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प्राणायाम की व्याख्या कई अलग-अलग तरीकों से की गई है। कुछ लोगों के लिए यह एक यौगिक कला है जिसमें सांस लेने की प्रक्रिया से पूरे शरीर में खून के बहाव और सर्कुलेशन को नियंत्रित किया जाता है। अन्य लोगों के लिए यह सांस लेना सीखने की प्रक्रिया है और इससे शरीर के अंदर ऑक्सीजन के बहाव में सुधार आता है।
प्राणायाम का अभ्यास करने से आंतरिक जागरूकता मिलती है, मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है और लाइफस्टाइल में सुधार होता है। यह सब शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने और मन व शरीर में शांति बनाए रखने से होता है। संस्कृत में ‘प्राण’ का मतलब होता है एनर्जी और ‘आयाम’ का अर्थ है एनर्जी का वितरण।
लेबर के शुरूआती दिनों में गर्भवती महिला को स्ट्रेस और एंग्जायटी होने की वजह से उसके शरीर में एड्रेनालाईन रिलीज होता है। यह ऑक्सीटोसिन के रिलीज को धीमा कर देता है। यह शरीर में एक ऐसा केमिकल कंपाउंड है जो डिलीवरी की प्रक्रिया को ठीक करता है।
प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर से नेगेटिव एनर्जी निकल जाती है और यह ऑक्सीटोसिन को रिलीज करने के लिए शरीर को आराम देता है और ठीक करता है ताकि लेबर आसान से हो सके। इसके अलावा प्राणायाम करने से शरीर को दर्द से भी आराम मिलता है।
अक्सर एक सवाल पूछा जाता है, “क्या गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करना सुरक्षित है?” वैसे तो यह सुरक्षित है पर गर्भवती महिलाएं जल्दबाजी में या घबराहट के कारण सांस लेती हैं, जैसे
गर्भावस्था के दौरान आपको कौन से प्राणायाम करने चाहिए इस बारे में जानने के लिए अपने डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में सप्ताह दर सप्ताह कई बदलाव होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान बच्चा ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स के लिए आपके शरीर में निर्भर रहता है। गर्भावस्था में जागरूक रूप से सांस लेने और सांस छोड़ने से शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है और खून से कार्बन डाइ ऑक्साइड निकल जाती है। यह खून को शुद्ध करता है, टॉक्सिन्स को निकालता है और बच्चे तक फ्रेश ऑक्सीजन व न्यूट्रिएंट्स पहुँचाता है। गर्भ में बच्चे तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुँचने से उसके कॉग्निटिव व शारीरिक विकास में मदद मिलती है। प्राणायाम करने से आप अपनी एंग्जायटी को कम करके अपने शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा सकती हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए प्राणायाम करने से कई तरह के फायदे होते हैं। गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करने से निम्नलिखित फायदे मिलते हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए निम्नलिखित प्राणायाम करना पूरी तरह से सुरक्षित है। इन प्राणायाम का अभ्यास करने से गर्भ में पल रहे बच्चे का अच्छा विकास व वृद्धि होती है और वह हेल्दी रहता है। गर्भावस्था के दौरान आप कौन से प्राणायाम कर सकती हैं, आइए जानें;
यह प्राणायाम करने से लंग्स की कार्बन डाय ऑक्साइड बाहर निकल जाती है और शरीर में ऑक्सीजन के बहाव से मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। इससे उचित रूप से डायाफ्रामिक सांस लेने में भी मदद मिलती है।
शीतली प्राणायाम का अर्थ ठंडक है और यह पैरासिम्पेथेटिक सिस्टम को आराम देकर शरीर में फाइट या फ्लाइट रिस्पॉन्स को कम करता है। यह शरीर में ब्लड प्रेशर और एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों को भी कम करता है।
नाड़ी शोधन में नाड़ी का अर्थ है बहाव और शोधन का अर्थ शुद्धता है। नाड़ी शोधन वास्तव में नाक से सांस लेना है जो तीन दोषों को शांत करता है। यह टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, खून में ऑक्सीजन को मिलाता है और हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखता है।
उज्जायी प्राणायाम करने से मस्तिष्क डिटॉक्सीफाई होता है, मानसिक स्पष्टता बढ़ती है और शरीर में प्राणों का बहाव मुक्त होता है। यह शरीर में आंतरिक रूप से गर्माहट बनाता है और इससे एनर्जी बढ़ती है और साथ ही खुद के बारे में जागरूकता प्राप्त होती है।
इसमें मक्खी जैसी हमिंग आवाज निकाली जाती है और यह प्राणायाम आराम देने व मन को शांत रखने में मदद करता है और साथ ही भावनाओं को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। यह साइनस की समस्या को ठीक करता है, हाइपरटेंशन में आराम देता है और बच्चे के जन्म के दौरान कठिनाइयों को खत्म करता है। गर्भावस्था के दौरान यह प्राणायाम करने से गुस्सा, टेंशन और एंग्जायटी कम होती है।
भले ही आप गर्भवती हों या नहीं पर प्राणायाम करने से लाइफस्टाइल अच्छी होती है और जीवन की पूर्ण क्वालिटी में सुधार आता है। प्राणायाम करते समय आपको नीचे दी गई टिप्स को ध्यान में जरूर रखना चाहिए, आइए जानते हैं;
भले ही गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करना अच्छा है पर महिलाओं को इसे बहुत ज्यादा नहीं करना चाहिए क्योंकि इस समय गर्भवती महिला के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। गर्भावस्था के दौरान आप प्राणायाम सिर्फ डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट के निर्देशन में ही करें जिन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर महिला का शरीर (हॉर्मोनल स्तर और अन्य बदलावों के साथ) अलग होता है।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में प्राणायाम और योगासन करने से बचना चाहिए। हालांकि इस समय से पहले और बाद में यह करना सुरक्षित है। गर्भावस्था के दौरान सूर्य नाड़ी प्राणायाम नहीं करना चाहिए क्योंकि इसे आपके शरीर में गर्माहट उत्पन्न होती है और इससे गर्भ में उल्टे प्रभाव पड़ते हैं।
गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करने से माँ और बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यह व्यस्क से मातृत्व तक के बदलाव का एक अभिन्न भाग है। इससे पूर्ण स्वास्थ्य में, भावनात्मक स्वास्थ्य ठीक रखने में और सफलतापूर्वक डिलीवरी के लिए शरीर को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। गर्भावस्था में प्राणायाम करने के कई फायदे हैं जिसमें स्ट्रेस कम होना, शरीर में एस्ट्रोजन नियंत्रित होना, हॉर्मोन का पर्याप्त उत्पादन और माँ और बच्चे के शरीर से टॉक्सिन्स निकलना भी शामिल हैं।
गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करने के बेस्ट परिणाम कई फैक्टर पर निर्भर करते हैं। अभ्यास से बेस्ट परिणाम के लिए निम्नलिखित टिप्स पर ध्यान देना जरूरी है, आइए जानें;
प्राणायाम का अभ्यास करने से मानसिक जागरुकता बढ़ती है और साथ ही मन व शरीर शांत रहता है। प्राणायाम करते समय ऑक्सीजन का उपयोग करने से शरीर को एनर्जी मिलती है और व्यक्ति जीवंत रहता है।
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