गर्भावस्था के दौरान चिकनगुनिया – कारण, लक्षण और उपचार

गर्भावस्था के तीनों चरणों में एक महिला को बहुत सारे उतार चढ़ाव और चुनौतियों से गुजरना पड़ता है और इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कोई भी माँ अपने बच्चे को किसी भी जोखिम में नहीं डाल सकती। इसलिए वो हर संभव प्रयास करती है कि वो और उसका बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित रहे।

लेकिन कभी-कभी प्रयासों के बावजूद आप खुद को इन बीमारियों से नहीं बचा पाती और इसकी वजह यह होती है कि आपके गर्भ में पल रहा बच्चा लगातार आपके शरीर के सभी पोषण लेकर विकास कर रहा होता है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान माँ की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने का अर्थ है कि आप आसानी से बीमारियों और संक्रमण की चपेट में आ सकती हैं। इसलिए आपको खुद को इनसे बचाए रखने की विशेष रूप से सलाह दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान ऐसी कई गंभीर बीमारियां हैं जिनसे आपको सावधानी बरतनी चाहिए, जिनमें से एक है चिकनगुनिया। चिकनगुनिया एक ऐसी ही बीमारी है, जो गर्भावस्था में आसानी से हो सकती है। आइए तो पहले जानते हैं क्या है चिकनगुनिया? यह क्यों होता है और इससे बचा कैसे जाए?

चिकनगुनिया क्या है?

चिकनगुनिया एक संक्रमण है जो चिकनगुनिया वायरस के कारण होता है। ये बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है, जो कि गंदे पानी में पाया जाता है, डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह मच्छर एडीज एजिप्टी और एडीस एल्बोपिक्टस मच्छर की प्रजातियों में से होते हैं और ठहरे हुए पानी में अंडे देते हैं। ये मच्छर वही होते हैं जो डेंगू को भी फैलाते हैं और इनकी पहचान उनकी पैरों पर पाई जाने वाली सफेद धारियों से भी की जा सकती है। इन्हें टाइगर मच्छर के नाम से भी जाना जाता है।

चिकनगुनिया से संक्रमित होने का खतरा कब होता है?

चिकनगुनिया किसी भी मौसम में फैल सकता है। यह मलेरिया की तरह ही फैलता है। लेकिन इसके सबसे ज्यादा मामले बरसात के मौसम में देखे जाते हैं, क्योंकि इस दौरान गर्म और नमी वाला मौसम या काफी दिनों का जमा हुआ पानी इन मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं।

ये टाइगर मच्छर सबसे ज्यादा सुबह और शाम को सक्रिय होते हैं और ये आमतौर पर दिन में ही काटते हैं।

चिकनगुनिया के कारण क्या हैं?

ऊपर दी गई जानकारी को पढ़ने के बाद आपके मन में भी यह सवाल उठा होगा कि आखिर चिकनगुनिया कैसे फैलता है? ताकि आप खुद को या फिर अपने किसी खास को जो इस समय गर्भवती हैं उन्हें चिकनगुनिया के बारे में सही जानकारी दे सकें।

चिकनगुनिया एक ऐसा वायरस है जो मुख्य रूप से मच्छरों के द्वारा फैलता है, यह बात आप में से कई लोग पहले से भी जानते होंगे, लेकिन यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैल सकता है, इस बात की जानकारी कम लोगों को होती है। आमतौर पर यह बीमारी एडीस एजिप्टी या एडीस एल्बोपिक्टस, जिन्हें सामान्य भाषा में टाइगर मच्छर भी कहा जाता है, द्वारा फैलती है।

चिकनगुनिया के दो प्रकार होते है – तीव्र (एक्यूट) और दीर्घकालिक (क्रोनिक):

एक्यूट चिकनगुनिया एक प्रकार का संक्रमण है जिसमें वायरस शरीर में होता है और इसके लक्षण लगभग एक सप्ताह तक दिखाई देते हैं। इस समय को वायरल फेज कहा जाता है। इसके बाद कॉनवेलसेंट फेज आता है, जिसमें खून की जांच में वायरस नहीं पाया जाता और शरीर धीरे-धीरे ठीक होने लगता है। इस प्रकार के चिकनगुनिया के लक्षण कुछ समय के लिए होते हैं और व्यक्ति पूरी तरह से कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

