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आप एक नए जीवन को जन्म देने वाली हैं और इससे बढ़ कर और क्या खुशी की बात हो सकती है। हालांकि, इस दौरान आपको कई कॉम्प्लिकेशन का सामना करना पड़ता है जो अपने आप में ही बहुत मुश्किल होते हैं। ऐसी ही एक समस्या दाँतों से संबंधित है और लोग इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। जैसे सांस लेते समय मुँह से खराब गंध आना, आप सोच रही होंगी प्रेगनेंसी के दौरान ऐसा क्यों होने लगता है? मैंने ऐसा क्या खाया है? क्या यह नॉर्मल है? तो आपके इन सभी सवालों के जवाब इस लेख को पढ़ने के बाद ही मिल पाएंगे कि आखिर प्रेगनेंसी के दौरान डेंटल प्रॉब्लम होने की क्या वजह हो सकती है, उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आप एक अच्छी सुबह उठकर सांस में बदबू का अहसास कर रही हों…और आपको आश्चर्य हो सकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है? मैंने क्या खाया? क्या यह सामान्य है? खैर, आपके सभी प्रश्नों पर पता लगाने के लिए यह लेख पढ़ें।
प्रेगनेंसी के दौरान अपने डेंटिस्ट के पास जाना बिल्कुल सुरक्षित है। आपको यह सलाह दी जाती है कि अगर आपको दाँतों में फिलिंग करवानी है या क्राउनिंग की आवश्यकता है तो इसे पहले ही करा लें ताकि इन्फेक्शन होने की संभावना कम रहे। दूसरी तिमाही आपकी प्रेगनेंसी का थोड़ा आसान समय होता है, इसलिए आप अपनी डेंटल प्रोसीजर को इस दौरान करवा सकती हैं क्योंकि तीसरी तिमाही के दौरान आपकी समस्या वैसे भी बढ़ जाएगी। इसके अलावा, किसी भी कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए आप जो दवाइयां पहले से ले रही हों उनके बारे में अपने डेंटिस्ट को जरूर बता दें।
गर्भावस्था एक अद्भुत लेकिन मुश्किल समय है। इस दौरान आपकी डेंटल प्रॉब्लम और भी ज्यादा बढ़ सकती है। यहाँ प्रेगनेंसी के दौरान दाँतों में होने वाले सामान्य लक्षणों के बारे में बताया गया है:
यहाँ प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली कुछ आम डेंटल प्रॉब्लम बताई गई हैं जो इस प्रकार हैं:
यह मसूड़ों में टिश्यू के बहुत ज्यादा ग्रोथ से पनपता है, लेकिन यह कैंसर नहीं होता है। प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में हार्मोनल चेंजेस के कारण यह आमतौर पर दूसरी तिमाही में होता है और गर्भावस्था के बाद ठीक हो जाता है। यह एक रसभरी जैसे आकार का होत है और इसकी वजह से आपको ब्लीडिंग होती है। यह समस्या दरअसल बैक्टीरिया या खाने के अंश से पनपकर होने वाली सूजन होती है और लगभग 10 प्रतिशत महिलाओं में पाई जाती है। डेंटिस्ट लोकल एनेस्थीसिया के जरिए यह सूजन कम करेंगे। अगर सूजन कम नहीं होती है तो डेंटिस्ट इसके पीछे के कारण का पता लगाएंगे।
जिंजिवाइटिस मसूड़े में होने वाली सूजन के कारण होता है, जिसकी वजह से दाँतों में बैक्टीरिया का विकास होने लगता है। इससे मसूड़े लाल हो जाते हैं और आपको सूजन व सेंसिटिविटी की परेशानी होने लगती है। शरीर में हार्मोनल चेंजेस मसूड़ों में प्लाक और गम टिश्यू को बढ़ावा देते हैं। इस कंडीशन का इलाज करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह फीटस के विकास को प्रभावित कर सकता है और बच्चे में लो बर्थ वेट की समस्या पैदा कर सकता है।
