गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान आँख का फड़कना – कारण, लक्षण और उपचार

ट्विचिंग यानी आँखों का फड़कना एक ऐसी स्थिति है जब आपकी आँख में अनियंत्रित रूप से अपने आप ऐंठन शुरू हो जाती है। यह ऊपर और नीचे दोनों पलकों में हो सकता है और आमतौर पर इसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है। हालांकि, यह किसी बड़ी समस्या का विषय नहीं है इसलिए अगर इस पर ज्यादा ध्यान न भी दिया जाए तो इससे कोई हानि नहीं होगी। फिर भी कभी-कभी ऐसा होता है जब आपकी आँखें अनियंत्रित रूप फड़कना शुरू हो जाती है, यहाँ तक कि इसके कारण आपकी आँखें बंद भी हो सकती हैं।

कई महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान आँखों का फड़कना एक सामान्य घटना होती है, जिसका वो गर्भावस्था के समय अनुभव करती हैं। नीचे बताए गए संकेत गर्भावस्था के दौरान खुद दिखाई देने लगेंगे:

प्रेगनेंसी में आँखों के फड़कने के लक्षण

यहाँ कुछ ऐसे लक्षण दिए गए हैं जो आँख फड़कने का संकेत देते हैं:

स्रोत: www.everydayhealth.com
  • रोशनी के प्रति संवेदनशीलता।
  • आँखों का बहुत ज्यादा ब्लिंक करना।
  • आँखों में सूखापन महसूस होना।
  • आँखें थकी हुई नजर आना।
  • आँखों के आसपास मसल्स का मूवमेंट महसूस होना।

प्रेगनेंसी के दौरान आँखों के फड़कने के कारण और उपचार

गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान आँखों के फड़कने के कई कारण हो सकते हैं। यहाँ उपाय के साथ कुछ कारण दिए गए हैं:

1. आँखों का ड्राई होना

गर्भावस्था के दौरान आँखों में सूखेपन के कारण आँखों के फड़कने का एक सामान्य कारण हो सकता है। यह मोबाइल, कंप्यूटर स्क्रीन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर ज्यादा समय बिताने या उन्हें लगातार देखने की वजह से होता है।

उपाय 

यह सुनिश्चित करने के लिए कि काम करते समय आपकी आँखें ड्राय न हों, आप हर 10-15 मिनट में एक छोटा ब्रेक लें तो अच्छा रहेगा। या तो आप कोशिश करें कि अपना कम से कम समय स्क्रीन पर बिताएं या फिर डिवाइस का उपयोग करते समय ऐसा चश्मा पहनें जो ब्लू ब्लॉक या एंटी रिफ्लेक्टिव कोटेड हो। इसे पहनने से आपकी आँखों पर जोर नहीं पड़ता है। यहाँ तक ​​कि डॉक्टर द्वारा निर्धारित आर्टिफिशियल आँसू का उपयोग करने से आँखों का सूखापन दूर होता है और यह आपकी आँखों को लुब्रिकेट करने का एक अच्छा तरीका है। इससे आपको आँखों में सूखापन और जलन से राहत भी मिलती है। 

2. आँखों पर जोर पड़ना या जलन होना

आँखों पर जोर ज्यादातर तब पड़ता है जब आप लंबे समय तक लगातार स्क्रीन को देखती हैं, जिनमें एंटी-ग्लेयर प्रोटेक्शन नहीं होता है, बिना सनग्लास के धूप में चलना, या बिना ब्रेक के लंबे समय तक फोन का इस्तेमाल करना। बाहरी तत्व जैसे धूल मिट्टी के कण आदि आँखों में जाने से आपको अपनी आँख में जलन महसूस होने लगती या पानी आने लगता है जिससे आपकी आँखों की रोशनी पर भी इसका असर पड़ सकता है। 

