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चाहे महिला पहली बार गर्भवती हुई हो या यह उसकी दूसरी गर्भावस्था हो पर यह महिलाओं के लिए उत्साह और एंग्जायटी का समय होता है। हर गर्भवती महिला अपने खाने, पीने, अपनी बढ़ती सोच या किसी भी चीज के लिए जल्दी परेशान हो ही जाती है। एंग्जायटी सिर्फ गर्भावस्था में ही नहीं बल्कि आम जिंदगी में भी हो सकती है पर यदि यह नियमित रूप से आपके विचारों का भाग बन जाए तो एक गंभीर समस्या का रूप भी ले सकती है। गर्भावस्था के दौरान एंग्जायटी होने के कारण और प्रभाव समझने व इसे कैसे ठीक किया जा सकता है, यह सब जानने के लिए आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
एंग्जायटी की समस्या आपको चिंता व डर का शिकार बना सकती है। यद्यपि डर और चिंता लोगों को खतरा या कोई समस्या होने पर एक प्रतिक्रिया है पर एंग्जायटी का रोग या विकार होने पर यही भाव उन्हीं स्थितियों पर अधिक गंभीर हो जाते हैं। यदि एंग्जायटी की वजह से आप कोई सरल काम भी नहीं कर पा रही हैं तो इसका यही अर्थ है कि आपको एंग्जायटी डिसऑर्डर है।
यह अनुमान लगाया जाता है कि महिलाएं पुरुषों से 60% अधिक एंग्जायटी डिसऑर्डर का शिकार होती हैं और 10 में से 1 महिला को कभी-कभी यह समस्या हो सकती है। एंग्जायटी डिसऑर्डर में विशेषकर एंग्जायटी अटैक आते हैं जिसमें अनेक फिजियोलॉजिकल प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं, जैसे पसीना आना, दिल की धड़कनें तेज होना, कंकंपी और बेचैनी होना।
एंग्जायटी अटैक तभी आता है जब आपको बिना चेतावनी के बहुत ज्यादा डर लगे या दहशत हो। यह अक्सर कुछ मिनट से लेकर आधे घंटे तक रहता है और कुछ जगहों, लोगों या किसी स्थिति से बढ़ भी सकता है। इसमें आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं, आइए जानें;
गंभीर रूप से एंग्जायटी होने पर अधिक समस्याएं होती हैं। इस मामले में ऊपर दिए हुए लक्षण ज्यादा गंभीर रूप से दिखाई देने लगते हैं और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए अस्पताल में भी रहना पड़ सकता है। इसके कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
एंग्जायटी डिसऑर्डर अलग-अलग रूप में होता है और एक समय पर कई डिसऑर्डर होना असामान्य नहीं है। यह अक्सर कई मानसिक समस्याओं के साथ होता है, जैसे डिप्रेशन।
कुछ सामान्य समस्याएं निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
इस समस्या से ग्रसित महिलाओं को रोजाना चिंताएं बहुत ज्यादा होती हैं जिसकी वजह से उनके नियमित कार्यों पर प्रभाव पड़ता है। इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं, जैसे इरिटेशन होना, ध्यान केंद्रित न कर पाना, मांसपेशियों में तनाव आना, सोने में कठिनाई होना और आशंकाएं होना।
यदि आपको बिना किसी कारण के पैनिक अटैक आता है तो यह पैनिक डिसऑर्डर का एक लक्षण भी हो सकता है। इसमें आप गंभीर रूप से डर महसूस कर सकती हैं और साथ ही कुछ शारीरिक लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं, जैसे पसीना आना, चक्कर आना, कांपना, दिल की धड़कन तेज होना और उल्टी आना।
फोबिया एक ऐसी भावना है जिसमें आपको किसी एक हानिकारक चीज या जगह से अत्यधिक डर लगता है और एंग्जायटी होती है। कुछ प्रकार के फोबिया हैं, जैसे ऊंचाई से डर लगना या किसी सामान्य कीड़े से डर लगना पर इसका डर बहुत ज्यादा होता है। लोग इन सब चीजों से बचने के लिए बहुत कुछ करते हैं।