गर्भावस्था के दौरान एसिड रिफ्लक्स और सीने में जलन की संभावना बढ़ जाती है। जब यह मॉर्निंग सिकनेस के साथ होता है तो एसिड लेवल को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है और आपके दाँतों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान अपनी ओरल हाइजीन का बहुत ज्यादा खयाल रखें। नियमित रूप से अपना मुँह को धोएं और दिन में दो बार ब्रश करें।
किसी भी कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए डेंटल हाइजीन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। गर्भावस्था के दौरान सभी रूटीन जांच और प्रोसीजर जैसे कि क्लीनिंग, पीरियडोंटल ट्रीटमेंट, रूट कैनाल और डेंटल फिलिंग को सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान डेंटल ट्रीटमेंट आपकी प्रेगनेंसी में किसी प्रकार की समस्या को होने रोकता है। आपको पहली तिमाही के दौरान डेंटल ट्रीटमेंट से बचने के लिए कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान फीटस के अंग विकसित हो रहे होते हैं। दूसरी तिमाही में आप यह ट्रीटमेंट करा सकती, इस समय फीटस नॉर्मली विकास कर रहा होता है। तीसरी तिमाही में, डेंटल ट्रीटमेंट से फीटस को तो कोई नुकसान नहीं पहुँचता, लेकिन आने वाले समय में यह गर्भवती महिला के लिए मुश्किल हो सकता है।
अगर आपका कोई दाँत पूरी तरह से खराब हो जाता है, तो डेंटिस्ट उसे दूसरी तिमाही में निकालने की सलाह देते हैं। यह पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है, इसके अलावा आपको पहली तिमाही के दौरान एक्स-रे से बचने की भी सलाह दी जाती है जब बच्चा विकसित हो रहा होता और गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान जब पीठ का सहारा लेकर बैठना आपके लिए मुश्किल होता है। प्रक्रिया के लिए एक्स-रे, एंटीबायोटिक्स और एनेस्थेटिक्स को भी सुरक्षित माना जाता है। दाँतों के इन्फेक्शन को होने से रोकने या उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स का उपयोग करते हैं। आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक्स जैसे एमोक्सिसिलिन और पेनिसिलिन गर्भावस्था के दौरान उपयोग करने के लिए सुरक्षित मानी जाती है। यहाँ तक कि अगर एक्स-रे की प्रक्रिया को भी ठीक से लागू किया जाए तो यह हानिकारक नहीं होते हैं। सबसे ज्यादा एनेस्थेटिक्स, लिडोकेन, को इस्तेमाल किया जाता है, जो प्लेसेंटा के माध्यम से गुजरती है लेकिन आपकी गर्भावस्था के लिए सुरक्षित मानी जाती है।
बुरी तरह से इन्फेक्टेड दाँतों के नीचे मौजूद पल्प को पेरियापिकल क्षेत्र में फैलने से पहले निकालने के लिए रूट कैनाल किया जाता है। यदि आवश्यक हो तो गर्भावस्था के दौरान इसे किसी भी समय में किया जा सकता है। लेकिन बेहतर यही है कि आप इसे दूसरी तिमाही में कराएं। किसी भी काम्प्लेक्स केस में आपको एंडोडोंटिस्ट के पास भेजा जा सकता है, जो रूट कैनाल ट्रीटमेंट के एक्सपर्ट होते हैं।
टीथ वाइटनिंग जैसे प्रोसीजर को प्रेगनेंसी के दौरान कराना जरूरी नहीं होता है, इसलिए आप इसे कुछ समय के लिए टाल भी सकती हैं। लेकिन इससे बच्चे कोई कोई खतरा नहीं होता है, बस आपको इस प्रक्रिया के दौरान थोड़ा असहज महसूस हो सकता है इस तरह, वे शिशु को कोई जोखिम नहीं देते हैं, इसके सेशन के दौरान आपको होने वाली तकलीफ के अलावा अन्य कोई खतरा नहीं है। यदि आप घर पर टीथ वाइटनिंग किट का उपयोग कर रही हैं, तो ध्यान दें की इसमें हाइड्रोजन परोक्साइड का लेवल 6% से अधिक नहीं होना चाहिए। हाई कंसंट्रेशन होने से टिश्यू डैमेज हो सकते हैं।
