शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है कि कैसे शेर अपने मजे के लिए दूसरों की दोस्ती का फायदा उठाता था और समय आने पर उनकी मदद न कर के मुंह मोड़ लिया करता था। शेर ने भालू के साथ भी कुछ ऐसा ही किया, लेकिन अंत में भालू ने उसे उसके कर्मों की सजा दिलाई। अंत में शेर को उसकी गलती का अहसास हो गया।

कहानी के पात्र (Characters Of Story)

  • शेर
  • बूढ़ा भालू
  • चिड़िया

पंचतंत्र की कहानी: शेर और भालू | Lion And Bear Story In Hindi

एक समय की बात है, किसी जगह एक जंगल हुआ करता था जहां एक शेर रहता था। उस शेर को सभी जानवरों से दोस्ती कर के उनका फायदा उठाने का बहुत शौक था। शेर सबसे अपना काम निकलवाता था और उसके बाद दूसरों की मदद के वक्त पीछे हट जाता था।

जंगल के सभी जानवरों को शेर की ये हरकतें पता थीं कि शेर सिर्फ मतलब की दोस्ती करता है और जरूरत पड़ने पर मदद नहीं करता। इसलिए वे शेर से दूर रहते और उससे दोस्ती नहीं करते थे। ऐसे ही काफी समय निकल गया, लेकिन शेर को कोई भी दोस्त नहीं मिला।

एक दिन जब शेर अपनी गुफा की तरफ जा रहा था, तभी उसने देखा कि उसकी गुफा के बगल में एक बूढ़ा भालू अपना घर बनाकर रह रहा है। उसके मन में तभी ख्याल आया कि वह भालू से दोस्ती करेगा और फिर उसका फायदा उठाएगा।

शेर हर दिन यही सोचता कि वो किसी तरह से भालू से बात कर ले। ऐसे दो-तीन दिन बीत गए, लेकिन शेर की भालू से बात नहीं हो पाई और न उसे बात करने का कोई बहाना मिल रहा था। एक दिन शेर ने देखा कि भालू तो बूढ़ा है। उसके दिमाग में ये विचार आया कि बूढ़ा भालू मेरे किस काम आएगा। इससे दोस्ती करने से कोई लाभ नहीं होगा। एक दिन शेर ने भालू को चिड़िया से बात करते हुए सुन लिया। चिड़िया ने भालू से पूछा, “आपकी इतनी उम्र हो गई है तो आप खाना कैसे इकट्ठा करते हैं?”

भालू ने चिड़िया को जवाब में कहा – “पहले तो मैं मछली पकड़कर खा लिया करता था, लेकिन अब मैं बूढ़ा हो चुका हूं इसलिए ऐसा नहीं कर पाता। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं भूखा रहता हूं। अब मैं शहद खाता हूं। उसका स्वाद बहुत अच्छा लगता है। शहद के लिए मैं घने जंगल में जाता हूं और वहां से मधुमक्खियों से शहद लेकर आता हूं।”

शेर ने यह सुन लिया था और उसने भी सोचा की उसने भी कभी शहद चखा नहीं है। अब भालू से मित्रता कर के वह शहद का स्वाद चख सकेगा।

इसी उम्मीद के साथ शेर ने योजना बनाई और भालू के पास पहुंचा और उससे कहा, “क्या आपने मुझे पहचाना? जब आप जवान थे, तो आपने एक दिन मुझे मछलियां खाने में मदद की थी और न जाने कितनी बार आप मदद के लिए सामने आए थे। मैं जब भी खोता आपसे ही टकरा जाता था।”

लेकिन भालू को कुछ भी याद नहीं आया। उसने सोचा कि बहुत पुरानी बात होगी शायद इसलिए कुछ नहीं याद आ रहा है, हो सकता है कभी मैंने इसकी मदद की हो। भालू कुछ सोच ही रहा था कि तभी शेर ने बोला, “अच्छा, मैं अभी जाता हूं। कभी मदद चाहिए, तो मुझे याद करिएगा।” ये सब कहकर शेर अपनी गुफा में चला गया।

भालू भी अपने घर चला जाता है, लेकिन शेर की बातें उसके दिमाग में अभी भी चल रही थीं। लेकिन उसने सोचा, चलो! अच्छा है कोई तो है जिससे मैं बात कर पाऊंगा। अगले दिन से शेर और भालू में बातें शुरू हो गई। ऐसे ही एक दिन शेर ने भालू को अपने घर खाने पर बुलाया।

खाने का न्योता मिलने से भालू बहुत खुश था। दूसरी तरफ शेर ने दिमाग में सोच रखा था कि वह भालू को खाना खाने नहीं देगा। उसने सोचा वो अपना खाना किसी और को कैसे खाने दूं। मैं एक ही थाली लगाऊंगा और जल्दी से उसमें से खाना खा जाऊंगा।

रात में जब भालू शेर के घर पहुंचा, तो शेर ने वैसा ही किया जैसा उसने सोचा था। वो एक ही थाली लेकर आया और दोनों लोग साथ में खाने के लिए बैठ गए। भालू बूढ़ा था, इसलिए वो आराम से खाना खा रहा था लेकिन शेर ने तेजी से खाना शुरू किया और खत्म कर दिया। भालू ये देखकर बहुत उदास हुआ। शेर ने उससे बोला, “मित्र मैं ऐसे ही खाना खाता हूं।”

उदास मन के साथ भालू अपने घर वापस आ गया। अगले दिन जब चिड़िया ने भालू से उसका हाल पूछा – “क्या हुआ, तुम इतना उदास क्यों हो?”