यदि आप किसी ट्रॉमा या परेशानी का अनुभव करती हैं या आप ऐसी कोई चीज देखती हैं तो इससे आपको पीटीएसडी भी हो सकता है जिसमें एंग्जायटी, फ्लैशबैक, नाईटमेयर इत्यादि शामिल है। पिछली गर्भावस्था के दौरान बच्चे की मृत्यु हो जाने से भी कुछ महिलाएं पीटीएसडी से ग्रसित हो जाती हैं और इस बार भी उन्हें यदि डर सताता है व एंग्जायटी होती है।
गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाएं ओसीडी से ग्रसित भी हो जाती हैं और यह बच्चे के जन्म के बाद अधिक गंभीर रूप ले लेता है। जिन महिलाओं को ओसीडी की समस्या होती हैं उन्हें ऑब्सेशन होने लगता है, जैसे अनचाहे विचार आना, कुछ ऐसी संवेदनाएं और योजनाओं का उत्पन्न होना जो जरूरी हो जाती हैं, ऑब्सेशन से संबंधित बार-बार चीजें दोहराने वाला व्यवहार।
स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के कुछ मामलों में, जैसे दिल की बीमारी, हाइपरथाइरॉडिज्म या रेस्पिरेटरी से संबंधित रोगों से भी एंग्जायटी हो सकती है।
एंग्जायटी की समस्या किसी भी समय हो सकती है और इसके लक्षण हर महिला में अलग होते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में होने वाले शारीरिक बदलावों के कारण कुछ को एंग्जायटी हो जाती है।
एंग्जायटी होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान एंग्जायटी का प्रभाव बच्चे पर कैसा पड़ता है इस बारे में ज्यादा रिसर्च नहीं की गई है। हालांकि यह ऑब्जर्व किया गया है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान एंग्जायटी और स्ट्रेस की समस्या होती है उनमें प्रीटर्म डिलीवरी का खतरा अधिक रहता है। एंग्जायटी से कई कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं, जैसे लेबर धीमा होना, लेबर तेज होना और फोरसेप डिलीवरी होना। कुछ रिसर्च के अनुसार जिन बच्चों की माँओं को गर्भावस्था के दौरान एंग्जायटी डिसऑर्डर है उनका विकास धीमा होता है।
बच्चे के जन्म के बाद हॉर्मोन्स में बदलाव, डिलीवरी का स्ट्रेस, नींद कम आने, स्ट्रेस और थकान होने के कारण लगभग सभी महिलाओं में बेबी ब्लूज आते हैं। इस दौरान महिला ज्यादातर रोती है और भावनात्मक हो सकती है। यह अक्सर डिलीवरी के कुछ दिनों के बाद से शुरू होता है और एक सप्ताह में अधिक बढ़ जाता है। साथ ही डिलीवरी के दो सप्ताह बाद तक अपने आप धीरे-धीरे कम भी होने लगता है। वहीं दूसरी तरफ एंग्जायटी में अक्सर पैनिक अटैक आते हैं, विचारधारा तेज हो जाती है और फिजियोलॉजिकल लक्षण दिखाई देने लगते हैं जो नार्मल फंक्शन पर प्रभाव डाल सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान एंग्जायटी होने के लक्षण अधिक और अनियंत्रित भी हो सकते हैं। जिसमें से निम्नलिखित कुछ शामिल हैं, आइए जानें;
एंग्जायटी के लिए नॉन मेडिसिनल इलाज
कुछ ऐसे उपचार भी हैं जिनमें दवाओं का उपयोग नहीं किया जाता है, आइए जानें;
इसमें स्किल्ड थेरेपिस्ट कुछ तकनीकों, जैसे कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) का उपयोग करते हैं। थेरेपिस्ट स्ट्रेस के कारकों को नए तरीके से देखना और बेहतर प्रतिक्रिया के साथ इससे बाहर निकलना सिखाते हैं।
ओमेगा 3 में आवश्यक फैटी एसिड होते हैं जो मूड को ठीक करने के लिए प्राकृतिक रूप से कार्य करते हैं और यह कुछ खाद्य पदार्थों में होता है, जैसे अखरोट और ऑयली मछली।
लाइट थेरेपी एक ऐसा तरीका है जिसमें मरीज को सूर्य की रोशनी महसूस करवाने के लिए तेज रोशनी के आर्टिफिशियल स्रोत का उपयोग किया जाता है। दिन में कुछ देर के लिए इस लाइट के पास बैठने या लिविंग रूम में इसका उपयोग करने से डिप्रेशन के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
