॉर्मटी उन बच्चों में पाई जाती है, जो लंबे समय तक अल्कोहल के संपर्क में आते हैं। ज्यादातर बाकि बच्चों में, अल्कोहल का प्रभाव उनमें कॉग्निटिव और बेहवियर से संबंधित समस्या पैदा करता है, इसके अल्कोहल के कारण बच्चे में और भी कई डिसेबिलिटी देखी जा सकती है। एफएएस का निदान भी चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो इसके फीचर बदल जाते हैं। नतीजतन, एफएएस वाले दस में से केवल एक बच्चे का निदान हो पाता है।
तथ्य: आपके डॉक्टर जानते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान वाइन पीने से क्या खतरा हो सकता है, इसलिए यह उनकी जिम्मेदारी होती है कि वो आपको इसका सेवन करने से रोके। ये सुझाव बच्चे की सेहत और हेल्थ को नजर में रखते हुए दिया जाता है ।
फीटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर पर की गई सहयोगात्मक पहल, ने कई स्टडीज पब्लिश की है, जिन्होंने अल्कोहल का मॉडरेट लेवल पर सेवन करने से प्रसव पूर्व क्या खतरे हो सकते हैं बताया है। जल्दी ही की गई एक ब्रिटिश स्टडी से यह भी पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान कम मात्रा में वाइन का सेवन करने से बहुत ज्यादा जोखिम नहीं होता है। हालांकि, यह स्टडी बच्चे पर टेस्ट नहीं की गई है और न ही किसी मैटरनल फैक्टर को नजर में रखा गया है।
क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी द्वारा 2013 में पब्लिश एक स्टडी में कहा गया है कि जो गर्भवती महिलाएं रोजाना दो गिलास वाइन पीती हैं, उनके बच्चे की स्कूल परफॉरमेंस पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
द अल्कोहलिज्म: क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल रिसर्च ने 2012 में संकेत दिया है कि अल्कोहल डोज से जुड़े प्रभाव के संबंध में कोई सबूत नहीं मिला है, जो यह बता सके कि इसकी सेफ लिमिट क्या है। जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल का सेवन करती हैं उनमें लो बर्थ वेट, कम लम्बाई वाले बच्चे को जन्म देने का खतरा ज्यादा होता है, स्मूथ फ़िलीट्रम (नाक और ऊपरी होंठ के बीच का वर्टीकल स्पेस), पतला वर्मिलियम बॉर्डर (पतले होंठ) और माइक्रोसेफाली (जरुरत से छोटा सिर).
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी के 2012 में की गई स्टडी से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल का थोड़ी मात्रा में भी सेवन करने से मिसकैरज का खतरा बढ़ सकता है।
गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल के सेवन को लेकर की गई रिसर्च और 2011 में की गई हेल्थ स्टडी में यह पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान सीमित मात्रा में अल्कोहल पीने से मिसकैरज, प्रीटरम डिलीवरी, स्टिलबर्थ और यहाँ तक कि एसआईडीएस (बच्चे की अचानक मृत्यु) का खतरा बढ़ सकता है।
बाकि स्टडीज जैसे, 1997 में ‘अल्कोहल, हेल्थ एंड रिसर्च वर्ल्ड’ के अनुसार पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान अल्कोहल का थोड़ी भी मात्रा में सेवन करने से बच्चे में डेवलपमेंटल प्रॉब्लम पैदा हो सकती है। इसलिए, आपको यह सलाह दी जाती है कि गर्भावस्था के दौरान वाइन या किसी भी रूप में अल्कोहल का सेवन करने से पूरी तरह बचना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान वाइन का सेवन करने से जुड़ी कई राय मिलती हैं, लेकिन ज्यादातर हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि बेहतर होगा, अगर आप गर्भावस्था के दौरान वाइन या अल्कोहल का सेवन करने से पूरी तरह बचें। यह आपके बच्चे को गर्भ में और जन्म के बाद किसी भी तरह कि हेल्थ प्रॉब्लम से बचाता है ।
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