In this Article
गर्भवती होना एक महिला के लिए सबसे ज्यादा चैलेंजिंग पर दिल को सुकून देने वाला समय है। इस दौरान आपको अपने गर्भ में पल रहे एक नए जीवन की जितनी खुशी होती है उतना बच्चे को इन्फेक्शन से होने वाली हानियों का डर आपको सताता है। महिला को किसी भी आयु में टॉर्च (टी.ओ.आर.सी.एच.) इन्फेक्शन हो सकता है और यदि महिला गर्भवती है तो यह बच्चे तक भी पहुँच सकता है।
टॉर्च इन्फेक्शन (टी.ओ.आर.सी.एच.) का नाम सुनकर आपको धोखा भी हो सकता है क्योंकि यह एक रोग ही लगता है। हालांकि यह नाम पांच इन्फेक्शन के संक्षिप्त रूप से बना है जो पैथोजन्स की वजह से होते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान महिला को टॉर्च इन्फेक्शन हो जाए तो इससे माँ के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे को भी समस्याएं हो सकती हैं और यदि इसका इलाज समय पर नहीं करवाया गया तो यह डिजीज अधिक बढ़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान या जन्म होने पर ये पैथोजन्स माँ से बच्चे तक पहुँचते हैं। टी.ओ.आर.सी.एच. में निम्नलिखित पांच इन्फेक्शन होते हैं, आइए जानें;
यह अक्सर पैरासाइट्स से होता है जो एक गर्भवती महिला की प्लेसेंटा से बच्चे तक पहुँचते हैं। कच्चे और आधे पके हुए मीट और खाने से यह इन्फेक्शन हो सकता है।
अन्य इन्फेक्शन, जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, चिकन पॉक्स, सायफिलिस और क्लैमिडिया हैं जिसमें से साइफिलिया बैक्टीरिया से होता है और बच्चे के सामान्य विकास को रोक सकता है। ऐसे बच्चों में नर्व से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं जिससे बहरापन और अंधापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इस इन्फेक्शन को जर्मन मीजल्स भी कहते हैं और यह गंभीर रूप से भी हो सकता है। इसमें रूबेला के कुछ लक्षण, जैसे शरीर में रैशेज, गले में खराश और हल्का बुखार हो सकते हैं।
सीएमवी माँ से बच्चे को भी हो सकता है और यह हर्पीस वायरस ग्रुप का ही एक इन्फेक्शन है। जन्म से ही सीएमवी होने से बच्चे को जॉन्डिस, सुनने में कठिनाई, लंग्स की समस्याएं और मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है।
यह जेनिटल हर्पीस का ही एक रूप है और इसे ऐनस या जेनिटल्स के आस-पास ऊपरी घाव या छालों के रूप में देखा जा सकता है।
यदि बच्चे तक पैथोजन्स पहुँचते हैं तो यह बच्चे के विकास पर निर्भर करता है और इसके प्रभाव अलग-अलग भी हो सकते हैं। चूंकि बच्चे में यह इन्फेक्शन प्लेसेंटा के माध्यम से जाता है इसलिए ऊपर बताए गए रोगों से बच्चे के विकास में भी असर पड़ सकता है।
गर्भावस्था के दौरान यदि आपको टॉर्च इन्फेक्शन हुआ है तो यह आपके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है क्योंकि यह खून में बहकर बच्चे तक पहुँच जाता है। चूंकि इस दौरान बच्चे का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है इसलिए उसे जल्द ही रोग लग सकते हैं और वह इन्फेक्शन से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता है।
गर्भावस्था के दौरान टी.ओ.आर.सी.एच. इन्फेक्शन माँ से बच्चे में निम्नलिखित कारणों से हो सकता है, आइए जानें;
बच्चे की डिलीवरी होने के बाद या जन्म के कुछ समय बाद भी गर्भावस्था के दौरान हुआ टॉर्च इन्फेक्शन शारीरिक पदार्थ या खून से हो सकता है। अच्छी बात यह है कि आज की मॉडर्न मेडिकल ट्रीटमेंट की मदद से इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
अभी तक आपके गर्भ में पल रहे बच्चे का इम्यून सिस्टम खुद से मजबूत होना शुरू नहीं हुआ है और इसलिए यह आप पर निर्भर करता है कि आप इन्फेक्शन को कैसे खत्म कर सकती हैं। प्लेसेंटा के माध्यम से पैथोजन्स बच्चे में जाते हैं और बच्चा इसे रोकने में असमर्थ है। यद्यपि यहाँ पर माँ को बहुत कम खतरा होता है पर टी.ओ.आर.सी.एच. इन्फेक्शन से अचानक अबॉर्शन का कारण बन सकता है।
