गर्भावस्था

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही के दौरान योग: आसन और सावधानियां

जैसे ही आपकी गर्भावस्था की दूसरी तिमाही शुरु होती है, आप राहत की सांस ले पाती हैं क्योंकि गर्भावस्था के शुरुआती समय के मुकाबले, यह समय सुनहरा और आरामदायक माना जाता है। इस समय तक, अधिकांश गर्भवती महिलाएं काफी सहज हो जाती हैं क्योंकि इस दौरान मॉर्निंग सिकनेस या मतली काफी हद तक कम हो जाती है, साथ ही आपके पेट के आकार के थोड़ा बढ़ने से आप अंदर पल रहे शिशु को महसूस करने लगती हैं। यदि आपने अब तक प्रसवपूर्व योग शुरू नहीं किया है, तो ऐसा करने के लिए यह बेहतरीन समय है। गर्भावस्था के छठे महीने में योग करने से शुरुआती महीनों में खोई हुई एनर्जी वापिस लाने में मदद मिलती है और यह यह आपकी बची हुई गर्भावस्था की यात्रा के लिए तैयार भी करता है।

क्या गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में योग करना सुरक्षित है?

हाँ, बिलकुल सुरक्षित है। दूसरी तिमाही के आसपास, महिलाएं गर्भावस्था और उनके शरीर में हो रहे बदलावों को लेकर काफी सहज हो जाती हैं। योग करने से, आपके प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं, सर्कुलेशन बढ़ता है और पाचन में सुधार होता है। आने वाले शिशु के लिए आपके शरीर को मजबूत बनाने के लिए ये सभी आवश्यक हैं। इसके अलावा, डिलीवरी से पहले योग के क्लास में जाने से आपको अन्य गर्भवती महिलाओं से मिलने का मौका मिलता है और आप उनके प्रेगनेंसी के सुनहरे सफर के बारे में भी जान सकती हैं।

दूसरी तिमाही में योग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

दूसरी तिमाही में योग का अभ्यास करते समय कुछ सावधानियां जो आपको बरतनी चाहिए वो इस प्रकार है।

  • योग करते समय कभी भी जल्दबाजी ना करें। ध्यान रखें कि आपकी हृदय गति सामान्य से अधिक नहीं बढ़नी चाहिए।
  • किसी भी मुश्किल आसन को करने से बचें। इससे आपके शरीर में ऑक्सीजन की मांग बढ़ सकती है, जिससे बच्चे को मिलने वाली ऑक्सीजन कम हो सकता है।
  • योग करते समय खुद को शांत रखें। शरीर का तापमान बढ़ना बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • यदि योग अभ्यास करने से आपको परेशानी हो रही है, तो पैदल चलना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
  • उन एक्सरसाइज का चयन न करें जिन्हें करते हुए पेट की मांसपेशियों में खिंचाव होता है या आपको अपनी पीठ के बल लेटने की आवश्यकता होती है।
  • खुद को ज्यादा तकलीफ न दें। यदि आपके शरीर को कोई असुविधा महसूस होती है, तो तुरंत रुकें और थोड़ा ब्रेक लें।
  • बीच-बीच में सामान्य तरह से साँस लेते रहें और कोई अचानक या झटके लगने वाली हरकत न करें।
  • किसी भी अभ्यास के दौरान पीछे की ओर न झुकें।

गर्भावस्था के दूसरी तिमाही में करने योग्य योगासन

योग के निम्नलिखित आसन दूसरे तिमाही में गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।

1. विष्णु आसन

इसे “अनंत आसन” के नाम से भी जाना जाता है, यह अभ्यास मजेदार तो है ही साथ ही गर्भवती महिलाओं को रिलैक्स करने में भी मदद करता है।

