गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान जौ का पानी

गर्भावस्था होने वाली माँ के लिए एक कठिन दौर होता है, खासकर जब मुद्दा इस बात का हो कि उसे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। ऐसी ही एक चीज है जौ का पानी या बार्ले वॉटर।

क्या गर्भावस्था के दौरान जौ का सेवन करना सुरक्षित है??

जौ का पानी जौ के दानों का उपयोग करके बनाया गया एक स्वस्थ पेय है। जौ में नट्स जैसा स्वाद होता है, और गर्भवती महिलाओं के लिए जौ का पानी फायदेमंद होता है क्योंकि यह गर्भावस्था के दौरान उनकी अच्छी सेहत को बनाए रखने में मदद करता है।

नियमित रूप से जौ का पानी पीने से कई संभावित हेल्थ प्रॉब्लम्स को रोकने में मदद मिलती है और यह शरीर को न्यूट्रिशन प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, आप इसे अपने सलाद, सूप और स्टीम्ड सब्जियों में भी शामिल कर सकती हैं।

हालांकि, कुछ जोखिमों के कारण गर्भावस्था के दौरान जौ के पानी का सेवन करने के बारे कई परस्पर विरोधी बातें हैं, जिनके बारे में हम आपको आगे बताएंगे।

जौ का पानी पीने से सेहत को होने वाले फायदे

जौ का पानी पीने के कई फायदे हैं। जौ का पानी घर पर आसानी से तैयार किया जा सकता है, इसमें 100% प्राकृतिक तत्व होते हैं, और यह किसी के लिए भी सुरक्षित है। यह कई बीमारियों के लिए एक प्राकृतिक दवा है और कई रोगों से बचाव में भी मदद करता है।

  1. जौ कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और आयरन का स्रोत है, जो फीटस के विकास के लिए जरूरी है।
  2. इसमें डाइटरी फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो गर्भवती महिलाओं को होने वाली कब्ज और बवासीर जैसी कुछ आम तकलीफों से बचाने में मदद करता है।
  3. जौ में नियासिन होता है, जो पाचन में मदद करता है। नियासिन ब्लड क्लॉट्स (रक्त के थक्के) बनाने में भी मदद करता है जो सीजेरियन या नॉर्मल डिलीवरी के दौरान सहायक होता है।
  4. जौ का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स ब्लड शुगर के लेवल को बनाए रखता है और जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाता है।
  5. जौ के दाने फोलिक एसिड से भरपूर होते हैं, जो कि बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स जैसे क्लेफ्ट होंठ और स्पाइनल बिफिडा से बचाने में सहायक है।
  6. जौ में मौजूद कॉपर गर्भावस्था के दौरान ब्लड वेसेल्स, हड्डियों और जोड़ों के लचीलेपन को बनाए रखने में मदद करता है।
  7. जौ एक मूत्रवर्धक एजेंट है और यीस्ट इन्फेक्शन और यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) से राहत प्रदान करता है।
  8. यह पेट की सूजन को कम करता है और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, एवं इस प्रकार इसे विभिन्न इन्फेक्शन होने से बचाता है।
  9. जौ का पानी पीने से मतली की समस्या से निपटने में मदद मिलती है और पेट में ऐंठन और जलन से राहत मिलती है।
  10. चूंकि गर्भावस्था में आपके पेट का आकार बढ़ता है, ऐसे में टिश्यूज की मरम्मत और सेल्स के विकास में जौ सहायक होती है, जो पेट के लिए अच्छा है।
  11. जौ में लैक्टोजेनिक गुण होते हैं जो स्तनों में ज्यादा दूध बनने में मदद करते हैं।
  12. यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, इस प्रकार हार्ट प्रॉब्लम्स की संभावना को दूर रखती है।
  13. जौ पैरों में सूजन से राहत देने में मदद कर सकती है, जो गर्भवती महिलाओं को होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है।

जौ का सेवन करने से जुड़े आम जोखिम

जब गर्भवती महिलाएं जौ का पानी पीती हैं, तो शायद ही कोई साइड इफेक्ट होता है। हालांकि, कुछ महिलाओं को निम्नलिखित अनुभव हो सकते हैं:

  1. कुछ महिलाओं को जौ से एलर्जी हो सकती है, और इसके सेवन से खुजली, सांस लेने में तकलीफ और रैशेज हो सकते हैं।
  2. जौ की डस्ट से कुछ महिलाओं में साइनस ट्रिगर हो सकता है, आँखों में दर्द या नेजल कंजेशन (नाक में जमाव) हो सकता है।
  3. अगर जौ में फंगल इन्फेक्शन था और उसे गर्भवती महिला ने सेवन किया, तो वह काशीन बेक रोग, जो कि हड्डियों से जुड़ी समस्या है, उससे पीड़ित हो सकती हैं।
  4. जो महिलाएं ग्लूटन इन्टॉलरेंट होती हैं उन्हें जौ का सेवन नहीं करना चाहिए।

जौ का पानी कैसे बनाएं

घर पर बना जौ का पानी पैकिंग में मिलने वाले चीनी और प्रिजर्वेटिव्स युक्त जौ के पानी की तुलना में अधिक सेहतमंद होता है।

जौ का पानी कैसे बनाएं:

  1. नल के बहते पानी के नीचे जौ धो लें और इसे कम से कम 3 से 4 घंटे के लिए पानी में भिगो दें।
  2. इसे छान लें और 1 कप जौ में 3-4 कप पानी डालें।
  3. मिश्रण को एक पैन में उबालने के लिए रख दें। एक बार जब यह उबलने लगे, तो इसे ढक्कन से ढक दें। इसे 45 मिनट से 1 घंटे के लिए उबालने के लिए छोड़ दें, जब तक कि जौ अच्छी तरह से पककर नरम न हो जाए।
  4. मिश्रण को ठंडा होने के लिए पर्याप्त समय दें।
  5. एक बार जब यह ठंडा हो जाए, तो जौ के मिश्रण को महीन-जालीदार छलनी से छान लें या इसे एक कप धीरे-धीरे इस तरह डालें कि दाने पैन के तले में रह जाएं।
  6. रोजाना 1 या 2 कप इस पानी का सेवन करें। आप कुछ नींबू का रस या शहद  मिलाकर इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं।
  7. बचा हुआ जौ का पानी अधिकतम 3 दिनों के लिए फ्रिज में स्टोर करके रखा जा सकता है।

जौ के दानों का उपयोग सूप या स्टू को गाढ़ा करने के लिए भी किया जा सकता है और इसे स्मूदी में भी मिलाया जा सकता है।

जौ का पानी और जौ के दाने दोनों गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होते हैं। जौ में पोषक तत्वों की प्रचुरता एक स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित करती है। हालांकि, इसे खरीदते समय सतर्क रहना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जौ ताजी हो। जौ का अधिक मात्रा में सेवन नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी असुविधा या परेशनी के मामले में हमेशा डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए।

स्रोत और संदर्भ:
स्रोत १
स्रोत २

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी में सिंघाड़ा (पानीफल) खाना
प्रेगनेंसी के दौरान तुलसी का सेवन

श्रेयसी चाफेकर

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