गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान पालथी मार के बैठना – क्या यह सुरक्षित है?

गर्भावस्था के दौरान शारीरिक दर्द से बचने के लिए, सही मुद्रा में बैठना महत्वपूर्ण है। पालथी मार के बैठने की मुद्रा, शरीर के रक्तचाप को बढ़ाने के लिए जानी जाती है और रक्त परिसंचरण को भी बाधित करती है, जिससे नसों में सूजन आ सकती है। कुछ गर्भवती महिलाओं को पालथी मार के बैठने की सलाह दी जाती है, कई लोग भोजन के दौरान इस अवस्था में बैठना पसंद करते हैं। सही मुद्रा में बैठने से मांसपेशियों की कार्यक्षमता, मानसिक स्वास्थ्य, एकाग्रता और रक्त प्रवाह में सुधार होता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि यह प्रसव पीड़ा की वृद्धि में मदद करता है। गर्भवती महिलाएं गतिहीन जीवनशैली से बचने के लिए स्ट्रेचिंग कर सकती हैं व सैर पर जा सकती हैं और साथ ही उन्हें हमेशा सीधी अवस्था में बैठने पर ध्यान देना चाहिए । सुरक्षित रूप से ऐसा माना जा सकता है कि गर्भावस्था के दौरान जब तक सहज हो, तब तक पालथी मार के बैठना सुरक्षित है।

क्या गर्भावस्था के दौरान पालथी मार के बैठना सुरक्षित है?

सभी गर्भवती महिलाएं ध्यान देने योग्य स्थितियों का खयाल करके स्वस्थ गर्भावस्था की उम्मीद करती हैं।जहाँ तक पालथी मार के बैठने का सवाल है, गर्भवती महिलाओं को बहुत सावधान रहने के लिए कहा जाता है और इस मुद्रा में बैठने से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह मुद्रा अजन्मे शिशु के सिर को समतल कर सकती है या गर्भनाल को उलझा सकती है, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को असहज महसूस होता है। पालथी मार के बैठने से होने वाले खतरों के बावजूद, कोई भी इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकता है कि ‘टेलर सिटिंग’ की मुद्रा श्रोणि को खोलती है और बच्चे को निर्बाध रूप से नीचे जाने की अनुमति देती है और होने वाली माँ को प्रसव हेतु तैयार करती है। पालथी मार के बैठना, बच्चे को प्रसव के लिए एक अनुकूल स्थिति में लाने का कार्य भी करता है। इसके फायदों को ध्यान में रखते हुए, कुछ महिलाएं घर के काम करते समय, धार्मिक आयोजनों में अथवा योग और ध्यान करते समय इस तरह से बैठना पसंद करती हैं।

किन गर्भवती महिलाओं को पालथी मार के बैठने से पूरी तरह बचना चाहिए?

पालथी मार के बैठने के विभिन्न लाभों के बावजूद, फिजियोथेरेपिस्ट कुछ गर्भवती महिलाओं को इसकी सलाह नहीं देते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को पालथी मार के बैठने से बचना चाहिए, इसके निम्नलिखित कारण हैं;

  • जो गर्भवती महिलाएं पेल्विक गर्डल दर्द (पी.जी.पी.) से पीड़ित हैं, उन्हें पालथी मार के बैठने से बचना चाहिए।
  • इसका एक अन्य कारण है सिम्फिसिस प्यूबिस डिसफंक्शन (एस.पी.डी.) जो श्रोणि को एक विषम स्थिति में डाल सकता है। यह पैरों पर असमान भार के वितरण का कारण बनता है, जिससे तनाव और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • लंबी अवधि के लिए पालथी मार के बैठने के कारण अक्सर पैरों और टखनों पर दबाव पड़ता है और यह दबाव रक्त परिसंचरण को बाधित कर सकता है, जिससे नसों में सूजन अथवा वेरिकोज वेंस की समस्या उत्पन्न होती है।
  • कुछ महिलाएं, न केवल पालथी मार के बल्कि किसी भी स्थिति में लंबे समय तक बैठी रहें, तो उन्हें पीठ दर्द की समस्या होती है।

यह लेख निःसंदेह साबित करता है कि असहजता व समस्याओं को कम करने के लिए गर्भावस्था के दौरान शरीर यांत्रिकी (बॉडी मेकेनिज्म) यथोचित होनी चाहिए। शरीर यांत्रिकी को ठीक रखने में सबसे महत्वपूर्ण कदम है, बैठने की उचित मुद्रा। पालथी मारने की मुद्रा बैठने के लिए काफी आरामदायक है, जो रक्त-परिसंचरण में सुधार करती है। यह जांघ की मांसपेशियों के लचीलेपन को बढ़ाती है। इसलिए उचित आसन शिशु को गर्भाशय ग्रीवा में लाने के लिए सर्वश्रेष्ठ होते हैं।

सुरक्षा कटियार

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