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एसेंशियल ऑयल में स्वास्थ्य से संबंधित बहुत सारे फायदे होते हैं और यहाँ तक कि गर्भावस्था के दौरान भी इसका उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए सभी एसेंशियल ऑयल में से नीलगिरी तेल या युकलिप्टुस ऑयल फायदेमंद होता है। यहाँ हमने गर्भावस्था के दौरान नीलगिरी ऑयल का उपयोग करने के कुछ फायदे और साइड इफेक्ट्स बताए हैं, जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें।
ऑस्ट्रेलिया का नीलगिरी तेल आजकल दुनिया के हर क्षेत्र में उपलब्ध है। नीलगिरी के छोटे और बड़े पेड़ों पर आधारित यह कई प्रकार का होता है। हालांकि इन सभी में ब्लू गम या ऑस्ट्रेलियन फीवर बहुत ज्यादा लोकप्रिय है क्योंकि इसमें स्वास्थ्य को ठीक करने के बहुत सारे फायदे मौजूद हैं। नीलगिरी का तेल इसकी पत्तियों से एक्सट्रेक्ट किया जाता है। इसका ऑयल बहुत सारी जगहों पर प्रसिद्ध है और इसमें स्वास्थ्य से संबंधित कई फायदे होते हैं। इस ऑयल का उपयोग करने से गर्भवती महिलाओं को भी फायदा मिलता है। गर्भावस्था के दौरान इसका उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान एक महिला अपने शरीर के बारे में बहुत चिंतित होती है, विशेषकर उसके आहार, लाइफस्टाइल और एक्सरसाइज के लिए। यदि गर्भावस्था के दौरान आप नीलगिरी तेल का उपयोग करना चाहती है पर इसके प्रभावों के बारे में चिंतित हैं तो इसके फायदे यहाँ निम्नलिखित हैं, आइए जानते हैं;
गर्भावस्था के दौरान आप बहुत खुश होंगी पर इस समय आप गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत को लेकर उतने ही तनाव में भी होंगी। इन सभी चिंताओं व एंग्जायटी की वजह से गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेस होता है और यह बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। नीलगिरी का ऑयल गर्भावस्था में होने वाले स्ट्रेस के लक्षणों को कम करके आपको आराम दे सकता है। आप डिफ्यूजर में नीलगिरी ऑयल की कुछ बूंदें मिलाएं और इसकी खुशबू को सूंघें। आप अपनी कलाई, सिर, पैरों के तलुओं में और काने के पीछे भी इस ऑयल को लगा लें। यह आपके सेंसेस को प्रभावी बनाता है। इसके अलावा आप अपनी चिंता, स्ट्रेस को कम करने के लिए सीधे बोतल से नीलगिरी ऑयल की सुगंध सूंघ लें। यह आपको बहुत आराम देगा।
गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं के दाँतों में तकलीफ होती है। यद्यपि गर्भावस्था की वजह से दाँतों में समस्या नहीं होती है पर यदि पहले से ही आपके दाँतों में तकलीफ है तो गर्भावस्था में यह ज्यादा बढ़ सकती है। गर्भावस्था में इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण यह समस्या हो सकती है। दाँतों की समस्या दूर करने के लिए नीलगिरी का ऑयल बहुत ज्यादा प्रभावी माना जाता है। आप नीलगिरी ऑयल की मदद से सांसों में दुर्गंध और प्लेक की समस्या को भी दूर कर सकती हैं। यह ऑयल एक गर्भवती महिला के दाँतों में दर्द और मसूड़ों की समस्या को कम कर सकता है। आप ऐसा कोई टूथपेस्ट, माउथ वॉश या अन्य डेंटल प्रोडक्ट ले सकती हैं जिसमें नीलगिरी का तेल मिलाया गया हो। कई गर्भवती महिलाओं के दाँतों से खून भी निकल सकता है या खाना चबाते समय उनके मसूड़ों में दर्द भी हो सकता है। नीलगिरी ऑयल दाँतों के दर्द और असुविधाओं को कम करने में मदद कर सकता है।
