गर्भावस्था

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में योगासन

हो सकता है कि आप पहले से ही गर्भावस्था के शुरुआती महीनों से प्रीनेटल योग कर रही होंगी। लेकिन जैसे-जैसे आपकी ड्यू डेट करीब आने लगती है, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान योग करना पहले की तुलना में मुश्किल होता जाता है। फिर भी, आप पेट पर दबाव डाले बिना कुछ लाइट एक्सरसाइज जारी रख सकती हैं।

क्या गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान योग करना सुरक्षित है?

हाँ बिलकुल! लेकिन बहुत जरूरी है कि पहले आप अपने डॉक्टर से बात करें और अपनी हेल्थ और बच्चे के विकास से जुड़ी जानकारी प्राप्त करें, अनुमति मिलने के बाद ही आप योगा एक्सरसाइज करें। आप जिन योगासनों को पहले से करती चली आ रही हैं, हो सकता है कि इस दौरान वो आपके लिए सही आसन न हों, आपको ऐसी एक्सरसाइज से बचना चाहिए जो आपके शरीर के लिए तकलीफदेह हो। 

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में योग करने के फायदे

यहाँ  गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान योग के कुछ फायदे बताए गए हैं।

  • विभिन्न मुद्राओं में योग अभ्यास करने से, मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती है, ये उनकी फ्लेक्सिबिलिटी और इलास्टिक नेचर को बेहतर करने में सहायक होती है। जिससे आपको लेबर की प्रक्रिया और डिलीवरी से रिकवर होने में मदद मिलती है।
  • योग में कई प्रकार की सांस लेने की और रिलैक्सेशन वाली एक्सरसाइज भी शामिल होती हैं। ये न केवल आपके मूड को स्थिर करने में मदद करती हैं बल्कि ऑक्सीजन की मात्रा को भी बढ़ाती हैं, जो आपके बच्चे तक पहुँच कर उसके विकास में मददगार होती है।
  • कई योगा प्रैक्टिशनर जप करने पर जोर देते हैं और इसे रिलैक्स होने का एक बेहतरीन तरीका मानते हैं। कुछ शब्दों और स्वरों के कंपन से मन को शांति मिलती है और यह बच्चे तक भी पहुँचती है।
  • यदि आप इस स्तर पर पहली बार प्रीनेटल योगा शुरू कर रही हैं, तो पहले डॉक्टर से इसके बारे में बात करें। अपने डॉक्टर से प्राप्त की गई रिपोर्ट योगा ट्रेनर को दिखाएं, इसके बाद वो आपको एक सही एक्सरसाइज करने की सलाह देंगे। आप बताई गई एक्सरसाइज को आराम से करें।
  • कई बार, कुछ एक्सरसाइज में आपका बैलेंस बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। आप इसके लिए एक दीवार पर कुर्सी का सहारा ले सकती हैं। एक बार जब आप गर्भावस्था के 8 महीने पूरे कर लेती हैं, तो उन एक्सरसाइज से बचना अच्छा होता है, जिनमें आपको अपने घुटनों को हाई लेवल पर उठाने की आवश्यकता होती है।

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के लिए बेहतरीन योगासन   

यहाँ गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में गर्भवती महिलाओं के लिए कुछ योगासन बताए गए हैं, जो उनकी सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

1. कंधों को घुमाना

इसे शुरू करने के लिए अच्छा होगा कि पहले धीरे-धीरे शुरुआत करें और आगे बढें।

कैसे करें?

अपनी अंगुलियों को कंधे पर रखते हुए दाहिने हाथ से शुरू करें। अब, अपनी कोहनी का इस्तेमाल करते हुए सर्कुलर शेप में जॉइंट को घुमाएं। इसे पाँच बार क्लॉकवाइज और एंटीक्लॉकवाइज घुमाएं। आप इसी तरह दूसरे हाथ के साथ भी इस प्रक्रिया को दोहराएं। जब हाथ पीछे हों तो सांस लें और जब हाथ आगे हो तो सांस छोड़ें।

लाभ

इस एक्सरसाइज को करने से आपके कंधे और पीठ की मांसपेशियों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। इससे कंधे की मांसपेशियों की फ्लेक्सिबिलिटी में भी सुधार होता है, जिससे गर्दन में अकड़न कम होती है। डबल आर्म एक्सरसाइज करने से होने वाली माँ की मैमरी ग्लैंड को उत्तेजित करने में भी मदद मिलती है।

2. टखने को घुमाना

अपने शरीर को बेहतर ढंग से सपोर्ट देने के लिए आपके पैरों की स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिबिलिटी बनाए रखना बहुत जरूरी है।

कैसे करें?

