गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान एलोवेरा जूस पीना – फायदे और साइड इफेक्ट्स

एलोवेरा का उपयोग आमतौर पर स्किन क्रीम और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट्स के लिए किया जाता है क्योंकि इसमें बहुत सारे स्वास्थ्य संबंधी गुण मौजूद हैं। हजारों सालों से लोग एलोवेरा के पौधे का जेल दवाई के रूप में, त्वचा को मुलायम करने के लिए और अन्य समस्याओं का उपचार करने के लिए उपयोग करते हैं, जैसे कब्ज। इसकी पत्तियों के अंदर और बाहर जेल के साथ-साथ इसकी छाल के अंदर एक चिपचिपा पदार्थ भी होता है जिसे लैटेक्स कहते हैं। 

एलोवेरा को घर में भी आसानी से उगाया जा सकता है और इसके अंदर के जेल को ब्लेंड करके जूस के रूप में भी पिया जा सकता है। गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार, थोड़ी मात्रा में इसका सेवन कर सकती हैं। 

एलोवेरा के सामान्य उपयोग

  • एलोवेरा का उपयोग त्वचा की समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है, जैसे एक्ने या मुँहासा। इसे लगाने से सनबर्न, त्वचा में खुजली और गर्भावस्था के स्ट्रेच मार्क्स भी प्रभावी रूप से कम हो जाते हैं।
  • एलोवेरा में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा में इन्फेक्शन को भी ठीक करने में मदद करते हैं।
  • इसमें लैक्सेटिव गुण भी होते हैं जो कब्ज के दौरान पेट से संबंधित समस्याओं में आराम प्रदान करते हैं।
  • इस पौधे का एक्सट्रेक्ट सेंसिटिव और रूखी त्वचा को ठीक करने में मदद करता है।
  • यह टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित लोगों में ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है।
  • एलोवेरा का जूस अन्य बीमारियों को ठीक करने में भी मदद करता है, जैसे एपिलेप्सी और अस्थमा।
  • इसकी ठंडक हार्टबर्न और पेट के अलसर को ठीक करने में मदद करती है।
  • एलोवेरा की न्यूट्रिशनल वैल्यू और इसमें मौजूद एंटीबायोटिक गुण शरीर में इम्युनिटी को बढ़ाते हैं। यह बुखार व वायरस के प्रभाव को कम करने में भी मदद करता है।

गर्भावस्था के दौरान एलोवेरा का उपयोग करने के फायदे

  • एलोवेरा विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होता है और आहार में आवश्यक न्यूट्रिएंट्स के सप्लीमेंट्स के रूप में कभी-कभी इसका जूस भी लिया जा सकता है।
  • यह पेट व आंतों को आराम देता है और मॉर्निंग सिकनेस को कम करने में मदद करता है।
  • गर्भावस्था के दौरान रूखी त्वचा या त्वचा में खुजली पर एलोवेरा का जेल प्राकृतिक मॉइस्चराइजर का काम करता है। इसे नियमित रूप से लगाने पर त्वचा सौम्य और कोमल रहती है।
  • एलोवेरा का जूस खून की कोशिकाओं का पतला करता है और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। सही ब्लड सर्कुलेशन से गर्भ में पल रहे बच्चे तक पर्याप्त न्यूट्रिशन पहुँचता है और माँ में टिश्यू ठीक होते हैं व इनकी वृद्धि भी होती है।
  • यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में टिश्यू की सूजन को ठीक कर सकता है और प्राकृतिक लैक्सेटिव के रूप में बॉवेल मूवमेंट्स को सरल बनाता है।

क्या गर्भावस्था के दौरान एलोवेरा का जूस पीना सुरक्षित है?

मेडिकल के अनुसार गर्भावस्था के दौरान एलोवेरा का जूस पीने से पहले महिलाओं को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। यदि इसे सही तरीके से नहीं लिया गया तो इसमें मौजूद कुछ कंपाउंड्स माँ और बच्चे को हानि पहुँचा सकते हैं। एलोवेरा गर्भाशय में संकुचन के खतरे को बढ़ाने के लिए जाना जाता है जो गर्भावस्था के लिए खतरनाक है। एलोवेरा जूस खून में ग्लूकोज के स्तर को कम करता है। यह महिलाओं में सिर चकराने या असंतुलित होने के संभावना को बढ़ाता है। 

इसके पौधे में पाया जाने वाला लैटेक्स एक शक्तिशाली लैक्सेटिव होता है और यह आंतों में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस को बढ़ाता है। जो महिलाएं बच्चे को दूध पिलाती हैं उन्हें भी इसके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि इसके कंपाउंड्स दूध में मिश्रित हो सकते हैं और बच्चे के अविकसित पाचन तंत्र में समस्याएं पैदा कर सकते हैं। हालांकि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं बहुत कम मात्रा में एलोवेरा ले सकती हैं। इसके बारे में ज्यादा जानकारी के लिए और रीसर्च करने की आवश्यकता है। इसलिए जब तक डॉक्टर या हेल्थ केयर प्रोवाइडर आपको एलोवेरा का जूस पीने की सलाह नहीं देते हैं तब तक इससे दूर रहना ही सुरक्षित है। 

