गर्भावस्था

गर्भावस्था में पेल्विक की जांच – प्रक्रिया, जोखिम और टिप्स

गर्भावस्था का समय बहुत नाजुक होता है और इस दौरान आप अपना खास खयाल रखें। यही वह समय है जब आपको डॉक्टर के पास जाने की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। गर्भावस्था में डॉक्टर आपको कुछ जांच करवाने की सलाह देते हैं जिसमें से एक जांच पेल्विक की भी होती है। 

गर्भावस्था के दौरान यह जांच आपके और आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य की पूरी जानकारी देती है। यदि आपको पेल्विक की जांच से संबंधित कोई भी कन्फ्यूजन है तो आप इसके बारे में पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें। 

गर्भावस्था में पेल्विक की जांच क्या है

पेल्विक की जांच में फिजिशियन एक गर्भवती महिला की वजायना और उसके आसपास के क्षेत्र की जांच करते हैं। आमतौर पर यह जांच शुरू करने से पहले महिला को एनेस्थीसिया दी जाती है और जांच के दौरान इन्फेक्शन की जांच के लिए डॉक्टर वजायनल फ्लूइड भी कलेक्ट करते हैं। पेल्विक जांच के दौरान एक गर्भवती महिला के गर्भाशय, वल्वा, सर्विक्स, ओवरी, ब्लैडर या यहाँ तक कि रेक्टम की जांच भी की जाती है। 

गर्भावस्था के दौरान पेल्विक जांच क्यों और कब की जाती है

कई मामलों में डॉक्टर महिलाओं को पेल्विक की जांच गर्भावस्था की पहली और तीसरी तिमाही में करवाने की सलाह देते हैं। यदि महिला को कुछ कॉम्प्लीकेशंस हैं तो कुछ दुर्लभ मामलों में डॉक्टर पेल्विक की जांच कर भी सकते हैं। इसके बारे में पूरी जानकारी के लिए, आगे पढ़ें;

  • पहली तिमाही: गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में पेल्विक की जांच के दौरान डॉक्टर यह पता लगाते हैं कि सर्विक्स म्यूकस प्लग द्वारा ठीक से कवर है या नहीं।
  • तीसरी तिमाही: गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में पेल्विक की जांच करवाना बहुत आम है। इस दौरान यह जांच बार-बार की जाती है या आप जब भी डॉक्टर के पास जाती हैं तब भी यह जांच की जा सकती है। तीसरी तिमाही में पेल्विक की जांच से डॉक्टर यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि डिलीवरी के समय अनुसार सर्विक्स कितना फैल चुका है।
  • कॉम्प्लीकेशन्स: यदि आपको कॉम्प्लीकेशंस होती हैं, जैसे स्पॉटिंग, समय से पहले लेबर, पेल्विक क्षेत्र में वृद्धि या वजायनल इन्फेक्शन तो आपकी गर्भावस्था के किसी भी समय में पेल्विक की जांच की जा सकती है।

जांच करवाते समय ध्यान रखने योग्य कुछ बातें

यदि आप पेल्विक की जांच करवाने के लिए तैयार हैं तो आपको कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए, जैसे;

  • पेल्विक की जांच करवाने से पहले अपने ब्लैडर को पूरी तरह से खाली करें।
  • आप खुद को वॉर्म और कवर करें।
  • महिलाओं की प्राइवेसी जरूरी है इसलिए पहले से ही पुष्टि करें कि जांच के दौरान हॉस्पिटल स्टाफ या क्लिनिक स्टाफ आपके आस-पास होना चाहिए या नहीं।
  • जांच के दौरान आराम से लेट जाएं और गहरी सांस लें ताकि आपकी पेल्विक की मासपेशियां आरामदायक स्थिति में हों।

गर्भावस्था के दौरान पेल्विक का एसेस्समेंट कैसे होता है

पेल्विक की जांच के दौरान डॉक्टर इसका आकार, चौड़ाई और पोजीशन भी चेक करते हैं। आपको यह भी पता होना चाहिए कि पेल्विक की जांच के दो भाग होते हैं; मैन्युअल और विजुअल। 

मैन्युअल जांच में डॉक्टर वल्वा या बाहरी जननांग और वजायना की आंतरिक जांच करते हैं। उसी प्रकार से विसुअल जांच में डॉक्टर स्पेक्युलम नामक डिवाइस की मदद से पेल्विक अंगों की जांच करते हैं। 