क्रोनिक चिकनगुनिया में, संक्रमण के लक्षण एक महीने से अधिक समय तक बने रह सकते हैं, जबकि वायरस शरीर से निकल चुका होता है। कुछ मामलों में, मरीजों को लगभग तीन साल तक मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द बना रहता है। लंबे समय तक चलने वाले इन लक्षणों का अभी तक सही कारण पता नहीं लगाया जा सका है।

गर्भवती महिलाओं में चिकनगुनिया के लक्षण और संकेत

पहले आपका यह समझना जरूरी है कि चिकनगुनिया कैसे फैलता है, लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह जानना है कि गर्भवती महिलाओं में चिकनगुनिया के पहले लक्षण और संकेत क्या हैं। इस संक्रमण का जल्दी पता लगाना जरूरी है, ताकि माँ और बच्चे पर इसका अधिक असर न पड़े। मच्छर के काटने के 3-7 दिनों के अंदर चिकनगुनिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

यहां आपको विस्तार से बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं में चिकनगुनिया संक्रमण के लक्षण और संकेत की पहचान कैसे करें:

1. जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द

जब व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित होता है, तो उसके शरीर के जोड़ों और मांसपेशियों में बहुत दर्द होता है। खासकर सुबह के समय, टखनों, कोहनियों और कलाई में तेज दर्द महसूस होता है। यह दर्द एक हफ्ते तक या उससे अधिक समय तक भी रह सकता है और कभी-कभी आपको जोड़ों के आसपास सूजन भी दिखाई दे सकती है।

2. बुखार

यदि आपको तेज और बार-बार बुखार आ रहा है, जो कभी-कभी 104 डिग्री तक पहुंच सकता है, तो यह आपके संक्रमित होने का लक्षण हो सकता है।

3. ठंड लगना

मलेरिया की तरह, चिकनगुनिया में भी आपको अचानक तेज ठंड लगने की शिकायत हो सकती है या ठंड से आपका शरीर कांपने लग सकता है, भले ही मौसम बहुत ठंडा न हो।

4. चकत्ते पड़ना

गर्भावस्था के दौरान शरीर के किसी भी हिस्से पर चिकनगुनिया के कारण चकत्ते दिखाई दे सकते हैं, ये उभरे हुए, धब्बेदार होते हैं और साथ ही जोड़ों में दर्द होता है।

5. सिरदर्द

चिकनगुनिया के लक्षणों में से एक है तेज सिरदर्द, जिसे सहन करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

6. पीठ के निचले हिस्से में दर्द

सिरदर्द के साथ-साथ, कमर के निचले हिस्से में भी आपको तेज दर्द महसूस हो सकता है।

7. मतली और उल्टी

पेट खराब होने के साथ-साथ आपको अचानक उल्टियां भी हो सकती हैं।

8. थकान लगना

थकान और कमजोरी भी चिकनगुनिया संक्रमण के लक्षण में से एक है, क्योंकि बुखार, सिरदर्द व संक्रमण के अन्य लक्षण आपके शरीर की ऊर्जा को कम कर देते हैं, जिस वजह से आपको लगातार थकावट महसूस होती है।

चिकनगुनिया के ज्यादातर लक्षण बहुत सामान्य होते हैं, इसलिए इन संकेतों को लोग अक्सर गंभीर रूप से नहीं लेते हैं। गर्भावस्था में थकावट महसूस होना, ठंड लगना और बुखार होना सामान्य होता है। लेकिन गर्भवती महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो और उनके बच्चे की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता रहे, इसलिए आप इन लक्षणों को अनदेखा बिलकुल न करें बल्कि अगर इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण कुछ दिनों तक बना रहे, तो बिना किसी देरी के डॉक्टर से सलाह ले।

गर्भावस्था में चिकनगुनिया का इलाज

अगर गर्भवती होने पर आपको चिकनगुनिया हो जाए, तो इसका समय पर और सही इलाज करना बहुत जरूरी होता है, ताकि यह आपके स्वास्थ्य और आपके बच्चे को नुकसान न पहुंचा सके। हालांकि अभी तक ऐसा कोई भी मामला सामने नहीं आया है कि जिसमें गर्भवती महिला से उसके बच्चे तक यह संक्रमण पहुंचा हो।

