शिशु

रात के समय बच्चे को ब्रेस्टफीड कराना

चूंकि, हर बच्चा और हर माँ अलग होती है, तो उनका ब्रेस्टफीडिंग शेड्यूल भी एक दूसरे से अलग होगा। एक सामान्य बच्चा दिन भर में लगभग 6 से 8 बार दूध पीता है। जहाँ कुछ बच्चे दिन के समय अच्छी तरह से दूध पीते हैं, वहीं कुछ बच्चे रात के समय दूध पीने में ज्यादा सहज होते हैं। रात में बार-बार उठकर बच्चे को दूध पिलाने से माँ को थकावट और कमजोरी हो सकती है। इस लेख में, हम रात के समय बच्चे को ब्रेस्टफीड कराने के बारे में कुछ टिप्स लेकर आए हैं। 

क्या रात को ब्रेस्टफीड कराना सुरक्षित है?

रात को ब्रेस्टफीडिंग कराने को लेकर लोगों के अलग-अलग विचार हैं। जहाँ कुछ लोगों का मानना है, कि रात के समय ब्रेस्टफीडिंग बहुत जरूरी है, वहीं कुछ लोगों का मानना है, कि बच्चे को ड्रीम-फीडिंग कराना पूरी तरह से सुरक्षित है। जब एक माँ रात में बच्चे को जगाकर चुपके से दूसरी फीडिंग दे देती है, तो उसे ड्रीम फीडिंग कहते हैं। जहाँ रात को बच्चे को ड्रीम फीडिंग कराना माँ और बच्चे दोनों को एक बार में 3 से 4 घंटे की नींद लेने का मौका देता है, वहीं, ऐसा भी माना जाता है, कि ड्रीम फीडिंग के दौरान कभी-कभी बच्चा पलट सकता है और उसका दम घुट सकता है। ऐसे में फीडिंग के बाद बच्चे के पास सो जाना खतरनाक हो सकता है। यह खतरा प्रीमेच्योर बेबी, अंडरवेट बेबी और 4 महीने से कम उम्र के बच्चों को ज्यादा होता है। 

बच्चे को ड्रीम फीड कराने का सबसे सुरक्षित तरीका है, जब आपका बच्चा सोया हो, पर आप जाग रहे हों, सोने से बिल्कुल पहले बच्चे को जगाए बिना क्रिब से उठाएं ,उसे दूध पिलाएं, उसकी नैपी बदलें और उसे वापस सुला दें। उसके इस फीड और पिछले फीड के बीच लगभग 2 घंटे का अंतर होना चाहिए। इस तरह आपके बच्चे का पेट भी भरा रहेगा और वह एक बार में लगभग 5 घंटे तक सोया रहेगा। इससे आपको भी अच्छी नींद लेने का मौका मिलेगा। 

रात को बच्चे को दूध पिलाने के फायदे

हालांकि, रात के समय जागकर बच्चे को दूध पिलाना बहुत ही तकलीफदेह हो सकता है, लेकिन इसे करना ही चाहिए, क्योंकि रात को दूध पिलाने के अनगिनत फायदे होते हैं: 

  • एक खाली ब्रेस्ट अधिक दूध बनाता है। रात को ब्रेस्टफीड कराना जरूरी है, क्योंकि यह दूध की सप्लाई को रेगुलेट करता है। अगर आप रात को अपने बच्चे को दूध पिलाती हैं, तो आपके शरीर को और अधिक दूध बनाने का संदेश जाता है। वहीं अगर आपका बच्चा रात के समय सिर्फ बोतल का दूध पीता है, तो आपके मिल्क सप्लाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • रात के समय प्रोलेक्टिन नामक हॉर्मोन, जो कि आपके शरीर में दूध बनाने में मदद करता है, का स्तर बढ़ा हुआ होता है, जिसके कारण रात के समय दूध पिलाने से माँ के शरीर को ब्रेस्टफीडिंग के समय मिल्क सप्लाई को रेगुलेट करने में मदद मिलती है।
  • रात में पूरे दिन की तुलना में बच्चा केवल 20% दूध पीता ही है। यह 20% दूध माँ के मिल्क सप्लाई को रेगुलेट करने के लिए बहुत जरूरी है। साथ ही, यह बच्चे के उचित विकास के लिए भी जरूरी होता है।
  • आपका बच्चा जैसे-जैसे बढ़ता है, दिन के समय उसका दूध पीना कम होता जाता है, क्योंकि वह खेलने में या दूसरी एक्टिविटीज में व्यस्त होता जाता है। ऐसे में वह रात के समय पूरा दूध पीता है। यह आपको थकान भरा लग सकता है, क्योंकि आप चाहती होंगी कि वह रात में अच्छी तरह से सोए। ऐसे में, आपको यह समझना पड़ेगा, कि बच्चा वास्तव में कब भूखा है और कब वह सिर्फ अपनी आदत के कारण जाग रहा है।

