In this Article
गर्भावस्था एक महिला के जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण चरणों में से एक है, जहाँ शरीर कई फिजिकल और हार्मोनल चेंजेस से होकर गुजरता है। एक गर्भवती महिला के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह जो भी खाती है उस पर सावधानी बरतें, क्योंकि वो जो कुछ भी खाती हैं वह गर्भ में पल रहे बच्चे तक पहुँचता है। इसकी प्रकार दवाइयों का सेवन करते समय भी अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है और किसी भी दवा का सेवन करने से पहले यह जानना जरूरी है कि उससे बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
इसे एसिटामिनोफेन या एपीएपी के रूप में भी जाना जाता है, पेरासिटामोल एक कॉमन मेडिसिन है जिसका इस्तेमाल दर्द और बुखार का इलाज करने के लिए किया जाता है। यह दवा आमतौर पर डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के बगैर बेची जाती है और भारत सहित अधिकांश देशों में इसके लिए डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन की आवश्यकता नहीं होती है।
ज्यादातर गर्भवती महिलाएं दर्द और बुखार से राहत पाने के लिए पेरासिटामोल का विकल्प चुनती हैं। पेरासिटामोल न केवल दुनिया की सबसे लोकप्रिय पेन किलर दवा है, बल्कि यह एक ऐसी दवा भी है, जिसका शिशु पर कोई सीधा दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
हालांकि, वर्तमान में दवा के किसी भी साइड इफेक्ट को साबित करने के लिए कोई भी साइंटिफिक प्रूव नहीं है, हाल ही में पेरासिटामोल और प्रेगनेंसी से जुड़ी स्टडी से पता चलता है कि प्रेगनेंसी के दौरान पेरासिटामोल का सेवन करने से बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याओं के बढ़ने का जोखिम होता है।
गर्भावस्था के दौरान जितना संभव हो सके दवाओं का सेवन करने से बचना चाहिए। यदि आपको दर्द या बुखार कम करने के लिए पेरासिटामोल लेने की आवश्यकता पड़ती है, तो कोशिश करें की सबसे कम खुराक लें। जेनरल डोस यानि 500mg से 1000mg तक लेना इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कितना दर्द है और कितनी तेज बुखार है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल की कम से कम डोस लेनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बगैर इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
पेरासिटामोल एक सेफ ड्रग है और यह गर्भावस्था से जुड़ी समस्याओं जैसे कि प्रीमैच्योर बर्थ, स्टिल बर्थ और मिसकैरज आदि का खतरा पैदा नहीं करता है। लेकिन हाल में की गई रिसर्च के अनुसार प्रेगनेंसी के दौरान पेरासिटामोल का सेवन करने से कुछ कॉम्प्लिकेशन होने की संभावना हो सकती है:
गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान अधिक मात्रा में पेरासिटामोल का सेवन करने से बच्चे में जन्म दोष हो सकता है। पहली तिमाही के दौरान बच्चे के अंग विकसित हो रहे होते हैं और पेरासिटामोल का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन लेवल कम हो जाता है, जो गर्भ में बच्चे को प्रभावित कर सकता है।
गर्भावस्था के दौरान खाई जाने वाली कोई भी दवा बच्चे के विकासशील मस्तिष्क को नुकसान पहुँचा सकती है। इससे भविष्य में बच्चे के सीखने, मोटर स्किल, ध्यान न देना, बातचीत और सामान्य व्यवहार से संबंधित समस्याएं पैदा हो सकती हैं। स्टडी से यह भी पता चलता है कि पेरासिटामोल के कारण बच्चे में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) और ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) के होने की संभावना हो सकती है।
गर्भ में दवा के संपर्क में आने से बच्चे को अस्थमा और घरघराहट की समस्या भी पैदा हो सकती है।
हालांकि, ये कुछ संभावित कॉम्प्लिकेशन हैं जो गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल के सेवन से जुड़े हो सकते हैं, फिर भी इस बात को पूरी तरह से साबित नहीं किया जा सका है कि दवा का कोई साइड इफेक्ट्स होता है या नहीं। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल या किसी अन्य दवा का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
भले ही इस बात का कोई ठोस सबूत न हो कि पेरासिटामोल से बच्चे को नुकसान पहुँचता है या नहीं, फिर भी बेहतर यही है कि दर्द और बुखार से राहत प्रदान करने के लिए आप नेचुरल घरेलू उपचारों की मदद लें। यह न केवल आपको पूरी तरह से ठीक करने में आपकी मदद करता है, बल्कि पेरासिटामोल का सेवन करने वाले किसी भी जोखिम को कम करता है।
गर्भावस्था के दौरान बुखार और शरीर में दर्द के लिए दवा केवल तभी करे जब आपको किसी भी चीज से राहत न मिल रही हो। पेरासिटामोल केवल तभी लिया जाना चाहिए जब बुखार या दर्द असहनीय हो जाए या उपरोक्त घरेलू उपचार कोई मदद न कर पा रहे हों।
नीचे गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल का सेवन करने से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।
गर्भ में बढ़ते हुए बच्चे पर पेरासिटामोल का कोई साइड इफेक्ट्स ज्ञात नहीं है, इसलिए दवा लेने के बाद बच्चे पर ज्यादा निगरानी रखने की जरूरत नहीं होती है।
ज्यादातर महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान टेस्ट और स्कैन कराती हैं ताकि उन्हें यह पता चल सके कि बच्चे का विकास ठीक से हो रहा है या नहीं, साथ ही बच्चे में किसी प्रकार का कोई बर्थ डिफेक्ट तो नहीं है। इन टेस्ट और स्कैन की मदद से किसी भी समस्या या डिसऑर्डर का पता लगाया जा सकता है।
अगर गर्भधारण करने से पहले या उसके आसपास पिता ने किसी भी समय पेरासिटामोल लिया हो तो इससे बच्चे को कोई खतरा नहीं होता है। इन दोनों चीजों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है।
गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को अधिक देखभाल की जरूरत होती है। क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे का सीधा संबंध अपनी माँ से होता है, इसलिए माँ से जुड़ी हर चीज बच्चे को भी उतना ही प्रभावित करती है। आप जो भी खाती हैं उसका सीधा असर बच्चे के विकास पर पड़ता है। इसलिए, अपने डॉक्टर से चर्चा करने के बाद और बच्चे पर पेरासिटामोल का सेवन करने के संभावित साइड इफेक्ट्स को समझने के बाद ही आपको दवा लेनी चाहिए। हर गर्भावस्था अलग होती है, इसलिए जरूरी नहीं कि जो एक के लिए अच्छा हो वो और गर्भवती महिलाओं के लिए भी वैसे ही काम करे।
यह भी पढ़ें:
प्रेगनेंसी के दौरान कफ ड्रॉप्स का इस्तेमाल करना
क्या प्रेगनेंसी के दौरान स्टेरॉयड लेना सुरक्षित है?
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…