In this Article
सायटोमेगालोवायरस आमतौर पर किसी भी व्यक्ति में हो सकता है। इससे बड़ों में माइल्ड इन्फेक्शन होता है जिससे कोई भी गंभीर समस्या नहीं होती है और इसमें किसी भी विशेष ट्रीटमेंट की भी जरूरत नहीं है। यद्यपि ऐसा बड़ों में होता है पर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में इसे गंभीर रूप से ठीक करना जरूरी है। गर्भवती महिलाओं को सीएमवी बहुत आसानी से हो जाता है जिसकी वजह से जन्म के दौरान बच्चों को भी यह इन्फेक्शन हो जाता है।
सायटोमेगालोवायरस हर्पीसविरिडाय से संबंधित है और यह एक बहुत आम कंजेनिटल वायरस इन्फेक्शन है जो हर आयु के लोगों को प्रभावित कर सकता है। लगभग हर किसी को अपने जीवन में एक बार यह वायरस जरूर प्रभावित करता है। यह वायरस एक हेल्दी व्यक्ति में निष्क्रिय रूप से बिना किसी लक्षण के हमेशा रहता है और यदि यह एक्टिव भी हो गया तो ट्रीटमेंट के बिना ही इम्यून सिस्टम इससे लड़ता है। यदि किसी व्यक्ति का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर है तो उसे सीएमवी इन्फेक्शन गंभीर रूप से हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप एचआईवी होने की संभावनाएं हैं। कंजेनिटल सीएमवी इन्फेक्शन तब होता है जब जन्म के दौरान बच्चे को यह इन्फेक्शन हो जाता है। यदि बिना किसी जेनेटिक कारण के बच्चे को सुनने में दिक्कत होती है या उसे सुनाई नहीं देता है तो इसका मतलब है कि उसे सीएमवी इन्फेक्शन हुआ है। सीएमवी इन्फेक्शन और गर्भावस्था के बारे में चर्चा करना जरूरी है क्योंकि इससे बच्चे के स्वास्थ्य को खतरा होता है।
सीएमवी बहुत आम वायरस है और यह पूरी दुनिया को प्रभावित करता है। यह अनुमान लगाया गया है कि 20 साल की आयु तक आते-आते लगभग 40% लोगों को यह वायरस प्रभावित कर देता है। संक्रमित व्यक्ति से किसी भी प्रकार के नजदीकी संपर्क से यह वायरस एक हेल्दी व्यक्ति में भी ट्रांसमिट हो सकता है।
सीएमवी फ्लूइड के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इस फ्लूइड में सलाइवा, यूरिन, दवा, आंसू, वजायनल डिस्चार्ज, सीमेन, ब्रेस्ट मिल्क और शरीर के अन्य डिस्चार्ज भी शामिल हैं। सीएमवी इन्फेक्शन खाने, पानी और जानवरों से संबंधित नहीं है। यद्यपि यह वायरस बहुत ज्यादा प्रभावी है इसलिए घर में ही बर्तनों या संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक रूप से संपर्क में आने से भी यह वायरस फैलता है। टॉडलर्स और स्कूल जाने वाले बच्चों में भी एक दूसरे से सीएमवी इन्फेक्शन फैलने का खतरा होता है।
सीएमवी से ग्रसित व्यक्ति में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और इसमें उसे यह नहीं पता होता है कि उसे इन्फेक्शन है। यदि लक्षण हैं तो ये अस्पष्ट होते हैं और यह वायरल इन्फेक्शन या जुकाम के लक्षणों के समान होते हैं इसलिए आप कंफ्यूज हो सकती हैं। इसमें निम्नलिखित कुछ लक्षण शामिल हैं, आइए जानें;
इससे गर्भवती महिला का इम्यून सिस्टम बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से महिला को गर्भावस्था के अन्य इन्फेक्शन भी हो सकते हैं।
जब साइटोमेगालोवायरस महिला से गर्भ में ही बच्चे को होता है तो उसे कंजेनिटल साइटोमेगालोवायरस इन्फेक्शन कहते हैं। यह इन्फेक्शन जन्म के दौरान बच्चे में रहता है। गर्भावस्था के किसी भी चरण में सीएमवी इन्फेक्शन हो सकता है और यह प्लेसेंटा से बच्चे में भी जा सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं;
कई मामलों में जन्म के दौरान बच्चे में कोई भी लक्षण नहीं होते हैं पर यह इन्फेक्शन बाद में शारीरिक व मानसिक रूप से प्रभावित कर सकता है।
सीएमवी के लक्षण सामान्य जुकाम और खांसी के लक्षणों के समान ही होते हैं इसलिए आप कन्फ्यूजन भी हो सकती हैं। यह इन्फेक्शन पूरे जीवन में एक बार सभी को होता है और एक बार प्रवेश करने के बाद यह वायरस निष्क्रिय रूप से शरीर में ही रहता है। इसके डायग्नोसिस में साधारण खून की जांच होती है या फिर शरीर के अन्य फ्लूइड और यहाँ तक कि टिश्यू की भी जांच होती है। यदि महिला को सीएमवी वायरस है तो इसके अनुसार ही यदि आवश्यक हो तो डॉक्टर ट्रीटमेंट कराने की सलाह देते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान महिला को सीएमवी वायरस होता है तो डॉक्टर बच्चे में इन्फेक्शन के लिए उसकी भी जांच करते हैं। यह अक्सर अल्ट्रासाउंड से किया जाता है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि बच्चे में सीएमवी से संबंधित कोई भी अब्नोर्मलिटी न हुई हो और इसे एम्नियोसेंटेसिस के परिणाम आने के बाद किया जा सकता है। कंजेनिटल सीएमवी के मामले में डॉक्टर को बच्चे के जन्म के समय या दो सप्ताह के अंदर जांच करनी चाहिए।