रात में ब्रेस्टफीडिंग कराने के टिप्स

यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो रात की ब्रेस्टफीडिंग को आरामदायक बनाने में आपकी मदद करेंगे: 

  • करवट से लेटना: जितनी जल्दी आप करवट लेट कर बच्चे को ब्रेस्टफीड कराना सीख लेंगी, आपके लिए यह उतना ही अच्छा होगा। आप केवल अपने सिर के नीचे दो तकिए रखकर, करवट करके लेट जाएं। अधिक आराम के लिए आप अपने दोनों घुटनों के बीच भी एक तकिए का इस्तेमाल कर सकती हैं। बच्चे को भी उसकी करवट से लिटा दें और उसकी ठुड्डी आपके ब्रेस्ट से टच होनी चाहिए और निप्पल पकड़ने के बाद उसका सिर थोड़ा पीछे की ओर जाना चाहिए।
  • पीछे झुककर ब्रेस्टफीड कराना: यह करवट वाली पोजीशन का ही एक रूप है और यह भी काफी आरामदायक होता है। अपनी पीठ के नीचे कुछ तकिए रखें और उन पर लेट जाएं, फिर बच्चे को इस तरह से पकड़ें कि उसका पेट आपकी छाती के नीचे हो और आप फीड कराने के लिए बिल्कुल तैयार हैं।
  • बच्चे को नजदीक रखना: अपने बच्चे के नजदीक रहें और एक ही कमरे में रहें। जरूरत पड़े तो बिस्तर भी शेयर करें। अगर आप किसी तरह की दवा नहीं ले रही हैं, तो आप अपने न्यूबॉर्न बेबी के साथ बिस्तर भी शेयर कर सकती हैं। एक मजबूत गद्दे का इस्तेमाल करें, जिस पर साफ चादर बिछी हो। बच्चे के नजदीक रहकर उसे फीड कराना न केवल आपके लिए आसान होता है, बल्कि आप एक जगे और चिड़चिड़े बच्चे को वापस सुलाने के झंझट से भी बच जाती हैं।
  • घड़ी को दूर रखें: घड़ी को बार-बार देखने से बार-बार कम सोने का एहसास होता है। इसलिए बार-बार घड़ी देखने से बचें। कुछ माओं के मामले में, समय के साइकोलॉजिकल एनालिसिस से पता चला है, कि यह काफी डिप्रेसिंग होता है। इसलिए, घड़ी को दूर रखें और सकारात्मक और खुश रहने की कोशिश करें।
  • लाइट ऑन न करें: आपका बच्चा जब दूध पीने के लिए जगे, तो कमरे की लाइट ऑन न करें। कमरे को अंधेरा और शांत ही रखें, ताकि वह तुरंत सो जाए। अगर आपको कुछ देखना हो, तो एक टॉर्च का इस्तेमाल करें।
  • रात के लिए आरामदायक कपड़े: रात के समय आरामदायक नाइट गाउन या पीजे पहनना बहुत जरूरी है, जो कि सामने से खुलता हो। इससे दूध पिलाने में आसानी होती है।
  • ऑर्गेनाइज्ड रहें: पानी की बोतल, स्नैक्स, बेबी डायपर और ऐसी कोई भी चीज जिसकी आपको रात के समय जरूरत पड़ सकती है, उसे अपने आसपास ही रखें। ऐसे में हर छोटी चीज के लिए आप रात को जागने से बच जाएंगी। अगर आपके ब्रेस्ट लीक होते हैं, तो एक छोटे से टॉवल को भी अपने साथ रखें, ताकि आप उससे अपने ब्रेस्ट साफ कर सकें।
  • नैप लें: दिन के समय में जब कभी भी संभव हो, छोटी-छोटी नींद लेती रहें, जब आपका बच्चा दिन के समय सो रहा हो, अगर संभव हो तो आप भी उसी समय सो जाया करें, इससे बहुत बड़ा बदलाव आएगा और आपको बहुत बेहतर महसूस होगा।

