गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाना

गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे को वास्तविक रूप में देखना ही अपने आप में एक जादू की तरह होता है। यह उन पेरेंट्स में एक विशेष जुड़ाव को उत्पन्न करता है जो बड़ी उत्सुकता से अपने बच्चे का इंतजार कर रहे होते हैं। 3डी और 4डी स्कैन्स से इस अद्भुत दृश्य को वास्तविक रूप में देखना संभव हो पाता है। 

3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड स्कैन क्या है?

3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड स्कैन बच्चे की वास्तविक फोटो होती हैं। 3डी स्कैन में बच्चे की बहुत सारी 2डी फोटोज ली जाती हैं और फिर एक साथ रखकर 3डी इफेक्ट दिया जाता है। 4डी स्कैन में बच्चे की वास्तविक फोटो ली जाती हैं और इसमें आप देख सकती हैं कि बच्चा उस समय गर्भ में क्या कर रहा है, जैसे वह अपने पैर या हाथ हिला रहा है और बार-बार आँखें खोलता व बंद करता है। यह एक लाइव स्ट्रीमिंग या वीडियो की तरह ही होता है। 3डी स्कैन में चौथे डायमेंशन के समय का एलिमेंट लगाया जाता है और इसलिए इसे 4डी का नाम दिया गया है।  

2डी, 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड स्कैन में अंतर

बहुत सालों पहले तक गर्भवती महिलाएं अपने बच्चे को जन्म से पहले सिर्फ 2डी स्कैन की मदद से ही देख पाती थी। हालांकि 2डी स्कैन में कुछ चीजें नहीं हो पाती हैं। इसमें सिर्फ बच्चे की ब्लैक एंड वाइट और धुंधली तस्वीर ही दिखाई देती है। ऐसे स्कैन में सिर्फ बच्चे के आंतरिक अंग दिखाई देते हैं क्योंकि इसमें बच्चे के पूरे रूप का नहीं बल्कि सिर्फ उसके अंगों की तस्वीर बनाने के लिए अल्ट्रासाउंड वेव्स का उपयोग होता है। 

अब यह खुशनसीबी है कि गर्भवती महिलाएं जन्म से पहले ही अपने बच्चे की वास्तविक तस्वीर देख सकती हैं। 3डी स्कैन 2डी से कहीं ज्यादा बेहतर है क्योंकि इसमें स्कैन की हुई तस्वीरों को एक साथ रख कर बच्चे का वास्तविक रूप बनाया जाता है। इसमें आप अपने बच्चे के हाथ, पैर और उसका चेहरा देख सकती हैं। 

4डी स्कैन की टेक्नोलॉजी व सॉफ्टवेयर में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है और यह बच्चे की वास्तविक तस्वीर को लाइव दर्शाता है। अब पेरेंट्स गर्भ में ही अपने बच्चे को हिलते-डुलते हुए, जम्हाई लेते हुए, लात मारते हुए, आँखें झपकाते हुए और चूसते हुए देख सकते हैं। यह एक खुशी की बात है कि आज टेक्नोलॉजी ने गर्भ में पल बच्चे के स्कैन्स को काफी हद तक बेहतर बनाया है। यद्यपि यह सभी स्कैन मेडिकल के कारणों से किए जाते हैं पर इसकी वजह से बच्चे व पेरेंट्स में एक बेहतर बॉन्ड भी बनता है और पेरेंट्स की इस खुशी के आगे कुछ भी नहीं है। 

गर्भावस्था के दौरान 3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड करवाने की जरूरत क्यों है?

गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे के आंतरिक अंगों की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाना बहुत जरूरी है। इससे गायनोकोलॉजिस्ट को बच्चे में संभावित कॉम्प्लीकेशंस जानने और समझने में मदद मिलती है। यह जांच होने के बाद बच्चे को जल्दी से जल्दी ठीक किया जा सकता है। इस स्कैन से डॉक्टर को बच्चे में अन्य समस्याएं देखने में भी मदद मिलती है, जैसे होठों पर दरार (क्लेफ्ट लिप), रीढ़ की हड्डी की समस्याएं और जन्म से संबंधित अन्य विकार। इस स्कैन से डॉक्टर को  एमनियोटिक द्रव की जांच करने में मदद मिलती है। 

3डी और 4डी अल्ट्रासाउंड स्कैन की जरूरत क्यों है?