दाहिने पैर से शुरू करें। इसे मोड़ें और बाएं घुटने पर रखें और इस तरह से रखें कि पंजा दूसरी तरफ लटका हुआ होना चाहिए। अपने बाएं हाथ से पैर के अंगूठे को पकडें और अपने दाहिने हाथ से टखने के बेस को पकड़ें। अब, पैर के अंगूठे को पकड़ते हुए टखने को जितना संभव हो सके घुमाएं। इसे दस बार क्लॉकवाइज और फिर एंटीक्लॉकवाइज घुमाएं। दूसरे पैर के लिए भी यही प्रक्रिया दोहराएं।

लाभ

यह पैरों में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है और साथ ही एडिमा या क्रैम्प से पीड़ित महिलाओं को राहत प्रदान करता है।

3. सुप्त उदराकर्षण आसन

सुप्त उदराकर्षण आसन आपके पूरे शरीर के लिए एक बेहतरीन योगासन माना जाता है,  इस आसन में पेट की मांसपेशियों को स्ट्रेच किया जाता है, जिससे आपको काफी हद तक स्ट्रेस से राहत मिलती है और यह पीठ की जकड़न से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

कैसे करें?

लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे करते हुए अंगुलियों को मिलाएं या लॉक कर लें। अपने घुटनों को मोड़ें ताकि तलवे जमीन पर रहें। अब, अपने सिर को बाईं ओर घुमाएं और अपने कूल्हे से दाहिने ओर पैरों को मोड़ें। इससे आपकी रीढ़ स्ट्रेच होगी। कुछ सेकंड के लिए इसी पोजीशन में रहें और फिर वापस अपनी पहले वाली पोजीशन में लौट आएं। अब दूसरी साइड के लिए अपने सिर को दाहिने ओर घुमाते हुए पैरों को बाएं ओर मोडें।

लाभ

यह कब्ज और अपच की समस्या को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा यह रीढ़ और पीठ की जकड़न को दूर करने के लिए बेहतरीन योग है।

4. तितली आसन

तितली आसन इस मुद्रा का पालन करना उतना मुश्किल नहीं है जितना यह सुनने में लगता है, ये आपके अंदर एनर्जी लाने में मदद करता है।

कैसे करें?

पैर फैलाकर बैठने के दौरान, उन्हें इस तरह से मोड़ें कि तलवे एक-दूसरे को स्पर्श करते हुए शरीर के करीब हों। अब, जांघों को रिलैक्स करें, अपने पैरों को दोनों हाथों से पकड़ें और अपने घुटनों को ऊपर और नीचे ले जाएं, जैसे कि तितली के पंख मूवमेंट करते हैं। अपने घुटनों को जमीन को छूने चाहिए और इसके लिए आप अपनी कोहनी का उपयोग कर सकती हैं, लेकिन ध्यान रखें कि आप बहुत ज्यादा बल का प्रयोग न करें। इसे 30 बार करें और फिर ब्रेक लें।

लाभ

इस आसन आपके शरीर में हो रहे दर्द से आपको राहत मिलती हैं साथ ही जांघों में पड़ने वाले तनाव से छुटकारा मिलता है। आपको अपने पैरों में महसूस होने वाली कमजोरी धीरे-धीरे कम होने लगती है, यह आपकी खोई हुई स्ट्रेंथ और एनर्जी लौटने में मदद करती है।

5. अर्ध तितली आसन

यह आसन कुछ कुछ पहले आसन की तरह ही है, बस इसमें कूल्हे पर अधिक केंद्रित किया जाता है।

कैसे करें?

पहले की तरह बैठें लेकिन पैर को शरीर के करीब लाने के लिए केवल दाहिने घुटने को मोड़ें, दूसरे पैर को बाहर की ओर रखते हुए। बाएं हाथ से पैर के अंगूठे को पकड़कर और दाहिने हाथ को घुटने पर रखकर, घुटने को ऊपर की ओर उठाएं और अंदर सांस लें। एक सेकंड के लिए इसी पोजीशन में रहें और नीचे जाते हुए सांस छोडें। खयाल रखें कि आपका धड़ मूव नहीं करना चाहिए है और घुटने जमीन को छूने चाहिएं। दस बार इस प्रक्रिया को दोहराएं और दूसरी साइड भी इस प्रक्रिया का पालन करें। 

लाभ

यह न केवल पैरों को, बल्कि कूल्हे के जोड़ों और घुटने को भी प्रभावित करता है, जिससे आपकी लेबर प्रक्रिया तेज और आसन हो जाती है।

6. करवट पर लेटना

यह बेहद लोकप्रिय शवासन का एक थोड़ा बदला हुआ प्रकार है और इस आसन में आपको सपोर्ट के लिए तकिए की जरूरत पड़ सकती है।

कैसे करें?

मैट पर अपनी बाईं ओर लेट जाएं, अपनी बांहों को एक तकिया के रूप में ऊपर की ओर स्ट्रेच करें। अपने पैरों के बीच एक तकिया रखें और अपने दाहिने घुटने को मोदते हुए इसे आराम दें। सपोर्ट के लिए अपने पेट पर अपने दाहिना हाथ रखें। इस पोजीशन में कम से कम 5-8 मिनट तक आराम करें।

लाभ

शरीर को रिलैक्स करने में मदद करता है, मूड स्विंग को स्थिर करता है, साथ ही साथ बच्चे की पोजीशन को भी अंदर सही रखता है।

7. बालासन

बालासन काफी हद तक बच्चे के सोने के तरीके से मिलता जुलता हैं, जो आपके लिए गर्भावस्था के दौरान काफी लाभकारी साबित हो सकता है।

कैसे करें?

