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गर्भावस्था का समय किसी भी महिला के लिए बेहद महत्वपूर्ण समय होता है और इस दौरान आपको अपने खाने पीने की आदतों पर खास नजर रखने की जरूरत होती है । इस बात का ध्यान रखें कि आप जो भी खाती हैं उसका असर आपके बच्चे पर भी पड़ता है और इसलिए हमेशा स्वस्थ भोजन का सेवन करें जो बच्चे के उचित विकास और बढ़ोतरी के लिए उसे सही रूप से पोषण प्रदान कर सके। आपको अपने आहार में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए, क्योंकि ये आवश्यक पोषक तत्वों से भरे होते हैं और इनमें फाइबर अच्छी मात्रा में पाया जाता है। जो बच्चे की वृद्धि के लिए आवश्यक खनिज और विटामिन प्रदान करते हैं। ऐसा ही एक स्वस्थ, स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है केला। केला एक ट्रॉपिकल फ्रूट है और इसमें आवश्यक विटामिन, खनिज, कार्बोहाइड्रेट और डाइटरी फाइबर मौजूद होते हैं। जानिए कि गर्भावस्था के दौरान केला खाने से आपको कैसे फायदा होता है।
केले में प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, आवश्यक फैटी एसिड जैसे ओमेगा-3 और ओमेगा-6, विटामिन सी, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स और मैंगेनीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, कॉपर और सेलेनियम आदि खनिज होते हैं। ये सभी पोषक तत्व गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के स्वस्थ विकास में सहायता करते हैं। केले का सेवन गर्भावस्था के कुछ दुष्प्रभावों से भी राहत दिला सकता है और साथ ही माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
गर्भावस्था के दौरान फलों का सेवन करना बहुत स्वास्थ्यप्रद होता है और इसे विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान आहार का हिस्सा होना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान केला खाने के कुछ लाभ नीचे दिए गए हैं।
केले में विटामिन बी 6 या पाइरिडोक्सिन भरपूर होता है। विटामिन बी 6 मतली और मॉर्निंग सिकनेस को ठीक करने में मदद करता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान विशेष रूप से पहली तिमाही में गर्भवती महिलाओं को केला खाने की सलाह दी जाती है।
कई गर्भवती महिलाओं को अपनी गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में एडिमा (सूजन) यानि पानी के कारण सूजन (वॉटर रिटेंशन) का अनुभव होता है। एडिमा के कारण टखनों, पैरों और अन्य जोड़ों में सूजन हो जाती है। अगर आपको जोड़ों या टखने में सूजन दिखाई देती है, तो नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें और अपने आहार में केले को शामिल करें यह सूजन को कम करने में सहायता करेगा।
केले में कार्बोहाइड्रेट काफी मात्रा में मौजूद होता है, क्योंकि उनमें फ्रुक्टोज, और सूक्रोज जैसी शर्करा मौजूद होती है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करने के लिए जल्दी ही पच जाती हैं। गर्भावस्था की अंतिम तिमाही के दौरान, आपकी ऊर्जा का स्तर बहुत कम हो जाता है। केले का सेवन आपको तुरंत शक्ति प्रदान करता है। इसलिए इस फल को हमेशा अपने साथ रखें। केला खाने से आपको थकान से लड़ने और ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में सहायता मिलती है।
केला फोलेट का एक अच्छा स्रोत होता है, जो बच्चे के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास के लिए आवश्यक होता है। गर्भावस्था के दौरान केला खाने से शरीर में फोलेट के स्तर में सुधार होता है, जिससे शरीर में फोलेट की कमी होने की संभावना कम हो जाती है और इसके कारण आपके गर्भ में पल रहे बच्चे में जन्म दोष की संभावना भी कम हो जाती है ।
एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जहाँ रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होती है, जो शरीर में लाल रक्त कणिकाओं के स्तर को कम कर सकती है। ये कणिकाएं पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने में मदद करती हैं। एनीमिया के मुख्य कारणों में से एक, शरीर में आयरन की कमी से होता है। इसके कारण आपकी त्वचा रूखी हो जाती है और आप हर समय थकान महसूस करती हैं । इसके अलावा, ये आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर बहुत हानिकारक प्रभाव डालता है। लेकिन गर्भावस्था के दौरान केला खाने से आयरन की कमी को पूरा किया जा सकता है। केले आयरन का एक अच्छा स्रोत है और इसलिए गर्भावस्था के आहार में इसे जरूर शामिल करना चाहिए।
केला पानी में घुलनशील विटामिन बी 6 का एक बेहतरीन स्रोत है, जो शिशु के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) के विकास के लिए आवश्यक होता है। इस प्रकार गर्भावस्था की पहली तिमाही में केले का नियमित रूप से सेवन करना बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत लाभदायक होता है।
केले में बहुत सारा डाइटरी फाइबर होता है जो मल त्याग को प्रेरित और गैस के कारण पेट में सूजन को कम करने में मदद करता है । एक मध्यम आकार के केले में लगभग 6 ग्राम फाइबर होता है। गर्भावस्था के दौरान कब्ज एक आम समस्या होती है। केले खाने से आपको कब्ज से राहत मिलती है।
केले पोटेशियम का एक समृद्ध स्रोत है। एक कप मसले हुए केले जिसका वजन 225 ग्राम है उसमें 800 मिलीग्राम पोटैशियम मौजूद होता है। यह एक आवश्यक खनिज है जो शरीर में रक्तचाप के स्तर को नियंत्रित करता है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से केले का सेवन करने से रक्तचाप के स्तर में उतार-चढ़ाव को रोकने में सहायता मिलती है।
