गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम कैसे करें?

प्राणायाम की व्याख्या कई अलग-अलग तरीकों से की गई है। कुछ लोगों के लिए यह एक यौगिक कला है जिसमें सांस लेने की प्रक्रिया से पूरे शरीर में खून के बहाव और सर्कुलेशन को नियंत्रित किया जाता है। अन्य लोगों के लिए यह सांस लेना सीखने की प्रक्रिया है और इससे शरीर के अंदर ऑक्सीजन के बहाव में सुधार आता है। 

प्राणायाम क्या है?

प्राणायाम का अभ्यास करने से आंतरिक जागरूकता मिलती है, मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है और लाइफस्टाइल में सुधार होता है। यह सब शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने और मन व शरीर में शांति बनाए रखने से होता है। संस्कृत में ‘प्राण’ का मतलब होता है एनर्जी और ‘आयाम’ का अर्थ है एनर्जी का वितरण। 

गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम क्यों करना चाहिए?

लेबर के शुरूआती दिनों में गर्भवती महिला को स्ट्रेस और एंग्जायटी होने की वजह से उसके शरीर में एड्रेनालाईन रिलीज होता है। यह ऑक्सीटोसिन के रिलीज को धीमा कर देता है। यह शरीर में एक ऐसा केमिकल कंपाउंड है जो डिलीवरी की प्रक्रिया को ठीक करता है। 

प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर से नेगेटिव एनर्जी निकल जाती है और यह ऑक्सीटोसिन को रिलीज करने के लिए शरीर को आराम देता है और ठीक करता है ताकि लेबर आसान से हो सके। इसके अलावा प्राणायाम करने से शरीर को दर्द से भी आराम मिलता है। 

क्या गर्भवती महिलाओं के लिए प्राणायाम करना सुरक्षित है?

अक्सर एक सवाल पूछा जाता है, “क्या गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करना सुरक्षित है?” वैसे तो यह सुरक्षित है पर गर्भवती महिलाएं जल्दबाजी में या घबराहट के कारण सांस लेती हैं, जैसे 

  • जल्दी-जल्दी और जबरदस्ती सांस लेना।
  • लंबे समय के लिए सांस रोक कर रखना।

गर्भावस्था के दौरान आपको कौन से प्राणायाम करने चाहिए इस बारे में जानने के लिए अपने डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में सप्ताह दर सप्ताह कई बदलाव होते हैं। 

प्राणायाम करने के फायदे

गर्भावस्था के दौरान बच्चा ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स के लिए आपके शरीर में निर्भर रहता है। गर्भावस्था में जागरूक रूप से सांस लेने और सांस छोड़ने से शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है और खून से कार्बन डाइ ऑक्साइड निकल जाती है। यह खून को शुद्ध करता है, टॉक्सिन्स को निकालता है और बच्चे तक फ्रेश ऑक्सीजन व न्यूट्रिएंट्स पहुँचाता है। गर्भ में बच्चे तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुँचने से उसके कॉग्निटिव व शारीरिक विकास में मदद मिलती है। प्राणायाम करने से आप अपनी एंग्जायटी को कम करके अपने शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा सकती हैं। 

गर्भवती महिलाओं के लिए प्राणायाम करने से कई तरह के फायदे होते हैं। गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करने से निम्नलिखित फायदे मिलते हैं, आइए जानें;

  • ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है।
  • शरीर को एनर्जी अधिक मिलती है।
  • खून में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है।
  • शरीर से टॉक्सिन्स और वेस्ट मटेरियल निकल जाते हैं।
  • प्राणायाम करने से शरीर में पॉजिटिव हॉर्मोन्स उत्पन्न होते हैं।
  • इससे निगेटिव विचार खत्म होते हैं और दिमाग शांत रहता है।

