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गर्भावस्था के दौरान पेरिनियल मालिश – फायदे और कैसे करें

मालिश करवाने से शरीर को आराम मिलता है, रिकवरी होती है और सालों के लिए स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। यह अब कोई भी सीक्रेट नहीं है कि सही तरीके से मालिश करने पर मानसिक व शारीरिक शांति मिलती है। इसलिए डॉक्टर भी गर्भवती महिलाओं को मालिश करवाने की सलाह देते हैं। गर्भावस्था के बाद महिलाएं अक्सर पेरिनियल मालिश करवाती हैं। यह क्या है, कैसे होती है और इसके फायदे क्या-क्या हैं, ये सब जानने के लिए आगे पढ़ें। 

पेरिनियल मालिश क्या है?

वजायना और एनस के बीच में स्थित पेरिनियम एक मांसपेशी है जिसका उपयोग डिलीवरी में बहुत ज्यादा होता है। बच्चे के जन्म के दौरान इस जगह पर बहुत ज्यादा डैमेज होता है और इसमें खिंचाव होता है व चीरा भी लग सकता है। इसके लिए डॉक्टर एपिसियोटोमी प्रोसीजर का उपयोग भी कर सकते हैं। इसमें डॉक्टर पेरिनियम को काटकर बच्चे की डिलीवरी करने में मदद करते हैं। मसल्स में चीरा लगने से अत्यधिक दर्द होता है। 

पेरिनियम की मालिश करने से धीरे-धीरे इसकी मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं इसलिए यह मांसपेशियों को फ्लेक्सिबिलिटी और ड्यूरेबिलिटी को बढ़ाने में मदद करती है। इससे जन्म के दौरान मांसपेशियां नहीं कटती हैं। महिलाओं को यह मालिश करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे डिलीवरी के बाद रिकवरी होने में मदद मिलती है। 

गर्भावस्था के दौरान पेरिनियल मालिश करने के फायदे

डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी के लिए पेरिनियल मालिश करने की सलाह देते हैं क्योंकि यह रिकवरी के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद है। मालिश के कुछ फायदे यहाँ निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • यह मालिश मांसपेशियों में फ्लूइड को बढ़ाती है जिससे जन्म के दौरान कम दर्द होता है।
  • यह सर्विक्स के निचले हिस्से को लचीला बनाने में मदद करती जिससे डिलीवरी के बाद जल्दी रिकवरी हो सकती है।
  • पेरिनियम के आसपास की जगहों के मूवमेंट में कम कठोरता होती है और यह हिलने डुलने व खून के बहाव में भी मदद करती है।
  • इस क्षेत्र के टिश्यू सॉफ्ट और फ्लेक्सिबल हो जाते हैं जिससे डिलीवरी के दौरान मांसपेशियों के बचाव में मदद मिलती है।
  • यह उन संभावनाओं को कम करती है जिसमें एपिसियोटोमी की जरूरत हो।
  • यह डिलीवरी के दौरान किसी भी उपकरण का उपयोग करने की संभावनाओं को कम करती है, जैसे जन्म के दौरान वैक्यूम का उपयोग करना।
  • यह मालिश बर्थ कैनाल की चौड़ाई को बढ़ाती है और बच्चे की क्राऊनिंग के दौरान सेंसेशनल दर्द को कम करती है। मालिश करने से ब्लड फ्लो बढ़ता है जिससे गर्भ में कॉम्प्लीकेशंस कम होती हैं।

क्या डिलीवरी के दौरान पेरिनियल मालिश से चीरे से बचने में मदद मिलती है?

पुराने समय से ही दुनिया की अलग-अलग संस्कृतियों में मालिश की प्रथा रही है। रिसर्च के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मालिश करने से डिलीवरी के दौरान चीरे को रोका जा सकता है। इस फैक्ट को प्रमाणित करने के लिए कई स्टडीज हुई है और अब साइंस भी इस बात को मानता है और इसके अनेक महत्वपूर्ण प्रमाण भी हैं। ऐसा माना जाता है कि डिलीवरी की तारीख से 3 या 4 सप्ताह पहले पेरिनियम मालिश करने से वजायना और एनस की कठोर व तनी मसल्स स्ट्रेच होती हैं। इससे वजायना की इलास्टिसिटी बढ़ती है जिससे मांसपेशियों का बचाव हो सकता है। इससे जन्म के दौरान चीरे से बचाव होता है। पेरिनियल मालिश करने से एनस और वजायना को उत्तेजित करने में मदद मिलती है और ब्लड फ्लो भी बढ़ता है। इससे सिर्फ रिकवरी ही नहीं होती है बल्कि यह डिलीवरी के डर को कम करने में मदद करता है। 

नोट: पेरिनियल मालिश करने से पहले आप एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें क्योंकि कुछ महिलाओं को गर्भावस्था में कॉम्प्लिकेशंस होती हैं और गर्भावस्था को प्रभावित करने वाली कोई भी एक्टिविटी करने से पहले मेडिकल सलाह लेना जरूरी है। 

पेरिनियल मालिश कैसे करें?

