गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान क्रैनबेरी (करौंदा) का सेवन – फायदे और जोखिम

क्रैनबेरी यानी जिसे हम आम बोलचाल में करौंदे के नाम से जानते हैं, में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं। ये सभी चीजें शरीर में फ्री रैडिकल्स को नियंत्रित करती हैं और कई सारी समस्याओं को भी ठीक करती हैं। क्रैनबेरी (करौंदा) खाने से गर्भावस्था के दौरान इन्फेक्शन को प्रभावी रूप से ठीक होने में मदद मिलती है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान क्रैनबेरी खाने से इसके कुछ नुकसान भी होते हैं। यदि किसी गर्भवती महिला को डायबिटीज है तो उसे क्रैनबेरी नहीं खानी चाहिए क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा बहुत होती है और यह ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा सकती है और महिलाओं में फायदे से ज्यादा नुकसान पहुँचा सकती है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में क्रैनबेरी खाने से डायरिया, चक्कर आना, थकान, सिर में दर्द और बार-बार पेशाब लगने की समस्या भी हो सकती है जिससे गर्भवती महिलाओं की असुविधाएं बढ़ती हैं। 

क्रैनबेरी में कैलोरी और न्यूट्रिशन की मात्रा

क्रैनबेरी (करौंदा) खट्टी बेरी होती है और इसका सेवन स्वीटनर्स या अन्य फलों को मिलाकर जूस के रूप में किया जाता है। लगभग 100 ग्राम क्रैनबेरी में कितना न्यूट्रिशन होता है यह नीचे दी हुई टेबल में बताया गया है, आइए जानें;

न्यूट्रिशन (प्रति 100 ग्राम) मात्रा
कैलोरी 46
पानी 90%
कार्बोहाइड्रेट 12 ग्राम
शुगर (साधारण शुगर – सुक्रोस, ग्लूकोज और फ्रुक्टोस) 4 ग्राम
फाइबर 5 ग्राम
प्रोटीन, फैट, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 नाममात्र

गर्भावस्था के दौरान क्रैनबेरी खाने और इसका जूस पीने के फायदे

प्रेगनेंसी एक ऐसा समय होता है जब महिलाओं को शरीर में विटामिन और मिनरल के रूप में ज्यादा न्यूट्रिशन की जरूरत होती है। इसलिए रोजाना विभिन्न प्रकार के फल खाने से बच्चे का विकास हेल्दी व तेजी से होता है और गर्भवती महिला में भी कोई समस्या या इन्फेक्शन नहीं होता है। करौंदा भी एक ऐसा ही फल है गर्भावस्था में जिसे खाने से बहुत सारे फायदे मिलते हैं और सभी समस्याएं कम हो जाती हैं। करौंदे या क्रैनबेरी खाने से होनेवाले कुछ फायदे इस प्रकार हैं;

1. सूजन को ठीक होने में मदद मिलती है

गर्भावस्था के दौरान शरीर में काफी सूजन होती है जिस वजह से महिलाओं को अनेक रोग लग सकते हैं, जैसे दिल की बीमारी, ऑटोइम्यून रोग, डायबिटीज, एलर्जी इत्यादि। ऐसा कहा जाता है कि करौंदे में एंटीऑक्सीडेंट्स बहुत ज्यादा मात्रा में होते हैं जो शरीर में सेल्स को फ्री रैडिकल्स से होने वाली क्षति से सुरक्षित रखते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट्स प्राकृतिक रूप से सूजन को कम करने में मदद करते हैं। 

2. इम्युनिटी मजबूत होती है

गर्भावस्था के दौरान और डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। क्रैनबेरी में प्रोएंथोस्यानिडींस (फलों और फूलों में पाए जानेवाले कंपाउंड) भारी मात्रा में होते हैं जो शरीर में इम्युनिटी को मजबूत रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा क्रैनबेरी आंतों की दीवार में बैक्टीरिया बढ़ने या एकत्रित होने नहीं देती। यह इम्युनिटी बढ़ाने वाले बैक्टीरिया को बढ़ाती है और शरीर को हर बीमारी व रोगों से दूर रखती है। 

