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गर्भावस्था एक ऐसा समय है जब आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आपका स्वास्थ्य बिलकुल ठीक है और इसमें कोई भी ऐसी कॉम्प्लिकेशन नहीं होगी जिससे बच्चे पर प्रभाव पड़े। सभी बचाव करने के बाद भी आपको स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं हो सकती हैं और उनमें से एक मलेरिया है। इससे आपके जीवन को खतरा होता है पर कुछ प्रभावी दवाओं से इससे बचाव और इसका इलाज किया जा सकता है।
मलेरिया एक गंभीर बीमारी है जो मादा एनोफेलीज मच्छर के काटने पर पैरासाइट के फैलने से होती है। इन मच्छरों के काटने से मलेरिया एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। मलेरिया के पैरासाइट को निम्नलिखित तरीके से पहचाना जा सकता है, आइए जानें;
लोगों में प्लाज्मोडियम वायवैक्स और प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम जितना ज्यादा पाया जाता है उतना अधिक घातक भी है। यदि किसी मच्छर ने मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटा है तो इससे मलेरिया के पैरासाइट इन्फेक्टेड व्यक्ति के खून से मच्छर में जा सकते हैं। मच्छरों में मलेरिया के पैरासाइट 10 से 14 दिनों में बढ़ते हैं और मच्छरों द्वारा किसी भी हेल्दी व्यक्ति को काटने पर उसके शरीर में आसानी से जा सकते हैं। उस इन्फेक्टेड व्यक्ति में 7 से 21 दिनों के अंदर मलेरिया के लक्षण दिखने लगते हैं पर कुछ दुर्लभ मामलों में इसके लक्षण दिखाई देने में कई महीने भी लग सकते हैं।
यदि एक गर्भवती महिला साफ-सफाई और अपनी देखभाल नहीं करती है और मच्छरों को खत्म करने का प्रयास नहीं करती है तो उसे इन्फेक्शन हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को इसका खतरा क्यों होता है इस बारे में नीचे चर्चा की गई है, आइए जानें।
गर्भावस्था के दौरान मलेरिया से जुड़े फैक्ट्स क्या हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था में इम्युनिटी बहुत कमजोर हो जाती है जिससे मलेरिया सामान्य की तुलना में जल्दी हो सकता है। विशेषकर दूसरी या तीसरी तिमाही में आपको अपना पूरा ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि इस समय आपकी इम्युनिटी बहुत ज्यादा कमजोर होती है। गर्भवती महिलाओं को बार-बार और गंभीर रूप से मलेरिया होने का भी खतरा होता है और इससे बहुत कॉम्प्लीकेशंस हो सकते हैं।
यदि गर्भवती महिला को पहले से ही न्यूट्रिशनल एनीमिया है तो मलेरिया से प्रेरित एनीमिया से इसके प्रभाव बढ़ते हैं और यह कई ऐसी परेशानियों को बढ़ा देता है जिसकी वजह से गर्भवती महिला खतरे में आ सकती है। गर्भावस्था के दौरान मलेरिया के पैरासाइट प्लेसेंटा में भी जा सकते हैं और माँ से बच्चे को मिलने वाली ऑक्सीजन व न्यूट्रिशन पर प्रभाव डालते हैं। इससे अचानक अबॉर्शन, मृत या प्रीमैच्योर बच्चे के जन्म का खतरा भी होता है। कुछ मामलों में जन्म के दौरान बच्चे का वजन बहुत कम हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान मलेरिया होना एक गंभीर समस्या है। विभिन्न स्टडीज के अनुसार जो महिलाएं ट्रॉपिकल और विकासशील देशों में रहती हैं उनको मलेरिया जल्दी होता है। गर्भवती महिलाओं में मलेरिया होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं, आइए जानें;
मलेरिया के लक्षण इन्फ्लुएंजा जैसे ही होते हैं जिसका डायग्नोसिस करना कठिन है और मच्छर के पहली बार काटने के लगभग सात से दस दिनों के बाद मलेरिया के लक्षण दिखना शुरू होते हैं। इसके कुछ कॉमन लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान मलेरिया के थोड़े बहुत लक्षण बदलते रहते हैं, जैसे इसमें हल्का या तेज बुखार होता है और कभी-कभी कंपकंपी हो सकती है या पसीना आता है। चूंकि मलेरिया के लक्षण फ्लू जैसे ही होते हैं इसलिए ब्लड टेस्ट द्वारा निश्चित रूप से इसका और इसके प्रकार का पता लगाया जा सकता है। यदि आपको ठंड लगती है और साथ ही पसीना और बुखार भी आता है तो आगे आने वाली समस्याओं से बचने के लिए आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
यदि एक इन्फेक्टेड व्यक्ति किसी अस्वच्छ या गंदी जगह में रहता है तो उसके संपर्क में आने से भी गर्भवती महिला को मलेरिया हो सकता है। यदि आपके घर के आसपास गंदा पानी भरा है या किसी पूल में पानी है जिसे कई दिनों तक साफ नहीं किया गया है तो गंदे पानी में भी मच्छर हो सकते हैं जो गर्भावस्था के दौरान मलेरिया के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