पेल्विक की जांच की प्रक्रिया कुछ इस तरह से होता है, आइए जानें;

  • सबसे पहले आपको अपने शरीर के निचले कपड़े हटाकर टेबल पर पीठ के बल लेटना होगा।
  • फिर उसके बाद आपको अपने पैरों को घुटनों तक मोड़कर दूर-दूर रखने होंगे।
  • अब डॉक्टर अपने हाथों में ग्लव्स पहनेंगे और आपकी वजायना में दो उंगलियां रखकर सर्विक्स चेक करेंगे।
  • इसके बाद स्पेक्युलम से टेस्ट किया जाएगा। इस टेस्ट में स्पेक्युलम वजायना में डाला जाता है। स्पेक्युलम की मदद से डॉक्टर को वजायना की जांच करने में आसानी होती है।
  • पेल्विक की जांच के दौरान सर्विक्स में कैंसर के एलिमेंट्स की जांच के लिए पैप स्मीयर टेस्ट भी किया जा सकता है।
  • यू.टी.आई. और बवासीर की जांच के लिए डॉक्टर आपका ब्लैडर और रेक्टल टेस्ट भी कर सकते हैं।

क्या इसमें कोई जोखिम है

पेल्विक की जांच में निम्नलिखित जोखिम हो सकते हैं;

  • इस जांच की वजह से आपको इन्फेक्शन हो कसता है। यह अक्सर वजायना में मौजूद बैक्टीरिया सर्विक्स तक पहुँचने के कारण होता है।
  • इसमें गंभीर क्षति भी हो सकती है, जैसे सर्विक्स के खुलने की वजह से लेबर हो सकता है। यदि आपका बच्चा अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है तो समय से पहले लेबर की संभावना बढ़ सकती है।
  • पेल्विक की जांच के कारण पी.आर.ओ.एम. नामक समस्या भी हो सकती है। इसे प्रीमैच्योर रप्चर ऑफ मेम्ब्रेन अर्थात समय से पहले झिल्ली का टूटना भी कहा जाता है।
  • पेल्विक की जांच के परिणाम अक्सर लेबर के समय की ओर संकेत करता है। यदि समय अभी नहीं आया है तो गर्भवती महिला चिंतित भी हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप वह लेबर प्रेरित करने का अनुरोध कर सकती है।

क्या पेल्विक जांच से लेबर का पता चलता है

यद्यपि पेल्विक की जांच से लेबर की अनुमानित तारीख का पता लगाया जा सकता है पर इससे निश्चित समय और तारीख का पता नहीं चलता है। स्टडी के अनुसार जब बच्चा पूरी तरह से विकसित हो जाता है तो उसके लंग्स से एक प्रकार का पदार्थ निकलता है जिसकी मदद से लेबर प्रेरित होता है। इसलिए पेल्विक की जांच से यह पता लगता है कि लेबर कब तक होगा। 

यदि फिजिशियन आपको यह कहते हैं कि आपका सर्विक्स फैल चुका है तो इसका यह मतलब है कि आपको लेबर पेन होने वाला है। इस दौरान महिला का सर्विक्स कुछ सप्ताह के लिए लगभग 1-2 सेंटीमीटर फैलता है। 

हम आशा करते हैं कि इस लेख में दी हुई जानकारी से आपकी थोड़ी सी उत्सुकता कम हुई होगी। इस बात का ध्यान रखें कि पेल्विक की जांच सिर्फ अनुमति के आधार पर ही की जा सकती है। कोई भी स्थिति हो पर आपको इस टेस्ट के लिए पूरी तरह से तैयार होना चाहिए। 

इसके आलावा टेस्ट करने से पहले डॉक्टर आपको बताएंगे कि आपके लिए यह क्यों जरूरी है और इससे क्या होगा। गर्भावस्था के दौरान पेल्विक टेस्ट के बाद यदि आपको स्पॉटिंग का अनुभव होता है तो घबराएं न। इस टेस्ट के बाद थोड़ी बहुत ब्लीडिंग होना आम बात है। परन्तु यदि इस टेस्ट के बाद आपको अत्यधिक ब्लीडिंग होती है तो यह एक गंभीर समस्या का संकेत है। यदि आपको 24 घंटे से ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

यह भी पढ़ें: 

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सुरक्षा कटियार

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