3. यू.टी.आई. (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) नहीं होता

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ता है जिसकी वजह से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है और इससे ब्लैडर से यूरिन निकलने की जगह ब्लॉक हो जाती है। इससे यूरिनरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन हो सकता है। क्रैनबेरी में मौजूद कुछ ऑक्सीडेंट्स यूरिनरी ट्रैक्ट में चिपके कुछ बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं जिसकी मदद से इन्फेक्शन होने की संभावना कम हो जाती है।

4. ओरल हाइजीन के लिए फायदेमंद है

गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को दाँतों में समस्याएं होती हैं। इस समय यदि आप दिनभर में एक मुट्ठी करौंदे खाती या इसका जूस (250 मिलीलीटर) जूस पीती हैं तो इससे दाँतों की समस्या, प्लाक और कैविटी की समस्या ठीक हो सकती है। 

5. कब्ज नहीं होता

गर्भावस्था में कब्ज होना बहुत आम है। करौंदे में फाइबर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जो कब्ज की समस्या को ठीक करने में मदद करती है। 

6. शरीर हाइड्रेटेड रहता है

विशेषकर गर्भावस्था के दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है। ताजी क्रैनबेरी में लगभग 90% पानी होता है। इसलिए इसे नियमित रूप से खाने से शरीर को हाइड्रेटेड रहने में मदद मिलती है। 

7. वॉटर रिटेंशन (एडिमा) नहीं होता

गर्भावस्था के दौरान एडिमा होना बहुत आम है। क्रैनबेरी का जूस प्राकृतिक रूप से डायरेटिक (मूत्रवर्धक) होता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसे नियमित लेने से शरीर में पानी ठहरने या वॉटर रिटेंशन की समस्या कम या ठीक हो जाती है। 

2013 में हुई स्टडी के अनुसार गर्भावस्था के दौरान क्रैनबेरी खाने से बढ़ते बच्चे को कोई भी हानि नहीं है – उस समय स्टडी में बताया गया था कि करौंदा खाने से मृत बच्चे का जन्म, जन्म के समय बच्चे का वजन कम, समय से पहले जन्म, जन्म के समय बच्चे की मृत्यु होने जैसी कोई भी समस्याएं नहीं हैं। उस स्टडी में यह भी बताया गया था कि गर्भावस्था के दौरान क्रैनबेरी खाना पूरी तरह से सुरक्षित है। 

गर्भावस्था के दौरान क्रैनबेरी खाने के जोखिम

ऐसा कहा जाता है कि गर्भावस्था के दौरान क्रैनबेरी का सेवन करने से अद्भुत फायदे होते हैं। यह गर्भावस्था से संबंधित सभी समस्याओं को कम कर सकता है। हालांकि ऐसा भी कहा जाता है कि इसे खाने से कुछ खतरे भी हो सकते हैं। यदि गर्भवती महिलाएं इसका सेवन बहुत ज्यादा मात्रा में करती हैं तो इससे उन्हें बहुत सारी समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए गर्भावस्था में क्रैनबेरी खाते समय सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। यहाँ गर्भावस्था के समय क्रैनबेरी खाने के कुछ जोखिम भी दिए हुए हैं, आइए जानें;

  • बहुत ज्यादा मात्रा में क्रैनबेरी खाने या इसका जूस पीने से लूज मोशन या डायरिया हो सकता है।
  • क्रैनबेरी की बहुत ज्यादा टेबलेट लेने से यूरिन में ऑक्सेलिक एसिड बढ़ सकता है जिससे किडनी में स्टोन्स होने का खतरा होता है।
  • यदि किसी गर्भवती महिला को लिवर या पेट में अल्सर की समस्या है तो उन्हें किसी भी प्रकार से क्रैनबेरी नहीं खानी चाहिए।

गर्भवती महिलाओं के लिए क्रैनबेरी की रेसिपीज

गर्भावस्था के दौरान खट्टा खाने की क्रेविंग्स को पूरा करने के लिए करौंदा सबसे बेहतरीन फल है। इसे महिलाएं अक्सर मतली की समस्या को कम करने के लिए ही खाती हैं। यहाँ इसकी कुछ रेसिपीज दी हैं, आइए जानें;

1. क्रैनबेरी का अचार

क्रैनबेरी में सरसों का तेल, मसाले मिलाकर इसका अचार बनाया जाता है। इसे बहुत आसानी से बनाया जा सकता है और आप इसे मुरी (पफ्ड राइस), पराठे या दाल चावल के साथ भी खा सकती हैं। 