यह एक प्राचीन चीनी तकनीक है जिसमें मरीज के शरीर के कुछ विशेष पॉइंट्स में छोटी-छोटी सुइयां लगाई जाती हैं। इस तरीके से मूड को ठीक और स्ट्रेस को कम किया जाता है।
इस मेथड में मरीज थेरेपिस्ट या काउंसलर से अपने उन विचारों व भावनाओं के बारे में करता है जिससे एंग्जायटी होती है और इसे ‘टॉक थेरेपी’ भी कहते हैं। इससे अंदर की सभी बातें रिलीज हो हो जाती हैं और यह एंग्जायटी बढ़ाने वाले विचारों को नए तरीके से सोचने में मदद करता है।
चूंकि एंग्जायटी की दवाइयां प्लेसेंटा तक भी पहुँच सकती हैं इसलिए डॉक्टर गर्भावस्था में इसे बहुत सावधानी से लेने की सलाह देते हैं। प्रिस्क्राइब्ड दवाओं में निम्नलिखित शामिल हैं, आइए जानें;
इसका उपयोग भी वैसे ही किया जाता है जैसे डिप्रेशन में होता है और यह दवा गर्भावस्था में एंग्जायटी को ठीक करने के लिए ली जाती है। इनमें कुछ का उपयोग ज्यादातर किया जाता है, जैसे फ्लुओक्सेटाइन, सेरट्रलाइन, सिटलोप्रैम, पैरोक्सेटाइन और इत्यादि।
यह दवाइयां गंभीर रूप से एंग्जायटी और पैनिक अटैक की समस्याओं को ठीक करने के लिए ली जाती हैं पर यदि गर्भावस्था के दौरान महिला इसका सेवन करती है तो इससे बच्चे में कॉग्निटल अक्षमता हो सकती है। यदि आप पहले से ही बेंजोडायजेपीन्स ले रही हैं तो डॉक्टर धीरे-धीरे आपकी इन खुराकों को कम कर देंगे और गर्भवती होने पर दूसरी दवाइयां देंगे।
कावा आमतौर पर एक उपयोग की हुई जड़ होती है जिसका उपयोग एंग्जायटी को कम करने के लिए किया जाता है पर इसे गर्भावस्था के दौरान न लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह गर्भाशय की मांसपेशियों को कमजोर बनाती है। हर्बल रिसर्च में बहुत कम रिसर्च हुई है और चूंकि इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है इसलिए इससे दूर रहना ही सही है।
गर्भावस्था के दौरान एंग्जायटी होना नॉर्मल है पर कई ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से कुछ महिलाओं को यह समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। वे कारक कौन से हैं, आइए जानें;
इसमें आपको और आपके बच्चे को खतरा है। बच्चे का जन्म प्रीटर्म होने के साथ जन्म के दौरान उसका वजन कम हो सकता है और एपीजीएआर पर स्कोर भी कम रह सकता है। बच्चे को गर्भ से बाहर सहज होने में समस्याएं भी हो सकती हैं। इसकी वजह से आपका मिसकैरेज हो सकता है, पोस्टपार्टम डिप्रेशन हो सकता है, किसी चीज का एडिक्शन भी हो सकता है और इत्यादि।
एंग्जायटी डिसऑर्डर अक्सर अन्य समस्याओं के साथ ही होता है, जैसे डिप्रेशन। पोस्टपार्टम डिप्रेशन से ग्रसित आधी से ज्यादा महिलाएं गर्भावस्था के दौरान इसके शुरूआती लक्षणों को महसूस करने लगती हैं।
यदि आप गर्भवती हैं और आपको एंग्जायटी होने लगी है तो बेहतर होगा कि आप डॉक्टर संपर्क करें। कुछ अंतर्राष्ट्रीय समूह भी हैं जैसे पोस्टपार्टम सपोर्ट इंटरनेशनल (www.postpartum.net), वीमेन’स हेल्थ कंसोर्टियम (http://womensmentalhealthconsortium.org/) और महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एमजीएच सेंटर (www.womensmentalhealth.org) जिनसे आप जुड़ सकती हैं।
एंग्जायटी की वजह से आपकी मातृत्व की खुशियों के अनुभव कम नहीं होंगे। इस समस्या के बारे में पूरी जानकारी और सही ट्रीटमेंट से आप अपनी गर्भावस्था को पूरी तरह से एन्जॉय कर सकती हैं।
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