गर्भवती महिलाओं के लिए 5 बेस्ट प्राणायाम

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए निम्नलिखित प्राणायाम करना पूरी तरह से सुरक्षित है। इन प्राणायाम का अभ्यास करने से गर्भ में पल रहे बच्चे का अच्छा विकास व वृद्धि होती है और वह हेल्दी रहता है। गर्भावस्था के दौरान आप कौन से प्राणायाम कर सकती हैं, आइए जानें;

  1. दीर्घ प्राणायाम

यह प्राणायाम करने से लंग्स की कार्बन डाय ऑक्साइड बाहर निकल जाती है और शरीर में ऑक्सीजन के बहाव से मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। इससे उचित रूप से डायाफ्रामिक सांस लेने में भी मदद मिलती है। 

  • पहले आप सीधे बैठ जाएं।
  • अब धीरे-धीरे लंबी व गहरी सांस लें और अपने पेट को बाहर की ओर फूलने दें।
  • फिर से सांस खींचें पर इस बार आपका पूरा ध्यान आपकी छाती पर होना चाहिए और सांस छोड़ते हुए इसे फैलने दें।
  • ऊपर दिए स्टेप्स को जोड़ें और सांस लेते व छोड़ते हुए अपने लंग्स के निचले, बीच के और ऊपरी चैंबर को खोलें।
  1. शीतली प्राणायाम

शीतली प्राणायाम का अर्थ ठंडक है और यह पैरासिम्पेथेटिक सिस्टम को आराम देकर शरीर में फाइट या फ्लाइट रिस्पॉन्स को कम करता है। यह शरीर में ब्लड प्रेशर और एसिड रिफ्लक्स के लक्षणों को भी कम करता है। 

  • सबसे पहले आप अपनी गर्दन, रीढ़ और सिर को सीधा करके आराम से बैठ जाएं।
  • कुछ मिनटों तक आँखें बंद रखते हुए डायाफ्रामिक सांस लें।
  • आप मुँह खोलकर जीभ को ‘ओ’ के आकार में गोल घुमाएं।
  • जीभ को थोड़ा बाहर करके इस प्रकार से गहरी सांस लें जैसे आप स्ट्रॉ से कुछ पीती हैं।
  • अपनी सांसों की ठंडक पर ध्यान दें।
  • अपनी जीभ पीछे करें व मुँह बंद करें और नाक से सांस छोड़ें।
  1. नाड़ी शोधन प्राणायाम

नाड़ी शोधन में नाड़ी का अर्थ है बहाव और शोधन का अर्थ शुद्धता है। नाड़ी शोधन वास्तव में नाक से सांस लेना है जो तीन दोषों को शांत करता है। यह टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है, खून में ऑक्सीजन को मिलाता है और हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखता है। 

  • इस प्राणायाम को सुबह-सुबह खाली पेट करें। इसे करने के लिए पैर मोड़कर ठीक से बैठ जाएं या आप पैरों को जमीन में सीधा रखते हुए कुर्सी पर बैठ जाएं।
  • आप पूरी व गहरी सांस लें और इसे आराम से छोड़ें।
  • सांस लेने की इस प्रक्रिया को नेचुरल तरीके से कई बार दोहराएं।
  • नाक के दाहिने छेद को अंगूठे से बंद करें और बाएं छेद से सांस छोड़ें।
  • बारी-बारी से नाक के दोनों छेदों के साथ ऐसा ही करें और इसे रोजाना लगभग 3 से 5 बार दोहराएं।
  1. उज्जायी प्राणायाम

उज्जायी प्राणायाम करने से मस्तिष्क डिटॉक्सीफाई होता है, मानसिक स्पष्टता बढ़ती है और शरीर में प्राणों का बहाव मुक्त होता है। यह शरीर में आंतरिक रूप से गर्माहट बनाता है और इससे एनर्जी बढ़ती है और साथ ही खुद के बारे में जागरूकता प्राप्त होती है। 

  • इसे करने के लिए अपने मुँह को बंद करके नाक से सांस अंदर-बाहर करें।
  • धीरे-धीरे गहराई से सांस लें।
  • अब आप गले के पीछे की मांसपेशियों को कसें और धीरे-धीरे नाक सांस छोड़ें।
  • इसे दोबारा करें।
  1. भ्रामरी प्राणायाम

