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गर्भावस्था के दौरान आपको खुद की अत्यधिक देखभाल करने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस समय आपके स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी समस्या आपके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इस दौरान गले में खराश भी आपको अधिक चिंतित कर सकती है क्योंकि यह टॉन्सिलाइटिस का प्रारंभिक संकेत भी हो सकता है। कुछ महिलाएं टॉन्सिलाइटिस की समस्या को गर्भावस्था का शुरूआती लक्षण भी मानती हैं, किंतु यह सच नहीं है।
टॉन्सिलाइटिस एक संक्रामक स्वास्थ्य समस्या है जिसमें संक्रमण के कारण टॉन्सिल में सूजन आ जाती है। गर्भावस्था के दौरान टॉन्सिलाइटिस से ग्रसित होना एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इससे माँ और उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिए खतरा भी हो सकता है।
हमारे गले में मौजूद लिंफेटिक ऊतकों को टॉन्सिल कहा जाता है, यह शरीर में प्राथमिक सुरक्षा के रूप में काम करते हैं जो हमें विभिन्न संक्रमणों से बचने में मदद करते हैं। किंतु कभी-कभी टॉन्सिल में भी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण हो सकता है जिसके कारण इनमें सूजन आ जाती है, टॉन्सिल में सूजन की इस समस्या को टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है।
टॉन्सिलाइटिस थोड़े समय के लिए लेकिन अत्यधिक होता है (जो कुछ हफ्तों में ठीक हो जाता है) या यह अधिक समय (जिसे ठीक होने में अत्यधिक दिन लग सकते हैं) के लिए भी हो सकता है। इन दोनों स्थितियों में टॉन्सिलाइटिस के लक्षण, जैसे बुखार, गले में दर्द और अस्वस्थता एक गर्भवती महिला की असहजता बढ़ाने के साथ-साथ उसकी गर्भावस्था को भी प्रभावित करते हैं। इसलिए गर्भावस्था से पहले ही टॉन्सिलाइटिस का इलाज करवाना आवश्यक है।
गर्भावस्था के दौरान टॉन्सिलाइटिस होने के निम्नलिखित लक्षण दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;
गर्भावस्था के दौरान टॉन्सिलाइटिस होने के निम्नलिखित लक्षण बताए गए हैं, आइए जानते हैं;
टॉन्सिलाइटिस कमजोर इम्युनिटी का एक संकेत होने के कारण यह गर्भावस्था के दौरान सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। टॉन्सिलाइटिस से ग्रसित गर्भवती महिला अन्य संक्रमणों से भी ग्रसित हो सकती है जिससे गर्भपात सहित गर्भावस्था में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यदि संक्रमण गर्भवती महिला के शरीर में प्रवेश कर जाता है तो यह भ्रूण तक भी पहुँच सकता है और उसे संक्रमित कर सकता है व इससे बच्चे को खतरा होता है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में टॉन्सिल होने से महिलाओं में अंतर्गर्भाशयी संक्रमण, समय से पहले जन्म, प्रसव में समस्याएं उत्पन्न होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। गर्भवती महिलाओं में टॉन्सिलाइटिस विषाक्तता का कारण भी बन सकता है।
यदि गर्भावस्था के दौरान कोई महिला लंबे समय तक टॉन्सिलाइटिस से ग्रसित होती है तो यह उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है और बाहरी बैक्टीरिया व वायरस महिला के महत्वपूर्ण अंगों के लिए अत्यधिक हानिकारक हो सकते हैं। ज्यादा दिन तक टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित होने पर गर्भवती महिलाओं को अधिकतर सिजेरियन प्रसव करवाना पड़ता है।
यदि किसी गर्भवती महिला को स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण स्ट्रेप टॉन्सिलाइटिस की समस्या होती है, तो तत्काल उपचार बहुत आवश्यक है क्योंकि स्ट्रेप टॉन्सिलाइटिस रुमेटिक बुखार (हृदय वाल्व को प्रभावित करता है) और ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (गुर्दे को नुकसान पहुँचाता है) जैसी घातक स्थितियां उत्पन्न कर सकता है।
इसके अलावा बैक्टीरियल टॉन्सिलाइटिस को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं लेना आवश्यक है जिससे गर्भवती महिलाओं में अत्यधिक दस्त और इसके परिणामस्वरूप डिहाइड्रेशन, पाचन संबंधी समस्या के साथ-साथ जी-मिचलाना, सीने में जलन, उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं और ये समस्याएं गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक खतरे का कारण हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन भ्रूण में कुछ संभावित विकास संबंधी विकारों का कारण बन सकता है।
आमतौर पर गर्भावस्था से पहले टॉन्सिलाइटिस का इलाज कराने की सलाह दी जाती है क्योंकि गर्भावस्था के समय दवाओं का सेवन हानिकारक हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान टॉन्सिलाइटिस का उपचार उसके होने की वजह पर निर्भर करता है। यदि टॉन्सिलाइटिस वायरस के कारण हुआ है, तो इसका इलाज करने के लिए किसी भी प्रकार की दवा की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, अगर टॉन्सिलाइटिस का कारण बैक्टीरियल संक्रमण है, तो आपको एंटीबायोटिक लेने की आवश्यकता हो सकती है। टॉन्सिलाइटिस के लक्षणों को ठीक करने के लिए डॉक्टर आपकी जांच करके कुछ सुरक्षित पेन-किलर व एंटीइंफ्लेमेटरी दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान टॉन्सिलाइटिस को ठीक करने के लिए निम्नलिखित सुझाव हैं;
कुछ ऐसे उपचार हैं जिन्हें विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को न लेने की सलाह दी जाती है;
गर्भावस्था के दौरान टॉन्सिलाइटिस से ग्रसित महिलाओं के लिए यहाँ कुछ घरेलू उपचार बताए गए हैं, आइए जानते हैं;
गर्भावस्था के दौरान या अन्य दिनों में भी टॉन्सिलाइटिस से बचने के लिए सबसे पहले आपको हमेशा हाइड्रेटेड रहने की आवश्यकता है। पर्याप्त पानी व अन्य पेय पदार्थ लें, यह आपके संक्रमण के खतरे को कम कर सकता है। अत्यधिक पानी पीने के लिए सही तरीके से स्वच्छता बनाए रखें। सुनिश्चित करें कि आप अपनी इम्यून सिस्टम को बनाए रखने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन करती हैं, जैसे हरी सब्जियां, ताजे फल, स्वस्थ पेय पदार्थ, प्रोटीन। गाजर, खीरे और चुकन्दर का जूस पीने से भी इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। तले हुए, तैलीय, स्टार्च वाले और मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि यह आपके संक्रमण को और भी अधिक बढ़ा सकते हैं। बैक्टीरिया और वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए अपने हाथ धोएं और उन लोगों के संपर्क में भी न आएं जिन्हें गले में खराश की समस्या है। बचाव इलाज से हमेशा बेहतर होता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान खुद को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक सुझावों को अपनाएं।
कई महिलाएं टॉन्सिलाइटिस को ठीक करने के लिए हर्बल काढ़े का उपयोग भी करती हैं और ज्यादा से ज्यादा दवाओं से दूर रहती हैं। गर्भावस्था के दौरान खुद से दवा लेने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इससे गर्भवती महिला व शिशु के लिए अनेक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
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