उपाय

कोशिश करें कि आप एंटी-ग्लेयर स्क्रीन का उपयोग करें और गुलाब जल में कॉटन डुबो कर इससे अपनी आँखों को ढक लें। आप चाहें तो आँखों को राहत देने के लिए खीरे की स्लाइस अपनी आँखों पर रखें। यदि आपकी आँखों में कुछ चला जाए, तो कण को ​​बाहर निकालने के लिए सादे गुनगुने पानी से आँखों को अच्छी तरह से धोएं और धीरे से थपथपाएं।

3. स्ट्रेस

आँखों के फड़कने की सबसे आम वजह है तनाव। तनाव नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है, जो बदले में आँखों के आसपास इन्वॉलन्टरी मसल्स को प्रभावित करता है। इससे आँखों का फड़कना शुरू हो जाता है। जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा तनाव का सामना करती हैं उनमें आँखों के फड़कने की समस्या होती है और आँखों में दर्द भी होता है।

उपाय

यद्यपि तनाव से छुटकारा पाना आसान नहीं है, लेकिन स्वस्थ और खुशहाल दृष्टिकोण रखने की कोशिश करना आँखों के तनाव को कम करने में अद्भुत काम कर सकता है। बहुत सारा संगीत सुनने की कोशिश करें और तनाव के स्तर को कम करने के लिए पर्याप्त आराम करें। मेडिटेशन आपको शांत रहने के लिए एक और तरीका है। 

4. दाँत पीसना

अपने दाँतों को पीसना और अपने जबड़े को जकड़ना, खासतौर पर जब आप गहरी नींद में हों तो इससे आपके चेहरे की मांसपेशियों पर बहुत अधिक तनाव पड़ता है। इससे आँखों के आसपास की इन्वॉलन्टरी मसल्स में ऐंठन होती है जिससे आँखें फड़कने लगती हैं।

उपाय

यूं तो सोते समय अपने जबड़े के मूवमेंट को नियंत्रित करना संभव नहीं होता है, फिर भी माउथ गार्ड पहनने से मदद मिल सकती है। इसके अलावा, जबड़े की अंदर और बाहर से मालिश करने पर भी मदद मिलती है।

5. थकान और नींद की कमी

गर्भावस्था के दौरान अच्छी तरह से आराम न करना और नींद पूरी न करने के कारण कई गर्भवती महिलाओं में यह समस्या देखी गई है। थकान और नींद की कमी के कारण न केवल आपकी आँखों में दर्द होता है बल्कि इसमें आँखों का फड़कना, माइग्रेन, और कंसंट्रेशन लेवल कम हो जाना आदि शामिल है।

उपाय

इससे छुटकारा पाने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा आराम करने की कोशिश करें, सुनिश्चित करें कि आपको दिन में कम से कम 8 घंटे की पर्याप्त नींद मिले।

6. विटामिन और मिनरल्स की कमी

विटामिन और मिनरल्स आपके शरीर को बीमारी से मुक्त रखने में मदद करते हैं, साथ ही यह आपके बच्चे को गर्भ के अंदर आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं। मैग्नीशियम, पोटैशियम या कैल्शियम का संतुलन खराब होने के कारण आपकी आँखें फड़क सकती हैं।

उपाय

अपने मैग्नीशियम के स्तर की नियमित जांच करवाएं और इसके स्तर को बढ़ाने के लिए समय-समय पर सप्लीमेंट के रूप में डार्क चॉकलेट का सेवन करें।

7. एलर्जी

जब वातावरण में पराग (पोलेन) का लेवल बढ़ जाता है तो आँखों का फड़कना शुरू हो जाता है। चिड़िया के पंख और पालतू जानवरों के शरीर से निकलने वाले रोएं के कारण भी आपकी आँखों का फड़कना शुरू हो सकता है। 

उपाय

गुलाब जल में रुई डुबाकर या फिर ठंडे खीरे की स्लाइस को आँखों के ऊपर रखकर अपनी आँखों को हाइड्रेट रखें। इसके अलावा, आप डॉक्टर से परामर्श करके इसके लिए कोई अच्छी दवा लें।