3डी और 4डी स्कैन करवाना वैकल्पिक है। यह गर्भावस्था के दौरान किए जानेवाले टेस्ट का भाग नहीं है। यदि आप इनमें से कोई भी स्कैन नहीं करवाना चाहती हैं तो कोई बात नहीं और आप इसके बारे में डॉक्टर को भी बता कर रखें। यदि डॉक्टर मेडिकल से संबंधित आवश्यकता या कोई भी संभावित समस्या देखते हैं तो वे आपको इसके लिए एक उपयुक्त सलाह दे सकते हैं। यदि आपने स्कैन करवाने का निर्णय ले लिया है तो यह अक्सर 26वें से 30वें सप्ताह में किया जाता है। गर्भावस्था की शुरूआत में यह टेस्ट न करवाना ही बेहतर होगा क्योंकि बच्चे में उतना फैट नहीं होता है और इसकी वजह से संभव है कि आपको स्पष्ट पिक्चर न दिखाई पड़े। 

3डी और 4डी स्कैन कैसे काम करते हैं?

अल्ट्रासाउंड स्कैन को सोनोग्राफी भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बच्चे की तस्वीरें लेने के लिए हाई फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्स का उपयोग किया जाता है। यह स्कैन्स कुछ इस प्रकार से ही कार्य करते हैं, आइए जानें;

  • अल्ट्रासाउंड स्कैन में ट्रांसड्यूसर या प्रोब एक डिवाइस होता है जो अल्ट्रासाउंड के संकेतों को महिला के गर्भ के भीतर भेजता है। पहले ट्रांसड्यूसर में जेल लगाया जाता है जो वेव्स को बहुत आसानी से अंदर जाने में मदद करती हैं।
  • अल्ट्रासाउंड के संकेत बच्चे की समस्याएं या स्ट्रक्चर पर पड़कर रिफ्लेक्ट होती हैं और सॉफ्टवेयर की मदद से कम्प्यूटर स्क्रीन पर फोटोज दिखाई देती हैं।
  • स्ट्रेंथ और समय के अनुसार ही यह वेव्स रिफ्लेक्ट करती हैं और फिर यह जानकारी एक फोटो या वीडियो में रिकॉर्ड हो जाती है।
  • अंत में बच्चे की इन तस्वीरों को एक साथ जोड़ा जाता है।

3डी और 4डी स्कैन के परिणाम

यह स्कैन गर्भावस्था के दौरान जांच के लिए डायग्नोसिस की स्टैंडर्ड प्रक्रिया नहीं है। इसमें सिर्फ बच्चे में हो रही संभावित कॉम्प्लीकेशंस और जन्म के दौरान विकारों के बारे में पता चलता है। इसलिए इसके परिणाम से संबंधित कोई भी बदलाव सिर्फ डॉक्टर पर ही निर्भर करता है। यदि स्कैन के दौरान डॉक्टर को बच्चे में कोई भी कॉम्प्लीकेशंस दिखाई देती हैं तो वे आगे अन्य टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।

यह स्कैन कितनी बार किया जाता है

गर्भ में बच्चे के विकास को जानने के लिए डॉक्टर 2डी स्कैन अक्सर करते हैं। बच्चे की महत्वपूर्ण चीजें, एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर और बच्चे का विकास जानने के लिए यह एक अच्छा टेस्ट है। गर्भवती महिलाओं को 3डी और 4डी स्कैन करवाने के बजाय ज्यादातर 2डी स्कैन करवाने की सलाह दी जाती है। ये स्कैन अक्सर बच्चे को नजदीकी से स्टडी करने और जन्म के दौरान संभावित विकारों को जानने के लिए किया जाता है। वैसे तो इसका कोई भी प्रमाण नहीं है कि गर्भवती महिला व बच्चे को 3डी और 4डी स्कैन से कोई भी हानि होती है पर इसे संयमित करवाने की सलाह दी जाती है और यह जांच खुद से करवाने से पहले आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