रात को ब्रेस्टफीडिंग के लिए बच्चे को जगाना

आमतौर पर, भूख लगने पर दूध की तलाश में बच्चे अपने आप ही जाग जाते हैं। इसे डिमांड फीडिंग कहते हैं और यह बहुत ही प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो बच्चों के साथ होती है। बच्चे को नींद से जगाकर दूध पिलाना बहुत जरूरी नहीं है, लेकिन अगर आपके बच्चे को एक बार में चार-पाँच घंटे सोने की आदत है, तो आपको इस पर नजर रखने की जरूरत है।

इसके अलावा, अगर आपके डॉक्टर ने बच्चे के ब्रेस्टफीड को शेड्यूल करने को कहा है, तो ऐसे में आपको बच्चे को नींद से जगा कर दूध पिलाने की जरूरत होगी। यह केवल उन मामलों में होता है, जिसमें बच्चा प्रीमेच्योर या अंडरवेट हो। कभी-कभी डॉक्टर बच्चे के जन्म के बाद के शुरुआती कुछ दिनों में ब्रेस्टफीड को शेड्यूल करने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा तब तक होता है, जब तक बच्चे का वजन सही नहीं हो जाता। 

क्या आप बच्चे को सुलाने के लिए ब्रेस्टफीड कर सकती हैं?

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे का सो जाना बिल्कुल प्राकृतिक है। एक नवजात शिशु या छोटा सा बच्चा दिन और रात के अधिकतर समय सोया रहता है, इसलिए फीडिंग के दौरान सो जाना और भूख लगने पर दोबारा दूध पीने के लिए उठ जाना बिल्कुल आम बात है। बल्कि, कुछ माँएं बच्चे को सुलाने के लिए ब्रेस्टफीड करवाना बहुत ही सुविधाजनक मानती हैं। पर, जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता जाता है, आपको इस बात को लेकर सावधान होना चाहिए, कि हर समय ऐसा करना सही नहीं है, क्योंकि अगर बच्चे को इसकी आदत हो जाए, तो हर बार सोने के लिए वह दूध की मांग करेगा, जिससे आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता है। 

रात में ब्रेस्टफीडिंग के बिना बच्चे को कैसे सुलाएं?

अगर बच्चा भूखा हो, तो ब्रेस्टफीडिंग के बिना उसे सुलाना बहुत ही चुनौती भरा होता है। इसलिए, बच्चे को पहले से ही दूध पिला दें और जब उसे नींद आने लगे, तो उसे बिस्तर पर ले जाएं और उसके नजदीक रहें, ताकि वह आपको और आपकी खुशबू को महसूस कर सके। 

सुलाने के लिए दूध पिलाना एक बायोलॉजिकल मानक है और जैसे बच्चे घिसटना, चलना, बात करना सीखते हैं, वैसे ही वे रात को सोना भी सीख जाते हैं। अब अगर आप यह जानना चाहते हैं, कि बिना ब्रेस्टफीडिंग के बच्चा पूरी रात कब सोता है, तो इसका जवाब है, 6 महीने पूरे होने के बाद। रात की ब्रेस्टफीडिंग छुड़वाने का यह बिल्कुल उचित समय होता है। 

अगर मैं अपने बच्चे को फॉर्मूला मिल्क पिलाऊँ तो क्या वह अच्छे से सोएगा?