कैसे करें

  • अपनी दाईं ओर लेट जाएं। बाएं पैर को दाएं पैर के ऊपर रखें।
  • अपने सिर को ऊपर उठाते हुए सहारा देने के लिए अपने दाहिने हाथ का इस्तेमाल करें।
  • बाएं हाथ को बाईं जांघ पर रखते हुए, धीरे-धीरे पैर को ऊपर की ओर वर्टिकल उठाना शुरू करें।
  • अपने बाएं हाथ को अपने बाएं पैर की ओर ले जाते हुए ऊपर उठाएं। जब आपका हाथ, पैर की उंगलियों तक पहुंच जाता है, तो इसे कुछ सेकंड के लिए वहाँ रोकें, फिर इसे नीचे लाएं।
  • दूसरी तरफ लेटकर इसे दूसरे पैर से दोहराएं।

लाभ

यह आसन हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों, पेट व आंतरिक जांघ को आराम देता है, जिससे उनमें अच्छा खिंचाव और लचीलापन आता है।

2. वीरभद्रासन

इसे “वॉरियर पोज” भी कहा जाता है, यह उन महिलाओं के लिए बिलकुल उपयुक्त है जो अपने दम पर एक बच्चे की परवरिश करती हैं।

कैसे करें 

  • अपने पैरों को लगभग 40 इंच की दूरी पर रखें। दाएं पैर को पूरी तरह बाहर की ओर मोड़ें व बाएं पैर को थोड़ा अंदर की ओर मोड़ें।
  • एक सांस लें और अपने हाथों को कंधे के बराबर तक उठाएं। सांस बाहर छोड़ें और दाहिने घुटने को मोड़ें, और पैर को पीछे की ओर फैलाएं।
  • अब सांस छोड़ते हुए हाथों और पोस्चर को ध्यान में रखते हुए अपने बाएं पैर की सीध में आगे देखें।
  • दूसरे पैर के साथ दोहराएं ।

लाभ

ये पीठ, टखनों, घुटनों और कंधों सहित पूरे शरीर में मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ-साथ आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए एक बेहतरीन आसन है।

3. त्रिकोणासन

योग का यह मुद्रा एक ज्यामितीय आकार की तरह है।

कैसे करें

  • अपने पैरों के बीच अंतर रखते हुए खड़े रहें। सांस लें और अपने हाथ बगल से उठाएं, और उन्हें जमीन के समानांतर रखें।
  • बाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाते हुए सांस छोड़ें, और दाईं ओर झुकें, और दाहिने पैर को अपने हाथ से स्पर्श करें।
  • उसी मुद्रा में रहते हुए, सांस अंदर खीचें और वापस ऊपर उठें।
  • दूसरे पैर से दोहराएं।

लाभ

इस पोस्चर में स्ट्रेचिंग करने से रक्त संचार बढ़ता है और हर तरह के दर्द से छुटकारा मिलता है।

4. कोणासन

यह आसन त्रिकोणीय मुद्रा का ही एक रूप माना जा सकता है पर इसे करने का तरीका थोड़ा अलग है।

कैसे करें

  • साँस अंदर खींचते हुए अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाएं। फिर, साँस छोड़ते हुए दाईं ओर झुकें जैसे कि आप ऊपर बाईं हथेली को देख रहे हों।
  • फिर से सांस अंदर लें और वापस ऊपर उठें। सांस छोड़ें और हाथ को नीचे लाएं। दूसरे हाथ से भी ऐसा ही दोहराएं।
  • बाद में, दोनों बाहों को उठाएं और हथेलियों को अपने सिर के ऊपर एक साथ जोड़े।
  • फिर सांस अंदर और बाहर लेते हुए एक तरफ झुकें और वापस ऊपर आएं, फिर दूसरी तरफ झुकें।

लाभ

यह मुद्रा और व्यायाम रीढ़ को सीधे प्रभावित करता है और वर्टिब्रल कॉलम और पीठ में किसी भी तनाव से राहत देता है।

