गर्भावस्था

गर्भावस्था में एंटीबायोटिक्स – क्या लें और किससे बचें

एंटीबायोटिक्स फंगल, वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन के इलाज के लिए दी जाने वाली बेसिक मेडिसिन हैं। उनमें से कुछ नैरो स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स हैं (जैसे- पेनिसिलिन) और यह एक या कई इन्फेक्शन का इलाज करती हैं; जबकि कुछ ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स में (टेट्रासाइक्लिन या एम्पीसिलीन) शामिल है जो बैक्टीरिया विशिष्ट बीमारियों का इलाज करती है।

गर्भावस्था में आपको एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता क्यों होती है?

एक महिला के लिए गर्भावस्था एक मुश्किल समय होता है, क्योंकि इस दौरान उनके शरीर में बहुत सारे चेंजेस हो रहे होते हैं। इस दौरान आपके इन्फेक्शन से पीड़ित होने का भी खतरा होता है, जिसके लिए आपको एंटीबायोटिक दवाओं को लेने की जरूरत होती है, क्योंकि इसके न लिए जाने से आपके बच्चे को खतरा हो सकता है। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि र्भावस्था के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कभी-कभी हानिकारक होने के बजाए फायदेमंद साबित हो सकता है, इसलिए इसे तीसरी तिमाही में कम समय के लिए प्रेसक्राइब्ड किया जा सकता है। लेकिन आपके लिए यह बहुत जरूरी है कि कोई भी एंटीबायोटिक का उपयोग करने से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह लें और खुद से इसका सेवन न करें।

क्या एंटीबायोटिक्स गर्भावस्था के दौरान लेना सुरक्षित है?

एंटीबायोटिक्स गर्भावस्था के दौरान होने वाले खतरे के संदर्भ में अलग अलग होते हैं। कुछ एंटीबायोटिक्स हैं जो माँ के साथ-साथ बच्चे को भी नुकसान पहुँचा सकते हैं, जो साफ तौर पर आपके लिए सुरक्षित नहीं हैं। आपको प्रेसक्राइब्ड  एंटीबायोटिक दवाओं के इफेक्ट का ठीक से पता करना चाहिए, इसके लाभों और अन्य वैकल्पिक मेडिसिन के बारे में भी जानना चाहिए।

  • गर्भावस्था के दौरान एंटीबायोटिक्स लेना कितना सुरक्षित हैं?

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जो गर्भवती महिलाएं अपनी बीमारी का इलाज नहीं करती हैं, उनके बच्चे को ज्यादा खतरा होता है। इसके अलावा, किसी भी दवा के साइड इफेक्ट्स काफी हद तक सेवन की जाने वाली दवा की मात्रा पर निर्भर करते हैं, इसलिए यह फैक्टर भी प्रेगनेंसी के दौरान एंटीबायोटिक्स लेते समय ध्यान में रखना जरूरी है।

  • सेफ एंटीबायोटिक्स का पता कैसे लगाया जाता है?

एंटीबायोटिक्स जरूरी हैं और वर्षों से गर्भावस्था में सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा रहा है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) गर्भावस्था के दौरान उसकी सेफ्टी के आधार पर ए, बी, सी, डी और एक्स की श्रेणियों में एंटीबायोटिक दवाओं को रेटिंग दी गयी है। ए और बी के तहत आने वाली एंटीबायोटिक दवाओं को आमतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माना जाता है। 2011 में, कमिटी ऑफ अमेरिकन कांग्रेस ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट (एसीओजी) ने एंटीबायोटिक दवाओं की सुरक्षा को मान्य किया जो आमतौर पर गर्भावस्था में प्रेसक्राइब्ड की जाती हैं। जिसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाले गए:

  • लैब एनिमल पर जांच की गई हो
  • एंटीबायोटिक्स का उपयोग करने वाली महिलाओं पर की गई स्टडी में और बर्थ डिफेक्ट का जोखिम कम देखा गया हो
  • एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग प्रेगनेंसी के लिए के कई सालों से किया जा रहा हो

