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गर्भावस्था के कम से कम 37 सप्ताह पूरे होने से पहले पैदा होने वाले बच्चे को आमतौर पर समयपूर्व जन्मे बच्चे के रूप में माना जाता है। जब तक शिशु गर्भ में 40 सप्ताह का चक्र पूरा नहीं कर लेता, तब तक उसका विकास पूर्ण रूप से नहीं होता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रहे आपको गर्भावस्था के दौरान बहुत सावधानी बरतनी चाहिए ।
33वें सप्ताह में शिशु के जन्म के कारण
गर्भावस्था के 33वें सप्ताह में बच्चे के जन्म होने के निम्नलिखित कारण हैं:
- गर्भ में एक से अधिक बच्चों का होना ।
- गर्भाशय में जलन या बच्चे को सुरक्षित रखने में सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) की अक्षमता।
- प्लेसेंटा (गर्भनाल) से संबंधित समस्याएं जिनके कारण नियत समय से पहले बच्चे को गर्भाशय से अलग करना आवश्यक हो जाता है।
- शराब या नशीले पदार्थों के सेवन से गर्भाशय पर दुष्प्रभाव पड़ना।
- किसी बीमारी से संक्रमित होने के कारण शरीर में समय से पहले प्रसव पीड़ा शुरू होना ।
33वें सप्ताह में जन्मे शिशुओं में जटिलताएं
समय से पहले जन्मे शिशु कई स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:
1. कम वजन
यदि गर्भावस्था के 33वें सप्ताह में शिशु का जन्म होता है, तो उसका वजन आमतौर पर 1.5 से 3 किलोग्राम होता है। जिन शिशुओं का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम से कम होता है उन्हें वजन सामान्य होने तक बहुत देखभाल करने की जरूरत होती है। शिशु का वजन उसके बॉडी फैट को दर्शाता है, जो गर्भ के बाहर शरीर के सुरक्षित तापमान को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। शिशु को गर्म रखने के लिए रेडियेटिंग वार्मर, इनक्यूबेटर, इलेक्ट्रिक बेड का उपयोग किया जाता है। एक बार जब शिशु पर्याप्त वजन हासिल कर लेता है, तो इन उपकरणों को हटाया जा सकता है।
2. स्तनपान में समस्या
वजन बढ़ाने के लिए, जितनी जल्दी हो सके बच्चे को दूध पिलाना प्राथमिक आवश्यकता होती है। हालांकि, गर्भावस्था के 34 सप्ताह पूरा करने से पहले पैदा हुए बच्चे, चूसने की क्षमता न होने के कारण माँ का दूध पीने में असमर्थ होते हैं। इससे स्तनपान की संभावना समाप्त हो जाती है, क्योंकि चूसने में असमर्थता पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करती है, जिससे आगे की जटिलताएं हो सकती हैं। ऐसे मामलों में, केवल भोजन नली का प्रयोग करना एकमात्र तरीका है जो शिशु को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने में मदद करेगी। यह नली सीधे बच्चे के पेट में जाती है या फिर इन्ट्रावेनस (नसों में) भी हो सकती है।
3. विकास संबंधी समस्या
शिशु अपने विकास का एक बड़ा हिस्सा माँ के गर्भ के अंदर पूरा करता है, जो उसे दुनिया में आने के लिए तैयार करता है। गर्भावस्था के 35वें सप्ताह तक, बच्चे का मस्तिष्क अपने पूर्ण वजन का केवल 66% होता है। 33वें सप्ताह में समय से पहले प्रसव के कारण, मस्तिष्क को पूरी तरह से विकसित होने का मौका नहीं मिलता है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें बाद में व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
4. संक्रमण संबंधी जोखिम
मस्तिष्क की तरह ही, एक अन्य प्रणाली जिसे गर्भ के अंदर समय की आवश्यकता होती है, ताकि वह जन्म के बाद अच्छी तरह से कार्य कर सके, वह है इम्युनिटी। गर्भावस्था के अंतिम चरण में शिशु में एंटीबॉडी तेजी से बढ़ती है, जो उसे शुरूआत में बैक्टीरिया और संक्रमण से बचने में सक्षम बनाती है। समय से पहले प्रसव के कारण और शिशु को जीवित रखने के लिए उपचार की विभिन्न प्रक्रियाओं के बाद संक्रमण और उससे जुड़ी अन्य जटिलताओं का खतरा और भी बढ़ सकता है।
33वें सप्ताह में जन्मे शिशु की देखभाल कैसे करें
