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दूसरी तिमाही में प्रवेश करने के साथ आपको अब गर्भावस्था की शुरूआती समस्याओं से निजात मिलने लगी होगी। इस समय मॉर्निंग सिकनेस और खाने के प्रति अनिच्छा का दौर खत्म होने लगता है और आप धीरे-धीरे अपने नियमित आहार की ओर वापस आने लगती हैं। फिर भी, गर्भाशय के बढ़ते आकार के कारण आपको अभी भी नींद से जुड़ी परेशानियों से जूझना पड़ सकता है। गर्भावस्था के इस चरण में कुछ महिलाएं रात को आराम से सो जाती हैं परन्तु कई महिलाओं को अनिद्रा और अन्य कई महिलाओं को नींद आने के बावजूद सोने में कठिनाई जैसी समस्याएं होती हैं । दूसरी तिमाही में अच्छी नींद पाने के लिए कुछ सुझाव और सोने की सही मुद्रा जानने के लिए आगे पढ़िए।
यूं तो दूसरी तिमाही में पहली तिमाही के मुकाबले अच्छी नींद आती है लेकिन फिर भी एक आरामदायक और शांत नींद लेने में आप कुछ तकलीफ महसूस कर सकती हैं। दूसरी तिमाही में नींद न आने के कुछ कारण हैं अपचन, पैरों मे खिंचाव, सीने में जलन, खर्राटे, अजीब सपने, नींद अश्वसन, पैरों का छटपटाना और नसों में मरोड़।
इसके अलावा यद्यपि आपका गर्भाशय आपके श्रोणि क्षेत्र से ऊपर खिसक जाने के कारण आपके मूत्राशय पर दबाव कम हो जाता है और रात में टॉयलेट जाने की जरुरत कम हो जाती है। तथापि, कुछ महिलाओं को फिर भी रात में बहुत बार टॉयलेट जाने के लिए उठना पड़ता है और इस प्रकार उनकी नींद बाधित होती है ।
साथ ही, आपको कभी-कभी शाम के बाद जी मिचलाने की तकलीफ का भी सामना करना पड़ सकता है, हालांकि अनेक महिलाओं में गर्भावस्था के 16वें सप्ताह के बाद यह समस्या होना लगभग बंद हो जाती है। 16-24 सप्ताह की अवधि में शिशु पेट में हिलता हुआ महसूस होने लगता है और उसकी गतिविधियों की ये तीव्रता ज्यादातर शाम व रात को बढ़ जाती है। इस तरह आपके बच्चे की हरकत आपकी नींद को भी प्रभावित कर सकती है। इन सभी शारीरिक असुविधाओं के अतिरिक्त, आपके बच्चे के लिए आपकी उत्कंठा और चिंता भी नींद में खलल डालने का कारण हो सकता है।
जब आपके गर्भस्थ शिशु का विकास होता है और आपके पेट का आकार बढ़ता जाता है आपको अपनी पीठ के बल सोने में कठिनाई आ सकती है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में सोते समय, बाईं करवट पर सोना सबसे अच्छी स्थिति है। यह स्थिति रक्त प्रवाह और नाल को पोषक तत्व पहुँचाने के लिए सबसे बेहतर है। आपके श्रोणि क्षेत्र और कूल्हों से दबाव को दूर रखने के लिए आप अपने घुटनों को ऊपर की ओर मोड़कर सो सकती हैं। अपने घुटनों को सहारा देने के लिए तकिये का इस्तेमाल करें । आपको कुछ मामलों में अपनी परिस्थिति के अनुसार कुछ बदलाव करने होंगे:
ऊपर बताई गई स्थितियों में आपको नींद लेने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है, लेकिन यह कड़ी सलाह दी जाती है कि पहली तिमाही के पूरा होने के बाद आप अपनी पीठ या पेट के बल न सोएं।
दूसरी तिमाही शुरू होते ही यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप बायीं ओर करवट लेकर सोएं । सोने की निम्नलिखित स्थितियों से आप सख्ती से बचें:
हो सकता है कि आप पहली तिमाही तक अपने पेट के बल सोई हों परंतु, दूसरी तिमाही में ऐसा करना सही नहीं होगा। आपके बढ़ते हुए पेट के कारण आपको पेट के बल सोने से केवल असुविधाजनक ही नहीं होगी बल्कि यह आपके बच्चे के लिए भी सुरक्षित नहीं होगा।
पेट के उभार के चलते पीठ के बल लेटना आपको काफी तकलीफदेह हो सकता है।यहाँ तक कि इससे सांस लेने में समस्या, पीठ दर्द, रक्तस्राव और निम्न रक्तचाप हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपका पेट रक्त वाहिकाओं और आंतों को दबा रहा है। इससे आपके हृदय का और भ्रूण का रक्त संचार बाधित हो सकता है।
