एक बार की बात है एक मस्तीखोर चूहा जंगल में घूम रहा था और घूमते टहलते वो जा पहुँचा राजा के महल में यानी शेर की गुफा में। पहले तो उसे अंदर जाने में थोड़ा डर लगा, लेकिन उसे शरारत सूझी और वो जंगल के राजा की गुफा में घुस गया। अंदर पहुँच कर चूहा क्या देखता है कि शेर बेखबर सो रहा है। चूहे ने सारी गुफा में अपना आतंक फैलाना शुरू कर दिया। वो शेर के ऊपर चढ़ कर खूब उछल-कूद करने लगा, कभी उसकी दाढ़ी में घुसता तो कभी शेर के पीठ पर चढ़ कर शरारत करता। भला ऐसे में शेर नींद क्यों न खुल जाती?
शेर की नींद खुलते ही उसकी गुस्से भरी आँखें देखकर चूहा भली-भाती समझ चुका था कि अब उसकी खैर नहीं है। लेकिन अब शरारती चूहा अपनी जान बचाए तो कैसे? क्रोधित शेर ने चूहे को अपने पंजों में धर दबोचा। चूहा करे तो क्या करे कैसे शेर के पंजे से अपनी जान बचाए? उसे कोई विचार नहीं सूझ रहा था। अपनी जान को जोखिम में देख चूहा शेर के आगे मिन्नतें करने लगा, अपनी जान बख्शने के लिए रहम मांगने लगा। उसने अपने किए की माफी मांगी और वादा करने लगा कि अब वो ऐसा दोबारा कभी नहीं करेगा। यदि आज उसने चूहे की जान बक्श दी तो वो सारी जीवन शेर का यह एहसान नहीं भूलेगा। चूहा शेर से कहता है कि जीवन में कभी भी उसे चूहे की मदद की आवश्यकता पड़ी तो अपने वादे से पीछे नहीं हटेगा।
चूहे की बात सुनकर शेर जोर से हंस पड़ा और कहा तुम छोटे से चूहे भला मेरी क्या मदद करोगे, लेकिन उसकी बातों को सुनकर शेर को चूहे पर दया आ गई और उसके नन्हे चूहे की जान बक्श दिया।
इस बात को कुछ समय बीत चुका था कि शेर अपने भोजन की तलाश में जंगल छान रहा था और शेर को पकड़ने के लिए कुछ शिकारियों ने जाल बिछाया हुआ था, ताकि वो शेर को कैद करके चिड़ियाघर ले जाएं और लोगों के सामने उसकी नुमाइश करें।
शेर उन शिकारियों के जाल में पूरी तरह से फस चुका था और अपनी लाख कोशिशों के बाद भी वो खुद को जाल से नहीं छुड़ा पा रहा था।
इतने में चूहा वहाँ से गुजर रहा था और उसकी नजर जाल में फसे शेर पर पड़ी! उसे ध्यान आया यह तो वही शेर राजा हैं जिन्होंने मेरी जान बक्शी थी। चूहा तेजी से शेर के जाल के करीब गया और सारा माजरा पूछा, फिर क्या था चूहे ने अपने नुकीले दाँतों से जाल को कुतर कर शेर को आजाद कर दिया। शेर ने चूहे की फुर्ती देख कर उसकी खूब प्रशंसा की और उसे शेर की मदद करने के लिए शुक्रिया कहा।
एक छोटा सा चूहा जंगल के राजा की मदद करके फूले नहीं समा रहा था और सारे जंगल में अपनी बहादुरी के किस्सा सुनाने में लगा हुआ था।
इस कहानी से बच्चों के लिए यही सीख मिलती है कि हमें किसी का शरीर या उसकी बनावट देख कर उसकी ताकत का अंदाजा नहीं लगाना चाहिए, उसे कम नहीं समझना चाहिए। कभी कभी कमजोर और छोटी दिखने वाली चीज भी हमारे बहुत काम आती है।
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