समय से पहले पैदा हुए शिशु को एक स्वस्थ और पूर्ण अवधि के बाद पैदा हुए शिशु की तुलना में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। ऐसे शिशुओं की देखभाल के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है ।
अस्पताल में
- कई लोग इस तथ्य को नजरअंदाज कर देते हैं कि समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु को जीवित रहने के लिए बहुत सारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। आप इस मानसिकता को अपनाकर, उसके बारे में चिंता करना बंद कर दें और अब से शिशु की बेहतर देखभाल करना शुरू कर दें। ख्याल रखें शिशु की बेहतर देखभाल ही उसके जीवित रहने के दर को बढ़ाती है ।
- शिशु को तब तक निगरानी में रखना बहुत जरूरी है, जब तक कि वह बिना किसी सहारे के रहने न लगे। यदि आपको कुछ भी असामान्य लगता है, तो उसके बारे में तुरंत डॉक्टर को सूचित किया जाना चाहिए।
- चूंकि आपका शिशु फिलहाल स्तनपान नहीं कर पा रहा है, इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने शरीर को उस पल के लिए तैयार रखें जब वह स्तनपान करने लगेगा। इसके लिए दूध संग्रह करने के लिए स्तन को नियमित रूप से पंप करने की आवश्यकता होती है और स्तन में दूध का उत्पादन बनाए रखने के लिए आपको ऐसी कल्पना करनी चाहिए कि आपका शिशु दूध पी रहा है।
- अपने शिशु के साथ समय बिताना आपके लिए उतना ही आवश्यक है जितना कि उसके लिए। वह बहुत अच्छी तरह से आपकी बात सुन सकता है और अपने परिवेश को समझ सकता है। उससे बात करती रहें या उसके लिए गाने गाएं ताकि वह यह जान सके कि आप आसपास हैं और वह सुरक्षित महसूस करता रहे। शिशु को गोद में लेकर उन्हें आश्वस्त कराएं कि सब कुछ ठीक है, शिशु और माँ के बीच त्वचा से त्वचा संपर्क रखने पर जोर दें।
घर पर
- शिशु जब तक पूर्ण रूप से स्वस्थ न हो जाए, कम से कम लोगों को शिशु के संपर्क में आने दें।
- यदि घर पर कोई व्यक्ति बीमार है या उसमें किसी बीमारी के लक्षण हैं, तो ऐसे व्यक्ति को शिशु से दूर रखें क्योंकि उसकी इम्युनिटी अभी भी विकसित हो रही है।
- अपने बच्चे को संभालते समय, सुनिश्चित करें कि आपके हाथ साफ और कीटाणुरहित हों। सुनिश्चित करें कि परिवार के अन्य सदस्य भी वही सावधानी बरतें।
- शिशु के साथ-साथ अन्य लोगों के उपयोग करने के लिए टिश्यू पेपर का एक बॉक्स शिशु के पास रखें ताकि स्वच्छता का वातावरण बना रहे। शिशु जिन खिलौनों से खेलता है उन्हें कीटाणुरहित बनाएं।
- बच्चे के आसपास धूम्रपान बिल्कुल भी न करें।
33वें सप्ताह में जन्मे शिशुओं के जीवित बचने की दर क्या है
गर्भावस्था के 33 वें सप्ताह में जन्म लेने वाले शिशुओं के जीवित रहने की दर 98 प्रतिशत है। यह एक अच्छा संकेत है कि आपका शिशु इस परेशानी के दौर को पार कर लेगा और कुछ ही समय में अच्छी तरह से वृद्धि व विकास करने लगेगा।
33वें सप्ताह में जन्मा शिशु एन.आई.सी.यू. में कब तक रहता है
33वें सप्ताह में पैदा हुए बच्चे के लिए, एन.आई.सी.यू में उसके रहने की अवधि उन समस्याओं पर निर्भर करती है, जिनसे वह पीड़ित है। अधिकांश शिशु आमतौर पर कम समय के लिए ही एन.आई.सी.यू में रहते हैं। इससे शिशु की श्वास संबंधी समस्याएं जल्द ही ठीक हो सकती हैं, लेकिन स्तनपान शुरू करने में थोड़ा समय लगता है। चूसने और निगलने की क्रिया के लिए काफी ताकत की आवश्यकता होती है। एन.आई.सी.यू. में रखने के दौरान भी यह सुनिश्चित किया जाता है कि आपके शिशु को पर्याप्त नींद मिले।जब शिशु यह सब खुद से करने में सक्षम हो जाते हैं और पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, तो उन्हें एन.आई.सी.यू से निकालकर आपको दे दिया जाता है ।
भले ही शिशु समय से पहले, गर्भावस्था के 33 सप्ताह में पैदा हुआ हो, फिर भी उसमें जीवित रहने की संभावना अच्छी खासी होती है। शिशु को एक स्वस्थ और मजबूत करने और उसका बेहतर विकास करने के लिए केवल सही ढंग से देखभाल करने की जरूरत है।