गर्भावस्था में सर्दी और जुकाम होना एक आम समस्या है और इस समय मेडिकल से कोई भी दवा लेना भी ठीक नहीं है। इसलिए इस दौरान आप कोई प्रभावी होम रेमेडी का उपयोग करना पसंद करेंगी और आपके लिए नीलगिरी ऑयल ही सबसे सही उपचार है। कई स्टडीज में यह प्रमाणित है कि नीलगिरी ऑयल की खुशबू से सर्दी और जुकाम जल्दी ही ठीक हो जाता है। यह सिर्फ सीने की जकड़न को ही ठीक नहीं करता है बल्कि यह ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर समस्याओं को भी ठीक करने में मदद करता है। आप नीलगिरी ऑयल को डिफ्यूजर में डालकर इसकी खुशबू सूंघ सकती हैं या फिर गर्म पानी में इसकी कुछ बूंदें डालकर स्टीम लें।
गर्भावस्था के दौरान बहुत सारे बदलाव होते हैं और यह बदलाव सिर्फ शरीर के बाहर ही नहीं बल्कि शरीर के अंदर भी होते हैं। गर्भावस्था में वजन बढ़ने की वजह से आपके पैरों और पीठ की मांसपेशियों में बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है। यह इस समय बहुत आम समस्या है जिससे महिलाओं को असुविधा भी होती है। यदि आपको यह दर्द होता है तो इसे ठीक करने के लिए आप नीलगिरी ऑयल का उपयोग कर सकती हैं। नीलगिरी ऑयल में एंटी-इंफ्लेमटरी गुण होने की वजह से यह गर्भावस्था में होने वाले दर्द को कम करने में मदद करता है। आप इस ऑयल की कुछ बूंदों से दर्द की जगह पर आराम-आराम से मालिश करें। यह सिर्फ दर्द को कम करने में ही मदद नहीं करता है बल्कि इससे आपको बहुत हल्का और सुकून भी महसूस होगा।
प्रेगनेंसी में आपके चेहरे पर ग्लो आता है पर कभी-कभी हॉर्मोन्स को वजह से आपको एक्ने की समस्या भी हो सकती है। इस समस्या को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स या अन्य ऑइंटमेंट का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। आप अपनी त्वचा पर एक्ने को ठीक करने के लिए नीलगिरी का ऑयल भी लगा सकती हैं। इसे लगाने के लिए आप 3:1 के रेशियो में पानी और नीलगिरी ऑयल मिला लें और कॉटन बॉल की मदद से इसे एक्ने पर लगाएं। लगाने के बाद कुछ देर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। यह ऑयल एक्ने के बैक्टीरिया को प्रभावी रूप से ठीक कर सकता है। यह सिर्फ छिद्रों को खोलता ही नहीं है बल्कि यह अन्य समस्याओं को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। नीलगिरी ऑयल के एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमटरी गुण एक्ने को ठीक करने में मदद करते हैं।
गर्भावस्था के दौरान आप हर एक प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करना चाहती होंगी क्योंकि यह केमिकल प्रोडक्ट की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है। यदि गर्भावस्था में आप अपनी त्वचा का खयाल नहीं रख पा रही हैं तो आपको नीलगिरी के तेल का उपयोग करना चाहिए। यह ऑयल सिर्फ मेडिकल गुणों से ही भरपूर नहीं है बल्कि त्वचा में भी इसके बहुत फायदे होते हैं। आप इस ऑयल को जोजोबा ऑयल या बादाम ऑयल में मिलाकर मॉइस्चराइजर की तरह अपनी रूखी त्वचा में