सीएमवी की वजह से इन्फेक्शन बहुत माइल्ड होता है और इसके कोई भी विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। अगर महिला का इम्यून सिस्टम कमजोर नहीं है तो उसे इस इन्फेक्शन से स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या नहीं होगी। यहाँ तक कि जन्म के दौरान बच्चे को यह इन्फेक्शन होता है तो लगभग 80% बच्चों में ये लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और इससे भविष्य में भी कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं होती है। हालांकि बचे हुए 20% बच्चों में यह इन्फेक्शन गंभीर रूप से होता है जिनमें निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं, आइए जानें;
यहाँ तक कि जन्म के दौरान बच्चे में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं पर फिर भी आगे चलकर उसमें निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं;
चूंकि जीवन में पहले भी महिलाओं ने सीएमवी इन्फेक्शन को ठीक किया होगा इसलिए कई गर्भवती महिलाओं के शरीर में सीएमवी से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज होते हैं। इसलिए माँ को इस वायरल इन्फेक्शन से कोई भी गंभीर खतरा नहीं होता है। हालांकि यदि बच्चे में यह इन्फेक्शन पहुँचता है तो उसे खतरा हो सकता है।
यदि गर्भावस्था में सीएमवी की जांच नहीं की गई तो इस दौरान या डिलीवरी के समय माँ से बच्चे को भी यह वायरस हो सकता है। यह वायरस महिला को किस स्टेज पर हुआ है उसके अनुसार ही यह प्लेसेंटा के माध्यम से बच्चे तक पहुँच सकता है। यदि गर्भवती महिला पहली तिमाही के बाद ही इस वायरस का इलाज कर लेती है तो इससे बच्चे को सीएमवी होने की संभावनाएं कम हैं पर यदि महिला को गर्भावस्था की शुरुआत में ही सीएमवी हो जाता है तो जन्म के दौरान बच्चे को यह इन्फेक्शन होना संभव है। इसके अलावा जन्म के दौरान या बाद में भी इसके ज्यादातर लक्षण नहीं दिखते हैं।
इस समस्या के ट्रीटमेंट की जरूरत बड़ों को नहीं होती है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम इस इन्फेक्शन से लड़ने में सक्षम है। पर कुछ मामलों में डॉक्टर आपको एंटीवायरल दवा दे सकते हैं।
इस इन्फेक्शन से सुरक्षित रहने के कई आसान तरीके हैं। कुछ तरीकों से आप अपने शरीर में यह वायरस जाने से रोक सकती हैं, जैसे लाइफस्टाइल हाइजीनिक रखें, सलाइवा या यूरिन के संपर्क में आए हुए खिलौनों और जमीन को साफ करें। यदि बच्चे में इसके लक्षण दिखाई देते हैं तो आप रिकवरी होने तक उसे किसी अन्य बच्चे के साथ न रखें।
यदि जन्म के दौरान बच्चे को कंजेनिटल सीएमवी होता है तो डॉक्टर द्वारा उसका इलाज एंटीवायरस ड्रग्स के साथ अन्य दवाइयों से भी करना बहुत जरूरी है। इस स्थिति में बच्चे की नियमित रूप से जांच करवाना बहुत जरूरी है ताकि चेक किया जा सके कि उसमें देखने और सुनने की क्षमता तो कम नहीं हुई है।
यद्यपि इस वायरस से बड़ों पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है पर यह बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है क्योंकि इससे बच्चे को सुनने में कठिनाई हो सकती है। इस वायरस के लक्षण जुकाम और खांसी जैसे ही होते हैं जो आपको कंफ्यूज कर सकते हैं। इसलिए डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को सीएमवी आईजीजी टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं।
यह भी पढ़ें:
गर्भवस्था के दौरान यूटीआई इन्फेक्शन होना
गर्भावस्था के दौरान पेट में इन्फेक्शन (गैस्ट्रोएन्टराइटिस)
गर्भावस्था को प्रभावित करने वाले 7 वायरल इन्फेक्शन
बच्चों को कोई भी भाषा सिखाते समय शुरुआत उसके अक्षरों यानी स्वर और व्यंजन की…
बच्चों का बुरा व्यवहार करना किसी न किसी कारण से होता है। ये कारण बच्चे…
हिंदी देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है, अंग्रेजी का उपयोग आज लगभग हर क्षेत्र…
हिंदी भाषा में हर अक्षर से कई महत्वपूर्ण और उपयोगी शब्द बनते हैं। ऐ अक्षर…
हिंदी भाषा में प्रत्येक अक्षर से कई प्रकार के शब्द बनते हैं, जो हमारे दैनिक…
हिंदी की वर्णमाला में "ऊ" अक्षर का अपना एक अनोखा महत्व है। यह अक्षर न…