गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस (जीबीएस) संक्रमण होना

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स्वस्थ वयस्कों में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस (जीबीएस) का होना, हानिरहित कमेन्सिल जीवाणु (जो मानव शरीर से लाभ तो प्राप्त करता हैं, लेकिन उन्हें कोई नुकसान या लाभ नहीं पहुँचाता है) जो जठरांत्र मार्ग और जननांग क्षेत्र में मौजूद होते है।हालांकि, जीबीएस बुजुर्गों और नवजात शिशुओं को उनकी इम्युनिटी सिस्टम कमजोर होने के कारण उन्हें जल्दी अपना शिकार बनाता, जो कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में घातक हो सकता है। अधिकांश महिलाओं को प्रसव के दौरान जीबीएस संक्रमण होता है, जो बच्चे में भी प्रसारित होता है, लेकिन यह किसी बड़ी चिंता का विषय नहीं है।

ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस क्या है?

ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस जिसे ग्रुप बी स्ट्रेप के रूप में भी जाना जाता है, ये कई अलगअलग प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं जो हमारे शरीर में पाचन, मूत्र और प्रजनन मार्ग में पनपते हैं। लगभग एक तिहाई आबादी, आंतों में पाई जाने वाली जीबीएस की समस्या से ग्रसित है, यह बिना आपकी जानकारी के शरीर में प्रवेश करते हैं और बाहर निकल जाते हैं । ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि 25% होने वाली माओं की योनि मार्ग में जीबीएस बैक्टीरिया मौजूद होता है।

नवजात शिशु में ग्रुप बी स्ट्रेप संक्रमण होने का कारण क्या है?

ऐसे कुछ तरीके हैं जिसके माध्यम से जीबीएस से पीड़ित माँ, इस बैक्टीरिया को अपने नवजात में प्रसारित कर सकती है। लगभग 50% माएं गर्भावस्था और योनि जन्म के दौरान अपने बच्चे में यह बैक्टीरिया प्रसारित करती हैं। हालांकि, जीबीएस संक्रमण मानव जठरांत्र मार्ग (ह्यूमन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट) में उपस्थिति जीबीएस से अलग होता है। इसके कुछ कारण नीचे बताए गए हैं:

  • गर्भावस्था के दौरान जीबीएस मूत्र मार्ग संक्रमण होना
  • प्रसव के 37 सप्ताह से पहले मेम्ब्रेन का फट जाना
  • संक्रमित माओं में डिलीवरी से 18 घंटे पहले मेम्ब्रेन का फट जाना
  • 35-37 सप्ताह में जीबीएस परीक्षण का सकारात्मक परिणाम आना
  • बच्चे का जन्म समय से पहले होता है
  • प्लासेंटल टिश्यू और एमनियोटिक द्रव का संक्रमण

ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस द्वारा लोग कैसे संक्रमित होते हैं

स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया का ग्रुप बी लोगों के शरीर में पाया जाने वाला सूक्ष्म जीव है और इससे होना वाला संक्रमण यौन संचारित रोग नहीं है। ये जीवाणु बिना किसी लक्षण के शरीर में प्रवेश करते हैं और निकल जाते हैं। हालांकि यह अज्ञात है कि इस बैक्टीरिया से लोगों को गंभीर रूप से संक्रमण क्यों होता है। कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं जो इम्युनिटी सिस्टम को कमजोर करती हैं जैसे यकृत का रोग, कैंसर, मधुमेह और एचआईवी संक्रमण आदि, इसके जोखिम को बढ़ा सकती हैं। 65 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोग, जो नर्सिंग होम में रहते हैं, उन्हें भी ग्रुप बी स्ट्रेप से संक्रमित होने का खतरा रहता है।

ग्रुप बी स्ट्रेप का निदान करना

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के 35 से 37 सप्ताह के बीच एक ग्रुप बी स्ट्रेप टेस्ट करवाना चाहिए, क्योंकि इस समय नवजात शिशुओं में इससे संक्रमित होने का अधिक खतरा होता है। परीक्षण प्रक्रिया में योनि और गुदा का एक स्वाब टेस्ट के लिए लिया जाता है जिसे प्रयोगशाला में कल्चर टेस्ट के लिए भेजा जाता है। यदि परिणाम सकारात्मक आते हैं, तो इसका मतलब है कि आप में जीबीएस बैक्टीरिया मौजूद हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप बीमार हैं या आपका बच्चा इससे प्रभावित होगा। इसका केवल यह मतलब है कि नवजात शिशु को संक्रमण होने का खतरा हो सकता है और यह जानने के बाद आप बच्चे की सुरक्षा के लिए कदम उठा सकती हैं।

