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यदि आप पहली बार गर्भवती हुई हैं तो आपको पहली बार अपनी जांच करवाने की चिंता होना स्वाभाविक है और साथ ही आप यह भी सोचती होंगी कि गर्भावस्था के दौरान आपको न जाने कितनी बार इस तरह चेक अप में होने वाली असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि यदि आपकी गर्भावस्था में कोई भी कॉम्प्लिकेशन नहीं है जिसकी वजह से आपको वजाइनल जांच करवानी पड़ सकती है तो आपको बार-बार इंटर्नल जांच से जुड़ी असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। यहाँ हमने गर्भावस्था के दौरान होने वाली सभी शारीरिक जांच और वजाइनल जांच के बारे में चर्चा की है, जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
आप सोचती होंगी कि गर्भावस्था के दौरान आपको वजाइनल जांच करवाने की जरूरत क्यों है। गर्भावस्था की वृद्धि के बारे में जानने के लिए इस जांच को करवाने की जरूरत पड़ती है। इसे करने के लिए गायनेकोलॉजिस्ट आपकी सर्विक्स में उंगली डालकर चेक करते हैं कि लेबर सही तरीके से होगा या नहीं। इस प्रक्रिया में कुछ महिलाओं को बहुत ज्यादा दर्द और असुविधा होती है जबकि कुछ अन्य महिलाओं के लिए यह उतना कठिन नहीं होता। जांच की प्रक्रिया के दौरान या गायनेकोलॉजिस्ट के इस तरीके में आप जितना धैर्य रखेंगी, आपको उतना ही कम दर्द और असुविधाएं होंगी। हालांकि इंटर्नल जांच की वजह से आपके बच्चे को कोई भी हानि नहीं होती है। यदि आपको बहुत ज्यादा असुविधा होती है तो आप इसके बारे में डॉक्टर से बात कर सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान इंटर्नल जांच करवाने के क्या कारण हो सकते हैं, आइए जानते हैं;
लेबर के अलावा भी डॉक्टर निम्नलिखित कारणों से भी आपको वजाइनल जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं, आइए जानें;
हॉर्मोन्स में बदलाव के कारण एक गर्भवती महिला को बहुत जल्दी वजाइनल इन्फेक्शन हो सकता है, जैसे थ्रश या गार्डनेरेला। यदि आपको पहले भी कभी एसटीडी यानी यौन रोग हुआ है तो डॉक्टर आपको इंटर्नल जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं।
पैप स्मीयर जांच अक्सर दो साल में एक बार करवाने की सलाह दी जाती है। हालांकि इस टेस्ट को करवाने की तारीख यदि आपकी गर्भावस्था के दौरान है तो आप इस बारे में डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं। जब तक आपकी गर्भावस्था 6 या 8 सप्ताह की नहीं हो जाती है तब तक डॉक्टर आपको यह जांच करवाने की सलाह नहीं देंगे। हालांकि यदि यह बहुत जरूरी नहीं है तो डॉक्टर डिलीवरी के बाद ही आपको यह टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान आपको ब्लीडिंग भी हो सकती है। इस समय ब्लीडिंग होना एक चिंता का विषय है। ब्लीडिंग होने का कारण जानने के लिए डॉक्टर आपकी इंटर्नल जांच कर सकते हैं। वजाइनल पोलिप्स के फटने की वजह से भी ब्लीडिंग हो सकती है और यह अपने आप होता है या शारीरिक संबंध बनाने से भी हो सकता है।
कभी-कभी लेबर के समय पर इंटर्नल जांच करवाने से आपको डिलीवरी प्रेरित करने की दवाएं नहीं लेनी पड़ती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इंटर्नल जांच की मदद से डॉक्टर आपके लेबर की प्रोग्रेस की जांच करते हैं और यदि आवश्यकता होती है तो वे लेबर का दर्द प्रेरित करने के लिए आपको दवा भी दे सकते हैं।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिला का पहला वजाइनल टेस्ट होता है जिसमें डॉक्टर यह जांचते हैं कि सर्विक्स में कोई इन्फेक्शन तो नहीं है या म्यूकस प्लग से सर्विक्स बंद है या नहीं। इसके बाद जांच गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में या 36वें सप्ताह के आस-पास होती है। इसमें सर्विक्स के डायलेशन यानी फैलने की जांच की जाती है और साथ ही डॉक्टर आपको यह जांच गर्भावस्था के 9वें महीने में हर सप्ताह करवाने के लिए कह सकते हैं। हालांकि यदि आप कुछ विशेष समस्याओं से ग्रसित हैं तो आपको ज्यादा इंटर्नल जांच करवाने की जरूरत पड़ती है। वे कौन सी समस्याएं हैं, आइए जानते हैं;
लेबर प्रेरित करने या अन्य कारणों से भी आप गायनेकोलॉजिस्ट से इंटर्नल जांच करने के लिए कह सकती हैं। इस जांच से गायनेकोलॉजिस्ट यह जान सकते हैं कि आपके लेबर में अभी कितना समय है। यदि आपको बहुत ज्यादा दर्द भी होता है तो इंटर्नल जांच की मदद से लेबर इंड्यूस करने का निर्णय लिया जा सकता है।
