गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द – कारण और उपचार

गर्भावस्था के दौरान शिशु की गतिविधियों को महसूस करने के साथ गर्भवती महिला को अनेक शारीरिक परिवर्तनों का अनुभव भी करना पड़ता है। इन परिवर्तनों के साथ बेचैनी, शारीरिक दर्द, चक्कर, सीने में दर्द, मतली और अनेक असुविधाएं होती हैं। आज हम इस लेख में गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द के बारे में चर्चा करेंगे, यदि आपको भी अपनी गर्भावधि में यह समस्या बेचैन करती है तो इसके कारण, लक्षण और उपचार जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।

क्या गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द सामान्य है

गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द कोई असामान्य बात नहीं है, यह भी इस दौरान होने वाली अन्य समस्याओं में से एक है। शुरूआती गर्भावधि में सीने में दर्द होने का मतलब है एक गर्भवती महिला के शरीर में तेजी से बदलाव होना। गर्भावस्था के दौरान शारीरिक बदलाव के साथ-साथ जीवनशैली, खान-पान, आदतें और अन्य बदलाव भी होते हैं। इन्हीं अनेक बदलावों के कारण गर्भवती महिला को इस अवधि में कुछ असुविधाएं होती हैं जिसमें से एक समस्या सीने में दर्द है।

गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द के कारण

शरीर में लगातार बढ़ रहे शिशु को समायोजित करने के लिए इस दौरान अनेक लक्षण, संकेत व दर्द उत्पन्न होते हैं। जिस प्रकार शारीरिक प्रणाली में परिवर्तन से शरीर की प्रतिक्रयाओं के अनेक कारण होते हैं, उसी प्रकार गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द भी एक प्रतिक्रिया है;

1. अपच

अपच सीने में दर्द का सबसे आम कारण है, यह समस्या तब होती है जब पेट और सीने के बीच में गैस फंस जाती है। गर्भावस्था के 27वें सप्ताह के आसपास या तीसरी तिमाही में अपच की समस्या अधिक बढ़ सकती है।

2. सीने में जलन

गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में बदलावों के कारण सीने में जलन होती है। इस हार्मोन की वजह से ऑसोफेगल स्फिंक्टर फैल जाता है और पेट में एसिड की वृद्धि होती है जिसके परिणामस्वरुप सीने में तेज जलन व दर्द महसूस हो सकता है।

3. मांसपेशियों में तनाव

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में वृद्धि के कारण सीने के आस-पास मौजूद मांसपेशियों व स्नायुबंधन पर अधिक दबाव पड़ता है जिसके कारण सीने में दर्द होता है।

4. मानसिक तनाव

मांसपेशियों में तनाव के अलावा, भावनात्मक तनाव भी इस स्थिति को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

5. स्तनों के आकार में परिवर्तन

स्तनों में वृद्धि के कारण सीने की मांसपेशियों और जोड़ों में दबाव पड़ता है। यह दबाव गर्भवती महिला के सीने में दर्द और सांस फूलने की समस्या बढ़ा देता है।

6. अस्थमा

गर्भावस्था के दौरान अस्थमा के कारण सांस फूलने लगती है और सीने में दर्द होता है।

7. शिराओं में रक्त का अत्यधिक जमाव (डी.वी.टी.)

डी.वी.टी. का मतलब नस या धमनी में रक्त के थक्के जमना होता है और आमतौर पर यह समस्या पैर अथवा पेड़ू में होती है।शरीर में रक्त का यह जमाव फेफड़ों को अवरुद्ध करता है जिसके परिणामस्वरुप पल्मोनरी एम्बोलिस्म जैसी समस्या उत्पन्न होती है। गर्भावस्था के दौरान यह समस्या माँ और शिशु के जीवन के लिए अत्यधिक खतरनाक हो सकती है और यहाँ तक इस समस्या से होने वाले सीने में दर्द के कारण मृत्यु भी हो सकती है। यह समस्या ज्यादातर उन महिलाओं को होती है जो धूम्रपान करती हैं, जिनकी आयु 35 वर्ष से अधिक है, अधिक मोटापे से ग्रसित हैं या जिन्हें अतीत में हृदय या फेफड़े की बीमारी रह चुकी है।

8. जन्मजात हृदय रोग

यदि आप गर्भावस्था दौरान सीने में बाईं ओर दर्द या अत्यधिक बेचैनी का अनुभव करती हैं, तो यह दिल का दौरा पड़ने का लक्षण हो सकता है। अन्य लक्षणों में अंगों का सुन्न पड़ना, पसीना आना और सिर चकराना शामिल हैं। यदि आप इन लक्षणों का अनुभव करती हैं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

9. हृद – धमनी रोग (कोरोनरी हार्ट डिजीज)

धमनियों में प्लाक का निर्माण (वसा का जमाव) हृदय में रक्त के प्रवाह को प्रतिबंधित करता है और जिसके कारण सीने में दर्द होता है। इससे भी आपको दिल का दौरा पड़ने का खतरा है।

10. महाधमनी (एओर्टा) विच्छेदन

एओर्टा की दीवार में छिद्र के परिणामस्वरूप इसकी परतों के बीच रक्त के जमाव से एओर्टा विघटन हो सकता है, जिससे सीने में गंभीर दर्द होता है। गर्भावस्था के दौरान यह स्थिति अधिक गंभीर हो सकती है।

