गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान मस्सों का बनना

गर्भावस्था के दौरान महिला में शारीरिक, मानसिक और शारीरिक क्रियाओं में बदलाव आना निश्चित है। मस्सों का बनना ऐसा ही एक नोटिस करने लायक शारीरिक बदलाव है। गर्भावस्था के दौरान मस्सों के आकार, आकृति, टेक्सचर और रंग में बदलाव देखा जा सकता है और इसे इस दौरान महिला के शरीर में होने वाले कई हॉर्मोनल चेंजेस से जोड़ा जा सकता है। 

इस दौरान मस्सों की संरचना में होने वाले बदलावों को पहचान पाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इस बदलाव की जानकारी होना जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान मस्सों के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें और साथ ही यह कैसे होता है, इसमें क्या-क्या रिस्क हो सकते हैं और इसमें होने वाले बदलाव क्या हो सकते हैं, इसके बारे में और ज्यादा जानें। 

मस्से क्या होते हैं?

मस्से छोटे स्पॉट या ब्लैमिशेज होते हैं, जो हमारे शरीर में मौजूद होते हैं। ज्यादातर मस्से आमतौर पर पेरेंट्स से अनुवांशिक तौर पर मिलते हैं, यानी वे जेनेटिक होते हैं। जब बहुत सारे मेलानोसाइट सेल्स आपस में मिलते हैं, तब ये मस्से बनते हैं। आमतौर पर इनका रंग हल्का भूरा या काला होता है और किसी के शरीर में इनकी संख्या 1 से लेकर 100 तक भी हो सकती है। 

मस्से फूले हुए, चपटे, चिकने या रूखे हो सकते हैं। कभी-कभी इनमें बाल भी होते हैं। 

गर्भावस्था के दौरान मस्से क्यों बनते हैं?

यदि गर्भावस्था के दौरान आप अपने मस्सों के आकार को बढ़ता हुआ महसूस कर रही हैं, तो इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं। जेस्टेशन पीरियड के दौरान पेट और ब्रेस्ट एरिया में मस्से बन सकते हैं, क्योंकि शरीर के इन हिस्सों में बहुत ज्यादा बदलाव होते हैं। यहाँ तक कि पहले से मौजूद मस्से भी बड़े और गहरे हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान ज्यादा मात्रा में मस्सों के बनने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं: 

  • ज्यादातर मामलों में ये बदलाव सौम्य होते हैं और ये शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलावों के कारण होते हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान कभी-कभी नए मस्से भी बन जाते हैं, पर वे डिलीवरी के बाद गायब हो जाते हैं।
  • अगर आपके शरीर पर एसिमिट्रिकल मस्से हैं, जिनका रंग, आकार और शेप बार-बार बदलते रहते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से इसकी जांच करानी चाहिए।

क्या गर्भावस्था के दौरान मस्सों का बनना नुकसानदायक है?

ऐसा जरूरी नहीं है कि गर्भावस्था के दौरान बनने वालों मस्से हानिकारक हों, परंतु फिर भी आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए और समय-समय पर अपनी त्वचा की जांच करनी चाहिए। आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए: 

  • कुछ सौम्य मस्से मालिगनेंट मेलानोमा में बदल सकते हैं। मेलानोमा एक ब्लैक स्पॉट होता है जो जल्दी-जल्दी बढ़ता है।
  • चाहे नया हो या पुराना, अगर मस्से का रंग लाल हो जाता है, या उस में खुजली होती है या खून आता है।
  • मेलानोमा को शुरुआती स्टेज में ठीक किया जा सकता है, क्योंकि तब वह केवल त्वचा की सतह पर ही होता है।

क्या गर्भावस्था के दौरान एक मस्से का बदलना सामान्य बात है?

महिला गर्भवती हो या ना हो, मेलानोमा का बनना दोनों में एक जैसा ही दिखता है: 

  1. अगर आपके शरीर पर कुछ निश्चित निशान या धब्बे हैं, जो जल्दी-जल्दी अपना आकार और शेप बदल रहे हैं, जिसमें खुजली और खून आने की समस्या भी है, तो आपको इसकी जांच करानी चाहिए।
  2. गर्भावस्था के दौरान आप ‘ए बी सी डी ई’ नियम का इस्तेमाल करके अपने मस्सों की जांच खुद कर सकती हैं:

ए – एसिमिट्री: जब मस्से का आधा हिस्सा दूसरे आधे हिस्से से मैच न करे, तो यह समझें कि मस्से का आकार अनियमित है। 

बी – बॉर्डर: मस्से के किनारे या बॉर्डर अनियमित हैं, क्लियर नहीं हैं, सीप के समान नहीं हैं या देखने से उबर-खाबर दिखते हैं। 

सी – कलर: मस्से का रंग एक समान नहीं है, इसका रंग सफेद, लाल, भूरा, नीला या काला कुछ भी हो सकता है। 

डी – डायमीटर: अगर मस्से का आकार 6 मिमी से ज्यादा है, तो यह मस्सा मालिगनेंट हो सकता है। एक मालिगनेंट मस्सा इससे थोड़ा छोटा भी हो सकता है। 

ई – एलिवेटेड: मस्से की सतह फ्लैट ना होकर फूली हुई, बाहर निकलती हुई या एलिवेटेड हो। 

क्या गर्भावस्था में बनने वाले मस्से वापस चले जाते हैं?

ज्यादातर मामलों में ये मस्से वापस चले जाते हैं, पर अगर डिलीवरी के कई हफ्तों बाद भी ये मस्से मौजूद हैं और आपके शरीर को तकलीफ दे रहे हैं तो आपको इनकी जांच करानी चाहिए। 

इस प्रकार गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर की सतह पर बनने वाले मस्सों पर नजर रखें और अगर ये आपको तकलीफ दे रहे हैं, तो इनके मालिगनेंट बनने के पहले जांच करवा लें। 

यह भी पढ़ें:  

प्रेगनेंसी के दौरान स्किन टैग (त्वचा की चिप्पी) आना

पूजा ठाकुर

Recent Posts

भूकंप पर निबंध (Essay On Earthquake In Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें धरती अचानक से हिलने लगती है। यह तब होता…

1 week ago

Raising Left-Handed Child in Right-Handed World – दाएं हाथ वाली दुनिया में बाएं हाथ वाला बच्चा बड़ा करना

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू उभरने लगते हैं। या…

1 week ago

माता पिता पर कविता l Poems For Parents In Hindi

भगवान के अलावा हमारे जीवन में किसी दूसरे वयक्ति को अगर सबसे ऊंचा दर्जा मिला…

2 weeks ago

पत्नी के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Wife In Hindi

शादी के बाद प्यार बनाए रखना किसी भी रिश्ते की सबसे खूबसूरत बात होती है।…

2 weeks ago

पति के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Husband In Hindi

शादी के बाद रिश्तों में प्यार और अपनापन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। पति-पत्नी…

2 weeks ago

करण नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Karan Name Meaning In Hindi

ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…

2 weeks ago