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गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले जन्मा बच्चा समय से पूर्व जन्मा या प्रीमैच्योर बच्चा कहलाता है। चूंकि इस समय शिशु पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है, इसलिए उसके जीवित रहने और स्वस्थ विकास के लिए उसकी विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है, लेकिन सबसे पहले, आइए समझते हैं कि बच्चे का समय से पूर्व जन्म किस कारण से होता है।
समय से पहले प्रसव होने के यह कुछ कारण हो सकते हैं:
समय से पहले जन्मे शिशुओं में होने वाली जटिलताएं इस प्रकार हैं :
समय से पहले जन्मे शिशुओं के कुछ अंग अविकसित रह जाते हैं और यकृत (लिवर) उनमें से एक है। यह लाल रक्त कोशिकाओं को उतने प्रभावी ढंग से संसाधित नहीं कर पाता है जितना कि इसे करना चाहिए। इस प्रकार बच्चे में पीलिया होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो पीलिया मस्तिष्क को प्रभावित करना शुरू कर देता है और इससे आगे अन्य जटिलताएं पैदा होने लगती हैं।
समय से पूर्व जन्मे बच्चे माँ से रोग-प्रतिकारक (एंटीबॉडीज) प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस कारण उनके लिए हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से लड़ना मुश्किल हो जाता है। इलाज के बावजूद भी संक्रमण के बढ़ने का खतरा रहता है।
हालांकि चूसना और निगलना स्वाभाविक क्रियाएं हैं, लेकिन समय से पहले जन्मा शिशु उन्हें ठीक से करने में विफल हो सकता है।
बच्चे के फेफड़े अविकसित रह जाते है और लुब्रिकेंट में कमी होने के कारण यह सर्फैक्टेंट उनके ऊतकों को ढक देते हैं। ये लुब्रिकेंट बच्चे के लिए बहुत आवश्यक होते हैं, क्योंकि जब बच्चा सांस लेता है, तो ये ऊतकों को एक-दूसरे से चिपकने से रोकने में मदद करते हैं। जब फेफड़ों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं तो बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है।
समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं का वजन 2 किलोग्राम से कम होता है। जन्म के समय बच्चे का कम वजन होना और इसके साथ स्तनपान संबंधित परेशानियां उसके वजन बढ़ने में समस्या पैदा कर सकती हैं।
शरीर के आंतरिक तापमान के स्तर को सही रखकर शरीर का आदर्श वजन और फैट का सही प्रतिशत शिशु को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। फैट की अनुपस्थिति से हाइपोथर्मिया हो जाता है और यह इनक्यूबेटर या बिजली से चलने वाले गर्म बिस्तरों को आवश्यक बना देता है।
डॉक्टर निम्नलिखित तरीकों से उपचार कर सकते हैं:
डॉक्टर बच्चे का निरीक्षण करते रहेंगे और रक्तचाप, तापमान, ऑक्सीजन, सांस लेने की लय, इत्यादि सहित उसके अंगों की निगरानी करेंगे। कोई भी असामान्य गतिविधि होने पर एक अलार्म डॉक्टर को सूचित करता है और वह तुरंत अपनी उपचारात्मक कार्रवाई करना शुरू कर देते हैं।
यदि शिशु अच्छी तरह से सांस ले रहा है और उसे अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता है, तो यह नाक की नली के माध्यम से प्रदान किया जाता है।
यदि ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम है, तो इसके लिए एक बाईपैप मशीन का उपयोग किया जाता है। यह बच्चे द्वारा सांस लेते समय हर बार उसके फेफड़ों में हवा भरता है। यदि सर्फेक्टेंट की कमी के कारण बच्चे के फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, तो उसे वेंटिलेटर पर रखा जाएगा।
यदि समयपूर्व पैदा हुए शिशु को पीलिया हो जाता है, तो इसके लिए यू.वी. प्रकाश किरणों का उपयोग किया जाता है। ये किरणें लिवर की कार्यप्रणाली का अनुसरण करती हैं और लाल रक्त कोशिकाओं को संसाधित करती हैं ।
यदि बच्चा ठीक से दूध नहीं पी रहा है, तो ऐसे में ट्यूब का उपयोग किया जाता है, जो सीधे बच्चे के पेट में प्रवेश करती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि माँ का दूध या फॉर्मूला दूध बच्चे के पेट में ठीक से पहुँच रहा है और उसका पाचन ठीक से हो रहा है, ताकि यह तेजी से वजन बढ़ाने में उसकी मदद कर सके।
इनक्यूबेटर और इलेक्ट्रिक बेड शरीर के तापमान को स्थिर रखते हैं। हालांकि, माँ के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क बच्चे को आश्वस्त करता है और दोनों के बीच संबंध को मजबूत करता है।
समय से पहले जन्मे बच्चों को विशेष रूप से घर पर अधिक ध्यान और देखभाल की आवश्यकता होती है। यहाँ कुछ उपयोगी सुझाव दिए गए हैं:
35वें सप्ताह में जन्म लेने वाले शिशुओं में से 99% जीवित रहते हैं। इसलिए, चिंता की कोई बात नहीं है।
हालांकि, 35वें सप्ताह में जन्मा शिशु एक पूर्ण-विकसित बच्चे जैसा दिखता है, फिर भी वह समय से पूर्व जन्मा माना जाता है और उसे बढ़ने के लिए सही देखभाल की आवश्यकता होती है।
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