ध्यान दें: चिकनगुनिया का इलाज जानने से पहले यह पता लगाना जरूरी है कि जो लक्षण आपको दिखाई दे रहे हैं वो डेंगू या मलेरिया के लक्षण तो नहीं है, इसलिए आपको सबसे पहले अपना रक्त परीक्षण कराना चाहिए और फिर इलाज शुरू करना चाहिए।

यहां आपको चिकनगुनिया का इलाज बताया गया है जो कुछ इस प्रकार हैं:

1. पर्याप्त आराम करें

वायरल संक्रमण को तुरंत ठीक करने के लिए कोई खास इलाज नहीं होता है, इसलिए सबसे अच्छा उपाय यही है कि आप पूरी तरह से आराम करें। ध्यान रखें कि आपके आसपास का माहौल गर्म और नमी भरा न हो।

2. दर्द और बुखार की दवाएं

चिकनगुनिया में होने वाले जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और बुखार को पेरासिटामोल और एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाओं से कम किया जा सकता है।

3. त्वचा पर होने वाले रैशेज और खुजली को कम करने के लिए क्रीम/तेल लगाएं

अच्छे तेल और क्रीम लगाने से रैश और त्वचा का सूखापन कम किया जा सकता है। आपकी त्वचा के आधार पर ही इनका प्रकार लें। ये केवल डॉक्टर की सलाह पर ही इस्तेमाल करें।

4. व्यायाम

आप हल्का व्यायाम कर सकती हैं या फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में व्यायाम कर सकती हैं इससे आपको जोड़ों और मांसपेशियों में होने वाले दर्द से कुछ राहत मिलेगी। ध्यान रखें कि हल्का व्यायाम ही करें,क्योंकि इस दौरान आपको कमजोरी और थकावट भी महसूस होगी।

चिकनगुनिया के घरेलू उपचार

चिकनगुनिया को ठीक करने के लिए यहां कुछ घरेलू उपचार बताए गए हैं:

  • जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने के लिए बर्फ से सिकाई करें।
  • दर्द से राहत पाने के लिए एप्सम नमक का उपयोग कर सकती हैं।
  • अदरक का सेवन करने से इम्युनिटी बढ़ती है और दर्द और बुखार में राहत मिलती है।
  • लहसुन खाने से खून के संचार में सुधार होता है और यह जोड़ों के दर्द को कम करता है।
  • दूध में हल्दी मिलाकर पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, साथ ही जोड़ों में दर्द और सूजन से आपको काफी राहत मिलती है।

गर्भावस्था में चिकनगुनिया के लिए डाइट

अगर गर्भावस्था के दौरान आपको चिकनगुनिया हो जाए, तो ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, सूप, फलों का जूस, ओआरएस आदि पीने की सलाह दी जाती है। जंक फूड, तली-भुनी और मसालेदार चीजों से बचें। अपने आहार में विटामिन सी और ई से भरपूर खाना और हरी सब्जियां शामिल करें।

अपनी डाइट में जितना अधिक हो सके विटामिन युक्त भोजन शामिल करें, क्योंकि ये मच्छरों से होने वाली बीमारियों से लड़ने में मदद करता हैं।

सावधानियां

चिकनगुनिया से बचाव के लिए आपको यहां कुछ सरल उपाय बताए गए हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • मानसून के समय में घर के आसपास पानी जमा होने न दें।
  • अपने आसपास कचरा और गंदगी जमा न रहने दें।
  • अपने आसपास के सभी पानी के टैंक और कुँओं आदि को ढक दें, ताकि मच्छर अंदर न जा सके।
  • जितना हो सके गहरे रंगों के बजाय हल्के रंगों के कपड़े पहनें, क्योंकि गहरे रंग मच्छरों को आकर्षित करते हैं।
  • खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाकर मच्छरों को घर में आने से बचाएं।
  • मॉस्किटो रेपेलेंट का उपयोग करें, इससे मच्छर के काटने से बचा जा सकता है।
  • अगर संभव हो तो एसी वाले कमरे में रहें, क्योंकि मच्छर ठंडे तापमान में जिंदा नहीं रह पाते हैं।
  • अपने आस पास साफ-सुथरा वातावरण बनाए रखें, ताकि मच्छरों को प्रजनन करने के लिए जगह न मिले।

