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मम्प्स एक इन्फेक्शन है, जो आमतौर पर बच्चों में देखा जाता है। लेकिन यह गर्भावस्था के शुरुआती चरण में गर्भवती महिला को भी प्रभावित कर सकता है। यदि इस इन्फेक्शन को बिना इलाज छोड़ दिया जाता है, तो इससे गंभीर कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। हालांकि पहला इन्फेक्शन आमतौर पर शरीर के अंदर पल रहे बच्चे के लिए इम्युनिटी देता है, लेकिन जब आप गर्भवती होती हैं तो इससे बचना ही बेहतर है।
मम्प्स एक इन्फेक्शन है जो शरीर में लार बनाने वाली ग्लैंड में सूजन के रूप में प्रकट होता है, जिससे बहुत ज्यादा दर्द होता है। कुछ मामलों में, शरीर के दूसरे कई हिस्सों में भी सूजन हो सकती है।
मम्प्स पैरामिक्सोवायरस के कारण होता है। यह आसानी से संक्रमित लार हवा के जरिए फैलता है। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है जिससे हवा में पैथोजन रिलीज हो जाते हैं। इन पैथोजन के संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति इससे आसानी से संक्रमित हो सकता है।
हाल के कुछ सालो में, मम्प्स के केस में भारी कमी आई है, क्योंकि अधिकांश लोगों को ट्रिपल एमएमआर वैक्सीन के माध्यम से इससे बचाव के लिए टीका लगाया गया है। गर्भवती महिलाओं को मम्प्स से संक्रमित होने की संभावना 1000 में मुश्किल से 1 होती है।
गर्भावस्था में मम्प्स के एक्सपोजर के बारे नहीं बताया गया है। ज्यादातर महिलाएं कम उम्र में ही एमएमआर वैक्सीन लगवा लेती हैं और इसलिए आपके पास इससे बचाव के लिए इम्युनिटी होती है। भले ही वैक्सीन न लगवाई गई हो, लेकिन अगर आपको कम उम्र में मम्प्स हो जाता है तो आपका शरीर इसके लिए खुद को पहले ही इम्युन कर लेता है। अगर दोनों केस की अनुपस्थिति पाई जाती है तो एक गर्भवती महिला को संकुचन के जोखिम ज्यादा हो सकते हैं, खासकर यदि वह किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आती है, जो पहले से ही मम्प्स की समस्या से पीड़ित है।
मम्प्स बहुत ज्यादा संक्रामक है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल सकता है। ये इन्फेक्टेड व्यक्ति के छींकने या खांसने से हवा के जरिए फैलता है। यदि उसी समय, कोई भी व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है या कोई कॉमन ऑब्जेक्ट का उपयोग करता है तो वो बड़ी ही आसानी से मम्प्स की चपेट में आ जाता है।
जरूरी नहीं है कि सभी लोगों में मम्प्स के लक्षण दिखाई दें, कभी-कभी इसके बारे में तब पता चलता है जब यह सीवियर स्टेज पर न पहुँच जाए। इसके बाकी लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है।
गर्भावस्था में मम्प्स का प्रभाव दो गुना होता है क्योंकि इसका असर माता के साथ-साथ बच्चे पर भी पड़ता है।
एक गर्भवती महिला जो मम्प्स से पीड़ित हो जाती है उसे ओवरी के साथ-साथ स्तनों के विभिन्न हिस्सों में सूजन होने का खतरा होता है। इन्फेक्शन की गंभीरता किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह ही हो सकती है, इसके बुखार और सिरदर्द जैसे लक्षण आपकी गर्भावस्था को मुश्किल बना सकते हैं।
गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों में मम्प्स मिसकैरेज का खतरा बन सकता है। लेकिन मम्प्स और बर्थ डिफेक्ट के बीच कोई संबंध नहीं होता है, बेहद रेयर केस में यह बच्चे में प्रवेश करता है, भले ही यह प्लेसेंटा में मौजूद हो।
मम्प्स का इलाज करने का सही तरीका यह है कि आप पहले ही ट्रिपल एमएमआर वैक्सीन लगवा लें, लेकिन यदि आप गर्भवती हैं तो आपको इससे बचना चाहिए। वैक्सीन के बाद कुछ महीनों के बाद ही गर्भधारण करना चाहिए। अच्छी तरह से आराम करना और सूप व तरल पदार्थों का ज्यादा सेवन करने से आपको दर्दनाक सूजन से राहत मिलेगी।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में मम्प्स से पीड़ित होने से पहले 12 हफ्तों की तुलना में उतना जोखिम नहीं होता है। अधिकांश महिलाओं को पहले से ही मम्प्स से बचाव के लिए टीका लगाया दिया जाता है। यह आपके हित में काम करता है और इसके लक्षणों को दूर रखता है।
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