गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर

हाई ब्लड प्रेशर वाली महिलाओं में प्रसव के दौरान कॉम्प्लिकेशन की संभावना अधिक होती है। इससे माँ और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। लेकिन लाइफस्टाइल में थोड़े बदलाव करने के साथ आप अपने शरीर को हेल्दी रख सकती हैं।

नॉर्मल ब्लड प्रेशर का लेवल/रेंज क्या है

जब सिस्टोलिक प्रेशर 90 से 120 के बीच होता है और 60 से 80 के बीच डायस्टोलिक प्रेशर हो तो इसे नॉर्मल ब्लड प्रेशर रेंज माना जाता है। ब्लड प्रेशर रीडिंग के लिए मरकरी को मिलीमीटर में एक्सप्रेस्ड किया जाता है। यदि ब्लड प्रेशर नॉर्मल रेंज में है, तो कोई मेडिकल हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होती है।

गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर में बदलाव होते हैं। एक महिला के लिए, गर्भावस्था के दौरान नॉर्मल ब्लड प्रेशर 110/70 और 120/80 के बीच होना चाहिए। यदि प्रेशर रीडिंग 121/80 तक जाती है, तो आपको हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना हो सकती है और यदि यह 90/50 से कम है, तो आपको लो ब्लड प्रेशर हो सकता है।

यह आवश्यक है कि आप गर्भावस्था के दौरान अपने ब्लड प्रेशर की जांच करवाएं। ब्लड प्रेशर का लेवल होने वाली प्रॉब्लम का संकेत हो सकता है जो आपकी गर्भावस्था से अलग हो सकता है। हालांकि इस दौरान ज्यादातर महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर का शिकार नहीं होती, लेकिन दूसरी ओर कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो सकती हैं। थोडा बहुत ब्लड प्रेशर बढ़ना अक्सर देखा जाता है। मगर कभी-कभी हाई ब्लड प्रेशर गंभीर हो जाता है, जिससे माँ और बच्चे दोनों को नुकसान होता है। 8% महिलाओं को लो ब्लड प्रेशर के बजाय गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर का अनुभव ज्यादा होता है, जो काफी नेचुरल भी है।

आपका ब्लड प्रेशर कैसे मापा जाता है?

सिस्टोलिक (शीर्ष) और डायस्टोलिक (नीचे) संख्या को कैप्चर करके ब्लड प्रेशर को मापा जाता है।

दिल की मांसपेशियों के सिकुड़ने पर सिस्टोलिक नंबर (टॉप नंबर) आपकी धमनियों में प्रेशर की मात्रा को बताता है। इसे सिस्टोलिक प्रेशर कहते हैं। डायस्टोलिक नंबर (बॉटम नंबर) आपके ब्लड प्रेशर को रिफर करता है जब आपके दिल की मांसपेशी धड़कनों के बीच होती है। टॉप नंबर की नॉर्मल रीडिंग 90 से 120 के बीच होनी चाहिए और 60 से 80 के बीच बॉटम नंबर होना चाहिए।

डॉक्टर आपके रेगुलर चेकअप के दौरान आपके ब्लड प्रेशर को मापने के लिए एक छोटे मॉनिटर का उपयोग करेंगे। आपको हाथ पर से किसी भी टाइट कपड़ों को हटा दिया जाएगा और कोहनी के ऊपर कफ को लपेट दिया जाएगा; वह उसमें हवा भरना शुरू कर देंगे। इससे कफ कस जाएगा। फिर कफ में से हवा को रिलीज कर दिया जाएगा। यह कफ मॉनिटर से जुड़ा हुआ होता है, जो ब्लड प्रेशर को कैलकुलेट करता है और रीडिंग बताता है। रीडिंग एक फ्रैक्शन की तरह दिखाई देगा, उदाहरण के लिए, 110 (सिस्टोलिक नंबर) / 70 (डायस्टोलिक नंबर)।

गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर क्यों मापा जाता है?

गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर की निगरानी किसी भी जोखिम और कॉम्प्लिकेशन को दूर करने के लिए जरूरी है, जो माँ और बच्चे को प्रभावित कर सकती है। हल्के हाई ब्लड प्रेशर वाली महिलाओं की प्रेगनेंसी नॉर्मल होती है। शुरुआती गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर थोड़ा कम हो जाता है और फिर तीसरी तिमाही में में वापस थोडा लो हो जाता है।

हालांकि, ब्लड प्रेशर जितना अधिक होगा, गर्भावस्था के दौरान समस्याएं उतनी ही अधिक होंगी। यदि गर्भवती महिला को सीवियर हाई ब्लड प्रेशर है, तो डायबिटीज या किडनी से संबंधित अन्य बीमारियों का खतरा भी हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान बीपी कैसे बदलता है?

गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर का बदलना नॉर्मल है। यह गर्भावस्था के दौरान हृदय परिवर्तन का हिस्सा है। गर्भावस्था के कारण रक्त की मात्रा धीरे-धीरे लगभग 40-50% बढ़ जाती है जो हार्ट रेट, स्ट्रोक वॉल्यूम और कार्डियक आउटपुट को बढ़ाती है।

ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग

गर्भावस्था के दौरान, आपके डॉक्टर से चेकअप के लिए जाने पर हर बार बीपी की मॉनिटरिंग की जाती है। हालांकि, यह भी जरूरी है कि बीपी की जांच घर पर की जाए, जो ब्लड प्रेशर में किसी भी बदलाव को मॉनिटर करने में मदद करेगा। गर्भावस्था के दौरान प्री-एक्लेमप्सिया का खतरा भी हो सकता है। इसलिए, डॉक्टर सलाह देते हैं कि बीपी को घर पर भी ट्रैक किया जाना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर

गर्भावस्था के दौरान या उससे पहले ब्लड प्रेशर की विभिन्न स्टेज हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर के प्रकार यहाँ दिए गए हैं:

  • क्रोनिक हाई ब्लड प्रेशर को पहले से मौजूद हाई बीपी के रूप में भी जाना जाता है, यह ब्लड प्रेशर गर्भावस्था से 20 सप्ताह पहले होता है। यह उन महिलाओं में होता है जिन्हें प्रेगनेंसी से पहले हाई बीपी की समस्या थी। इस कंडीशन में गर्भधारण के बाद भी बीपी हाई रहता है।
  • जेस्टेशनल हाइपरटेंशन या प्रेगनेंसी हाइपरटेंशन गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद हाई ब्लड प्रेशर के कारण विकसित होता है। हालांकि यह कोई बड़ी समस्या नहीं है, आप देखभाल के लिए अपने डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
  • प्री-एक्लेमप्सिया एक ऐसी कंडीशन है जहाँ गर्भावस्था के 20 सप्ताह बाद भी पेशाब में बड़ी मात्रा में प्रोटीन और हाई बीपी होता है। इसका तुरंत इलाज किया जाना चाहिए और यह माँ और बच्चे के लिए बड़े कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकता है।

गर्भावस्था के दौरान लो ब्लड प्रेशर?

हाइपरटेंशन, जिसे लो ब्लड प्रेशर भी कहा जाता है, यह तब होता है जब आपकी रीडिंग 90/60 या उससे कम होती है। यह एक खतरनाक कंडीशन है क्योंकि यह आपके शरीर और हृदय में ब्लड के जरिए पहुँचने वाली ऑक्सीजन सप्लाई को रोकती है।.

हाइपरटेंशन के कुछ कारण हैं:

  • दिल की बीमारी: कई हार्ट प्रॉब्लम जैसे हार्ट के वाल्व का काम न करना, हार्ट रेट बहुत कम होना, हार्ट फेल होना और हार्ट अटैक पड़ने के कारण आपका ब्लड प्रेशर लो हो सकता है।
  • डिहाइड्रेशन: शरीर में पानी की कमी व्लोड की मात्रा में गिरावट का कारण बन सकती है, जिससे लो ब्लड प्रेशर होता है।
  • गर्भावस्था: शरीर में रक्त की बढ़ती आवश्यकता के कारण सर्कुलेटरी सिस्टम का तेजी से विस्तार होता है। यह आमतौर पर ब्लड प्रेशर में गिरावट का कारण बनता है।
  • रक्त बहना: किसी चोट के कारण बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना या एक इंटरनल ब्लीडिंग के कारण लो ब्लड प्रेशर हो सकता है।
  • सीवियर इन्फेक्शन (सेप्टीसीमिया): ब्लड स्ट्रीम में संक्रमित खून के रिसने के कारण, धमनियों में सेप्टिसीमिया इन्फेक्शन का कारण बनता है। इससे सेप्टिक शॉक होता है जो लगातार हाइपरटेंशन की को बढ़ावा देता है।
  • एनाफिलेक्सिस: जहरीले कीड़े से होने वाला एलर्जिक रिएक्शन, मेडिकेशन, खाद्य पदार्थ और लेटेक्स एनाफिलेक्सिस लो ब्लड प्रेशर का कारण हो सकता है।
  • कुपोषण: फोलेट की कमी और एनीमिया बी -12 से एनीमिया के कारण ब्लड प्रेशर में गिरावट हो सकती है।
  • एंडोक्राइनल प्रॉब्लम: लो ब्लड शुगर, थायराइड कंडीशन, डायबिटीज और एड्रेनल इन्सफीशियन्सी लो ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती है।
  • कुछ प्रकार की दवाएं: अल्फा ब्लॉकर्स, वाटर पिल्स, एंटी-डिप्रेसेंट, बीटा ब्लॉकर्स और पार्किंसंस डिजीज के लिए मेडिसिन, लो ब्लड प्रेशर का कारण हो सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर के कारण होने वाली कॉम्प्लिकेशन

कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर या प्री-एक्लेमप्सिया हो सकता है। यहाँ आपको हाई ब्लड प्रेशर से होने वाले कॉम्प्लिकेशन के बारे में बताया गया है, जो कुछ इस प्रकार हैं: 

  • हाई बीपी प्लेसेंटा में ब्लड फ्लो को कम कर देता है, जिससे बच्चे तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की सप्लाई भी कम हो जाती है, यह बच्चे का विकास प्रभावित करता है और डिलीवरी के समय बच्चे में लो वेट होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • प्लेसेंटल अब्रप्शन के रूप में जानी जाने वाली कंडीशन हो सकती है। जिसमें समय से पहले प्लेसेंटा के गर्भाशय से अलग हो जाने के कारण बच्चे को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और महिला को हैवी ब्लीडिंग होने का खतरा हो सकता है।
  • समय से पहले डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है जो जान के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
  • प्री-एक्लेमप्सिया से पीड़ित महिलाओं को आगे चल कर हार्ट प्रॉब्लम होना का खतरा अधिक खतरा होता है।

प्री-एक्लेमप्सिया के संकेतों में शामिल हैं:

  • यह आपकी दृष्टि को प्रभावित कर सकता है (धुंधला दिखना, लाइट के प्रति सेंसिटिविटी होना, लाइट फ्लैश होना और दिखाई न देना) को प्रभावित करता है।
  • लगातार सिरदर्द होना।
  • पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द।
  • वजन में अचानक वृद्धि होना, एक सप्ताह के भीतर 2.3 किलोग्राम से अधिक वजन बढ़ना।

गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर को कैसे कंट्रोल करें?

कुछ सिंपल स्टेप्स के साथ हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है। यहाँ आपको कुछ ट्रीटमेंट दिए गए तो इसे रोकने में मदद कर सकते हैं ।

उपचार

  • एक डॉक्टर द्वारा प्रेसक्राइब्ड मेडिसिन ब्लड प्रेशर को कम कर सकती है अगर इसका निदान मॉडरेट या सीवियर हाई ब्लड प्रेशर के साथ किया जाता है।
  • गंभीर बीपी समस्या या उतार-चढ़ाव के मामलों में, प्रेशर को कम करने के लिए आपको हॉस्पिटल में भर्ती किया जा सकता है, ताकि लगातार इसकी निगरानी की जा सके। आपका बीपी गिरने के बाद आपको जाने की इजाजत मिल सकती है। हालांकि, सप्ताह में दो बार बीपी टेस्ट, यूरिन टेस्ट और ब्लड टेस्ट किया जाएगा।

गर्भावस्था के दौरान हाई बीपी को कंट्रोल करने के लिए घरेलू उपचार

  • अर्जुन की छाल, नागफनी और जैतून के पत्ते का अर्क जैसी हर्ब का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में भी मदद मिलती है।
  • रोजाना पाँच कप गर्म कोकोआ लेने से हाई बीपी को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। कोकोआ में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
  • यदि रोजाना इसे लिया जाए तो लहसुन ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है।

हाई ब्लड प्रेशर से बचाव

  • गर्भावस्था के शुरुआती स्टेज से अपने ब्लड प्रेशर लेवल की जांच करवाती रहें।
  • अपने आहार में नमक के सेवन को कंट्रोल करें या नमक के अन्य ऑप्शन का उपयोग करें।
  • वाकिंग, स्विमिंग, योग जैसी फिजिकल एक्टिविटी को महत्व दें।
  • डाइट में बदलाव जैसे कि फल, सब्जियों और डेयरी प्रोडक्ट का कम सेवन करना और वसा, रेड मीट, मिठाइयों और चीनी से युक्त पेय पदार्थों को परहेज करने से बीपी कंट्रोल रहता है।
  • रेगुलर प्रीनेटल चेकअप करवाएं।
  • धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन न करें।

निष्कर्ष

कॉम्प्लिकेशन को रोकने के लिए ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रेंज में रखना जरूरी है। यह एक हेल्दी लाइफस्टाइल  और मेडिकेशन के जरिए से आसानी से पूरा किया जा सकता है। सिर्फ ब्लड प्रेशर रीडिंग से आपके हेल्थ इशू का पता नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि, करेंट रीडिंग सबसे सटीक मानी जाती है।

यह भी पढ़ें: 

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समर नक़वी

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