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गर्भावस्था आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव लाती है और इनमें से एक है आपके हाथ, पैर, पेट या शरीर के ऐसे हिस्सों का सुन्न होना जहाँ आपने पहले कभी इस प्रकार का अनुभव नहीं किया होगा। शरीर के अंगों के सुन्न पड़ने को नंबनेस कहते हैं और ये सामन्यतः चिंता का विषय नहीं होते हैं। हालांकि, यदि इनके साथ कुछ अन्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। गर्भावस्था में शरीर के सुन्न होने के संबंध में सभी आवश्यक बातें जानने के लिए यह लेख पढ़िए।
गर्भावस्था के दौरान नंबनेस या झनझनाहट का अर्थ स्पर्श-बोध न होना अथवा हाथों, बाँहों, पैरों, पंजों और शरीर के अन्य हिस्सों में सुईयां चुभने जैसा अनुभव होना है। यह एक सामान्य लक्षण है जिसका अनुभव कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होता है और यह आमतौर पर शरीर के कुछ हिस्सों में होने वाली सूजन के कारण होता है जो नसों को संकुचित करती है या रक्त प्रवाह को बाधित करती है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में अक्सर नंबनेस को गर्भावस्था के एक लक्षण के रूप में देखा जाता है क्योंकि आने वाले बच्चे के लिए शरीर में परिवर्तन होने लगते हैं। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान शरीर का सुन्न होना अक्सर समुचित नींद न लेने का परिणाम हो सकता है क्योंकि महिलाएं बैठते और सोते समय नई शारीरिक मुद्राएं आजमाना शुरू कर देती हैं। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान ये लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं। यह अक्सर गर्भाशय के बढ़ते हुए आकार और नींद की मुद्राओं में परिवर्तन के परिणामस्वरूप रक्त वाहिकाएं या नसें दब जाने से होता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाएं जीभ व चेहरे सहित शरीर के कई हिस्सों का सुन्न होना महसूस कर सकती हैं। यहाँ कुछ सामान्य स्थितियों के बारे में बताया गया है:
यहाँ गर्भावस्था के दौरान शरीर के सुन्न होने या झनझनाहट के कुछ कारण दिए गए हैं:
जीभ का सुन्न होना कई कारणों से हो सकता है जैसे कि नसों पर दबाव, रीढ़ की हड्डी पर दबाव, बेल अंगाघात (बेल्स पाल्सी) और एलर्जी से होने वाली प्रतिक्रियाएं। जीभ में नंबनेस का सटीक कारण जानकर इसका इलाज करने में मदद मिल सकती है और ऐसा करने के लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं।
जोड़ों और नसों पर दबाव पड़ने से हाथ और उँगलियों में नंबनेस हो सकती है, कभी-कभी यह कार्पल टनल सिंड्रोम की शुरुआत भी हो सकती है। इसके लिए निम्नलिखित उपचार दिए गए हैं:
पेट के सुन्न होने का अहसास वजनी गर्भाशय द्वारा नसों और रक्त वाहिकाओं पर पड़ने वाले दबाव के कारण होता है। यहाँ पर इससे बचने के तरीके दिए गए हैं:
गर्भावस्था के दौरान पैरों में झनझनाहट होना एक आम बात है क्योंकि आपके बैठने अथवा खड़े रहने के दौरान शरीर का सारा भार पैरों और कूल्हों पर पड़ता है। यह अक्सर धमनियों में रक्त प्रवाह को रोक सकता है जिससे नंबनेस पैदा हो सकती है। यहाँ इस परेशानी से निपटने के कुछ उपाय दिए गए हैं:
यद्यपि गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाली झनझनाहट और नंबनेस को पूरी तरह रोक पाना संभव नहीं है, लेकिन अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करके आप इसे बहुत हद तक कम कर सकती हैं। सोते समय हाथों को ऊंचाई पर रखकर या कलाई की पट्टी का उपयोग करने से उँगलियों की झनझनाहट को रोका जा सकता है और कलाई की सूजन से बचा जा सकता है जो ‘कार्पल टनल सिंड्रोम’ को बदतर बनाने का कारण है। बैठने, खड़े होने या लेटने के दौरान सही मुद्रा रखकर आप इसके प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकती हैं। देखें कि कौन सी मुद्रा नंबनेस का कारण बनती है और उसमें लम्बे समय तक रहने से बचें। नरम सतह वाले आरामदायक जूते पहनें जो समतल एड़ी के हों। यह पैरों में दबाव को कम कर सकते हैं जिससे पैरों के सुन्न होने को कम किया जा सकता है।
यद्यपि गर्भावस्था के दौरान हाथों और पैरों का थोड़ा सुन्न होना सामान्य है, मगर अचानक अधिक नंबनेस या झनझनाहट की शुरुआत किसी गंभीर स्थिति का संकेत हो सकती है। एकाएक इसकी शुरुआत होना किसी चोट या बाधा का लक्षण हो सकती है और इसके लिए तत्काल चिकित्सीय परीक्षण की आवश्यकता है। यदि आप अपने पेट या पैरों के सुन्न पड़ने से राहत पाने के लिए किसी भी वैकल्पिक दवाई या क्रीम का उपयोग करने का निर्णय लेती हैं तो पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें। ऐसी क्रीमों में अक्सर अनियमित हर्बल सामग्री होती है जो गर्भावस्था के दौरान खतरनाक साबित हो सकती है। अंत में, कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर को अपनी नियमित जाँच के दौरान उसके बारे में सूचित करें।
गर्भावस्था में शरीर के अंगों का सुन्न होना और उनमें झनझनाहट होना सामान्य बात है और बहुत अधिक चिंता का विषय नहीं है। एहतियाती उपायों से इनसे बचा जा सकता है।
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