वैसे तो दूसरी तिमाही में नींद न आने की परेशानी का अनुभव करना बहुत आम बात नहीं है। फिर भी अगर आपको ऐसा होता है, तो निम्नलिखित सुझाव आपको अच्छी नींद लेने में मदद करेंगे:
1. सोने से पहले हल्का भोजन करें: अच्छी नींद लेने के लिए सोने से पहले स्वास्थप्रद और हल्का भोजन लेने की सलाह दी जाती है। अक्सर यह देखा जाता है कि भारी भोजन से अपचन या सीने में जलन हो सकती है जो बार-बार टूटती नींद और बेचैनी का कारण बन सकती है। अपको सोने से कम से कम दो से तीन घंटे पहले रात का खाना खाने की भी सलाह दी जाती है।
2. मसालेदार भोजन खाने से बचें: रात के खाने में या सोने से पहले मसालेदार भोजन खाने से आपके सीने में जलन होने की संभावना बढ़ सकती है और इस तरह नींद आने में परेशानी हो सकती है। इसके बदले गर्म दूध या हर्बल चाय पीना अच्छा रहेगा।
3. सोने के समय का पालन करें: नियमित दिनचर्या का पालन करने से बेहतर नींद आती है। इसलिए यह सुझाव दिया जाता है कि आप हर रात जल्दी और एक ही समय पर सोएं ताकि अच्छी नींद मिल सके। दिनचर्या का पालन करने से स्वाभाविक रूप से आपको हर रात उसी समय नींद आएगी।
4. सोने से पहले आरामदायक स्थिति में आएं: सोने का समय नजदीक आने पर यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने दिमाग और शरीर को आराम दें। सोने के समय के निकट किसी भी तरह का कठिन काम करने से बचना चाहिए। अपने शरीर को आराम करने और नींद के लिए तैयार करने के लिए समय देना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रसन्न करने वाला संगीत सुनने या गुनगुने पानी से स्नान करने से आपको शांत होने में और सुस्ताने में मदद मिल सकती है।
5. सोने के पहले टेलीविजन और मोबाइल देखने की आदत छोड़ें: अपने शयनकक्ष को टेलीविजन तथा मोबाइल जैसी इलेक्ट्रॉनिक वस्तु रहित बनाकर उसे सोने के लिए आरामदेह बनाएं । टेलीविजन और मोबाइल देखते रहने से आपके सोने के रूटीन में खलल पैदा हो सकता है। सोने के कम से कम एक घंटे पहले टीवी और अपने फोन का इस्तेमाल करना बंद कर दें।
6. स्वच्छ बिस्तर पर सोएं: साफ और सुव्यवस्थित बिस्तर पर सोने के एहसास से न केवल आपको अच्छा लगता है, बल्कि यह आपको बेहतर नींद देने में भी मदद करता है। अपना शयनकक्ष साफ-सुथरा रखें। सोने की जगह आपके आराम के अनुसार हो यह सुनिश्चित करें ताकि आप शांतिपूर्ण और अच्छी नींद का आनंद ले सकें।
आप चाहें गर्भवती हो या न हो, व्यायाम करने से सभी को स्वास्थ्य संबंधी लाभ होते हैं और अच्छी नींद आना उनमें से एक है। व्यायाम करने से आपको अपने शरीर का अच्छा शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। इसलिए यदि आप अभी तक व्यायाम नहीं कर रही हैं तो बेहतर नींद के लिए अब शुरू कर सकती हैं। व्यायाम या तो सुबह करें या शाम को, सोने से तुरंत पहले व्यायाम करने से बचें । अपने डॉक्टर से पूछें कि गर्भावस्था के दौरान अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यायाम को आप किस प्रकार कर सकती हैं। अपने शरीर की बेहतरी के लिए और अपने बढ़ते भ्रूण के उत्तम विकास के लिए व्यायाम के सही तरीके सीखने हेतु किसी प्रेगनेंसी क्लास में शामिल होना भी एक अच्छा विचार है।
बेहतर नींद पाने के लिए उपर्युक्त उपायों के अलावा, यह भी सलाह दी जाती है कि आप अपने सोने के समय के निकट कैफीन युक्त पेय पदार्थों के सेवन से बचें। कॉफी और चाय आपको अधिक एक्टिव और ऊर्जावान महसूस करा सकते हैं और इस तरह सोते समय बेचैनी हो सकती है। अतः इनसे दूर रहें।
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