केले खाने से गैस्ट्रिक एसिड से पेट और आहार नली की दीवारों रक्षा करने में सहायता मिलती है। गर्भावस्था के समय एसिडिटी और सीने में जलन होना एक आम समस्या है। इस दौरान केला खाने से एसिडिटी और सीने में जलन को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा यह आपकी पाचन क्रिया को भी बेहतर करता है।
केला कैल्शियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है, जो कि बच्चे और माँ दोनों में हड्डियों के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। कैल्शियम शरीर में मांसपेशियों के संकुचन के नियमन के लिए अति आवश्यक है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान आपको केला जरुर खाना चाहिए।
केले विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है। यह विटामिन, जिसे एस्कॉर्बिक एसिड भी कहा जाता है, शरीर में आयरन के अवशोषण के लिए आवश्यक होता है । यह हड्डियों की वृद्धि, ऊतकों की मरम्मत और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में भी सहायता करता है। विटामिन सी एक एंटीऑक्सिडेंट भी है और ये संक्रमण से लड़ने में भी मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान केला खाने से बच्चे और माँ को विटामिन सी के सभी लाभ मिलते हैं।
केले भूख उत्तेजक के रूप में कार्य करते हैं। जो गर्भवती महिलाएं भूख न लगने की समस्या से पीड़ित हैं उन्हें केले का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह भूख को बढ़ाने और पाचन को बेहतर करने में सहायता करते हैं।
गर्भावस्था के दौरान केले का सेवन करना बिल्कुल सुरक्षित है। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं जिससे माँ और बच्चे दोनों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। हालांकि, आपको उचित मात्रा में इसे खाना चाहिए। केले शर्करा युक्त फल हैं, इसलिए बहुत अधिक केले खाने और मौखिक स्वच्छता पर ठीक से ध्यान न देने पर आपके दाँत सड़ सकते हैं।
गर्भावधि मधुमेह से पीड़ित महिलाओं को भी केले का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शर्करा का स्तर तेजी से बढ़ सकता है। अगर आप गर्भवती हैं और आपको गर्भावधि मधुमेह है, तो आपको यह सुझाव दिया जाता है कि केले का सेवन करने से पहले आप अपने डॉक्टर से सलाह लें।
जिन गर्भवती महिलाओं को केले से एलर्जी हैं, उन्हें इसे खाने से बचना चाहिए। केले में काइटिनेस होता है, ये एक एलर्जेन है जो लेटेक्स-फ्रूट सिंड्रोम का कारण बनता है। इसके अलावा कीवी और एवोकाडो जैसे अन्य फल भी शामिल हैं, जिनका सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए
आपको ताजे और साफ केले का सेवन करना चाहिए । उन केलों को खाने से बचें, जो बहुत दिनों से रखे हुए हो, अधिक पके हुए हों या काले हो गए हों। अपने आहार में केले को शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना सुनिश्चित करें, खासकर अगर आपको एलर्जी हो या आप गर्भावधि मधुमेह से पीड़ित हों।
केले को विभिन्न तरीकों से अपने आहार में शामिल किया जा सकता है:
गर्भावस्था में स्मूदी या केले का मिल्कशेक अपने आहार में फल को शामिल करने का एक शानदार तरीका है। स्वादिष्ट स्मूदी बनाने के लिए कुछ स्ट्रॉबेरी और कम वसा वाले दूध के साथ एक पका हुआ केला मिला लें।
दही में कुछ कटे हुए केले, दलिया, और बादाम मिलाएं और इस स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद लें। आप नाश्ते के रूप में इसका आनंद ले सकती हैं। केले के दलिया में भरपूर फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और खनिज होते हैं जो आपको बेहतर रूप से ऊर्जा प्रदान करने में मदद करते हैं।
मसले हुए केले के साथ अखरोट मिलाएं और मफिन बनाने के लिए घोल तैयार करें और फिर मफिन बनाएं। आप केला अखरोट मफिन को दिन में किसी भी समय खा सकती हैं ।
फ्रोज़न केले को पिघलाएं और केले के स्वाद वाली आइसक्रीम बनाने के लिए उसे कम-वसा वाले, शर्करा-मुक्त आइसक्रीम के साथ मिलाएं। आप गर्मी के दिनों में केले से बनी स्वादिष्ट आइसक्रीम का आनंद ले सकती हैं ।
इससे मिलने वाले सभी पोषक तत्वों का लाभ उठाने के लिए पीनट बटर सैंडविच या फलों के सलाद में केले का उपयोग करें।
गर्भावस्था के दौरान जब आपको कुछ खाने का मन चाहे तो उस समय आप केले के चिप्स खा सकती हैं । हालांकि, केले के चिप्स आमतौर पर तले हुए और नमकीन होते हैं। इसलिए आप कम सोडियम वाले नमक का उपयोग करके और इसे तलने के बजाय सेंक कर तेल-मुक्त स्वास्थ्यप्रद केले के चिप्स बना सकती हैं ।
गर्भावस्था के दौरान लाल केला खाना बिल्कुल सुरक्षित है। वे पोषण सामग्री में पीले केले के समान ही हैं। वे बेहतर स्तनपान में भी सहायता करते हैं।
किसी और खाने की ही तरह, केले को भी संतुलित मात्रा में खाना चाहिए। आप एक दिन में 1 से 3 मध्यम आकार के केले खा सकती हैं।हालांकि, अपने आहार में उन्हें शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें और यह भी पूछें कि आपको इसे कितना खाना चाहिए।
केले गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का एक उत्कृष्ट स्रोत होते हैं और इससे माँ और बच्चे दोनों को बहुत सारे लाभ होते हैं। तो निश्चिंत होकर बनाना स्मूदी या बनाना मफिन का आनंद लें! लेकिन इस बात का भी ख्याल रखें कि, गर्भावस्था के समय अपने आहार में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से बात अवश्य करें।
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