शिशु

प्रीमेच्योर बच्चे में इंफेक्शन – संकेत, पहचान और इलाज

प्रीमेच्योर बच्चों का इम्यून सिस्टम जन्म के समय पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। जिसके कारण उन्हें अंदरूनी और बाहरी दोनों ही तरह से, इंफेक्शन होने का खतरा होता है। उन्हें उनकी मां या बाहरी सोर्स के द्वारा इंफेक्शन हो सकता है। चूंकि उनका इम्यून फंक्शन, फुलटर्म बच्चों की तुलना में कमजोर होता है, इसलिए उनमें संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। 

प्रीमेच्योर बच्चों में होने वाले आम संक्रमण के प्रकार

प्रीमेच्योर बच्चों को कई तरह के संक्रमण होने का खतरा होता है, जो कि मां के द्वारा भी हो सकते हैं या फिर बाहरी स्रोतों से भी हो सकते हैं। प्रीमेच्योर बच्चों में होने वाले कुछ आम संक्रमण हैं, ब्लड इंफेक्शन या सेप्सिस, प्रीमेच्योर बच्चे में होने वाला लंग इन्फेक्शन जो कि आमतौर पर निमोनिया का रूप ले लेता है, मस्तिष्क के आसपास फ्लूइड का इन्फेक्शन या मेनिनजाइटिस और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूटीआई। 

जब त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया शरीर के अंदर जाकर एब्सेस बनाते हैं, तब प्रीमेच्योर बच्चों में स्टाफ इन्फेक्शन भी हो सकता है। 

प्रीमेच्योर बच्चे इतने नाजुक क्यों होते हैं?

प्रीमेच्योर बच्चों में फुलटर्म बच्चों की तुलना में एंटीबॉडीज की मात्रा कम होती है। जिसके कारण उनका इम्यून सिस्टम अविकसित होता है। चूंकि एंटीबॉडीज इंफेक्शन के खिलाफ बच्चे के शरीर के प्रमुख डिफेंस सिस्टम होते हैं, ऐसे में, प्रीमेच्योर बच्चों में इनकी कमी के कारण, उन्हें संक्रमण का खतरा बहुत अधिक होता है। 

इसके अलावा, प्रीमेच्योर बच्चों को विकास में मदद के लिए, अक्सर इंट्रावेनस लाइन, इनट्यूबेशन ट्यूब, कैथेटर आदि जैसी चीजों की जरूरत पड़ती है। इन बाहरी उपकरणों के कारण, बच्चे का शरीर बैक्टीरिया, फंगी और वायरस के संपर्क में आता है, जिससे संक्रमण हो सकता है। 

प्रीमेच्योर बच्चे में इंफेक्शन के संभव लक्षण

एक प्रीमेच्योर बच्चे में इंफेक्शन होने पर उसमें निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं:

  • लिस्टलेसनेस या गतिविधि की कमी
  • जरूरत से कम फीडिंग करवाना
  • शरीर के तापमान में उतार चढ़ाव होना (36 डिग्री सेल्सियस से कम या 37.8 सेल्सियस से अधिक)
  • हार्ट रेट का कम होना
  • पीली त्वचा (जौंडिस), त्वचा की फीकी रंगत, धब्बे या रैश
  • डायरिया या उल्टी
  • खराब मसल्स टोन
  • एपनिया, सांसों की गति तेज होना
  • संक्रमित जगह से गंदी बदबू
  • लो ब्लड प्रेशर
  • मेनिनजाइटिस के केस में संभव सीजर

प्रीमेच्योर बच्चे में इन्फेक्शन की पहचान कैसे होती है?

खून, स्पाइनल फ्लुइड या यूरिन जैसे तरल पदार्थों के सैंपल लिए जाते हैं और इनमें बैक्टीरिया की मौजूदगी की जांच के लिए लेबोरेटरी में टेस्ट किया जाता है। बच्चे के खून में मौजूद व्हाइट ब्लड सेल्स की काउंटिंग भी होती है, ताकि उसमें किसी अप्राकृतिक बदलाव की जांच की जा सके। व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा में अधिक घटत या बढ़त संक्रमण की ओर इशारा करती है। 

प्रीमेच्योर बच्चों में इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जाए?

बच्चा जिस किसी भी संक्रमण की चपेट में आया है, उसके अनुसार उसका इलाज किया जाएगा। बैक्टीरियल इन्फेक्शन की स्थिति में एंटीबायोटिक्स के माध्यम से इलाज किया जाएगा। आपके बच्चे को एक से अधिक एंटीबायोटिक दिए जाएंगे, क्योंकि एक एंटीबायोटिक से सभी तरह के इंफेक्शन की रोकथाम संभव नहीं होती है। फंगल इंफेक्शन के इलाज के लिए एंटीफंगल मेडिकेशन और वायरल इंफेक्शन की स्थिति में वायरस के प्रकार के अनुसार विभिन्न दवाओं के साथ-साथ सपोर्टेड न्यूट्रिशन या आइसोलेशन के द्वारा इलाज किया जाएगा। 

क्या इस इंफेक्शन से कोई स्थायी समस्या हो सकती है?

ज्यादातर बैक्टीरियल इन्फेक्शन का इलाज एंटीबायोटिक के द्वारा प्रभावी रूप से किया जा सकता है और इनसे बच्चे के ऊपर कोई भी लॉन्ग टर्म नुकसान नहीं होता है। लेकिन अगर आपका बच्चा मेनिनजाइटिस जैसी गंभीर स्थिति से ग्रस्त है, तो उसके मस्तिष्क को कुछ स्थायी नुकसान हो सकता है। मेनिनजाइटिस की स्थिति में गंभीर जटिलताओं से बचने के लिए, जल्द से जल्द इलाज शुरू करने की जरूरत होती है। प्रीमेच्योर बच्चों में, अगर लंबे समय से लो ब्लड प्रेशर के स्थिति हो, तो उनके अंगों में ब्लड सर्कुलेशन की कमी के कारण हृदय और मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है। 

प्रीमेच्योर बच्चे बहुत नाजुक होते हैं और उनकी देखभाल के दौरान बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। आमतौर पर, डॉक्टर आपको साफ सफाई का ध्यान रखने को कहेंगे और बच्चे को बाहरी संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए, उन्हें छूने से पहले और छूने के बाद हाथों को साफ करने के लिए कहेंगे। अगर आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को, किसी तरह का संक्रमण है, तो जब तक वह पूरी तरह से ठीक ना हो जाए, तब तक बच्चे को ना छूने की सलाह दी जाती है। 

यह भी पढ़ें: 

समय से पूर्व जन्मे शिशु का वज़न बढ़ाने के उपाय
घर पर प्रीमैच्योर बच्चे की देखभाल करने के 10 टिप्स
माइक्रो प्रीमि – अगर आपका शिशु माइक्रो प्रीमैच्योर है तो आपको क्या जानना चाहिए

पूजा ठाकुर

Recent Posts

जुड़वां लड़कों के लिए अर्थ सहित 140 आकर्षक नाम

बेटों के लिए सही नाम का चुनाव करना आसान काम नहीं है और अगर आपका…

1 day ago

लड़कों के लिए शिव जी के 150 बेहतरीन नाम

भगवान शिव हिंदुओं के आराध्य और सबसे प्रिय देवताओं में से एक हैं। वे दुष्टों…

2 days ago

तीज 2025 – तारीख, महत्व, परंपरा और रेसिपी आइडियाज

तीज एक हिंदू त्योहार है जो भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक…

2 days ago

जुड़वां लड़कियों के लिए 140 आकर्षक नाम

माता-पिता के लिए अपने बच्चे का नाम चुनना एक बड़ा काम होता है। वहीं अगर…

2 days ago

लड़कों के लिए भगवान गणेश के 150 नाम

हमारे देश में भगवान के नाम पर बच्चे का नाम रखना बहुत आम है। देश…

2 days ago

नवजात शिशु के लिए बेहतरीन शीर्षक | 100+ Best Captions for a Newborn Baby Boy & Girl in Hindi

बदलते जमाने के साथ-साथ आजकल लोगों का अपनी खुशियों के इजहार करने का तरीका भी…

3 days ago