गर्भवती महिलाओं को कितनी मात्रा में एलोवेरा लेना चाहिए

यद्यपि एलोवेरा नेचुरल होता है पर इसमें मौजूद कंपाउंड्स कुछ लोगों के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं। न्यूट्रिशनल व औषधीय फायदों के लिए एलोवेरा का उपयोग करने से पहले आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें। पेट से संबंधित समस्याओं को ठीक करने के लिए लगभग 0.04 – 0.07 ग्राम ड्राई एलोवेरा को प्राकृतिक लैक्सेटिव के रूप में लिया जा सकता है। यदि आप नियमित रूप से एलोवेरा का सेवन करती हैं तो शरीर में लैक्सेटिव के प्रति निर्भरता बढ़ती है जिसके कारण यदि आप इसका सेवन करना बंद कर दें तो आपको कब्ज की समस्या हो सकती है। किसी भी खाद्य पदार्थ को संयमित मात्रा में खाना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों को भी ज्यादा खाने से अनेक हानियां हो सकती हैं। 

एलोवेरा का सेवन करने से होने वाले खतरे

  • एलोवेरा में मौजूद लैटेक्स एक शक्तिशाली लैक्सेटिव होता है और यदि आप एक गिलास के बजाय इसकी पूरी पत्ती का जूस पी लेती हैं तो इससे आपके पेट में दर्द और आपको डायरिया भी हो सकता है। लैक्सेटिव से किडनी की क्षति हो सकती है या डायरिया में खून भी आ सकता है और यह इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को गंभीर रूप से हानि पहुँचा सकता है। इससे दिल की धड़कनें असामान्य हो सकती हैं, मांसपेशियां कमजोर पड़ सकती हैं और गर्भाशय में संकुचन हो सकता है जो एक गर्भवती महिला के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है।
  • यदि आप एक साल से ज्यादा समय तक एलोवेरा का उपयोग करती हैं तो आप में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ने की संभावना हो सकती है। अन्य रिपोर्ट के अनुसार ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से लिवर में सूजन हो सकती है।
  • यदि महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज है तो गर्भावस्था के दौरान एलोवेरा का जूस पीने से उसके खून में ग्लूकोज का स्तर अनियमित हो सकता है और इससे अन्य साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। चूंकि यह जूस ग्लूकोज के स्तर को कम करता है इसलिए यह खून में ग्लूकोज के स्तर को प्रभावित कर सकता है और साथ ही इससे हाइपोग्लाइसीमिया भी हो सकता है।
  • जो महिलाएं बच्चे को दूध पिलाती हैं उन्हें भी एलोवेरा का सेवन करने से सावधान रहना चाहिए क्योंकि इसके कुछ कंपाउंड बच्चे के शरीर में भी जा सकते हैं। इसमें मौजूद लैटेक्स बच्चों में डायरिया और उल्टी का कारण बनता है। एलोवेरा बच्चों के लिए सुरक्षित है या नहीं इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है इसलिए जो महिलाएं अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं उन्हें एलोवेरा से दूर रहना चाहिए।
  • जिन लोगों को लिलिएसिया या लिली से संबंधित पौधों से एलर्जी होती है उन्हें एलोवेरा से एलर्जी भी हो सकती है। इससे संबंधित पौधों में प्याज, लहसुन, लिली, ट्यूलिप और हाईसिन्ट्स भी शामिल हैं। इसमें सांस लेने में समस्या, त्वचा में सूजन, त्वचा में खुजली के साथ रैशेज, छाती में कसाव और गले में खराश जैसे एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। यदि आपको एलोवेरा से एलर्जिक रिएक्शन हुआ है तो इसे ठीक करने के लिए आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और जल्दी ही इसका इलाज करवाना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान जब तक डॉक्टर एलोवेरा खाने की सलाह न दें तब तक आपको इससे दूर ही रहना चाहिए। 

संसाधन और संदर्भ:

स्रोत १
स्रोत २

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी के दौरान करेला खाना
प्रेगनेंसी में गन्ने का जूस पीना

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago

रामायण की कहानी: क्या सीता मंदोदरी की बेटी थी? Ramayan Story: Was Sita Mandodari’s Daughter In Hindi

रामायण की अनेक कथाओं में से एक सीता जी के जन्म से जुड़ी हुई भी…

2 weeks ago

बदसूरत बत्तख की कहानी | Ugly Duckling Story In Hindi

यह कहानी एक ऐसे बत्तख के बारे में हैं, जिसकी बदसूरती की वजह से कोई…

2 weeks ago

रामायण की कहानी: रावण के दस सिर का रहस्य | Story of Ramayana: The Mystery of Ravana’s Ten Heads

यह प्रसिद्द कहानी लंका के राजा रावण की है, जो राक्षस वंश का था लेकिन…

2 weeks ago