यदि किसी गर्भवती महिला को खून दिया गया है या उसके किसी अंग का ट्रांसप्लांट हुआ है तो इससे भी शरीर में पैरासाइट जा सकते हैं और बाद में यह समस्या महिला से बच्चे में भी जा सकती है।
गर्भावस्था के दौरान मलेरिया को डायग्नॉस करना कठिन है क्योंकि इसमें ज्यादातर महिलाएं एसिम्पटोमैटिक होती हैं। फाल्सीपेरम पैरासाइट प्लेसेंटा में आइसोलेट होने की वजह से पेरिफेरल खून के सैंपल में इन्फेक्शन नहीं मिलता है। मरीज से खून के सैंपल लेने के बाद डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करते हैं, आइए जानें;
यदि किसी गर्भवती महिला को मलेरिया होता है तो उसकी मेडिकल जांच जरूर होनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान मलेरिया का ट्रीटमेंट करने के लिए कई दवाएं हैं जो सुरक्षित हैं और जिनसे माँ या बच्चे पर कोई भी साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं, आइए जानें;
मलेरिया के लिए ऊपर बताए हुए ट्रीटमेंट सुरक्षित हैं पर ये ट्रीटमेंट डॉक्टर के निर्देशानुसार ही होने चाहिए। गर्भावस्था के दौरान मलेरिया की दवाइयां इसके प्रकार, महिला की आयु, गर्भावस्था के चरण और लक्षणों की गंभीरता पर भी निर्भर करते हैं। आमतौर पर डॉक्टर ये दवाइयां टेबलेट या कैप्सूल्स के रूप में दी जाती हैं और विशेषकर यदि मरीज को गंभीर समस्या है तो डॉक्टर इन्हें इंजेक्शन के द्वारा नसों में देते हैं।
यद्यपि गर्भावस्था के दौरान मलेरिया ठीक हो सकता है पर इससे कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं। इससे आपको क्या कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं, आइए जानें।
मलेरिया दो प्रकार का होता है, पहला कॉम्प्लेक्स और दूसरा अनकॉम्प्लिकेटेड। कॉम्प्लेक्स मलेरिया एक गंभीर बीमारी है जिससे सेरिब्रल मलेरिया, एनीमिया, एआरडीएस (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) और अंग भी डैमेज हो सकते हैं। मलेरिया के अनकॉम्प्लिकेटेड इन्फेक्शन में अक्सर हर दो दिन में बुखार आता है, सिर में दर्द होता है, ठंड लगती है और साथ ही पसीना भी आता है जो अगले 8 से 10 घंटों तक रहता है।
यह स्थिति माँ और गर्भ में बच्चे को इस तरह प्रभावित कर सकती है कि यह कितनी गंभीर है। जानिए कि ये होने वाली माँ को कैसे प्रभावित करती है।
यदि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को मलेरिया होता है तो निम्नलिखित कॉम्प्लीकेशंस हो सकते हैं, आइए जानें;
यदि गर्भवती महिला को मलेरिया होता है तो गर्भ में पल रहे बच्चे को भी निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान मलेरिया होने से गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु, मिसकैरेज और मृत बच्चे के जन्म का खतरा बढ़ जाता है। जन्म के दौरान भी बच्चे को मलेरिया होता है जिससे उसे खतरा भी हो सकता है।
चूंकि यह बीमारी मुख्य रूप से मच्छरों के कारण होती है इसलिए यदि आप गर्भवती हैं तो आपको मच्छरों से दूर रहना चाहिए। आपके घर में जहाँ भी सबसे ज्यादा मच्छर होते हैं आप उन जगहों को खोजें और साफ करवाएं। यदि आपके घर में बहुत दिनों से पानी भरा हुआ है और उसका उपयोग नहीं किया गया है तो आप विशेषकर बारिश के दिनों में उस पानी को फेंक दें। घर में रखे हुए सभी कंटेनर, जैसे फूलों के गमले, वास या अक्वेरियम अच्छी तरह से साफ होने चाहिए और उनमें फ्रेश पानी रहना चाहिए।
हमेशा हल्के रंग के कपड़े ही पहनें क्योंकि मच्छर अक्सर गाढ़े रंग के कपड़ों की तरफ आकर्षित होते हैं। विशेषकर रात में आप पूरी बाजुओं वाले या फुल कपड़े ही पहनें। गर्भावस्था के दौरान मच्छरों को भगाने के लिए विशेष क्रीम लगा सकती हैं या मच्छरदानी का उपयोग भी कर सकती हैं इससे आपको मलेरिया का इन्फेक्शन नहीं होगा।
यदि मच्छरों को भगाने के लिए केमिकल-युक्त क्रीम का उपयोग करने की सोच रही हैं तो ध्यान रखें कि इसे निर्देशानुसार ही लगाएं। इसका ज्यादा उपयोग करने से आपको सुरक्षा नहीं मिलेगी बल्कि इससे आप ज्यादा से ज्यादा केमिकल के संपर्क में आ सकती हैं। आप अपनी त्वचा के ऊपर एक पतली सी लेयर लगाएं और उसे एक समान फैला दें। इससे आपको ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा मिलेगी।
पूरी दुनिया में मलेरिया को खत्म करने के लिए कई अहम् कदम उठाए गए हैं और इन्हीं कारणों से यह बीमारी काफी हद तक कम हो गई है। साइंस की उन्नति ने मलेरिया को कम करने में काफी हद तक मदद की है। हालांकि यह बीमारी अभी तक पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है इसलिए जरूरी है कि आप अपनी देखभाल करें और यदि आपको इसके कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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