सामग्री 

  • क्रैनबेरी: 500 ग्राम
  • सरसों का तेल: 500 मिलीलीटर
  • सरसों के बीज: 2 बड़े चम्मच
  • जीरा: 5 बड़े चम्मच
  • धनिया के बीज: 4 बड़े चम्मच
  • मेथी के बीज: 1 बड़ा चम्मच
  • मिर्च पाउडर: 2 बड़े चम्मच (स्वादानुसार)
  • नमक: स्वादानुसार

विधि 

  • सबसे पहले क्रैनबेरी को धोकर अच्छी तरह से सुखा लें।
  • अब इसे 2 भाग में काटें।
  • अब आप इसमें मिर्च और नमक मिलाएं। अब इसे कुछ देर के लिए मलमल के कपड़े से ढक कर धूप में रखें और बीच-बीच में हिलाती रहें।
  • आप इसे लगभग 5 से 7 दिनों तक धूप में तब तक रखें जब तक यह पूरी तरह से सूख न जाए।
  • सभी खड़े मसालों को रोस्ट करें और इसे पीसकर पाउडर बना लें।
  • एक शीशे के जार में क्रैनबेरी, सरसों का तेल और पिसा हुआ मसाला डालकर अच्छी तरह से मिला लें।
  • जार को एक बार अच्छी तरह से हिलाएं और अचार के स्वाद का आनंद लें।

2. क्रैनबेरी का जूस

क्या गर्भावस्था में क्रैनबेरी का जूस पीना सुरक्षित है? हाँ पर संयमित मात्रा में पीना ही बेहतर होगा। इससे गर्भावस्था में होनेवाली कई समस्याएं और रोग दूर हो सकते हैं। 

सामग्री 

  • क्रैनबेरी
  • पानी
  • चीनी का सिरप या शहद (ऑप्शनल)

विधि 

  • सबसे पहले एक बड़े पैन में पानी और क्रैनबेरी डालें और इस मिश्रण को उबाल लें।
  • अब आंच कम करके इसे तब तक पकाएं जब तक यह फूट कर खुल न जाए और मुलायम न हो जाए।
  • पकने के बाद इस को मलमल के कपड़े या छन्नी से छान लें।
  • यदि जूस बहुत ज्यादा खट्टा है तो आप इसमें चीनी का सिरप या शहद मिला सकती हैं।
  • आप चाहें तो इसमें कोई अन्य जूस भी मिला सकती हैं।

3. क्रैनबेरी का जैम

यह क्रैनबेरी का उपयोग करके बनाई जानेवाली सबसे सरल और स्वादिष्ट रेसिपी है। 

सामग्री 

  • फ्रेश क्रैनबेरी: 250 ग्राम
  • पानी: 1 कप
  • शुगर: 1 कप
  • गुड़: 2 कप
  • सिरका: ½ कप
  • इलायची: ½ छोटा चम्मच

विधि 

  • सबसे पहले आप क्रैनबेरी को धोएं और तब तक उबालें जब तक इसकी ऊपरी परत न निकल जाए।
  • अब आधी पकी हुई क्रैनबेरी की प्यूरी बना लें।
  • एक पैन में चीनी, गुड़, सिरका, इलायची पाउडर डालें और इसे उबाल लें।
  • अब इसमें क्रैनबेरी डालकर तब तक पकाएं जब तक इसकी कंसिस्टेंसी जैम जैसी न बन जाए।

क्रैनबेरी को अद्भुत बेरी भी कहा जाता है क्योंकि यह कई सारी ऐसी समस्याओं को ठीक करने में मदद करती है जिससे गर्भावस्था के दौरान शरीर कमजोर होता है, संवेदनशीलता बढ़ती है और इम्युनिटी कमजोर होती है। हालांकि इसे बहुत ज्यादा मात्रा में खाने से तकलीफ भी हो सकती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में क्रैनबेरी शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और पूरी सावधानी बरतें। 

स्रोत और संदर्भ:
स्रोत १
स्रोत २

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी के दौरान चेरी खाना
प्रेगनेंसी के दौरान फूलगोभी खाना

सुरक्षा कटियार

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