यदि जीबीएस परीक्षण परिणाम सकारात्मक आते हैं और आपको यह संदेह है कि कहीं आपका बच्चा भी इससे संक्रमित न हो जाए, तो इसके लिए बच्चे के स्पाइनल फ्लूइड और रक्त का नमूना लेकर विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में भेज सकती हैं। एक सकारात्मक निदान तब दिया जाता है जब जीबीएस बैक्टीरिया स्वाब के नमूनों में कल्चर पाए जाते हैं। इसके परिणाम आने में दो से तीन दिन लग सकते हैं क्योंकि कल्चर को बढ़ने में समय लगता है।

नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस संक्रमण

नवजात शिशु और छोटे बच्चों में ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस दो मुख्य श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं, जैसा कि नीचे बताया गया है:

जल्द शुरआत: ये संक्रमण का सामान्य प्रकार है, बच्चे के जन्म के बाद के पहले 24 घंटों में, ग्रुप बी स्ट्रेप की शुरुआत कहीं से भी हो सकती है। अध्ययनों के अनुसार 90% शिशु जिन्हे शुरुआत में संक्रमण हो जाता है, उनमें आपको पहले 24 घंटों के भीतर बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

देर से शुरुआत: यहाँ उन मामलों की बात की जा रही है जिसमें जीबीएस संक्रमण के लक्षण बच्चों में पहले सप्ताह से लेकर शुरुआती तीन महीनों तक दिखाई देते हैं, दोनों ही मामलों में इसके लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं, जैसे कि बुखार होना, खाने में परेशानी होना, शरीर का तापमान असामान्य होना आदि।

ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस के लक्षण

संक्रमण के संकेत पहले 24 घंटों से लेकर एक सप्ताह तक या तीन महीने बाद तक कभी भी दिखाई दे सकते हैं। जब बच्चे का परीक्षण किया जाता है कि उसे जीबीएस है या नहीं, तब यह बहुत जरूरी है कि आप ध्यान दें की बच्चे के व्यवहार में असामान्य रूप से कोई बदलाव तो नहीं हो रहा है, जैसे ठीक से भोजन न करना, उल्टी, बुखार, अत्यधिक चिड़चिड़ापन होना आदि।

शुरुआत और देर से दिखाई देने वाले स्ट्रेप्टोकॉकस बैक्टीरिया के संक्रमण के लक्षण लगभग समान होते हैं। ये लक्षण कुछ इस प्रकार हैं :

  • साँस लेने में दिक्कत होना
  • बुखार
  • खाना खाने में दिक्कत होना
  • सुस्ती के कारण शिशु को जगाने में मुश्किल होना
  • अचानक से अंगहीनता
  • अत्यधिक ऐंठन
  • चिड़चिड़ापन होना
  • शरीर का तापमान अस्थिर होना
  • दौरे पड़ना

माँ और बच्चे के लिए ग्रुप बी स्ट्रेप का उपचार

माँ और बच्चे में पाए जाने वाले ग्रुप बी स्ट्रेप को एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए प्रभावी ढंग से ठीक किया जा सकता है। यदि बैक्टीरिया की जाँच करने पर सकारात्मक परिणाम मिलता है, तो माँ को प्रसव में जाने से कुछ घंटे पहले एंटीबायोटिक दवाओं की खुराक दी जाती है। आदर्श रूप से इसे प्रसव के चार घंटे पहले ड्रिप के जरिए दिया जाता है। यदि बच्चों कि बात की जाए तो, ऐसे कई कारक हैं जिसके आधार पर बच्चों को एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं । कारक हैं:

  • यदि शिशु और माँ दोनों स्वस्थ हैं और माँ को प्रसव के दौरान एंटीबायोटिक दवाएं दी गई हैं, तो शिशु को इसकी आवश्यकता नहीं होती है।
  • यदि प्रसव के दौरान माँ को एंटीबायोटिक नहीं दिया गया है, तो बच्चे को एंटीबायोटिक देना चाहिए जब तक इसके लक्षण पूरी तरह से खत्म न हो जाएं।
  • यदि बच्चे में जीबीएस संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं, तो इनका तुरंत एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए से उपचार करना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान ग्रुप बी स्ट्रेप को होने से कैसे रोकें