8. कैफीन और शराब

कैफीन और शराब में कुछ गुण होते हैं जो शरीर को आराम देने में मदद करते हैं। इसे अधिक मात्रा में लेने से कभी-कभी आँखों का फड़कना शुरू हो जाता है। कैफीन का सेवन करने से आपकी आँखें भारीपन महसूस करने लगती हैं और इसके कारण आँखों की रोशनी पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

उपाय

गर्भावस्था के दौरान कोशिश करें कि आप कैफीन युक्त चीजों या शराब का सेवन न करें और हाइड्रेटेड रहने के लिए सिर्फ जूस या सादा पानी पिएं।

9. दवाएं

कुछ दवाओं को लेने से उनके साइड इफेक्ट्स होते हैं, जैसे गर्भावस्था के शुरूआती समय में बाईं आँख फड़कना। क्योंकि दवाएं नर्व सेल्स को प्रभावित करती हैं, इसलिए ऐसा होता है और आपकी आँख फड़कने लगती है।

उपाय

इससे बचने के लिए, बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें और ऐसी दवाएं लें जिनका उपयोग आप बिना साइड इफेक्ट्स के सुरक्षित रूप से कर सकती हैं। 

10. गलत चश्मा पहनना

गलत चश्मा पहनने के कारण भी आँख फड़कने लगती है। गर्भावस्था के दौरान गलत पॉवर का चश्मा पहनने से, खासकर जब आपको जेस्टेशनल डायबिटीज हो। अगर आपको चीजें साफ नजर नहीं आ रही हैं या आपकी आँखों पर बहुत जोर पड़ रहा हो तो यह आँखों के फड़कने का कारण बन सकता है।

उपाय

अपने चश्मे का पॉवर चेक करने के लिए किसी ऑप्टिशियन द्वारा अपनी आँखों की जाँच करवाएं फिर उसके अनुसार अपना चश्मा बदलें।

डॉक्टर से कब परामर्श करें

आमतौर पर कुछ समय बाद आँखों का फड़कना बंद हो जाता है, लेकिन अगर यह लंबे समय तक जारी रहता है, तो आपको इस विषय पर अपने  डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। अगर यह लंबे समय तक ऐसे ही बना रहा तो आपको इससे बहुत परेशानी हो सकती है, लेकिन अच्छी बात यह है कि यह किसी गंभीर समस्या की ओर इशारा नहीं करता है। बताए गए इन आसान उपायों को अपनाकर आप इस तकलीफ को दूर कर सकती हैं। यदि आँखों का फड़कना बंद नहीं होता है, तो नीचे दिए संकेतों पर ध्यान दें:

  • यदि यह एक सप्ताह से लगातार हो रहा है
  • आँखों के फड़कने के कारण आपकी पलकें भी बंद हो जाती हैं
  • चेहरे के अन्य भागों में भी होता है
  • पलकें झड़ने लगती हैं
  • आँखों के फड़कने के साथ दर्द होता है जिसकी वजह से आपको असुविधा होती है
  • इसकी वजह से बुखार आता है

इस प्रकार, आपकी गर्भावस्था के दौरान, आँखों का फड़कना एक सामान्य घटना है, इसलिए आप इसे लेकर बहुत ज्यादा तनाव न लें। बस इस बात का खयाल रखें कि अपनी आँखों को हाइड्रेटेड रखें और लगातार ब्लिंक करें ताकि यह पता चल सके कि आँखों का फड़कना खत्म हुआ है या नहीं।

हालांकि, यदि आँखों का फड़कना बहुत दर्दनाक बनाए और इसके दुष्प्रभाव से आपको बुखार आ जाए या यह खुद ठीक से बंद नहीं हो पा रही है, तो हो सकता है यह अन्य कारणों से हो रहा हो। ऐसे मामलों में बिना देर किए आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और आप जल्दी ही इस समस्या की जड़ तक पहूँचने में सक्षम होंगी।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था के दौरान आँख आना (कंजंक्टिवाइटिस)
गर्भावस्था के दौरान आँखें ड्राई होना – कारण और टिप्स
गर्भावस्था के दौरान आँखों में इन्फेक्शन को कैसे ठीक करें?

समर नक़वी

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