एक बच्चे की स्लीपिंग साइकिल इस बात पर निर्भर नहीं होती है, कि आप उसे कौन सा दूध पिलाती हैं। हाँ, यह सही है, कि ब्रेस्टफीडिंग के मामले में बच्चे का पेट जल्दी खाली हो जाता है और इसलिए वह दूध पीने के लिए बार-बार उठता है। वहीं, रात को फॉर्मूला फीडिंग करने पर बच्चे का पेट अधिक समय तक भरा होता है, इसलिए वह अधिक देर तक सोता है। 

लेकिन सही यही है, कि बच्चे को फार्मूला मिल्क के बजाय ब्रेस्टफीड कराया जाए। ब्रेस्टमिल्क ना केवल आपके बच्चे के लिए एक हेल्दी विकल्प है, बल्कि यह आपके लिए सुविधाजनक भी होता है, क्योंकि इससे आप बार-बार उठकर दूध बनाने के एक काम से बच जाती हैं। 

रात में ब्रेस्टफीडिंग को कैसे बंद करें?

जब आपका बच्चा 6 महीने का हो जाता है, तो आप धीरे-धीरे बच्चे को रात को दूध पिलाने की प्रक्रिया को बंद करने की शुरुआत कर सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें, कि आपका बच्चा दिन भर में अच्छी तरह से खाए, ताकि रात को सोने के दौरान उसे बार-बार भूख न लगे। अगर जरूरी हो, तो शाम के समय उसे थोड़ा अधिक खिला दें, ताकि रात के समय उसका पेट भरा रहे। साथ ही बच्चे को शांत कराने के लिए अपने साथी की मदद लें और रात में जब वह दूध पीने के लिए उठे तो उसे सुलाने में मदद करने को कहें। इस दौरान पति आमतौर पर अकेला महसूस करते हैं, तो ऐसे में उन्हें भी बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही बच्चा भी अपने पिता को पहचानने लगेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

यहाँ पर रात को ब्रेस्टफीडिंग कराने के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ सवाल दिए गए हैं: 

1. अगर मेरा बच्चा ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सो जाता है, तो मुझे क्या करना चाहिए?

रात में ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे के सो जाने में कोई परेशानी नहीं है। बल्कि बच्चों के साथ यह बिल्कुल प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे ऐसे ही रहने देना चाहिए। पर जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होता जाता है, तो आपको फीडिंग और स्लीपिंग टाइम अलग करने की कोशिश करनी चाहिए। एक बेड टाइम रूटीन बनाएं और सोने की तैयारी करने से पहले फीडिंग की प्रक्रिया को खत्म कर दें। जैसे ही आपका बच्चा सोने के लिए तैयार हो जाता है, उसे उसके बिस्तर पर लिटा दें और उसे अपने आप सोने दें। 

2. मेरा बच्चा रात के समय फीड के लिए उठता है। नींद की कमी को मैनेज करने के लिए मैं क्या कर सकती हूँ?

नींद की कमी एक समय के बाद माँ को काफी परेशान करने लगती है। अपने परिवार के किसी सदस्य से मदद लेने की कोशिश करें। उनसे कहें, कि दिन या रात किसी एक समय वह बच्चे को संभालने में आपकी मदद करें और आप दिन के समय जितना ज्यादा हो सके सोएं। एक बार बच्चा छह हफ्ते का हो जाए, तो उसके बाद रात के लिए बोतल का दूध या निकाला हुआ दूध देने की कोशिश करें। साथ ही रात को दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार कराएं। कई बार बच्चे रात के समय भूख से ज्यादा बेचैनी से उठ जाते हैं। 

3. बच्चे को ब्रेस्टफीड कराते समय मुझे नींद आ जाती है। क्या यह सुरक्षित है?

बच्चे को दूध पिलाते समय सो जाना सुरक्षित नहीं है। छोटे बच्चे दूध पीने के बाद अपने सिर को घुमा पाने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसे में यह जरूरी है, कि माँ बच्चे को वापस उसकी स्लीपिंग पोजिशन में सुला दे। अगर बच्चा फीडिंग पोजिशन में ही सो जाता है, तो उसका दम घुटने का खतरा होता है, जिससे बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। 

अपने बच्चे के रात को दूध पिलाने के पैटर्न में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। अपने बच्चे के फीडिंग शेड्यूल के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं और अपने बच्चे के स्वास्थ्य और मौजूदा शेड्यूल के अनुसार उनसे कुछ बदलाव के बारे में सलाह लें। 

यह भी पढ़ें: 

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बच्चों के लिए डीप लैचिंग तकनीक – फायदे और करने का तरीका
फीडिंग पिलो – फायदे और इस्तेमाल का तरीका

पूजा ठाकुर

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