यद्यपि टॉर्च इन्फेक्शन हर अलग-अलग डिजीज के कारण होता है जिसमें हर रोग के अलग लक्षण हैं। गर्भावस्था के दौरान टॉर्च इन्फेक्शन होने के लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
टॉर्च इन्फेक्शन से गर्भावस्था में क्या प्रभाव पड़ सकते हैं, आइए जानें;
यदि आपको इन्फेक्शन हो सकता है तो आप गर्भावस्था के समय में डॉक्टर से विजिट के दौरान टॉर्च इन्फेक्शन का भी स्क्रीनिंग टेस्ट करवा सकती हैं। शुरूआती संभावित चरण में इस इन्फेक्शन का डायग्नोज करना और डायग्नोसिस के बाद बच्चे की जांच करना बहुत जरूरी है। यहाँ तक यदि आप मैटरनल ट्रीटमेंट भी लेती हैं तो इससे बच्चे के स्वास्थ्य को किसी प्रकार से कोई भी लाभ नहीं मिलता है। गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर महिला के खून की जांच करते हैं जिससे टोक्सोप्लाजमोसिस, साइफिलिस, पर्वोवायरस, वैरिसेला जोस्टर, रूबेला, साइटोमेगलोवायरस और हर्पीस की जांच भी की जाती है। सकारात्मक परिणामों के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को मॉनिटर करना भी डायग्नोसिस का ही एक मुख्य भाग है।
गर्भावस्था के दौरान टॉर्च इन्फेक्शन का ट्रीटमेंट डायग्नोसिस के अनुसार अलग-अलग कॉम्पोनेंट्स से होता है और इनमें कुछ शामिल हैं, आइए जानें;
इन्फेक्शन की शुरूआत में डॉक्टर आपका इलाज पैरीमेथामाइन और सल्फाडायजाइन से कर सकते हैं ताकि पैथोजन्स से आपके बच्चे पर कोई भी प्रभाव न पड़े।
यदि माँ और बच्चे को हेपेटाइटिस बी हो जाता है तो डॉक्टर एच.बी.आई.जी. और वैक्सीन्स दे सकते हैं।
यदि डॉक्टर महिला में चोट या घाव नोटिस करते हैं तो वे सिजेरियन डिलीवरी कराने की सलाह दे सकते हैं। इस दौरान महिला को एंटीवायरल दवाएं देकर इन्फेक्शन को कम किया जा सकता है जिससे लक्षणों में आराम मिलता है।
यद्यपि डॉक्टर बच्चों के विभिन्न लक्षणों को अलग-अलग ठीक करते हैं पर यदि किसी को रूबेला इन्फेक्शन हुआ है तो डॉक्टर माइल्ड अनलजेसिक्स प्रिस्क्राइब करते हैं और आराम करने के लिए कह सकते हैं।
यदि एक महिला को इस वायरस से इन्फेक्शन हो जाता है तो डॉक्टर सिर्फ इसके लक्षणों, जैसे हिपेटोमिगेली, थकान और बुखार का ट्रीटमेंट करते हैं।
गर्भावस्था के दौरान टॉर्च (टी.ओ.आर.सी.एच.) इन्फेक्शन होने से बचने के लिए आप निम्नलिखित सावधानियां बरत सकती हैं, आइए जानें;
यद्यपि एक महिला की लाइफ में प्रेगनेंसी सबसे खूबसूरत समय होता है पर यह आपको अनेक स्लीपलेस रातें भी दे सकती है। हालांकि इससे आपको पैनिक होने की जरूरत नहीं है और आप अपने इस अनफॉरगेटेबल समय को एन्जॉय करें। यदि आप इस इन्फेक्शन के बारे में, इसका ट्रीटमेंट और इससे बचने के तरीके जानती हैं तो निश्चित ही इस इन्फेक्शन को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। इस दौरान आप डॉक्टर द्वारा दी हुई कोई भी अपॉइंटमेंट और चेक अप्स के बारे में न भूलें।
यह भी पढ़ें:
गर्भावस्था के दौरान ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकॉकस (जीबीएस) संक्रमण होना
जैसे हिंदी भाषा में बच्चों को सबसे पहले ‘वर्णमाला’ सिखाया जाता है वैसे ही गणित…
हिंदी की वर्णमाला में उ अक्षर का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अक्षर बच्चों के लिए…
हिंदी की वर्णमाला में 'ई' अक्षर का बहुत महत्व है, जिसे 'बड़ी ई' या 'दीर्घ…
जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख नजदीक आती है, गर्भवती महिला की चिंता और उत्तेजना बढ़ती जाती…
आमतौर पर जोड़ों की बीमारियां बड़ों में देखने को मिलती हैं, लेकिन ये समस्याएं बच्चों…
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…