अगर आपने गर्भावस्था से पहले ब्रेसेज लगवाई थी, तो गर्भवती होने के दौरान आप सभी रूटीन चेकअप के लिए जा सकती हैं। आपके शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेस आपके दाँतों को ढीला कर सकते हैं, जिससे आपके ऑर्थोडॉन्टिक ट्रीटमेंट प्लान में बदलाव लाना पड़ सकता है। ब्रेसेज से गर्भ में पलते बच्चे को कोई खतरा नहीं होता है । हालांकि, आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए अगर आप अपनी गर्भावस्था के दौरान ब्रेसेज लगवाने की योजना बना रही हैं। ऑर्थोडॉन्टिक ट्रीटमेंट के लिए आपको एक्स-रे, एंटीबायोटिक्स और एनेस्थेटिक्स दिया जाता है। इस प्रक्रिया से बच्चे या गर्भवती महिला को कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन इसे जितना हो सके उतना जरूरत के हिसाब से ही करवाना चाहिए। इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती होने के दौरान ब्रेसेज पहनना आसान नहीं क्योंकि आप पहले से ही काफी परेशानियों का सामना कर रही होंगी जैसे मॉर्निंग सिकनेस, हार्टबर्न वगैरह। ब्रेसेज से आपको परेशानी भी हो सकती हैं क्योंकि इस दौरान आपको फूड क्रेविंग होती है और ब्रेसेज के कारण आप क्रंची और स्टिकी फूड का सेवन नहीं कर सकती हैं।
डेंटल प्रोसीजर के दौरान लोकल एनेस्थेटिक्स उपयोग किया जाता है जो सुरक्षित है। लिडोकेन, सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला एनेस्थेटिक्स है जो प्लेसेंटा के माध्यम से गुजरता है लेकिन फीटस को कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है। गर्भवती महिलाओं को हमेशा एनेस्थेटिक्स के कम से कम डोज का उपयोग करने की सलाह दी जाती है, हालांकि दर्द से गर्भवती महिला पर साइकोलॉजिकल रिएक्शन पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान लाफिंग गैस या कॉमन एनेस्थेटिक्स से बचना ज्यादा बेहतर होता है।
गर्भावस्था के दौरान डेंटल चेकअप के लिए एक्स-रे की आवश्यकता हो सकती है। ये एक्स-रे गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित हैं। मॉडर्न एक्स-रे में रेडिएशन कम होता है और सिर्फ एक्स-रे आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता है। डेंटल बच्चे की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और उन्हें रेडिएशन से बचाने के लिए एप्रन और थायरॉयड शील्ड का उपयोग करते हैं।
आप पहले से जो दवा ले रही हों उसके बारे में अपने डेंटिस्ट को बताएं। डेंटिस्ट द्वारा गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले एंटीबायोटिक्स का उपयोग इन्फेक्शन के उपचार या रोकथाम के लिए किया जाता है जो गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीबायोटिक्स में एमोक्सिसिलिन और पेनिसिलिन शामिल हैं।
कहा जाता है इलाज करने से बेहतर बचाव करना होता है, तो क्यों न अपने दाँतों का भी खयाल रखा जाए ताकि आपको किसी समस्या का सामना न करना पड़े। गर्भावस्था के दौरान डेंटल हाइजीन का पालन करें और दाँतों हेल्दी रखें:
महिलाएं ज्यादातर प्रेगनेंसी के दौरान दाँतों पर इतना ध्यान नहीं देती हैं। अपने दाँतों का ज्यादा खयाल रखें। हार्मोनल चेंजेस आपके दाँतों और मसूड़ों की समस्या को भी ज्यादा बढ़ सकते हैं। डेंटिस्ट के पास जाकर रूटीन चेकअप कराएं, क्योंकि आपकी डेंटल हेल्थ बच्चे के विकास में अहम भूमिका निभाती है। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न होने वाली दाँतों की किसी भी समस्या से निपटने के लिए अपने डेंटिस्ट की सलाह लें।
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