इसमें मक्खी जैसी हमिंग आवाज निकाली जाती है और यह प्राणायाम आराम देने व मन को शांत रखने में मदद करता है और साथ ही भावनाओं को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। यह साइनस की समस्या को ठीक करता है, हाइपरटेंशन में आराम देता है और बच्चे के जन्म के दौरान कठिनाइयों को खत्म करता है। गर्भावस्था के दौरान यह प्राणायाम करने से गुस्सा, टेंशन और एंग्जायटी कम होती है। 

  • पहले आप पद्मासन जैसे किसी भी आसन में बैठ जाएं।
  • आँखें बंद करें और गहरी सांस लें।
  • अपने अंगूठे से दोनों कानों को बंद करें।
  • अपनी तर्जनी उंगली को भौंह के पास हल्के से रखें और बाकी की उंगलियों से पूरी आँख को बंद कर दें।
  • नाक की साइड में हल्का सा दबाव डालें।
  • अपना ध्यान दोनों भौंहों के बीच में केंद्रित करें।
  • अपना मुँह बंद रखें और ॐ की आवाज करते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • ऊपर दिए हुए 5 स्टेप्स को फिर से दोहराएं।

प्राणायाम करने के लिए प्रभावी टिप्स

भले ही आप गर्भवती हों या नहीं पर प्राणायाम करने से लाइफस्टाइल अच्छी होती है और जीवन की पूर्ण क्वालिटी में सुधार आता है। प्राणायाम करते समय आपको नीचे दी गई टिप्स को ध्यान में जरूर रखना चाहिए, आइए जानते हैं;

  • अपने विचारों को सकारात्मक बनाएं व हमेशा खुश रहें और रोजाना प्रोडक्टिव व सुरक्षित एक्टिविटीज करते हुए ही अपना समय बिताएं।
  • रोजाना लगभग 30 मिनट तक टहलें, इससे आपका सर्कुलेशन ठीक रहेगा और सांस लेने की क्षमता में भी सुधार होगा।
  • गर्भावस्था के दौरान खुद को स्ट्रेस से मुक्त रखने के लिए अक्सर महिलाओं को स्विमिंग करने की सलाह भी दी जाती है और यह बेस्ट प्राणायाम है।
  • अपनी डायट में विटामिन्स, मिनरल्स और अमीनो एसिड-युक्त फल और सब्जियां भी शामिल करें। भोजन और ब्रीदिंग एक सिक्के के दो अलग-अलग पहलू हैं और यह दोनों एक साथ ही चलते हैं इसलिए आप हेल्दी डायट का सेवन भी करती रहें क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत भी इस पर निर्भर करती है।

प्राणायाम करने के लिए अन्य टिप्स

भले ही गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करना अच्छा है पर महिलाओं को इसे बहुत ज्यादा नहीं करना चाहिए क्योंकि इस समय गर्भवती महिला के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। गर्भावस्था के दौरान आप प्राणायाम सिर्फ डॉक्टर या गायनेकोलॉजिस्ट के निर्देशन में ही करें जिन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हर महिला का शरीर (हॉर्मोनल स्तर और अन्य बदलावों के साथ) अलग होता है। 

गर्भावस्था की पहली तिमाही में प्राणायाम और योगासन करने से बचना चाहिए। हालांकि इस समय से पहले और बाद में यह करना सुरक्षित है। गर्भावस्था के दौरान सूर्य नाड़ी प्राणायाम नहीं करना चाहिए क्योंकि इसे आपके शरीर में गर्माहट उत्पन्न होती है और इससे गर्भ में उल्टे प्रभाव पड़ते हैं। 

गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करने से क्या प्रभाव पड़ते हैं?

गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करने से माँ और बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यह व्यस्क से मातृत्व तक के बदलाव का एक अभिन्न भाग है। इससे पूर्ण स्वास्थ्य में, भावनात्मक स्वास्थ्य ठीक रखने में और सफलतापूर्वक डिलीवरी के लिए शरीर को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। गर्भावस्था में प्राणायाम करने के कई फायदे हैं जिसमें स्ट्रेस कम होना, शरीर में एस्ट्रोजन नियंत्रित होना, हॉर्मोन का पर्याप्त उत्पादन और माँ और बच्चे के शरीर से टॉक्सिन्स निकलना भी शामिल हैं। 

प्राणायाम से आप बेस्ट परिणाम कैसे ले सकती हैं?

गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करने के बेस्ट परिणाम कई फैक्टर पर निर्भर करते हैं। अभ्यास से बेस्ट परिणाम के लिए निम्नलिखित टिप्स पर ध्यान देना जरूरी है, आइए जानें;

  • एक्सपर्ट्स की गाइडेंस में ही प्राणायाम करें: आप जिस भी ट्रेनर के साथ प्राणायाम का अभ्यास करती हैं वह सर्टिफाइड ट्रेनर होना चाहिए। एक अच्छा ट्रेनर आपकी स्थिति के अनुसार एक्सरसाइज को आसान बना सकता है और साथ आपको यह भी पता लगेगा कि आपको क्या नहीं करना चाहिए और क्या करना चाहिए। यद्यपि ऑनलाइन वीडियो देखने से और एक्सरसाइज के बारे में पढ़ने से भी मदद मिल सकती है पर ट्रेनर के साथ प्राणायाम करने से आपको सबसे ज्यादा फायदे मिल सकते हैं।
  • अपने शरीर की सुनें: गर्भावस्था के दौरान कुछ एक्सरसाइज करते समय आपको चक्कर आ सकते हैं, सिर चकरा सकता है और आपको तकलीफ भी हो सकती है। इस समय आपको ज्यादा बोझ लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे आपके शरीर व बच्चे पर भी उल्टा असर पड़ सकता है।
  • सही वातावरण चुनें: स्वच्छ, हेल्दी, शांत और खुले हुए वातावरण में प्राणायाम करें, जहाँ पर हवा का आदान-प्रदान बाधित न हो। आप अव्यवस्थित व शोर वाली जगहों पर इसका अभ्यास न करें और जितना ज्यादा हो सके इसके लाभ पाने के लिए हरियाली व नेचुरल जगह पर ही प्राणायाम करें।
  • समय और मील फ्रीक्वेंसी: सुबह-सुबह नाश्ता करने से पहले लगभग 3-4 घंटे प्राणायाम करें। आप इसे सुबह-सुबह खाली पेट करें क्योंकि इस समय मन, शरीर और वातावरण की हवा भी फ्रेश रहती है।
  • आप सपोर्ट लें और सही फॉर्म में अभ्यास करें: गर्भावस्था के दौरान प्राणायाम करते समय सही पोस्चर बनाएं और आवश्यकता पड़ने पर सपोर्ट भी लें। ऐसा करने से आपकी मांसपेशियों में दर्द व संकुचन नहीं होगा और आप बिना किसी चिंता के प्राणायाम को पूरी तरह से एन्जॉय कर सकेंगी। बच्चे की डिलीवरी के लिए ब्रीदिंग बहुत जरूरी है और प्राणायाम से इसके फ्लो को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। सांस लेने और छोड़ने के माध्यम से आप अपनी सांसों को नियंत्रित कर सकती हैं जिससे डिलीवरी में मदद मिलेगी और गर्भावस्था में आपको कोई भी कॉम्प्लीकेशंस नहीं होंगी।

प्राणायाम का अभ्यास करने से मानसिक जागरुकता बढ़ती है और साथ ही मन व शरीर शांत रहता है। प्राणायाम करते समय ऑक्सीजन का उपयोग करने से शरीर को एनर्जी मिलती है और व्यक्ति जीवंत रहता है। 

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सुरक्षा कटियार

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