गर्भावस्था

गर्भावस्था को प्रभावित करने वाले 7 वायरल इन्फेक्शन

गर्भावस्था के दौरान जब बच्चे का हेल्दी रहना जरूरी है तब आपका बीमार रहना बिलकुल भी सही नहीं है। आपके अच्छे स्वास्थ्य से ही गर्भावस्था सुरक्षित रह सकती है। वैसे तो अच्छी बात यह है कि मॉडर्न वैक्सीन और एडवांस दवाइयों की वजह से आपको संक्रामक रोग नहीं होंगे। यह भी सही बात है कि गर्भावस्था के दौरान सभी इन्फेक्शन से बच पाना संभव नहीं है पर इसका बचाव करने से ये समस्याएं आपसे दूर रहेंगी और यह तभी होगा जब आपको इसके बारे में पूरी जानकारी होगी। इस आर्टिकल में हमने कुछ सामान्य वायरल इन्फेक्शन के बारे में बात की है जिनसे एक गर्भवती महिला को पूरी तरह से बचना चाहिए। कोई भी वायरल इन्फेक्शन गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करता है, आइए जानें। 

वायरल इन्फेक्शन और गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान उन सभी इन्फेक्शन के बारे में जानना बहुत जरूरी है जो आपको बीमार कर सकते हैं। चूंकि इससे बच्चे को भी बहुत जल्दी इन्फेक्शन हो सकता है इसलिए इस समय में गर्भवती महिला की देखभाल करना बहुत जरूरी है। यदि आपको लगता है कि आपको कोई गंभीर या अन्य इन्फेक्शन हुआ है तो इससे होने वाली अन्य कॉम्प्लीकेशंस से बचने के लिए आप डॉक्टर की मदद ले सकती हैं। 

गर्भावस्था के दौरान 7 सामान्य वायरल इन्फेक्शन

1. बैक्टीरियल वेजिनोसिस

बैक्टीरियल वेजिनोसिस को आमतौर पर बीवी कहा जाता है और यह समस्या वजायना में बैक्टीरिया के असंतुलन से होती है। इसमें अच्छे बैक्टीरिया भी होते हैं जिन्हें लैक्टोबैसिली कहा जाता है और यह अन्य दूसरे बैक्टीरिया को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह तकलीफ तब होती है जब लैक्टोबैसिली की मात्रा कम हो जाती है और अन्य बैक्टीरिया तेजी से बढ़ते हैं। हालांकि इस असंतुलन का कारण अब तक पता नहीं चला है। 

आमतौर पर बीवी के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं पर कुछ मामलों में महिला को पतला सफेद रंग का डिस्चार्ज होता है जिसमें दुर्गंध भी आ सकती है। इस बारे में आप डॉक्टर से जरूर बताएं ताकि डॉक्टर इस वजायनल डिस्चार्ज का सैंपल लेकर इसमें बीवी या अन्य इन्फेक्शन की जांच कर सकें। इसके अलावा बैक्टीरियल वेजिनोसिस से बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को सेक्स नहीं करना चाहिए, स्मोकिंग छोड़ देनी चाहिए और जेनिटल एरिया में साबुन का उपयोग नहीं करना चाहिए या डाउचिंग नहीं करनी चाहिए। 

2. चिकनगुनिया

वायरल इन्फेक्शन एक प्रकार के मच्छर के काटने से भी फैलता है। यदि मच्छरों से होने वाली बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो इससे बच्चे व गर्भवती महिला को खतरे भी होते हैं। डिलीवरी के दौरान चिकनगुनिया वायरस माँ से बच्चे में जा सकता है। 

यदि आपको चिकनगुनिया है तो आपको दर्द या जोड़ों में सूजन, बुखार, सिर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और रैशेज के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। डॉक्टर आपको बुखार और जोड़ों के दर्द के लिए दवाई लिखकर दे सकते हैं। चिकनगुनिया से बचने के लिए पूरे कपड़े पहनें ताकि आपका शरीर ढका रहे और गर्भावस्था के लिए सुरक्षित ऑइंटमेंट का उपयोग करें।

3. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन

यूटीआई भी एक सामान्य इन्फेक्शन है जो गर्भवती महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। यह इन्फेक्शन महिलाओं के यूरिनरी ट्रैक्ट के किसी भी भाग में प्रभाव डालता है और यह ब्लैडर तक भी पहुँच सकता है। यह समस्या वजायना, रेक्टम और इसके आसपास की त्वचा में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होती है। ये बैक्टीरिया ऊपर जाकर मूत्रमार्ग में भी जा सकते हैं जिसकी वजह से इन्फेक्शन होता है। इसकी वजह से आपको कौन से इन्फेक्शन हो सकते हैं, आइए जानें;

  • किडनी में इन्फेक्शन: बैक्टीरिया ब्लैडर से मूत्रमार्ग में भी जा सकते हैं और इससे महिला की किसी एक या दोनों किडनी में इन्फेक्शन हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान यह समस्या बहुत गंभीर भी हो सकती है। इसकी वजह से आपको तेज बुखार आ सकता है, उल्टी, मतली, पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द भी हो सकता है। ये सब समस्याएं किडनी में इन्फेक्शन होने के आम लक्षण हैं।
  • बिना लक्षण के बैक्टीरिया (एसिम्पटोमैटिक बैक्टीरिया): इस बैक्टीरिया के होने से गर्भवती महिला और यूरिनरी ट्रैक्ट में कोई भी लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि यदि इसका डायग्नोसिस और इलाज नहीं किया गया तो इससे किडनी में इन्फेक्शन हो सकता है।
  • सिस्टाइटिस या ब्लैडर में इन्फेक्शन: ब्लैडर में मौजूद बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं और इससे सूजन हो सकती है। इस समस्या में महिला को पेशाब के दौरान दर्द या जलन होती है और पेट के निचले हिस्से में दर्द भी होता है।