नहीं, यह आप पर निर्भर करता है। यदि वजाइनल टेस्ट में आपको बहुत ज्यादा असुविधा होती है और गर्भावस्था में भी कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं है तो आप इसे नहीं भी करवा सकती हैं। इंटर्नल जांच के दौरान बहुत ज्यादा असुविधाएं होती हैं और इसे करते समय ज्यादा देखभाल की जरूरत पड़ती है। यदि गर्भावस्था में बार-बार वजाइनल जांच करने की जरूरत पड़ती है तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को इन्फेक्शन होने का खतरा भी हो सकता है। हालांकि इसके साथ ही आप इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर सकतीं कि इंटर्नल जांच से लेबर की प्रगति का पता चलता है जो इसके लिए दर्द को इंड्यूस करने का निर्णय लेने में आपकी मदद करता है।
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर निम्नलिखित तरीके से जांच कर सकते हैं, आइए जानें;
यह जांच करवाने के लिए आपको नीचे के कपड़े उतारकर पीठ के बल लेटना पड़ता है और इस समय आपके घुटने मुड़े होने चाहिए। डॉक्टर रबर के ग्लव्स पहनकर लुब्रिकेशन के लिए आपकी वजाइना में क्रीम लगाएंगे और अपनी दो उंगलियां डालकर सर्विक्स को महसूस करने का प्रयास करेंगे। आपके यूटरस के ऊपरी भाग की जांच करने के लिए डॉक्टर अपना दूसरा हाथ आपके पेट पर भी रख सकते हैं।
वजाइनल जांच की इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक प्लास्टिक या मेटल के इंस्ट्रूमेंट का उपयोग करते हैं। जांच करवाने के लिए भी आपको घुटने मोड़कर पीठ के बल लेटना पड़ता है। इसके बाद डॉक्टर इंस्ट्रूमेंट को गुनगुने पानी में डालकर इससे आपकी वजाइना को बहुत आराम से थोड़ा खोलने का प्रयास करेंगे। इससे डॉक्टर को वजाइना और सर्विक्स की जांच करने में मदद मिलती है।
डॉक्टर इन दो प्रक्रियाओं से आपकी गर्भावस्था के 38 सप्ताह के बाद इंटर्नल जांच कर सकते हैं। इस दौरान आपको सिर्फ आराम से लेटने की जरूरत है और जांच के दौरान बिलकुल भी न घबराएं। यह जांच करवाते समय आराम से लेटी रहें और अपनी पेल्विक की मांसपेशियों को बिलकुल भी टाइट न करें। इस प्रोसीजर में आप धीरे-धीरे गहरी सांसें लेती रहें ताकि आपकी मांसपेशियों को रिलैक्स होने में मदद मिल सके।
लेबर के समय गर्भवती महिला के गर्भाशय की थैली फटती ही है। हालांकि यदि 37वें सप्ताह से पहले ही आपको थैली फटने का अनुभव होता है तो यह एक चिंता की बात है। जब भी आपको वजाइना से पानी जैसा डिस्चार्ज हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर यह देखने के लिए इंटर्नल जांच कर सकते हैं कि एमनियोटिक सैक तो नहीं फटी है। एमनियोटिक थैली की जांच के लिए डॉक्टर निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं, आइए जानें;
हालांकि कुछ मामलों में दोनों तरीकों का उपयोग करने के बाद भी डॉक्टर के लिए यह बता पाना मुश्किल होता है कि एमनियोटिक थैली फटी है या नहीं। ऐसी स्थिति में सबसे सही है कि आप इंतजार करें। कई मामलों में डॉक्टर आपको घर जाने और लगातार इसके लक्षणों पर ध्यान देने के लिए कह सकते हैं। यदि डॉक्टर को लगता है कि कोई कॉम्प्लिकेशन है तो वे आपको हॉस्पिटल में रुकने के लिए भी कह सकते हैं।
यदि आपको लगता है कि बच्चे को जन्म देने के बाद वजाइनल जांच का झंझट खत्म हो जाता है तो जान लें कि ऐसा नहीं है और डिलीवरी के बाद भी आपकी इंटर्नल जांच की जा सकती है। यह आपके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इंटर्नल जांच से ही डॉक्टर यह जान पाते हैं कि सब सही है और आपकी वजाइना में टांकें लगाने की जरूरत है या नहीं। यद्यपि गर्भावस्था के दौरान इंटर्नल जांच करवाने में बहुत दर्द होता है तो वहीं बच्चे के जन्म के बाद इसमें और ज्यादा तकलीफ और दर्द हो सकता है। इस दौरान आपके स्वास्थ्य की लगातार जांच की जाती है और उसके लिए डॉक्टर आपका ब्लड प्रेशर व शारीरिक तापमान की जांच करते हैं।
इसमें कोई शक नहीं है कि वजाइनल जांच से आपको कई असुविधाएं होती हैं और कभी-कभी इसमें दर्द भी होता है। इसके बावजूद भी कुछ मामलों में यह जांच करवाना जरूरी होता है। यदि गर्भावस्था के दौरान वजाइनल जांच के बारे में आपको कुछ भी पूछना है या आपकी कोई भी शंका है तो आप इसके लिए डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं।
संसाधन और संदर्भ:
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