तो ये थे कुछ सरल उपाय जो चिकनगुनिया से बचाव करने में आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं। हालांकि गर्भावस्था के दौरान चिकनगुनिया भ्रूण या माँ से जुड़ी जटिलताएं नहीं बढ़ाता है, लेकिन यदि गर्भवती महिला प्रसव से 7 दिन पहले चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित हुई हो, तो शिशुओं को निओनेटल केयर यानी नवजात गहन देखभाल में भर्ती करने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इन उपायों को अपनाकर आप खुद को और आपके बच्चे को सुरक्षित रख सकती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. चिकनगुनिया के दुष्प्रभाव क्या हैं?

चिकनगुनिया से अभी तक किसी की मृत्यु हो जाने की रिपोर्ट सामने नहीं आई है। हालांकि, इसका आपकी सेहत पर लंबे समय तक असर हो सकता है, जिसमें जोड़ों का दर्द और त्वचा पर रैशेज के निशान पूरी तरह ठीक होने में समय लग सकता है।

2. चिकनगुनिया के बाद क्या होता है?

चिकनगुनिया ठीक होने के बाद भी जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द महसूस हो सकता है और कभी-कभी बुखार और थकान होती है, ऐसा चिकनगुनिया ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक रह बना रह सकता है।

3. अगर मुझे चिकनगुनिया हो चुका है तो क्या यह फिर से हो सकता है?

अगर आपको एक बार चिकनगुनिया हो चुका है, तो आपके शरीर में इस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है। अब तक किसी को दोबारा चिकनगुनिया होने का मामला सामने नहीं आया है।

4. चिकनगुनिया कितने दिनों तक रहता है?

चिकनगुनिया आमतौर पर 3 से 7 दिनों में फैलता है, जिसमें अचानक बुखार आ जाता है। चिकनगुनिया संक्रमण कुल 1 से 12 दिनों तक रह सकता है।

5. चिकनगुनिया से ठीक होने में कितना समय लगता है?

अगर सही देखभाल और इलाज मिले, तो संक्रमण 10 दिनों में ठीक होने लगता है। लेकिन कमजोरी और जोड़ों का दर्द हफ्तों या महीनों तक रह सकता है।

6. अगर मुझे चिकनगुनिया हुआ तो क्या यह मेरे बच्चे को नुकसान पहुंचाएगा?

गर्भावस्था में माँ से बच्चे को चिकनगुनिया नहीं होता। लेकिन अगर माँ को प्रसव से ठीक पहले चिकनगुनिया हो जाए, तो बच्चे में वायरस पहुँच हो सकता है। अगर ऐसा हो जाता है तो फिर बच्चे को तुरंत इलाज और माँ से अलग रखने की जरूरत होती है।

गर्भावस्था के दौरान कोई भी बीमारी माँ पर असर डालती है और इसके परिणामस्वरूप बच्चे पर भी प्रभाव पड़ता है। चिकनगुनिया भी ऐसा ही एक बीमारी है। लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि चिकनगुनिया जानलेवा बीमारी नहीं है। अगर आप सही सावधानी बरतें और समय पर इलाज करवाएं, तो आप पूरी तरह से ठीक हो सकती हैं। इसलिए, अपनी सेहत का ख्याल रखें और डॉक्टर की सलाह का पालन करती रहें।

References/Resources:

1. What is chikungunya fever, and should I be worried?; Mayo Clinic; https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/infectious-diseases/expert-answers/what-is-chikungunya-fever/faq-20109686

2. Foeller ME, Nosrat C, Krystosik A, Noel T, Gérardin P, Cudjoe N, Mapp-Alexander V, Mitchell G, Macpherson C, Waechter R, LaBeaud AD. Chikungunya infection in pregnancy – reassuring maternal and perinatal outcomes: a retrospective observational study. BJOG.; PubMed Central; https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC8035284/; May 2021

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7. Basurko. C, Hcini. N, et al.; Symptomatic Chikungunya Virus Infection and Pregnancy Outcomes: A Nested Case-Control Study in French Guiana; Viruses; MDPI; https://www.mdpi.com/1999-4915/14/12/2705; 2022

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समर नक़वी

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