4. हेपेटाइटिस बी

यदि आप गर्भवती हैं तो पहली विजिट में ही डॉक्टर आप में हेपेटाइटिस बी की जांच करेंगे। इस वायरस को लीवर डैमेज के लिए जाना जाता है और इससे मृत्यु भी हो सकती है। यदि गर्भावस्था के दौरान आपको यह इन्फेक्शन होता है तो इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है। 

किसी भी इन्फेक्शन का वायरस खून, सीमन और अन्य शारीरिक फ्लूइड किसी दूसरे व्यक्ति में जाने से फैलता है। यदि खून से संबंधित कोई भी संभावना है तो आप अपनी सुई, रेजर या टूथब्रश किसी से भी शेयर न करें। आप किसी भी जगह से टैटू बनवाने या छेदन करवाने से भी बचें क्योंकि ये जगहें अनहाइजीनिक और गंदी हो सकती हैं। 

5. एचआईवी

एचआईवी का मतलब है ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस जो शरीर में इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है और इन्फेक्शन से लड़ने की शारीरिक क्षमता को आमतौर पर खत्म कर देता है। यदि इसका इलाज शुरूआती समय पर नहीं किया गया तो इसकी वजह से एड्स (अक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) हो सकता है जो काफी खतरनाक साबित हुआ है। 

यदि आप ऐसे व्यक्ति से असुरक्षित सेक्स करती हैं जिसे एचआईवी हुआ है तो आपको भी यह इन्फेक्शन हो सकता है या यह इन्फेक्शन खून, सीमन या वजयाना के फ्लूइड के बदल जाने से भी हो सकता है। कुछ मामलों में शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं पर कुछ में इसके फ्लू जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। यदि आप गर्भवती हैं तो आपको एचआईवी टेस्ट करवाना चाहिए। यदि आपको यह इन्फेक्शन हुआ है तो डॉक्टर बच्चे को इस इन्फेक्शन से बचाने के लिए इलाज कर सकते हैं। 

6. साइटोमेगालोवायरस

इसे आमतौर पर सीएमवी के नाम से भी जाना जाता है और यह हर्पीस से संबंधित वायरस होता है जो गर्भावस्था के दौरान बच्चे को भी हो सकता है। इसकी वजह से जन्म के दौरान बच्चा बहुत ज्यादा बीमार हो सकता है, उसे लंबे समय तक रहने वाली समस्याएं हो सकती हैं या कुछ कॉम्प्लीकेशंस भी हो सकती हैं, जैसे कई महीनों या सालों के बाद भी दृष्टि कमजोर होना या सुनाई कम देना। सीएमवी वायरस आपके शरीर में लंबे समय तक रह सकता है और यदि गर्भावस्था के दौरान आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है तो यह वायरस फिर से हो सकता है। 

यह वायरल इन्फेक्शन पहली तिमाही में गर्भवती महिला से बच्चे को भी हो सकता है और इसलिए इसकी जांच करवाना बहुत जरूरी है। यदि डॉक्टर को अल्ट्रासाउंड में सीएमवी से संबंधित लक्षण दिखते हैं या आपमें कोई भी लक्षण होते हैं तो आपको कुछ आवश्यक जांच करवाने की सलाह दी जाती है। सीएमवी वायरस सेक्स करने से, या किसी इन्फेक्टेड व्यक्ति के सलायवा, यूरिन, मल या आंसुओं के संपर्क में आने से या माउथ टू माउथ किसिंग से भी फैलता है।

7. चिकन पॉक्स

यह वायरल इंफेक्शन वेरिसेला जोस्टर की वजह से फैलता है और यदि गर्भावस्था के दौरान या पहली तिमाही में आपको यह इन्फेक्शन हो गया तो प्लेसेंटा के माध्यम से यह इन्फेक्शन बच्चे को भी हो सकता है। यदि बच्चे को भी चिकन पॉक्स हो जाता है तो इसकी वजह से उसमें जन्म से संबंधित कई विकार हो सकते हैं। इस समस्या से पैरों की विकृति, हाइड्रो-नेफ्रोसिस (किडनी से संबंधित), रेटिनल विकार और दिमाग के सेरिब्रल कोर्टेक्स के सेल्स की कमी भी हो सकती है। डिलीवरी के दौरान यदि माँ से बच्चे को चिकन पॉक्स इन्फेक्शन होता है तो वह नर्वस सिस्टम के केंद्र में अब्नॉर्मलिटी होने से पीड़ित हो सकता है।

यदि आप चिकन पॉक्स से इम्यून नहीं है तो इससे इन्फेक्टेड व्यक्ति के आसपास बिलकुल भी न रहें। यदि किसी में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे चिकन पॉक्स की समस्या हो सकती है और शरीर में रैशेज दिखने से पहले भी वह इससे इन्फेक्टेड हो सकता है। गर्भावस्था में आप चिकन पॉक्स की वैक्सीन न लें और यदि गर्भधारण से पहले आपने यह वैक्सीन ली है तो गर्भधारण के लिए लगभग एक महीने का इंतजार करें। 

एक गर्भवती महिला को इन्फेक्शन होने से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इन्फेक्शन हो सकता है इसलिए समय से इसका बचाव करना ही बेहतर है। गर्भावस्था के दौरान या इससे पहले ऐसे किसी भी इन्फेक्शन को नजरअंदाज न करें क्योंकि यदि इसका इलाज नहीं किया गया तो इससे कभी न ठीक होने वाली हानियां हो सकती हैं। 

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सुरक्षा कटियार

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