लगा लें। यदि आप नीलगिरी ऑयल को ऑलिव ऑयल में मिला लें तो यह होममेड सनस्क्रीन मॉइस्चराइजर की तरह ही काम करेगा। इसके अलावा यह ऑयल आपकी छोटी चोट और घाव को भी ठीक कर सकता है। इस ऑयल में मौजूद एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटीसेप्टिक और एंटी-इंफ्लेमटरी गुण आपकी त्वचा की समस्याओं को प्रभावी रूप से ठीक कर सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान खांसी होने से भी बहुत ज्यादा तकलीफ और असुविधाएं हो सकती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि लगातार खांसी होने से आपके ब्लैडर पर दबाव पड़ता है और अन्य असुविधाओं के साथ-साथ इसकी वजह से आपको बार-बार बाथरूम जाना पड़ सकता है। हालांकि पिछली कुछ समय से खांसी को ठीक करने के लिए नीलगिरी ऑयल का उपयोग किया जाता है और यह खांसी के लिए एक प्रभावी रेमेडी है। यह प्रमाणित है कि इस तेल के उपयोग से जमा हुआ म्यूकस पतला होकर निकल जाता है। खांसी की कई दवाओं में यह ऑयल डाला जाता है। आप इस ऑयल की कुछ बूंदें लेकर अपने नाक व गले में लगा लें ताकि आपकी खांसी ठीक हो सके। किसी भी इन्फेक्शन से बचने के लिए इसका उपयोग करने से पहले आप एक बार डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
आपके जीवन में गर्भावस्था बहुत नाजुक समय होता है और आपको इसका खयाल बहुत स्पेशल तरीके से करना चाहिए क्योंकि इस समय इम्युनिटी बहुत कमजोर होती है जिसकी वजह से आपको जल्दी ही कोई भी इन्फेक्शन और बीमारी हो सकती है। यद्यपि यह प्रमाणित है कि नीलगिरी ऑयल में बहुत सारे गुण हैं जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं और स्वास्थ्य संबंधी हर समस्या को दूर रखते हैं। आप डिफ्यूजर में इस ऑयल की कुछ बूंदें डालें और इसे अपनी नाक से इन्हेल करें। यह विशेषकर मौसम में बदलाव के कारण आपको कई इन्फेक्शन से बचाव करता है। आप समान मात्रा में लैवेंडर ऑयल और टी-ट्री ऑयल लें और इसमें इसकी दोगुनी मात्रा में नीलगिरी का ऑयल मिला लें। आप इसका हैंड सैनिटाइजर भी बना सकती हैं।
आज दुनिया में बहुत सारे लोग अस्थमा के मरीज हैं। यदि आपको भी अस्थमा है और साथ ही आप गर्भवती भी हैं तो नीलगिरी ऑयल का उपयोग आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अस्थमा की वजह से सांस लेने की नलिका में सूजन आ जाती है जिससे आपकी छाती में कसाव, सांस में कमी, सांस लेने में समस्या, खांसी और अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इस ऑयल का उपयोग करने से ब्लड वेसल बढ़ते हैं ताकि आपके लंग्स में ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन पहुँच सके। इस ऑयल में एंटी-इंफ्लेमटरी गुण भी हैं जिसकी मदद से सांस लेने की नलिका से म्यूकस हटता है और सांस लेने की समस्या व असुविधाएं भी कम हो जाती हैं। यह ऑयल सीने की जकड़न व बंद नाक को ठीक करता है और आप इसे सीने में ऐसे ही लगा सकती हैं। आप गर्म पानी में नीलगिरी ऑयल की कुछ बूंदें डालें और इसे नाक से इन्हेल करें।
