शेर और खरगोश की कहानी

शेर और खरगोश की कहानी

काफी समय पहले की बात है एक जंगल में बहुत विशाल शेर हुआ करता था, सारे जंगल में उस शेर का खौफ फैला हुआ था जंगल के सभी जानवर शेर की नजर में आने से बचते थे। क्योंकि वो किसी पर दया नहीं करता था और जो भी जानवर उसके हाथ लगता वो उसे मार के खा जाता था। हर दिन बस एक ही बात की चर्चा होती कि आज शेर किसको अपना भोजन बनाएगा, जंगल में शेर के आतंक से सभी लोग बहुत परेशान थे और उससे अपना पीछा छुड़ाना चाहते थे, लेकिन जंगल से शेर को भगाने की हिम्मत किसी भी जानवर में नहीं थी, तो अब क्या किया जाए? कौन जंगल में रह रहे जानवरों की मदद करेगा।

सबको पता था शेर जंगल का राजा है उससे बगावत तो नहीं की जा सकती है, इसलिए आपसी सहमती के साथ सभी जानवरों ने तय किया क्यों न हम सभी शेर से बात करें कि वो हमारे साथ ऐसा न करे!

जब सभी जानवर शेर की गुफा के बाहर पहुँचे तो देखा शेर तो सो रहा, इतने में शेर गुर्राते हुए उठा और कहने लगा तुम सब ने यहाँ बारात क्यों लगा रखी क्या? 

जानवरों का नेता आगे गया और कहा महाराज हम आपसे निवेदन करने आएं हैं, निवेदन कैसा निवेदन? शेर बोला। तो नेता बोला – महाराज आप जब शिकार पर निकलते हैं तो कई सारे जानवरों को मार डालते हैं और उन्हें खाते भी नहीं है, इस तरह से हमारी प्रजाति खत्म हो रही है, तो महाराज हम चाहते हैं आप हमेशा इस जंगल के सरदार बन कर रहें और यह तभी मुमकिन होगा जब आपकी प्रजा आपके साथ होगी, आप ही बताइए बिना प्रजा के राजा कैसे? अगर आप नाराज न हो महाराज तो मैं एक बात कहना चाहता हूँ, शेर ने गुस्से से देखते हुए सिर हिलाया, नेता ने कहा महाराज आप अपनी गुफा से शिकार के लिए न निकलें, हम सब ने यह तय किया है कि आपके पास हम खुद एक एक जानवर रोज भेजेंगे, इस प्रकार आपको शिकार के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी और हमारी प्रजाति भी सुरक्षित रहेगी। 

तब से लेकर कोई न कोई जानवर शेर की गुफा में भेज दिया जाता और शेर उसे खा जाता, इस तरह एक दिन बारी आई खरगोश की और उसकी चतुराई सारे जंगल में मशहूर थी। वो बिलकुल भी शेर का शिकार नहीं बनना चाहता था, खरगोश ने सोचा क्यों न कोई योजना बनाई जाए, तभी उसे शेर को सबक सिखाने के लिए एक बेहतरीन विचार आया।

अपनी योजना के अनुसार खरगोश शेर की गुफा में पहुँचा तो देखता है कि शेर का गुस्सा सातवें आसमान पर है, शेर गुस्से में बोला तुम हो मेरा आज का शिकार, तुमसे मेरा पेट कैसे भरेगा ऊपर से तुमने आने में इतना समय भी लगा दिया। खरगोश बोला महाराज क्या बताऊँ, आपको कम भोजन भेजने देने की गुस्ताकी भला इस जंगल में कौन कर सकता है, मगर क्या बताऊँ… शेर को और ज्यादा गुस्सा आया कहने लगा मुझे साफ साफ बताओ क्या बात हुई है। महाराज मैं और मेरा साथी आपके शिकार के लिए जब निकले तो रास्ते में हमें एक और शेर मिल गया और कहने लगा मैं इस जंगल का राजा हूँ तुम मेरा शिकार हो, हमने उनको बहुत समझाया पर उन्होंने हमारी एक न सुनी और मेरे सभी साथियों को मार कर खा गया, मैं किसी तरह से अपनी जान बचाकर आप तक पहुँच पाया हूँ। 

शेर बोला – क्या बोल रहे हो! जंगल में दूसरा शेर, यह कैसे हो सकता है? खरगोश ने चुटकी लेते हुए कहा महाराज ऐसा ही हुआ है, वो कह रहा है कि मैं इस जंगल में और शेर को नहीं रहने दूंगा, इस जंगल को बचा लीजिए महाराज, वरना हमारे जंगल पर वो दूसरा शेर राज करने लगेगा। इतना ही नहीं महाराज उसने तो आपको भी मारने की धमकी दी है!

मुझे मारने की धमकी दे रहा है? उसकी इतनी हिम्मत जो मुझे मेरे ही जंगल में चुनौती दें! अभी ले चलो मुझे उसके पास जो मेरे ही जंगल में मुझसे बगावत करना चाहता है। खरगोश शेर को पास के एक कुएं पर ले गया और कहा महाराज वो इसके नीचे बनी गुफा में रहता है। आपकी आवाज सुनकर शायद वो अंदर भाग गया होगा!

शेर ने कुएं में दूसरे शेर को देखने के लिए झांका, तो उसे पानी में अपनी ही परछाई दिखाई पड़ी, वो समझा शायद दूसरा शेर है, तो वो उसे देख कर जोर से गरजा, फिर क्या था उसकी ही आवाज की गरज कुएं से टकरा कर वापस उसे सुनाई दी। अब तो शेर को पूरा यकीन हो गया कि जंगल में एक और शेर सच में आ गया है। शेर का क्रोध बढ़ने लगा और उसने दूसरे शेर को मजा चखाने की ठानी, बस फिर शेर कुएं में कूद पड़ा और पानी में ढूब गया!

यह बात आग की तरह सारे जंगल में फैल गई कि खरगोश ने सभी जानवरों को शेर के आतंक से बचा लिया है, यह जानकर सभी जानवर बहुत खुश हुए और हर तरफ खरगोश की समझदारी के चर्चे होने लगे।

शेर और खरगोश की कहानी से बच्चों को क्या सीख मिलती है?

इस कहानी से बच्चों को यही सीख मिलती है कि चाहे हालात कितना भी मुश्किल क्यों न हों, यदि शांत दिमाग से किसी चीज का हल ढूँढा जाए, तो हर मुश्किल को हल किया जा सकता है।

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