In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर | Shekhchilli’s Story: Train Journey In Hindi
- शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर की कहानी से सीख (Moral of Shekhchilli’s Story: Train Journey Hindi Story)
- शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Shekhchilli’s Story: Train Journey Hindi Story)
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
शेखचिल्ली बच्चों की कहानियों का बहुत प्रसिद्ध पात्र है, जिसके हर जगह चर्चे हैं। उसकी कई मशहूर कहानियों में से ये रेलगाड़ी का सफर भी एक लोकप्रिय कहानी है। इसमें ये बताया गया है कि यदि आप किसी नई गाड़ी में सफर करने के लिए निकलते हैं तो उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल जरूर करें। ऐसा करने से आपको सफर के दौरान परेशानी नहीं होगी और सफर भी अच्छा कटेगा।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- शेखचिल्ली
- रेल कर्मचारीश
शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर | Shekhchilli’s Story: Train Journey In Hindi
शेखचिल्ली काफी शरारती और चंचल स्वभाव का व्यक्ति था। वह किसी भी जगह पर ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाता था। ऐसा ही उसके साथ उसकी नौकरी के साथ भी होता था। वह किसी भी जगह काम करता था, तो वहां उसकी कामचोरी, बिड़गे स्वभाव की वजह से उसे नौकरी से निकाल दिया जाता था। उसके साथ ये हर बार होता रहता था, ऐसे में शेखचिल्ली की मन ख्याल आया कि इन नौकरियों से उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला है। अब मैं मुंबई जाऊंगा और वहां प्रसिद्ध कलाकार बनूंगा। इतना कहंते ही उसने तुरंत मुंबई की रेलगाड़ी की टिकट करवा ली।
शेख का ये रेल का पहला सफर था और वह इतना खुश और उत्साहित था कि समय से पहले ही रेलवे स्टेशन पहुंच गया। जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंची तो शेखचिल्ली तुरंत प्रथम श्रेणी की बोगी में चढ़ कर बैठ गया। शेख को ये ज्ञात नहीं था कि जिस बोगी की टिकट काटी जाती है उसमें बैठना चाहिए। पहली श्रेणी की बोगी बहुत साफ-सुथरी और खाली थी। जब ट्रेन ने चलना शुरू किया तो शेख खुद से बोलने लगा कि लोग कहते थें की ट्रेन में बहुत भीड़ होती है लेकिन यहां तो बिलकुल भीड़ नहीं है।
कुछ देर तक अकेले बैठकर शेख ने अपना समय काट लिया, लेकिन जब बहुत देर तक ट्रेन कही रुकी नहीं और न कोई व्यक्ति उस बोगी में चढ़ा तो वह परेशान होने लगा। उसे लगा बस ये ट्रेन किसी तरह किसी स्टेशन पर रुक जाए और वह बाहर थोड़ा टहल कर आ जाएगा। लेकिन उसकी किस्मत खराब थी, न कोई स्टेशन आया और न ट्रेन रुकी।
अपनी बोगी में अकेले सफर कर के शेखचिल्ली बहुत ऊब गया और इस हद तक परेशान हो गया कि चिल्लाने लगा, “इसे रोको इसे रोको’। इतना चिल्लाने के बाद भी उसकी आवाज किसी ने नहीं सुनी और न ट्रेन रुकी, वह थक हारकर मुंह बनाकर बैठ गया। लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी। शेख बहुत खुश हुआ और बहुत ही फुर्ती के साथ ट्रेन के बाहर झांकने लगा। उसे बाहर एक रेल कर्मी दिखाई दिया तो उसने उसको आवाज देकर अपने पास बुलाया।
रेल कर्मी शेख के पास पहुंचा और पूछने लगा क्या हुआ? शेख ने जवाब में नाराजगी जताते हुए कहा, “ये कैसी ट्रेन है कब से मैं चिल्ला चिल्लाकर बोल रहा हूं तो भी ये रुक नहीं रही है।”
तभी शेख की शिकायत का जवाब देते हुए रेल कर्मी ने बोला, “यह ट्रेन है, कोई बस नहीं जो कही भी रुक जाएगी। यह अपनी जगह पर ही रूकती है। यहां आप बस की तरह ड्राइवर और कंडक्टर बोलकर नहीं रोक सकते हैं।”
शेख समझ गया उससे गलती हुई है, इसलिए उसे छुपाते हुए रेल कर्मी से बोला, “हां, मुझे सब पता है। “रेल कर्मी चिल्लाते हुए बोला, “जब सब कुछ मालूम था, तो ऐसे सवाल क्यों पूछ रहे हो?” शेखचिल्ली भी शांत हो गया क्योंकि उसे उसका जवाब नहीं पता था। उसने बस ये कहा मुझे जिससे जो पूछना होगा वो पूछूंगा।
रेल कर्मी, शेख से काफी नाराज हो गया और उसे नॉनसेंस कहते हुआ वहां से चला गया। शेखचिल्ली को उसका ये अंग्रेजी शब्द नहीं समझ आया। वो बस नून ही समझ पाया था। रेलकर्मी को जवाब देते हुए वह बोला हम सिर्फ नून नहीं खाते, बल्कि पूरी दावत का आनंद लेते हैं। फिर शेख खुद ही जोर-जोर से हंसने लगा और तभी रेलगाड़ी भी अपने सफर पर आगे निकल पड़ी।
शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर की कहानी से सीख (Moral of Shekhchilli’s Story: Train Journey Hindi Story)
शेखचिल्ली की इस कहानी से ये सीख मिलती है कि आप कभी भी किसी नई गाड़ी में जाए तो उससे जुड़ी हर जानकारी जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। ऐसा करने से आप को सफर में कोई दिक्कत नहीं होगी।
शेखचिल्ली की कहानी : रेल गाड़ी का सफर की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Shekhchilli’s Story: Train Journey Hindi Story)
यह कहानी शेखचिल्ली की कहानियों के अंतर्गत आती है जिसमें यह बताया गया है कि कहीं जाने से पूरी जानकरी प्राप्त कर वरना आपको समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. रेलगाड़ी का सफर की नैतिक कहानी क्या है?
शेखचिल्ली के रेलगाड़ी का सफर बेहद यादगार रहा और इसकी नैतिक कहानी ये है कि बिना सोचे-समझे हमें कोई भी फैसला नहीं करना चाहिए। किसी भी फैसले को पूरा करने से उसकी पूरी जानकारी निकालनी चाहिए।
2. हमें यात्रा के पहले अपनी गाड़ी की जानकारी क्यों रखनी चाहिए?
यदि आप कभी लंबे सफर पर निकल रहे हैं, फिर चाहे वो बस हो, रेलगाड़ी हो या प्लेन आदि हर सफर का अपना तरीका होता है। इसलिए सफर शुरू होने से पहले उसके बारे में जानकारी होना आपकी जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष (Conclusion)
शेखचिल्ली की रेलगाड़ी का सफर की कहानी से यह निष्कर्ष निकलता है कि आप कभी भी किसी सफर पर निकले तो सारी जानकरी एकत्रित कर के जाए, न की शेखचिल्ली की तरह हड़बड़ी में कोई फैसला ले और बाद में परेशानी झेलनी पड़े। रेलगाड़ी हो, बस हो या फिर प्लेन हर सवारी का अपना तरीका होता है। हर वाहन का अपना तौर-तरीका होता है और वह उसी हिसाब से चलता है। इसलिए सफर करने से पहले आप अपनी सवारी का तौर-तरीका जरूर समझें।