5. ऊर्ध्व हस्तासन

ऊर्ध्व हस्तासन हाथ और कंधों की मांसपेशियों को स्ट्रेच करने के लिए बहुत फायदेमंद है।

कैसे करें

  • एक जगह पर खड़े हो जाएं और अपनी बाहों को ऊपर उठाएं जैसे आप खुद को रिलेक्स करते हैं। जितना हो सके उन्हें स्ट्रेच करें और फिर सांस छोड़ते हुए आराम करें।
  • अब, बाएं हाथ की तुलना में दाहिने हाथ को थोड़ा ज्यादा स्ट्रेच करें। हाथों को बदलकर इसे दोहराएं। स्ट्रेच करते हुए सांस अंदर खींचें और हाथों को रिलैक्स करते हुए सांस बाहर छोड़ें।
  • इस आसन को लगभग 5-6 बार सामान्य गति में दोहराएं।

लाभ

इस मुद्रा से पीठ और कंधों में किसी भी तरह के दर्द से तुरंत राहत मिलती है। एक सामान गति से सांस लेने से दिमाग को मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ती है।

6. ताड़ासन

इसमें आप एक उष्णकटिबंधीय पेड़ की तरह लगती हैं। यह आसन आपको अपना आधार ढूंढने में मदद करता है।

कैसे करें

  • एक जगह पर खड़े होकर शुरू करें। फिर एक गहरी सांस लें और अपनी बांहों को अपने सिर के ऊपर उठाएं, उंगलियों को इंटरलॉक करें।
  • हथेलियों को ऊपर की ओर ले जाएं और साँस छोड़ें। फिर एक और गहरी सांस लें और अपनी बांहों और छाती को जितना हो सके उतना ऊपर की ओर खींचे।
  • इसी मुद्रा में रहें। मांसपेशियों को आराम दें और साँस छोड़ें।

लाभ

इससे पूरे वर्टिब्रल कॉलम की एक्सरसाइज होती है और दर्द दूर करने के साथ-साथ ये शारीरिक और मानसिक रूप से एक महिला को मजबूत करने में मदद करता है।

7. अधोमुख श्वान आसन

कुत्ते की अलग प्रकृति का अनुसरण करना “अधोमुख श्वान आसन” आपको बेहतर महसूस कराने के लिए एक बेहतर मुद्रा है।

कैसे करें

  • हाथ और पैर के सहारे शरीर को उल्टे ‘V’ आकार में लाने के लिए अपने कूल्हों को ऊपर उठाएं।
  • अपनी बाहों और पैरों को फैलाकर थोड़ी देर वैसे ही रहें और सांस अंदर-बाहर छोड़ें।
  • घुटनों को मोड़कर अपनी छाती को नीचे कर रिलेक्स करें।

लाभ

ये आपके पैरों को तो मजबूत करता ही है, साथ ही ये पाचन सही करता है और सांस लेने में सुधार और मानसिक शांति लाने में मदद करता है।

8. कंठ संचालन

यह आसन जितना सरल दिखता है उतना ही मांसपेशियों पर असर भी कर सकता है।

कैसे करें

  • एक ही जगह पर खड़े रहकर अपने सिर को अलग-अलग दिशाओं में घुमाएं।
  • आगे और पीछे से शुरू करें, फिर बाएं और दाएं, और दोनों दिशाओं में घुमाएं।

लाभ

गर्दन, कंधे और सिर में हर तरह का तनाव इससे दूर हो जाता है।

योग के लाभों को बहुत से लोगों से अलग-अलग तरीकों से बताया है। दूसरी तिमाही में डिलीवरी से पहले योग, माँ को स्वस्थ रखने और प्रसव के लिए शरीर को तैयार करने में अहम भूमिका निभाता है। अगर यह सही से किया जाए तो ये आपको शांत रखता है और आप और बेहतर तरीके से आपकी गर्भावस्था का आनंद ले सकते हैं।

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जया कुमारी

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