11. पेरीपार्टम कार्डियोमायोपैथी

हृदय की कमजोर और रोग से ग्रसित मांसपेशियों के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है जो गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द का कारण बनती है। यह समस्या गर्भावस्था के अंतिम महीनों में शुरू होती है और प्रसव के पाँच महीने बाद तक रहती है।

12. पित्ताशय की पथरी (गॉल-स्टोन)

यदि आपको पेट के दाहिने भाग में ऊपर की ओर या फिर सीने में दर्द का अनुभव लगातार कई दिनों से हो रहा है तो यह पित्त की पथरी का एक कारण है। गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन के उत्पादन में वृद्धि से गर्भवती महिलाओं को यह समस्या होने की अधिक संभावना रहती है।

गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द के उपचार

गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द के कारणों को जानने के बाद अब आपको यह जानने की आवश्यकता है कि आप इस समस्या से निजात कैसे पाएं। गर्भावस्था के दौरान सीने में दर्द को कम करने के लिए नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं, आइए जानते हैं;

  • बैठने अथवा खड़े रहने के समय सही मुद्रा बनाए रखें ताकि फेफड़ों तक ऑक्सीजन का मुक्त प्रवाह होता रहे।
  • लेटते समय सीने को शरीर के निचले हिस्से से अधिक ऊंचा रखने के लिए तकिए का प्रयोग करें।
  • ऐसे आहार का सेवन करें जो मैग्नीशियम, कैल्शियम, विटामिन और आयरन से भरपूर हो।
  • तैलीय या मसालेदार भोजन से बचें और शराब व कैफीन का सेवन बिलकुल भी न करें।
  • कम अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा भोजन करें और भोजन के तुरंत बाद लेटने से बचें।
  • रक्त वाहिकाओं और सीने पर गर्भाशय का दबाव न पड़े इसलिए सोते समय बाईं करवट लेकर सोएं।
  • तनाव दूर करने के लिए ध्यान और योग करें।

सीने में दर्द से राहत के लिए घरेलू उपचार

ओ.टी.सी. दवा की उपलब्धता के बावजूद, सुरक्षित रहने के लिए घरेलू उपचार आजमाना भी एक बेहतर विकल्प है; ऐसे ही कुछ उपाय निम्नलिखित हैं;

  • रोज एक गिलास गुनगुने दूध के साथ एक चम्मच शहद लें।
  • कैमोमाइल या अदरक की चाय का सेवन करें।
  • बादाम खाने से पाचन-क्रिया में सुधार होता है।
  • नारियल का पानी रोजाना पिएं क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से अम्ल को बेअसर करने वाले गुण मौजूद होते हैं।
  • पेट में एसिड के उत्पादन को कम करने के लिए एप्प्ल साइडर सिरका लें।

चिकित्सीय सलाह कब लें

यह जानना आवश्यक है कि आपको डॉक्टर से सलाह कब लेनी चाहिए। यदि आप खतरे के निम्नलिखित संकेतों का अनुभव करती हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

  • यदि रात में लेटते समय सीने में दर्द हो।
  • यदि आपके हृदय के बाईं ओर असहनीय दर्द हो।
  • यदि आपको सीने में दर्द के साथ-साथ हाथों में अकड़न, चक्कर, सांस फूलने, पसीना आने, लगातार उल्टी होने और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • गहरी सांस लेते समय, छींकते या खांसते समय सीने में दर्द होने पर।
  • सीने के ऊपरी भाग में अत्यधिक जलन जो झुकते समय बढ़ जाती हो।
  • सीने में तेज दर्द के साथ एक या दोनों पैरों में सूजन होने पर।
  • सीने के मध्य भाग में तेज दर्द जो हर बार कुछ मिनट तक रहता हो और फिर ठीक हो जाता हो, यह भी हृदय का दौरा पड़ने का संकेत हो सकता है।

यद्यपि बचाव इलाज से बेहतर है, फिर भी गर्भावस्था के दौरान होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए एक अनुभवी डॉक्टर से जांच करवाना बेहतर होता है। सीने में दर्द की तीव्रता कितनी भी हो, डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अमृता नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Amruta Name Meaning in Hindi

जब किसी घर में नए मेहमान के आने की खबर मिलती है, तो पूरा माहौल…

1 month ago

शंकर नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Shankar Name Meaning in Hindi

जब किसी घर में बच्चा जन्म लेता है, तो माता-पिता उसके लिए प्यार से एक…

1 month ago

अभिराम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Abhiram Name Meaning in Hindi

माता-पिता अपने बच्चों को हर चीज सबसे बेहतर देना चाहते हैं क्योंकि वे उनसे बहुत…

1 month ago

अभिनंदन नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Abhinandan Name Meaning in Hindi

कुछ नाम ऐसे होते हैं जो बहुत बार सुने जाते हैं, लेकिन फिर भी कभी…

1 month ago

ओम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Om Name Meaning in Hindi

हर माता-पिता के लिए अपने बच्चे का नाम रखना एक बहुत खास और यादगार पल…

1 month ago

रंजना नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Ranjana Name Meaning in Hindi

समय के साथ सब कुछ बदलता है, चाहे वो पहनावा हो, खाना-पीना हो या फिर…

1 month ago