गर्भावस्था के दौरान जीबीएस बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण को रोकने का कोई तरीका नहीं है और न ही इस समय इसके लिए कोई टीका उपलब्ध है। इसके जोखिम को कम करने का एकमात्र तरीका यह है कि 35 से 37 सप्ताह के बीच आपको जीबीएस परीक्षण करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह पर प्रसव से पहले एंटीबायोटिक दवाएं लेनी चाहिए। जिन महिलाओं में जीबीएस का सकारत्मक परिणाम आता है और उन्होंने प्रसव के दौरान एंटीबायोटिक लिया होता है, उनके बच्चों में जीबीएस संक्रमण का खतरा कम होता है यह केवल 4000 में से किसी 1 को होता है, जबकि जिन महिलाओं को एंटीबायोटिक नहीं दिया जाता है, उनमें इसका खतरा 200 में से 1 को होता है।

माँ और बच्चे के लिए जीबीएस बैक्टीरिया के जोखिम

जीबीएस बैक्टीरिया शिशुओं में ग्रुप बी स्ट्रेप रोग के कारण बनता है, जिसके लक्षण शुरुआत या देर से में कभी भी दिखाई दे सकते हैं और ये लंबे समय तक बना रह सकते है।इस संक्रमण के होने का कारण सेप्सिस (रक्त प्रवाह का संक्रमण) और निमोनिया (संक्रमण और फेफड़ों की सूजन) है। सबसे अधिक खतरा मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क के चारों ओर तरल पदार्थ का संक्रमण) होता है, जो बच्चे मेनिन्जाइटिस से बच जाते हैं, उनमें आगे चलकर बहरेपन, अंधापन और विकास संबंधी विकार जैसी दीर्घकालीन समस्याएं हो सकती हैं।

गर्भवती महिलाओं में, जीबीएस संक्रमण मूत्र मार्ग के संक्रमण, गर्भाशय और गर्भनाल में संक्रमण, अपरिपक्व प्रसव, गर्भपात और भ्रूण की मृत्यु का कारण बन सकता है।

एंटीबायोटिक लेने से क्या जटिलताएं हो सकती हैं

ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस में दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं में से एक है पेनिसिलिन। पेनिसिलिन ज्यादातर लोगों को इस संक्रमण से राहत देने में मदद करती है, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे कि चकत्ते पड़ना, दस्त और मतली आना। कुछ महिलाओं को तो इससे गंभीर एलर्जी (एनाफिलेक्सिस) हो जाने का भी खतरा होता है, लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ मामलों में होता है जो लगभग 100,000 में से किसी 1 को होता है। यदि आपको पेनिसिलिन से एलर्जी है तो ग्रुप बी स्ट्रेप का इलाज करने के लिए आप वैकल्पिक एंटीबायोटिक दवा के रूप में क्लिंडामाइसिन ले सकती हैं।

एंटीबायोटिक लेने से बच्चे के पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ सकता है, इसके लिए डॉक्टर बच्चों को अलग से दवा देते हैं। जबकि कुछ डॉक्टर एंटीबायोटिक देने के पहले 12 घंटे या उससे अधिक समय तक इंतजार करना जरूरी समझते हैं।

क्या जीबीएस टेस्ट के परीक्षण सटीक होते हैं?

जीबीएस संक्रमण की जाँच का परिणाम सटीक आता है, लेकिन इसका परिणाम मिलने में कुछ दिन लगते हैं। कुछ अस्पताल रैपिड जीबीएस टेस्ट करते हैं जो प्रसव के दौरान किया जाता है और इसका परिणाम एक घंटे के अंदर मिल जाता है, लेकिन रैपिड टेस्ट की सटीकता कम होती है। बेहतर होगा कि 35 से 37 सप्ताह के बीच जीबीएस परीक्षण कराए जाएं।

अगर आपका ग्रुप बी स्ट्रेप टेस्ट पॉजिटिव होता है, तो क्या होगा?

ग्रुप बी स्ट्रेप के सकारात्मक परीक्षण परिणाम आने का यह मतलब नहीं है कि आपके बच्चे को भी यह संक्रमण जरूर होगा। यदि आप समय रहते इसकी जाँच करा लेती हैं, तो आपके डॉक्टर बच्चे को संक्रमित होने बचाने के लिए बेहतर कदम उठा सकते हैं।

अपने आपको बिमारियों से बचाने के लिए गर्भावस्था के दौरान समयसमय पर जाँच कराती रहा करें। भले ही ग्रुप बी स्ट्रेप आपके बच्चे के लिए बहुत हानिकारक नहीं होता है, लेकिन बेहतर होगा अगर आप उन्हें इससे सुरक्षित रखें और जितना हो सके खुद का खयाल रखें।

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समर नक़वी

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