अपने घुटनों और हाथों को टेकते हुए बैठ जाएं। फिर, अपने घुटनों को बाहर की ओर फैलाएं लेकिन अपने अंगूठे को नीचे छूने दें। अब, एक गहरी सांस लें और धीरे से अपने कूल्हों को अपनी एड़ी पर टिकते हुए धीरे-धीरे सांस छोडें। फिर, अपने माथे को आपके सामने रखी एक मोटी तकिया पर आराम करने के लिए थोड़ा झुकें, लेकिन अपने हाथों को आगे की ओर रखें। बच्चा भी सोते समय इसी मुद्रा में होता है।

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घुटनों, कूल्हों, के साथ साथ आपकी पीठ को मजबूत बनाने में मदद करता है।

8. मार्जरासन

मार्जरासन जिस कैट पोज और काऊ पोज के नाम से भी जाना जाता है यह काफी मजेदार आसन है।

कैसे करें?

अपने घुटनों और हाथों को टेकते हुए बैठ जाएं। अपनी पीठ को झुकाते हुए और ठुड्डी को अपने पेट की तरफ ले जाते हुए सांस लें। सांस छोड़ते हुए, अपनी पीठ को बाहर की ओर करते हुए, अपने सिर को उठाएं और जितना संभव हो सके उतना पीछे की ओर झुकाएं। जरूरत के अनुसार इस आसन को दोहराएं। आप अपने कूल्हों को धीरे से हिला सकते हैं जैसे कि बिल्ली अपनी पूंछ हिलाती है।

लाभ

रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ गर्दन में महसूस होने वाले तनाव से राहत देता है और कूल्हों के जोड़ों को भी आराम देता है।

9. अंजनेयासन

दूसरे आसनों की तुलना में यह थोड़ा मुश्किल होता है, आपको इसके लिए सही मुद्रा प्राप्त करने के लिए  सहायता की आवश्यकता हो सकती है।

कैसे करें?

अपने पैरों के तलवों का आधार रखते हुए सबसे पहले आप घुटने मोड़कर बैठ जाएं। अब धीरे-धीरे अपने दाहिने पैर को आगे की ओर लाएं, जबकि बाएं पैर को जहाँ है वही रखें। एक बार जब अपने पैरों को स्ट्रेच कर लें, तो अपने हाथों को थोड़े से ऊँचे स्टूल पर रखें और जरूरत पड़ने पर अपनी छाती को आगे की ओर लाते हुए सांस लें। इसे कुछ सांसों के साथ दोहराएं और फिर बाएं पैर के लिए भी इसी प्रक्रिया का पालन करें।

लाभ

स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों की फ्लेक्सिबिलिटी बढती है, साथ ही यह आपकी डिलीवरी आसन हो जाती है और आपको जल्दी रिकवर होने में भी मदद मिलती है।

10. मालासन

मालसन के नाम से जानी जाने वाली, यह मुद्रा गर्भवती माताओं के लिए काफी उपयोगी मानी जाती है और ये डिलीवरी के लिए उन्हें ताकत प्रदान करती है।

कैसे करें?

अपने पैर की अँगुलियों को बाहर की ओर रखते हुए अपने घुटनों को खुला रखें। अब अपने पैरों का सहारा लेते हुए नीचे की ओर जाएं। अब अपने धड़ को सीधा रखते हुए, अपनी छाती के सामने अपने हाथों को मिलाएं और गहरी सांस लें। अगर आपको असहज महसूस होता है, तो एक तकिये का उपयोग करें और अपने कूल्हों को आराम दें।

लाभ

इस मुद्रा  से आपकी जांघों और घुटनों की जकड़न दूर होती है, कूल्हों की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है और पीठ को स्ट्रेंथ मिलती है।

तीसरी तिमाही में योगासन करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

आपको गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान योग करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जिनमें से कुछ नीचे बताई गई हैं।

  • प्रीनेटल योगा करने से पहले अपने डॉक्टर को मेडिकल हिस्ट्री और अपनी मौजूदा कंडीशन के बारे में बताएं।
  • डॉक्टर द्वारा बताई गई एक्सरसाइज का ही पालन करें।
  • यदि आप लंबे समय से योग का अभ्यास करती आ रही हैं, तब भी आपको अपने डॉक्टर से इसे जारी रखने के बारे में पूछना चाहिए।

योगासन से आपको शारीरिक रूप से कई लाभ प्राप्त होते हैं और साथ ही मन को एक स्थिरता और शांति बनाए रखने में भी मिलती है। 9वें महीने की गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले योग आसनों में बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि आपको इसका लाभ मिल सके। ये सभी योगा पोज लेबर की प्रक्रिया को आसान और तेज कर देते हैं, इसलिए ये आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही के दौरान योग
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में योगा करना

समर नक़वी

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