गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान पैसिव (सेकंड हैंड) स्मोकिंग करना

सभी जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान स्मोकिंग करना खतरनाक होता है पर यदि एक गर्भवती महिला का साथी, दोस्त और अन्य कोई रिश्तेदार उसके सामने स्मोकिंग करता है तो इससे भी हानि हो सकती है जिसे पैसिव और सेकंड हैंड स्मोकिंग भी कहते हैं। गर्भावस्था के दौरान इस प्रकार से सिगरेट के संपर्क में आने से भी आगे चलकर कई कॉम्प्लिकेशंस हो सकती हैं। 

सेकंड हैंड स्मोकिंग में भी लगभग 4000 हानिकारक चीजें होती हैं जिससे माना जाता है कि कैंसर भी हो सकता है। भले ही आप स्मोकिंग न कर रही हों पर फिर भी अप्रत्यक्ष तरीके से आपके शरीर में तम्बाकू जाता है जिसकी वजह से आपको टॉक्सिन्स और केमिकल से हानि हो सकती है। वास्तव में एक गर्भवती महिला को पैसिव स्मोकिंग से भी वैसे ही खतरा होता है जैसे कि सही में स्मोकिंग करने से होता है जिसमें लंग्स का कैंसर भी शामिल है। 

पैसिव या सेकंड हैंड स्मोकिंग क्या है?

एक एक्टिव स्मोकर की वजह से वातावरण में बहुत सारा धुंआ होता है और आप उस धुंए में सांस लेती हैं तो इसे पैसिव स्मोकिंग कहते हैं। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हैं जो बहुत ज्यादा स्मोकिंग करता है या सिगार और पाइप का उपयोग करता है तो भी ऐसा हो सकता है। किसी के द्वारा तंबाकू का धुआं बाहर निकालने से यह वातावरण में फैल जाता है और किसी नॉन स्मोकर के शरीर में भी जा सकता है। 

सेकंड हैंड स्मोकिंग गर्भावस्था को कैसे प्रभावित करती है?

गर्भावस्था के दौरान पैसिव स्मोकिंग से आप पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे 

  1. जन्म के दौरान वजन कम होना: कई स्टडीज के अनुसार सेकंड हैंड स्मोकिंग और जन्म के दौरान बच्चे का कम वजन होना भी काफी हद तक संबंधित होता है। जो महिलाएं पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में लगातार रहती हैं, जन्म के समय उनके बच्चे का वजन सामान्य से कम होता है। गर्भावस्था, डिलीवरी के दौरान और जन्म के बाद भी कॉम्प्लिकेशंस होने से भी जन्म के समय बच्चे का वजन कम होता है।
  2. जन्म के दौरान विकार होना: सेकंड हैंड स्मोकिंग से हाल ही में जन्मे बच्चे को कई समस्याएं होती हैं, जैसे आँखों में समस्याएं, हाथ पैरों में कमी, पैरों के मुड़े हुए पंजे, फटा हुआ होंठ, सुनने में समस्याएं और पाचन संबंधित समस्याएं। तंबाकू के धुंए में निकोटिन और कार्बन-मोनोऑक्साइड जैसे केमिकल्स होते हैं जिसके संपर्क में आने से बच्चे तक खून का प्रवाह कम हो जाता है और साथ ही ऑक्सीजन में कमी होती है जिसकी वजह से बच्चे का सही विकास नहीं हो पाता है।
  3. प्रीमैच्योर लेबर होना: पैसिव स्मोकिंग की वजह से प्रीटर्म डिलीवरी होना भी बहुत आम है। यदि गर्भवती महिलाएं इसके संपर्क में रहती हैं तो इससे एनीमिया, हाइपरटेंशन, पीआरओएम (मेम्ब्रेन का प्रीमैच्योर फटना) हो जाती है।
  4. मिसकैरेज होना: गर्भवती महिलाओं के पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में आने से मिसकैरेज भी हो सकता है। स्टडीज के अनुसार जिन महिलाओं के पति सिगरेट नहीं पीते हैं, उनकी तुलना में जिनके पति स्मोकिंग करते हैं उनमें मिसकैरेज होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं।
  5. सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम होना: गर्भावस्था के दौरान पैसिव स्मोकिंग की वजह से अन्य डैमेज भी हो सकते हैं, जैसे एक साल एक भीतर बच्चे की अचानक मृत्यु हो जाना। बच्चे की अचानक मृत्यु होने को सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) या क्रिब डेथ कहते हैं।
    इससे संबंधित स्टडीज में मेडिकल हिस्ट्री और अटॉप्सी के बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि बच्चे की अचानक मृत्यु क्यों होती है। एसआईडीएस की समस्या अक्सर बच्चे को सोते समय होती है।
  6. मानसिक विकास न होना: गर्भावस्था के दौरान पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में आने से बच्चे को जन्म के बाद जन्मजात डिसऑर्डर, गंभीर अब्नोर्मलिटी और व्यवहारिक समस्याएं भी हो सकती हैं। स्टडीज के अनुसार जो गर्भवती महिलाएं पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में रहती हैं उनके बच्चों में सामान्य गर्भवती महिलाओं की तुलना में देखने, सुनने और भाषा समझने में समस्याएं होती हैं। टोबैको के टोक्सिन से बच्चे के दिमाग के सेल्स में, नर्वस सिस्टम में और इम्यून सिस्टम में बुरा असर पड़ता है जिससे उसे इन्फेक्शन अधिक तेजी से हो सकता है।
  7. टोबैको के गलत उपयोग की संभावनाएं: रिसर्च के अनुसार यदि गर्भ में पल रहा बच्चा पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में आता है तो निकोटिन के संपर्क में आने से आगे चलकर उसे भी स्मोकिंग की लत लग सकती है।