साइनस की समस्या आपको बहुत ज्यादा असहज कर सकती है। यदि गर्भावस्था के दौरान आपको यह समस्या है तो आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि इस समय आप साइनस को ठीक करने के लिए सामान्य दवाएं भी नहीं ले सकती हैं। ऐसी स्थिति में नीलगिरी का ऑयल आपकी मदद कर सकता है। इस ऑयल में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल गुण हैं जो आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम की हर समस्या के लिए प्रभावी है, जैसे इन्फ्लुएंजा, जुकाम, फ्लू, साइनस, और इत्यादि। यह सांस लेने की नलिका में सूजन को कम कर सकता है और म्यूकस को हटाता है जिससे ब्लॉक्ड साइनस में आराम मिलता है। आप एक रुमाल में नीलगिरी ऑयल की कुछ बूंदें डालें और इसे सूंघती रहें। आप गर्म पानी में इस ऑयल की कुछ बूंदें डालकर स्टीम भी लें। इसके अलावा आप गर्म पानी में नीलगिरी ऑयल की कुछ बूंदें डालकर इसे वॉर्म कंप्रेस के रूप में भी इस्तेमाल करें।
जब भी आपका शरीर किसी भी इन्फेक्शन से लड़ता है तो इससे आपको बुखार भी हो सकता है। यह गर्भावस्था के दौरान भी हो सकता है। यद्यपि आप अपने शरीर का तापमान कम करने के लिए पैरासीटामोल ले सकती हैं पर यदि आप दवा नहीं लेना चाहती हैं तो आप नीलगिरी ऑयल का उपयोग भी कर सकती हैं। नीलगिरी ऑयल में बुखार कम करने के गुण भी हैं इसलिए इसे बुखार के लिए विशेष भी माना जाता है। यह ऑयल माइल्ड तापमान में ही काम करता है क्योंकि यह बुखार को ठीक करने के लिए ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है। आप इस ऑयल को गुनगुने पानी में मिलाकर अपने हाथ, पैरों और सिर में लगा लें। आप एक चम्मच बादाम ऑयल या जोजोबा ऑयल में नीलगिरी ऑयल को मिलाएं और इस मिश्रण को अपने सिर के बीच में, पैर के तलुओं में या गर्दन के पीछे हर 15-20 मिनट में लगाएं। ऐसा करने से भी आपका बुखार कम हो सकता है।
नोट: आप नीलगिरी ऑयल का उपयोग सिर्फ शरीर में लगाकर बाहरी रूप से करें और इसका सेवन न करें।
गर्भावस्था में कभी-कभी बाल खराब व दो मुंहे होने लगते हैं और यह इस समय आपके हॉर्मोन्स में बदलाव से होता है।आप अपने रूखे बेजान बालों को पोषण देने के लिए किसी भी ऑयल का उपयोग कर सकती हैं और गर्भावस्था के दौरान इस समस्या को कम करने के लिए इन सभी में से नीलगिरी का ऑयल सबसे बेस्ट रेमेडी है। इस ऑयल के गुण बालों को प्रभावी रूप से सुंदर और घने बनाते हैं। यह ऑयल सिर के ब्लड सर्कुलेशन में सुधार लाता है जिससे बालों को बढ़ने में मदद मिलती है। आप नीलगिरी ऑयल की कुछ बूंदें अपने सामान्य ऑयल में मिलाएं और इस मिश्रण से अपने सिर व बालों की मालिश करें। अच्छे परिणामों के लिए आप सिर में ऑयल लगाकर रात को ऐसे ही छोड़ दें और सुबह गुनगुने पानी से धोएं।
यद्यपि सिर में जुएं ज्यादातर स्कूल जाते बच्चों में होते हैं पर यह समस्या किसी को भी और कभी भी हो सकती है। सिर के जुओं को खत्म करने के लिए बहुत सारे ट्रीटमेंट हैं पर इस समस्या को ठीक करने में नीलगिरी का ऑयल मदद कर सकता है। नीलगिरी ऑयल एक नेचुरल इंसेक्टिसाइड होता है और यह सिर के जुओं को प्रभावी तरीके से नष्ट कर सकता है। इसका उपयोग करने के लिए आप अपने सामान्य ऑयल में नीलगिरी ऑयल की कुछ बूंदें मिलाएं और इस मिश्रण से अपने सिर की मालिश करें। बालों को धोने से पहले थोड़ी देर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। इसके