भालू ने फिर पिछले रात की आपबीती बताई। चिड़िया सब सुनकर हंसने लगी और बोली – “तुम जानते नहीं कि शेर कैसा है? वो सबके साथ ऐसा ही करता है, पहले दोस्ती और फिर अपना फायदा निकालता है। किसी की मदद नहीं करता है, अब तुम भी उसे सबक सिखाना”, ये सब बताने के बाद चिड़िया वहां से चली गई।

भालू ने भी सोच लिया था कि वह शेर को सबक सिखाकर रहेगा। यही सोचकर भालू शेर की गुफा में पहुंचा और उससे बिलकुल सामान्य तरीके से बातचीत करने लगा। उसने शेर को रात की बात का बुरा लगना जाहिर नहीं किया। दोनों आपस में बात करने लगे कि तभी शेर ने भालू से बोला – “मित्र तुम हर दिन अपने खाने का इंतजाम कहाँ से करते हो?”

भालू ने फिर शेर को शहद के बारे में बताया। शेर ने शहद का नाम सुनते  ही बोला – “मित्र, तुमने मुझे आजतक शहद चखाया नहीं।”

शेर की ये बात सुनकर भालू के मन में विचार आया कि वह उसे अब सबक सिखाएगा। उसने शेर से कहा – “तुम्हें शहद खाना है? बस इतनी सी बात है। तुम रात में मेरे घर आना मैं तुम्हें शहद खिलाऊंगा।”

शेर को बहुत खुशी हुई। वो रात का बेसब्री से इंतजार करने लगा। रात होते ही शेर जल्दी से भालू के घर पहुंचा।

शेर के आने पर भालू ने उसका अच्छे से स्वागत किया और बैठने के लिए बोला। उसके बाद भालू ने घर का दरवाजा बंद कर दिया, शेर ने दरवाजे के लिए भालू से पूछा – “तुम दरवाजा क्यों बंद कर रहे हो?”

भालू बोला – “अगर किसी को शहद की खुसबू आ गई, तो वो यहां शहद लेने आ जाएगा, इसलिए दरवाजा बंद कर दिया।”

फिर भालू ने मधुमक्खी का छत्ता शेर के सामने लाकर रखा और कहा – “इसी में शहद है।”

जैसे ही शेर छत्ते में अपना मुंह डाला, तो वैसे ही मधुमक्खियों ने उसे काटना शुर कर दिया। शेर का पूरा चेहरा सूज गया। शेर जहां भी भाग रहा था, मधुमक्खियां उसका पीछा कर रही थीं। आखिर में शेर ने भालू से बोला – “तुमने मुझे शहद खाने का तरीका क्यों नहीं बताया?”

भालू ने गुस्से में कहा – “मैं शहद ऐसे ही खाता हूं।”

शेर को तब मालूम पड़ गया था कि भालू ने उससे उसकी हरकतों का बदला लिया है और फिर वो वहां से चुपचाप चला गया।

शेर और भालू की कहानी से सीख (Moral of Lion And Bear Hindi Story)

शेर और भालू की इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि अगर आपकी कोई मदद करता है, तो बदले में आपको भी उसकी जरूरत पड़ने पर मदद करनी चाहिए। 

शेर और भालू की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Lion And Bear Hindi Story)

यह कहानी पंचतंत्र की कहानियों के अंतर्गत आती है जिसमें यह बताया गया है, यदि हम किसी के साथ बुरा करते हैं, तो हमारा कर्मा भी पलटकर हम पर वार कर सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. शेर और भालू की नैतिक कहानी क्या है?

शेर और भालू की नैतिक कहानी ये है कि यदि कोई किसी का फायदा सिर्फ अपने मजे के लिए उठाता है, तो उसके कर्मों का फल उसे इस जन्म में भुगतना पड़ता है।

2. हमें किसी के साथ बुरा क्यों नहीं करना चाहिए?

हमें कभी भी दूसरों की मदद करने के लिए मना नहीं करना चाहिए और न उनका बुरा करना चाहिए। यदि आप आज किसी के साथ बुरा करते हैं, तो कल उसका नुकसान आपको भुगतना पड़ेगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

शेर और भालू की इस कहानी का मकसद सिर्फ इतना बताना है कि यदि आप सिर्फ अपने मजे या खुशी के लिए किसी का फायदा उठाते हैं या उनकी भावनाओं से खेलते हैं, तो इसके बुरे परिणाम भी आपको झेलने पड़ते हैं। जो व्यक्ति आपकी मदद करता है, उसकी मदद के लिए आपको हमेशा आगे बढ़कर आना चाहिए। आपके अच्छे और बुरे कर्मों के परिणाम आपको इसी जीवन  झेलने पड़ते हैं।

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समर नक़वी

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