गर्भावस्था

गर्भावस्था में सोरायसिस – लक्षण, खतरे और इलाज

सोरायसिस त्वचा की एक बीमारी है, जिसमें त्वचा लाल हो जाती है और उसमें चकत्ते और पपड़ी बन जाती है। कई महिलाएं जो इस बीमारी से जूझ रही हैं, इस बात को लेकर परेशान रहती हैं, कि क्या सोरायसिस उनकी प्रेगनेंसी पर किसी भी तरह से प्रभाव डाल सकता है। चूंकि फिजिशियन, गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह का इलाज न कराने की सलाह देते हैं, तो ऐसे में यह समझना मुश्किल हो जाता है, कि क्या करें और क्या ना करें। सोरायसिस, और प्रेगनेंसी के साथ इसके संबंध, को समझने के लिए आगे पढ़ें। 

सोरायसिस क्या होता है?

सोरायसिस त्वचा की एक असामान्य स्थिति है, जिसमें त्वचा पर असामान्य चकत्ते बन जाते हैं। ऐसे चकत्ते लाल और पपड़ीदार होते हैं, जिनमें खुजली भी हो सकती है। यह बीमारी एक ऑटोइम्यून बीमारी है, यह एक ऐसी स्थिति है, जो कि एंटीजन के द्वारा एक्टिवेट होने पर शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम के असामान्य बर्ताव के कारण पैदा होती है। 

सोरायसिस से संबंधित चकत्ते, छोटे क्षेत्रों से लेकर पूरे शरीर को ढकने वाले चकत्तों तक, कैसे भी हो सकते हैं और यह बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। इस दुर्लभ बीमारी से प्रभावित होने वाले कुछ हिस्सों में त्वचा, सिर की त्वचा, कोहनी और घुटने शामिल हैं। आमतौर पर, सोरायसिस को एक लंबी बीमारी माना जाता है और यह संक्रामक नहीं होती है। वैसे तो कहते हैं, कि इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके कुछ इलाज मिले हैं, जो कि असामान्य पपड़ी बनने को कुछ हद तक कम करने में मदद कर सकते हैं। 

सोरायसिस के लक्षण

सोरायसिस के लक्षण, इस समस्या की गंभीरता पर आधारित होते हैं और अलग-अलग होते हैं। लेकिन, कुछ आम लक्षण जो कि देखे जा सकते हैं, वे नीचे दिए गए हैं: 

  • सूखापन: जब आपकी त्वचा बेहद सूखी लगती है, तो इसका एक कारण सोरायसिस भी हो सकता है। साथ ही आपकी त्वचा बहुत ज्यादा सेंसिटिव हो सकती है, और उसमें एक हल्की सी खरोंच लगने पर भी खून बह सकता है।

  • असामान्य नाखून: अगर आपके नाखून मोटे, धारीदार या पपड़ीदार लगे, तो आपको एक फिजिशियन से बात करनी चाहिए, क्योंकि यह सोरायसिस हो सकता है।
  • चकत्ते और पपड़ी: अगर आपकी त्वचा में चांदी जैसी रंगत वाली पपड़ी के साथ लाल चकत्ते उभरने लगें, तो यह निश्चित रूप से सोरायसिस हो सकता है।
  • जलन का अनुभव: अगर लाल चकत्तों वाली आपकी त्वचा में जलन होने लगे, तो तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं।
  • खुजली: अगर लाल और पपड़ीदार त्वचा पर खुजली करने से आप खुद को रोक न पाएं, तो यह सोरायसिस हो सकता है।
  • सूजन या कड़ापन: अगर अन्य सभी लक्षणों के साथ, आपको जोड़ों वाले स्थान पर सूजन होने लगे, जिससे आपको जकड़न की समस्या होने लगे, तो तुरंत मेडिकल मदद लें।

क्या गर्भावस्था सोरायसिस पर असर डाल सकती है?

जब महिला गर्भवती होती है, तो उसका सोरायसिस ठीक होने लगता है। इसकी 40 से 60% संभावना होती है, कि महिला, अपनी गर्भावस्था के दौरान, अगर पूरी तरह नहीं भी, तो आंशिक रूप से सोरायसिस से ठीक हो जाती है। यहाँ एक तथ्य पर ध्यान देने की जरूरत है, कि प्रेगनेंसी की पहली और दूसरी तिमाही के अंत में सोरायसिस में सबसे अधिक इंप्रूवमेंट देखी जाती है। 

इसके साथ ही इस तथ्य को भी अनदेखा नहीं करना चाहिए, कि कुछ दुर्लभ मामलों में, गर्भावस्था बड़े पैमाने पर इस तकलीफ को बढ़ा सकती है, जिससे सोरायसिस गंभीर हो सकता है और गर्भावस्था में समस्याएं आ सकती हैं। 

क्या सोरायसिस गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है?

इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए, कि सोरायसिस किसी भी तरह से, महिला के बच्चे जनने की क्षमता को प्रभावित नहीं कर सकता है। अब तक सोरायसिस के कारण मिसकैरेज का कोई भी मामला दर्ज नहीं हुआ है। साथ ही माँ की इस दुर्लभ स्थिति से ग्रस्त होने के कारण, उससे पैदा होने वाले बच्चे में, किसी भी तरह की जन्मजात परेशानी नहीं देखी गई है। हालांकि, एक अध्ययन में यह पता चला है, कि गंभीर सोरायसिस से ग्रस्त महिलाओं ने, सामान्य या सौम्य सोरायसिस के मामलों की तुलना में, कम वजन वाले बच्चों को जन्म दिया है। 

गर्भावस्था के दौरान सोरायसिस को कैसे ठीक करें?

प्रेगनेंसी के मामले में सोरायसिस को झेलना मुश्किल हो सकता है। खासकर जब आपको आपके गायनेकोलॉजिस्ट से मिलने जाना हो और अपने शरीर को खुला छोड़ना हो, तो यह बहुत ही शर्मिंदगी भरा हो सकता है। आमतौर पर, गर्भावस्था के दौरान, सोरायसिस की दवाओं को जारी न रखने की सलाह दी जाती है। लेकिन, अगर आप इस दुर्लभ समस्या को ठीक करने की इच्छा रखती हैं, तो आप इन बातों पर विचार कर सकती हैं। 

  1. अपनी त्वचा पर डॉक्टर द्वारा बताए गए मॉइश्चराइजर या एमोलिएंट्स का इस्तेमाल करें। इसी तरह आप पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल  भी कर सकती हैं, जो कि न केवल आपकी त्वचा को शांत रखने में मदद करता है, बल्कि सूखी त्वचा को नमी भी देता है।
  2. एक फिजिशियन आपको स्टेरॉयड क्रीम लगाने की सलाह भी दे सकता है, जो कि त्वचा की सूजन को कम करने वाली एक खास क्रीम होती है। लेकिन एक प्रेगनेंट महिला को ब्रेस्ट के आसपास की जगह पर इसे लगाते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि, कुछ गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान ही दूध बनना शुरू हो जाता है और ऐसे टॉपिकल स्टेरॉयड लगाने से वह दूध में मिल सकता है, जो कि बिल्कुल भी सही नहीं है।
  3. कुछ दुर्लभ मामलों में, जहाँ गर्भवती महिलाएं सोरायसिस के बहुत ही गंभीर रूप से गुजर रही होती हैं, ऐसे में टॉपिकल क्रीम और मलहम से कोई फायदा नहीं होता है। ऐसे में, फिजिशियन मरीज पर नैरो-बैंड यूवीबी का इस्तेमाल करते हैं, जो कि एक अल्ट्रावायलेट लाइट बी फोटो थेरेपी होती है।
  4. या फिर स्थिति की गंभीरता को देखकर डॉक्टर मरीज पर ब्रॉड-बैंड यूवीबी (अल्ट्रावायलेट लाइट बी) थेरेपी भी करने की सलाह दे सकते हैं।

घर पर सोरायसिस से राहत के लिए टिप्स

हालांकि, अगर आप गर्भवती हैं और सोरायसिस से जूझ रही हैं, तो आपको आपके डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है। फिर भी, अपने लाल, परतदार चकत्तों को आराम देने के लिए, आप इन सिंपल होम रेमेडीज को भी आजमा सकती हैं:  

  1. अपने शरीर की नमी बनाए रखें। त्वचा के सूखेपन और खुजली को ठीक करने का यह सबसे सिंपल तरीका है। आप अपने स्किन स्पेशलिस्ट की मदद भी ले सकती हैं, जो कि आपके स्किन टाइप के अनुसार एक अच्छा मॉइस्चराइजर रेकमेंड कर सकते हैं, जो आपकी त्वचा पर अच्छी तरह से काम करेगा।
  2. अपने आप को इतना न थकाएं, कि सोरायसिस के आसपास पसीना जमा हो जाए, क्योंकि इससे और भी ज्यादा इरिटेशन और खुजली हो सकती है।
  3. गर्म पानी से नहाने से बचें, क्योंकि, गर्म पानी से स्थिति और भी ज्यादा खराब हो सकती है।
  4. दिन में दो से तीन बार प्रभावित जगह पर एलोवेरा जेल लगाएं। यह लाल चकत्ते और पपड़ी बनने की प्रक्रिया को कम करने में एक हद तक मदद करता है।

क्या बच्चा सोरायसिस से प्रभावित या बीमार हो सकता है?

जेनेटिक्स या अनुवांशिकता के इतिहास को देखते हुए, यह कहा जा सकता है, कि बच्चे को सोरायसिस हो सकता है। पर यह मामले-मामले पर निर्भर करता है। कुछ परिस्थितियों में बच्चे को सोरायसिस हो सकता है और कुछ मामलों में बच्चा इससे बिल्कुल सुरक्षित रह सकता है। लेकिन, अगर महिला अपनी गर्भावस्था के दौरान सोरायसिस के लिए दवा ले रही है, तो बच्चे को भी सोरायसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इसी कारण से अधिकतर फिजिशियन, गर्भावस्था के दौरान दवाओं पर निर्भर न रहने की सलाह देते हैं। 

कुछ मामलों में, ब्रेस्टफीडिंग के कारण बच्चों पर सोरायसिस का प्रभाव देखा गया है, क्योंकि, इस बीमारी के कारण कभी-कभी निपल्स की सतह पर अल्सर बन जाते हैं, जिनमें से खून बहता रहता है। 

साथ ही, इस तथ्य का भी ध्यान रखना चाहिए, कि डिलीवरी के तुरंत बाद अगर बच्चे को सोरायसिस न भी हो, तो भी, बाद में उसे इस बीमारी के होने का खतरा रहता ही है। 

इन सभी तथ्यों और जानकारियों को देखते हुए, यह बात बिल्कुल साफ हो चुकी है, कि सोरायसिस एक ऐसी बीमारी है, जो कि गर्भवती महिला के लिए स्थिति को बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है। यह व्यक्ति-व्यक्ति और मामले-मामले पर निर्भर करता है और एक महिला को गर्भावस्था के दौरान, किसी भी तरह की दवा लेने से पहले, अपने गायनेकोलॉजिस्ट और त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए। 

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पूजा ठाकुर

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