3डी और 4डी स्कैन के फायदे

3डी स्कैन

  1. इस स्कैन में बच्चे के दिल का स्ट्रक्चर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है क्योंकि इसमें ऐसी तस्वीरें या दृश्य उत्पन्न होते हैं जो 2डी स्कैन में नहीं हो सकते हैं।
  2. इसमें बच्चे के चेहरे से संबंधित विकार भी दिख जाते हैं, जैसे उसके होठों पर दरार आना।
  3. इसमें बच्चे की मांसपेशियों व हड्डियों या न्यूरल से संबंधित समस्याओं का डायग्नोसिस करने में मदद मिलती है।
  4. यह स्टैंडर्ड प्लेन दृश्य को उत्पन्न करने में कम समय लगाता है।
  5. इसकी स्टडी करना आसान है और इससे बच्चे की आम समस्याओं को डायग्नोसिस करने के लिए बहुत ज्यादा अनुभवी या निपुण व्यक्ति की आवश्यकता नहीं है।
  6. इसकी मदद से रिकॉर्ड किए गए वॉल्यूम डेटा को एक्सपर्ट की राय और बेहतर डायग्नोसिस के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है।

4डी स्कैन

  1. इससे बच्चे के दिल की स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस करने में बहुत कम समय लगता है।
  2. स्कैन के दौरान इसमें उत्पन्न हुए डेटा को एक्सपर्ट के पास जांच के लिए भेजा जाता है जिसमें वे मॉनिटर करने की जगह निर्धारित करते हैं। इसका उपयोग ट्रेनिंग के लिए भी किया जाता है।
  3. इससे पेरेंट्स और बच्चे के बीच एक बॉन्ड बनाने में मदद मिलती है।
  4. गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे को लाइव देखने की वजह से बच्चे व पेरेंट्स के बीच एक सकारात्मक बॉन्ड बनता है।
  5. बच्चे के रूप और मूवमेंट को देखने के बाद पेरेंट्स या पिता अक्सर अधिक सपोर्ट करते हैं।
  6. 4डी स्कैन में बच्चे की समस्याएं अधिक स्पष्ट दिखाई दे सकती हैं।
  7. इसके अलावा इसमें 3डी अल्ट्रसाउंड स्कैन के फायदे भी शामिल हैं, जैसे;
    • इसमें बच्चे के विकास और पूर्ण स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है।
    • प्लेसेंटा स्थित होने की जगह पता चलती है और इसकी जांच की जा सकती है।
    • बच्चे के दिल की धड़कन की जांच की जाती है।

3डी और 4डी स्कैन के नुकसान

3डी स्कैन

  • गर्भावस्था के दौरान 3डी स्कैन करवाने का सिर्फ यह नुकसान है कि यह बच्चे की हलचल की वास्तविक फोटो या लाइव स्ट्रीमिंग नहीं दिखाता है।
  • बच्चे का 3डी स्कैन करने के लिए कम्प्यूटर का सॉफ्टवेयर बहुत अच्छी स्पीड में चलना चाहिए।

4डी स्कैन

  • 4डी स्कैन बहुत महँगी मशीन है।
  • इस मशीन को चलाने के लिए बहुत अच्छी ट्रेनिंग की आवश्यकता है।
  • बच्चे में हलचल होने की वजह से इसके वीडियो या फोटोज की खराब क्वालिटी होती है। इससे बदले में अन्य फोटोज पर भी प्रभाव पड़ता है।
  • यदि बच्चे की रीढ़ स्कैन के निचले हिस्से तक नहीं पहुँच रही है तो उसकी ध्वनि छवि में बाधा आ सकती है।

यद्यपि यह स्कैन मेडिकल की एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया नहीं है पर गर्भ में पल रहे बच्चे को देखने में हमेशा खुशी मिलती है। ज्यादातर पेरेंट्स 3डी या 4डी स्कैन करने का अनुरोध करते हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे को बढ़ते हुए देखना सचमुच एक जादू की तरह ही है। यदि गर्भावस्था के दौरान आप यह स्कैन करवाना चाहती हैं तो पहले डॉक्टर से इस बारे में बात करें और उनकी सलाह मानें। 

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