मालिश करने से पहले आपको इसे करने का तरीका समझना चाहिए और अन्य जरूरी बातें, जैसे कब शुरू करना है, मालिश कैसे करें और मालिश के लिए किन चीजों की जरूरत पड़ती है भी जाननी चाहिए ताकि आप इसे अच्छी तरह से कर सकें। आपके लिए कुछ चीजें यहाँ बताई गई हैं, आइए जानें;

1. कब शुरू करें?

यह सलाह दी जाती है कि आप ड्यू डेट से पहले 4-6 सप्ताह के लिए यह मालिश करें। इस बात का ध्यान रखें कि मालिश शुरू करते समय आपके साथ कोई हो ताकि इमरजेंसी होने पर डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट से समय पर संपर्क किया जा सके। 

2. यह मालिश कितनी बार करें?

अच्छे परिणामों के लिए आप यह मालिश एक बार सुबह और एक बार शाम को करें और यदि दो बार मालिश करने से आपको तकलीफ होती है तो इसे एक बार ही करें। यदि आपको दर्द होता है या अन्य कोई साइड-इफेक्ट्स होते हैं तो मालिश न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

3. शुरू करने के लिए किन चीजों की जरूरत होती है?

मालिश शुरू करने से पहले आप निम्नलिखित चीजों को ध्यान में रखें;

  • आपके नाखून कटे हुए और छोटे होने चाहिए।
  • पेरिनियम को देखने के लिए आपके पास बड़ा शीशा होना चाहिए।
  • इस बात का ध्यान रखें कि आप अच्छी तरह से लुब्रिकेट करें। इसके लिए विटामिन ‘ई’ का तेल उपयोग करने की सलाह दी जाती है पर आप चाहें तो केवाई जेली या वेजिटेबल ऑयल का भी उपयोग कर सकती हैं। अन्य लुब्रिकेंट्स के लिए डॉक्टर से बात करें।

4. खुद से ही डिलीवरी से पहले पेरिनियल मालिश कैसे करें?

सभी चीजें जगह पर रखने के बाद आप मालिश करने के निम्नलिखित तरीके को फॉलो करें: 

  • इस बात का ध्यान रखें कि आप आवश्यक दूरी तक पैर फैला पा रही हैं।
  • आप अपने दोनों अंगूठे वजायना में डालें।
  • अंगूठों से वजायना को दबाएं और एक साइड को हल्का सा खींचें (इससे हल्का सा दर्द या सेंसेशन हो सकता है पर यदि ज्यादा दर्द है तो इसे न करें)।
  • इसे 2 से 2.5 मिनट तक ऐसे ही होल्ड करके रखें।
  • अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली से पेरिनियम की एक या आधे मिनट के लिए मालिश करें।
  • जब आपके लिए यह कम्फर्टेबल हो तो आप मालिश के प्रभावों को उत्तेजित करने के लिए कीगल एक्सरसाइज भी कर सकती हैं।

सभी जानते हैं कि बचाव तैयारी का सबसे मुख्य भाग है। पेरिनियम की मालिश और अन्य एक्टिविटी शुरू करने से नॉर्मल डिलीवरी में मदद मिलती है, जैसे प्रीनेटल योग करने से भी गर्भावस्था की कॉम्प्लिकेशंस से बचाव हो सकता है। गर्भावस्था से शारीरिक समस्याएं होती हैं इसलिए हमेशा याद रखें कि आप इस दौरान और डिलीवरी के बाद भी पूरा आराम करें और डॉक्टर से बात करती रहें। इस बात की सलाह भी दी जाती है कि पहली बार मालिश करने से पहले आप इसके तरीके और रूप जानने के लिए स्पेशलिस्ट से बात करें ताकि आपको या बच्चे को कोई भी हानि न हो। 

फाइनल नोट: हमेशा ध्यान रखें कि यदि मालिश के दौरान आपको कुछ भी अजीब सा लगता है या कोई सेंसेशन होती है तो इस बारे में डॉक्टर से बात करें। यदि मालिश करवाने के बाद आपको कुछ अलग महसूस होता है तो डॉक्टर से इस बारे में पूछें कि क्या पेरिनियम मालिश करना जारी रखा जा सकता है। 

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था के दौरान मालिश – लाभ, सावधानियां और सही तरीके
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