गर्भावस्था में सेफ एंटीबायोटिक्स लिस्ट

गर्भावस्था में, एंटीबायोटिक्स का उपयोग केवल डॉक्टर द्वारा प्रेसक्राइब किए जाने पर ही लिया जाना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान कौन सी एंटीबायोटिक लेना सेफ है, यह पता लगाने के लिए मेडिकल एक्सपर्ट से परामर्श करें।

एसीओजी के अनुसार, प्रेगनेंसी के दौरान ली जाने वाली सेफ एंटीबायोटिक्स कुछ इस प्रकार हैं:

  • पेनिसिलिन
  • एमोक्सिसिलिन
  • ऑक्सासिलिन
  • एम्पीसिलीन
  • केफ्लेक्स
  • एन्सेफ
  • रोसफिन
  • जेंटामाइसिन
  • नियोमाइसिन
  • नाइट्रोफुरंटॉइन
  • क्लिंडामाइसिन
  • सेफालेक्सिन

गर्भावस्था के दौरान आपको किन एंटीबायोटिक्स से बचना चाहिए

हालांकि एंटीबायोटिक्स कुछ कंडीशन में लेना आवश्यक हो सकता है, लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि इसके हानिकारक साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, जो आपके शरीर के बीमारी से लड़ने की क्षमता में हस्तक्षेप कर सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान, कुछ एंटीबायोटिक्स पहली और तीसरी तिमाही में बच्चे को ज्यादा प्रभावित कर सकती हैं, जबकि कुछ आपकी पूरे गर्भावस्था के लिए ही हानिकारक साबित हो सकती हैं।

नीचे बताई गई एंटीबायोटिक दवाओं को श्रेणी डी के तहत वर्गीकृत किया गया है, जो प्रेगनेंसी के दौरान आपके लिए असुरक्षित मानी जाती है:

  • स्ट्रेप्टोमाइसिन और कैनामाइसिन ऑडिट्री नर्व को नुकसान पहुँचाती हैं, जिससे न्यूबॉर्न बेबी में बहरापन आने जैसा नुकसान हो सकता है।
  • टेट्रासाइक्लिन, मीनोसाइक्लिन, डॉक्सीसाइक्लिन और ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन बच्चे के दाँतों के बेरंग होने का कारण बनती हैं।
  • सल्फोनामाइड बच्चे के लिवर में पित्त मेटाबोलिज्म और ट्रांसपोर्ट में हस्तक्षेप करता है और न्यूबॉर्न में पीलिया का कारण बन सकता है।
  • मैक्रोबिड और मैक्रोडेंटिन बच्चे की रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित करती हैं।

गर्भावस्था के दौरान होने वाले कॉमन इन्फेक्शन

वो कॉमन इन्फेक्शन जिनका गर्भावस्था के दौरान आपको सामना करना पड़ता है, उसके लिए आपको  एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट बताए गए हैं:

  • वजाइनल इन्फेक्शन – मेट्रोनिडाजोल का उपयोग वजाइनल इन्फेक्शन जैसे बैक्टीरियल वेजिनोसिस और ट्राइकोमोनिएसिस को ठीक करने के लिए किया जाता है। पहले यह जन्मजात बर्थ डिफेक्ट का कारण माना जाता था लेकिन बाद में इसे सुरक्षित घोषित कर दिया गया था।
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन – यह एक कॉमन समस्या है जिसका सामना अक्सर गर्भवती महिलाओं को करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के लिए जो एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं वो कुछ इस प्रकार हैं:
  1. नाइट्रोफुरंटॉइन (जिसे मैक्रोबिड / मैक्रोडेंटिन भी कहा जाता है) – गर्भावस्था के 36 सप्ताह तक इसे लेने की सलाह दी जाती है, क्योंकि बाद में यह फीटस के रेड ब्लड सेल्स पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
  2. ट्राईमेथोप्रिम (इसे बैक्ट्रीम / सेप्टा भी कहा जाता है) – यह अक्सर फोलिक एसिड के अब्सॉर्प्शन में बाधा उत्पन्न करता है और इससे बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट हो सकता है। इसलिए आपको इसे प्रीनेटल विटामिन और फोलिक एसिड सप्लीमेंट के साथ रोजाना लेना चाहिए, ताकि इस नुकसान को कवर किया जा सके।