अलावा आप सिर के जुओं से छुटकारा पाने के लिए इस ऑयल को नीम के ऑयल की कुछ बूंदों के साथ अपने शैंपू में भी मिला सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान शरीर सामान्य से ज्यादा काम करता है और इसकी वजह से आपको थकान होती है। यदि आपको कोई मेडिकल समस्या है तो इसमें आपको शरीर पूरी तरह से कमजोर हो सकता है। कोल्ड सोर होना एक समस्या है जो गर्भावस्था में आपको परेशान कर सकती है और यदि आपको हर्पीस हैं तो यह और भी बढ़ सकता है। इसमें आपको दर्द, जलन या झुनझुनी भी हो सकती है। स्टडीज के अनुसार नीलगिरी ऑयल से एच.एस.वी. या दाद के कारण हुए छाले ठीक हो सकते हैं। कोल्ड सोर को ठीक करने के लिए इस ऑयल से बनी कई दवाएं भी ओवर द काउंटर उपलब्ध हैं। समस्या को ठीक करने के लिए आप घर में इस ऑयल का सोल्युशन बना कर उपयोग करें। इसके लिए आप टी-ट्री ऑयल और नीलगिरी ऑयल के मिश्रण में दो बूंद नारियल का ऑयल मिलाएं। छालों को ठीक करने के लिए आप इस सोल्युशन को दिन में 3-4 बार लगाएं।
गर्भावस्था के दौरान आप सकारात्मक रहने की कितनी भी कोशिश कर लें पर कभी-कभी आपको अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में चिंताएं हो सकती हैं। यद्यपि ऐसा हर गर्भवती महिला महसूस करती है पर ऐसी चिंताओं की वजह से अक्सर मानसिक और शारीरिक तनाव हो सकता है। आप अपने शारीरिक तनाव व थकान को कम करने के लिए आराम कर सकती हैं पर आपके लिए मानसिक तनाव को कम करना थोड़ा कठिन हो सकता है और इस समस्या में एरोमा थेरेपी से मदद मिल सकती है। नीलगिरी का ऑयल मानसिक शांति के लिए बहुत ज्यादा प्रभावी है। गर्भावस्था के दौरान आप नहाते समय इस ऑयल का उपयोग कर सकती हैं या अपने मन को शांत करने के लिए आप इसे डिफ्यूजर की तरह भी उपयोग करें।
नीलगिरी ऑयल के बहुत सारे फायदे ऊपर दिए हुए हैं पर फिर भी हम सलाह देंगे कि गर्भावस्था के दौरान आप इसका उपयोग करने से पहले इसके बारे में डॉक्टर से चर्चा जरूर करें।
यदि आप सोच रही हैं कि गर्भावस्था के दौरान नीलगिरी ऑयल का उपयोग करना सुरक्षित है, तो इसका जवाब हाँ है। हालांकि, इस ऑयल का उपयोग करने से कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। नीलगिरी ऑयल से कुछ निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, आइए जानें;
यह ऑयल बहुत स्ट्रांग होता है और इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसका उपयोग करने से महिलाओं को कभी-कभी एलर्जी भी हो सकती है।
यद्यपि इस ऑयल से सांस की समस्या जल्दी ही ठीक हो जाती हैं पर कभी-कभी इसका उल्टा प्रभाव भी पड़ सकता है। यदि आपको नीलगिरी ऑयल से एलर्जी है तो यह हो सकता है।
यदि आपकी त्वचा सेंसिटिव है तो यह ऑयल लगाने से त्वचा पर रैशेज पड़ सकते हैं और खुजली भी हो सकती है।
यद्यपि एक गर्भवती महिला के लिए नीलगिरी ऑयल बहुत फायदेमंद होता है पर आप इससे होने वाली संभावित कॉम्प्लीकेशंस को भी नजरअंदाज नहीं कर सकती हैं। इसलिए यदि आप गर्भावस्था के दौरान ऑयल का उपयोग करना चाहती हैं तो कॉप्लिकेशन से बचाव के लिए डॉक्टर से सलाह जरूरी लें।
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