थर्ड हैंड स्मोकिंग और गर्भावस्था

गर्भवती महिला जाने-अनजाने में थर्ड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आ सकती है। थर्ड हैंड स्मोक का मतलब है बचा हुआ निकोटिन और अन्य टॉक्सिन्स जो तम्बाकू के स्मोक की वजह से किसी भी जगह या कपड़े पर भी हो सकता है। माना जाता है कि यह अन्य गंदगी के साथ रिएक्ट करता है जिससे टॉक्सिक चीजें उत्पन्न होती हैं। गर्भवती महिलाएं फर्नीचर, रग्स, पर्दे, दीवारों, फ्लोर या प्रदूषण में सांस लेने से भी इन टॉक्सिक चीजों के संपर्क में आ सकती हैं। यह टॉक्सिन्स खून में मिलकर बच्चे तक भी पहुँच सकता है।

थर्ड हैंड स्मोक महीनों और सालों के लिए भी रह सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसके संपर्क में आने से बचना चैलेंजिंग है विशेषकर तब जब आपका साथी स्मोकिंग करता है। पर फिर भी गर्भवती महिलाओं को थर्ड हैंड स्मोकिंग के संपर्क से बचकर रहना चाहिए क्योंकि यह गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है। कई स्टडीज के अनुसार थर्ड हैंड स्मोकिंग से बच्चे के लंग्स के विकास में भी असर होता है और इसके परिणामस्वरूप जन्म के बाद उसे रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। 

कई जगहों पर स्मोक की गंध आती रहती है इसलिए आप यह समझें कि ऐसी जगहों पर तम्बाकू के स्मोक के टॉक्सिन्स हैं। इसके अलावा यदि आप बच्चे की प्लानिंग कर रही हैं और आपके पति स्मोकिंग करते हैं तो थर्ड हैंड स्मोकिंग के प्रभाव को कम करने के लिए आप पूरे घर को डीकंटेमिनेटिंग करें ताकि पूरा घर स्वच्छ और टॉक्सिन्स से मुक्त हो सके। आप टोबैको के टॉक्सिन से बचने के लिए चादर और कपड़े, हार्ड सरफेस और फ्लोर, दीवारें और छत, कारपेट्स और परदे और फर्नीचर को अच्छी तरह से साफ करें या धोएं। 

बच्चे के जन्म के बाद क्या होगा?

एक गर्भवती महिला सोच सकती है कि क्या सेकंड हैंड स्मोकिंग से गर्भ में पल रहे बच्चे को हानि हो सकती है। पर स्टडीज के अनुसार सेकंड हैंड स्मोकिंग और गर्भावस्था एक दूसरे से संबंधित हैं। सेकंड हैंड स्मोकिंग से भी बच्चे पर प्रभाव पड़ते हैं और इससे जन्म के दौरान कई कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं, जैसे अस्थमा। इसलिए पैसिव स्मोकिंग और गर्भावस्था एक दूसरे से संबंधित हैं।

पहली तिमाही में सेकंड हैंड स्मोकिंग पर ध्यान दें क्योंकि इस समय बच्चे का इम्यून सिस्टम बहुत ज्यादा कमजोर होता है और पैसिव स्मोकिंग की वजह से उसे ज्यादा नुकसान हो सकता है। 

गर्भावस्था के दौरान आप किसी भी प्रकार की पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में आने से बचें। वास्तव में डिलीवरी के बाद भी बच्चे को सेकंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में नहीं लाना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे के स्वास्थ्य में कुछ उल्टे प्रभाव पड़ सकते हैं। आप अपने और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए घर में स्मोक-फ्री एरिया बनाने का प्रयास करें। यदि आपके पति स्मोकिंग छोड़ना चाहते हैं तो उन्हें मदद की जरूरत है इसलिए आप इसके बारे में डॉक्टर से बात करें। 

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