गर्भावस्था के दौरान एंटीबायोटिक्स लेते समय बरती जाने वाली सावधानियां

रिसर्चर गर्भवती महिलाओं को एंटीबायोटिक लेते समय कुछ गाइडलाइन का पालन करने की सलाह देते हैं। माँ और बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आपका यह सावधानियां बरतना बेहतर रहेगा हैं:

  • केवल तभी एंटीबायोटिक का उपयोग करना जब कोई वैकल्पिक उपचार न हो

एंटीबायोटिक्स आमतौर पर कुछ गंभीर बीमारी को छोड़कर गर्भावस्था के दौरान लेने के लिए रिकमेंड नहीं की जाती है।

  • पॉलीफार्मेसी के बजाए एक प्रिस्क्रिप्शन को चुनें

कॉम्बिनेशन मेडिसिन लेने से बचें जो एक बार में कई लक्षणों को ठीक करने के लिए जानी जाती हैं। रिसर्च के अनुसार, ऐसी दवाएं अक्सर गर्भवती महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनती हैं।

  • एंटीबायोटिक दवाओं के साथ वायरल इन्फेक्शन का इलाज न करें

वायरल इन्फेक्शन में एंटीबायोटिक्स अप्रभावी हो सकती है। इसके अलावा, एंटीबायोटिक दवाओं के बहुत ज्यादा प्रयोग से यह ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं, जो भविष्य में उन्हें बेअसर कर देते हैं।

  • पहली तिमाही के दौरान एंटीबायोटिक्स लेने से बचें

बच्चे को पहली तिमाही के दौरान सबसे अधिक खतरा होता है, क्योंकि इस दौरान बच्चे के अंग और टिश्यू विकसित हो रहे होते हैं।

  • इसकी बहुत कम डोज लें

कम डोज लेने  से बच्चे में दवा के संचय और टॉक्सिसिटी को कम करने में मदद मिलती है।

  • एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट के दौरान ओवर द काउंटर दवाओं का उपयोग न करें

गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई ओवर द काउंटर दवाओं को गर्भवती महिला की सेफ्टी के लिए अच्छी तरह से टेस्ट नहीं किया जाता है। इसलिए ओटीसी दवा, विटामिन और सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात  करें।

  • सुरक्षित दवाएं चुनें

हमेशा टेस्टेड एंटीबायोटिक्स का ही उपयोग करें, जो खासतौर पर गर्भवती महिलाओं पर टेस्ट की गई हो।

किसी भी स्थिति में खुद से दवा लेने से बचना चाहिए, विशेष रूप से तब जब आप गर्भवती हों। ध्यान रहे कि किसी भी बीमारी या समस्या का अनुभव होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं और सिर्फ प्रिस्क्रिप्शन में बताई गई दवाओं का सेवन करें, ताकि आप और आपका बच्चा सुरक्षित रहे।

यह भी पढ़ें: 

क्या गर्भावस्था में प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स लिया जा सकता है?
क्या गर्भावस्था में एसाइक्लोवीर का सेवन करना चाहिए?
क्या गर्भावस्था के दौरान एलर्जी की दवा लेना सही है?

समर नक़वी

Recent Posts

मिट्टी के खिलौने की कहानी | Clay Toys Story In Hindi

इस कहानी में एक कुम्हार के बारे में बताया गया है, जो गांव में मिट्टी…

2 days ago

अकबर-बीरबल की कहानी: हरा घोड़ा | Akbar And Birbal Story: The Green Horse Story In Hindi

हमेशा की तरह बादशाह अकबर और बीरबल की यह कहानी भी मनोरंजन से भरी हुई…

2 days ago

ब्यूटी और बीस्ट की कहानी l The Story Of Beauty And The Beast In Hindi

ब्यूटी और बीस्ट एक फ्रेंच परी कथा है जो 18वीं शताब्दी में गैब्रिएल-सुजैन बारबोट डी…

2 days ago

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago