बांझपन एक ऐसी समस्या है जो पति-पत्नी की मानसिक स्थिति और जीवन को प्रभावित करती है। एक परिवार को शुरू करने की उत्सुकता में गर्भधारण करने के दौरान अनेक विफलताएं आती हैं। प्रजनन संबंधी समस्याएं पुरुष या महिला या दोनों में भी मौजूद हो सकती हैं। इन समस्याओं से निजात पाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि एक दूसरे को बिना दोष दिए ऐसे उपाय खोजें जो प्रजनन क्षमता की वृद्धि में मदद कर सकें।
महिलाओं में
पुरुषों में
प्रजनन क्षमता को पुनः प्राप्त करने के लिए उपर्युक्त कुछ समस्याओं में चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, बांझपन के लिए कुछ आयुर्वेदिक घरेलू उपचार भी हैं जो बहुत उपयोगी माने जाते हैं। महिलाओं और पुरषों में बांझपन के लिए निम्नलिखित घरेलू उपचार स्वस्थ और प्राकृतिक विकल्प हैं जो शरीर को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं।
लहसुन अनेक गुणकारी तत्वों से परिपूर्ण एक प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है जो स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं को खत्म करने में सक्षम भी है। इसमें मौजूद एलिसिन, पुरुषों में शुक्राणु की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है। यह खाद्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से फर्टिलिटी क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है जिससे शारीरिक कामेच्छा में वृद्धि होती है। इसके उपयोग के लिए आप रोजाना कच्चे लहसुन की 2 कलियों का सेवन कर सकते हैं।
पुरुषों की प्रजनन क्षमता के लिए विटामिन ‘सी’ बहुत उपयोगी है। अंगूर के रस में विटामिन ‘सी’ का कॉम्बिनेशन पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है। अंगूर का रस वास्तव में एक एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण शुक्राणुओं को अतिरिक्त शक्ति व सुरक्षा प्रदान करते हैं और साथ ही यह शुक्राणुओं को डिंब में पहुँचने और निषेचित करने तक जीवित रहने के क्षमता प्रदान करते हैं।
अनार को एक स्वस्थ जीवन के पूरक के रूप में माना जाता है और साथ ही यह फल महिलाओं में प्रजनन क्षमता की वृद्धि को बढ़ाने में मदद करता है । अनार, शारीरिक रक्त को गर्भाशय तक प्रवाहित करने में मदद करता है जिससे गर्भाशय की परत मोटी और मजबूत बनती है और इससे गर्भपात की संभावनाएं कम हो जाती हैं। एक मजबूत और स्वस्थ गर्भाशय के कारण शिशु के स्वास्थ्य को भी ठीक रहने में मदद मिलती है।
महिलाओं के वजन में वृद्धि होने से भी प्रजनन क्षमता में कमी हो सकती है। विशेषकर भरी महिलाओं में इस समस्या के लिए सौंफ एक अच्छा विकल्प है। शुद्ध बटर में थोड़ा सा सौंफ का पाउडर मिलाएं और इसका सेवन करें। कुछ महीनों तक इस मिश्रण का सेवन करने से आपको परिणाम अनुकूल ही मिलेंगे।
खजूर केवल स्वादिष्ट ही नहीं होते बल्कि इनमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व हैं जो गर्भाधान में सहायक होते हैं। खजूर में विटामिन ‘ए’, विटामिन ‘ई’, विटामिन ‘बी’ और कई मिनरल पाए जाते हैं। यह सभी तत्व महिलाओं में गर्भाधान के लिए महत्वपूर्ण हैं और साथ ही गर्भावस्था को अंत तक सुरक्षित रखते हैं। खजूर में पाए जानेवाले पोषक तत्व कब्ज के उपचार और मल त्याग को नियमित करने में भी मदद करते हैं। खजूर और धनिया की जड़ का पेस्ट बनाकर, इसे गाय के दूध के साथ उबाल लें और फिर ठंडा करके इस मिश्रण को रोजाना पिएं। यह आपकी माहवारी के लिए बेहद फायदेमंद है।खजूर को आप स्नैक्स के रूप में या स्मूदी के माध्यम से भी ले सकती हैं।
ओमेगा 3 वसा और डी.एच.ए. हॉर्मोन को बेहतर तरह से नियंत्रित करते हैं, जिसे डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड के नाम से जाना जाता है। यह महिलाओं में बेहतर फर्टिलाइजेशन के लिए अधिक आवश्यक है। सामन मछली में ओमेगा-3 की मात्रा अधिक होती है, हालांकि वह मछली जिसमें अत्यधिक पारा मौजूद होता है, जैसे ट्यूना तथा शार्क का सेवन बिलकुल भी न करें।आपकी गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने के लिए बाजार में अनेक पूरक मौजूद हैं और यह गर्भधारण के बाद भ्रूण के मस्तिष्क के विकास में अधिक सहायता करता है।
अश्वगंधा भी एक लोकप्रिय हर्ब है जो महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए जानी जाती है। इसके अलावा यह प्राकृतिक हर्ब, शारीरिक इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करती है। यह आगे गहराई तक जाता है और अश्वगंधा हर्ब शरीर में आंतरिक रूप से अतःस्रावी तंत्र (एंडोक्राइन सिस्टम) में प्रभाव डालता है और साथ ही उसे सामान्य स्थिति में लाता है।
रसभरी की पत्तियों के साथ-साथ इसके बीज का तेल भी अत्यंत उपयोगी माना जाता है। इसमें विभिन्न फ्लेवोनोइड्स, टैनिन और एलेजिक एसिड होते हैं, जो गर्भवती होने की संभावनाओं को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। रसभरी की पत्तियां अधिक स्वादिष्ट तो होती ही हैं साथ ही इसमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है जो गर्भाशय में वृद्धि करने में मदद करता है। आप इसे भी हर्बल टी की पत्तियों की तरह ही पानी में उबालकर पी सकती हैं, इसे बनाना बहुत आसान होता है। रसभरी की पत्तियों को पानी में उबालकर रोजाना एक या दो कप पीने से आपकी प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है।
आपको फर्टिलिटी में वृद्धि के लिए हमेशा फैंसी और विदेशी हर्ब की आवश्यकता नहीं है, आप इसका उपचार सेंधा नमक से भी कर सकती हैं। सेंधा नमक बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है और इसके गुण प्रजनन क्षमता का सुधार करने में मदद करते हैं। इसके उपयोग के लिए रातभर पानी में सेंधा नमक भिगोकर रखें और सुबह के समय इस पानी को पी लें, इससे लगभग 5-6 महीने के बाद गर्भावस्था की संभावना होती है। सेंधा नमक का पानी महिलाओं के मासिक धर्म चक्र को सामान्य करने में मदद करता है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भाशय स्वस्थ और बेहतर होता है। हालांकि यह पानी पीने से उल्टी व दस्त हो सकते हैं, यह इसकी एक सामान्य प्रतिक्रिया है और इसका इलाज करने के लिए आप दवा ले सकती हैं।
दालचीनी भी बहुत सरलता से मिल जाता है और यह गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने में भी मदद करता है। पी.सी.ओ.एस., बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है जिसका उपचार दालचीनी के सेवन से किया जा सकता है। दालचीनी में मौजूद गुण पी.सी.ओ.एस. से ग्रसित महिलाओं के मासिक धर्म चक्र में सुधार के साथ-साथ अंडाशय के कार्य को उचित करने में सहायक है। यह प्राकृतिक पदार्थ महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले कई अन्य कारक जैसे मासिक धर्म न होना, गर्भाशय में फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोसिस और कई अन्य का इलाज सरलता से कर सकता है। इसके अलावा, यह यीस्ट संबंधी संक्रमण से बचने में भी मदद करता है। इसके पाउडर को प्रतिदिन गुनगुने पानी में मिलाकर पीने की और साथ ही आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। हालांकि इस पदार्थ का सेवन 2 चम्मच से अधिक न करें।
फॉलिक एसिड मुख्य रूप से गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में जन्म से संबंधित दोषों को रोकने के लिए जाना जाता है। इसमें मौजूद गुण गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने में मदद करते हैं। फोलिक एसिड फर्टिलिटी से संबंधित प्रक्रियों को बेहतर तरीके से करने में मदद करके फर्टाइल स्थिति को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गर्भधारण से कुछ महीनों पहले से ही लगभग 400 माइक्रोग्राम फॉलिक एसिड की गोलियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। यह आपको गर्भवती होने के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु के विकास में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है और स्वलीनता (ऑस्टिम) जैसी समस्याओं से मुक्त करता है।
कुछ महिलाएं उचित मासिक धर्म चक्र होते हुए भी गर्भावस्था प्राप्त करने में विफल होती हैं। इन मामलों में, प्रजनन क्षमता को पुनः प्राप्त करने के लिए फिटकरी को एक अच्छा उपाय माना जाता है। फिटकरी का एक छोटा टुकड़ा लें और इसे साफ रुई में लपेट लें। रुई में लपेटी हुई इस फिटकरी को रात को सोते समयम योनि के अंदर रखें और सुबह उठते ही हटा दें, आप देखेंगी कि रूई पर दूध जैसी एक सफेद परत मौजूद होगी। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं तब तक यह परत दिखना बंद न हो जाए। फिर गर्भधारण करने का प्रयास शुरू करें।
तिल का तेल महिलाओं और पुरुषों की फर्टिलिटी बढ़ाने में अत्यधिक मदद करता है। इस तेल को गर्म करके रोजाना मालिश करने से गर्भाशय व उसके आस पास की मांसपेशियां उत्तेजित होती हैं और साथ ही ऑक्सीजन का प्रवाह भी बढ़ता है। गर्भाशय में ऑक्सीजन के प्रवाह से महिलाओं की फर्टिलिटी में वृद्धि होती है। तिल के तेल को पीने से पुरुषों में शुक्राणुओं की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है और साथ ही गतिशीलता भी बढ़ती है।
महिलाओं की फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए शतावरी एक बेहतरीन हर्ब है और प्रजनन के ऊतकों पर इसका प्रभाव अत्यधिक सकारात्मक पड़ता है। यह महिलाओं में एस्ट्रोजन के प्रवाह को बढ़ाता है, मासिक धर्म को नियंत्रित करता है और साथ ही गर्भाशय में डिंबाणुओं को पोषित करके फर्टिलिटी को बढ़ाने में मदद करता है। शतावरी के गुण तनाव को भी कम करने में मदद करते हैं, आप इसके उपयोग के लिए रोजाना 1-2 ग्राम इसके पाउडर को दिन में दो बार लें।
महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों में भी बांझपन के इलाज के लिए यह एक उत्तर है। माका की जड़ शारीरिक हार्मोन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है, यह जड़ विशेष रूप से हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित महिलाओं के लिए फायदेमंद है। गर्म दूध या पानी में एक छोटा चम्मच माका जड़ के पाउडर मिलाकर पिएं, इससे काफी अच्छा प्रभाव पड़ेगा। आप इसे नाश्ते में सीरियल्स के साथ या स्मूदी में मिलाकर भी ले सकती हैं। खयाल रहे गर्भवती होने के बाद माका की जड़ का सेवन बिलकुल भी न करें।
मधुमक्खियों के छत्ते से निकाली गई यह जेली क्रीम के समान होती है। रॉयल जेली को मधुमक्खियों द्वारा उनके पोषण के लिए उत्पन्न किया जाता है। यह जेली विभिन्न प्रकार के प्रोटीन, फैटी एसिड, विटामिन, शर्करा, एमिनो एसिड और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है। रॉयल जेली में अधिक मात्रा में मौजूद लौह तत्व तथा कैल्शियम हार्मोनल संतुलन को नियंत्रित रखता है और इसके सेवन से प्रजनन क्षमता बढ़ने की संभवना होती है।
आयुर्वेद में बरगद के पेड़ की छाल प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए अधिक प्रसिद्ध व लोकप्रिय है। बरगद के पेड़ की छाल में बांझपन को रोकने व महिलाओं और पुरुषों में फर्टिलिटी को बढ़ाने में सक्षम है साथ ही यह प्राकृतिक पदार्थ अंदरूनी अंगों के विकारों को भी रोकने में मदद करता है। आमतौर पर बरगद के पेड़ की छाल का पाउडर बाजारों में उपलब्ध है और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए इसके सेवन की सलाह भी दी जाती है। इसके उपयोग के लिए आप छाल को अच्छी तरह से पीस लें और 2 चम्मच पाउडर दूध में मिलाकर लगभग 6 महीनों के लिए पिएं। बेहतर स्वाद के लिए आप इसमें चीनी भी मिला सकते हैं और अच्छे परिणामों के लिए आप इसका उपयोग सुबह खाली पेट करें। महिलाएं इस बात का खयाल रखें कि मासिक धर्म के दौरान इसका उपयोग न करें।
अशोक के पेड़ की छाल महिलाओं की अंदरूनी समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है। यह आयुर्वेदिक पाउडर मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्त स्राव को कम करता है और साथ ही इसके गुण गर्भाशय को पोषित करते हैं जिसके कारण महिलाओं की फर्टिलिटी में वृद्धि होती है। अशोक के पेड़ की छाल डिंब को भी पोषित और बांझपन की समस्या को दूर करने में मदद करती है। इस हर्ब को अच्छी तरह से पीसकर सुबह नाश्ते व रात के खाने से लगभग 1 घंटे पहले गाय के दूध के साथ लें।
गोखरू पुरुषों की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रभावी रूप से कार्य करता है। आयुर्वेद द्वारा प्रदान किया हुआ यह पदार्थ शुक्राणु की मात्रा और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें मौजूद गुण पुरषों में रक्त प्रवाह को बढ़ावा देते हैं और साथ ही टेस्टोरोन के स्तर में भी वृद्धि लाते हैं। गोखरू के गुणकारी तत्व शारीरिक हॉर्मोन को प्राकृतिक रूप से उत्तेजित करता है और साथ ही यौन विकारों को भी खत्म करता है। उपचार के लिए गोखरू को पाउडर के रूप में 2-3 महीनों तक लगभग 200-300 मिलीग्राम रोजाना लें।
लोध्रा नामक एक पेड़ आयुर्वेद में अत्यधिक प्रसिद्ध है और इस पेड़ की छाल बांझपन की समस्या को खत्म करने में मदद करते हैं। यह आयुर्वेदिक पदार्थ महिलाओं में मासिक धर्म चक्र के दौरान अत्यधिक रक्त स्राव को रोकने में मदद करता है। इसमें मौजूद गुण फर्टिलिटी को प्रेरित करने वाले हॉर्मोन को भी उत्तेजित करते हैं। लोध्रा के पेड़ की छाल महिलाओं के अंदरूनी अंगों के संक्रमण को खत्म करने में सक्षम है और यह पदार्थ गर्भाशय को पोषित करने के साथ-साथ गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाता है। उपचार के लिए लोध्रा की छाल को अच्छी तरह से पीसकर रोजाना एक से तीन ग्राम लें।
बांझपन, एक स्वस्थ गर्भावस्था को प्राप्त करने में अत्यधिक समस्याएं उत्पन्न करता है। जिसमें पुरुष या महिला की शारीरिक स्थिति गर्भधारण करने के लिए चिकित्सीय मदद की आवश्यकता हो सकती है। लेकिन फिर भी महिलाओं और पुरुषों की अधिकतर शारीरिक स्थितियों के लिए प्राकृतिक उपचार ही सर्वोत्तम उपाय माना जाता है।
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