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मालिश, शिशु को शांत करने और आराम पहुँचाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। मालिश से आपके बच्चे की सेहत को कई फायदे होते हैं, यह रक्त परिसंचरण, वज़न बढ़ाने, पाचन में सुधार करने में बहुत प्रभावी है और आपके बच्चे के दाँत निकलने से संबंधित परेशानियों को भी कम करता है। अपने शिशु की मालिश करना उसके लिए आपके प्यार और देखभाल को व्यक्त करने का एक बेहतरीन तरीका है, और यह आपको अपने बच्चे के साथ संबंध को और गहरा करने में भी मदद करता है।
मालिश करने के लिए आप बच्चे के शरीर को अपने हाथों से हल्के और लयबद्ध तरीके से सहलाएं। आप मालिश के लिए तेल, क्रीम या मॉइस्चराइज़र का उपयोग कर सकती हैं क्योंकि चिकनाहट के कारण मालिश करते समय बच्चे के शरीर को आसानी से सहलाया जा सकता है। आप अपने बच्चे की छाती, पेट, पीठ, हाथ, पैर और सिर की मालिश कर सकती हैं। गाना गुनगुनाते हुए बच्चे को मालिश करने से उसे आराम और चैन मिलता है, मालिश करने से आपके तथा आपके बच्चे के शरीर में खुशी महसूस कराने वाला हार्मोन स्रावित होता है, जिसे ऑक्सीटोसिन भी कहा जाता है। ऑक्सीटोसिन के स्रावित होने से प्यार और सौहार्द की भावना पैदा होने में मदद मिलती है।
बच्चों को अपने माता–पिता का स्पर्श बहुत अच्छा लगता है और यह अपने बच्चे के साथ बंधन को मज़बूत करने के तरीकों में से एक है। आपने यह भी देखा होगा कि एक रोते हुए या चिड़चिड़े बच्चे को खुद से लिपटा कर, गले लगा कर या पीठ सहला कर आसानी से शांत किया जा सकता है। मालिश स्पर्श का एक और रूप है और इसमें आपके बच्चे के लिए अनेकों फायदे हैं, जैसे:
मालिश करने से रक्त परिसंचरण और पाचनतंत्र के कार्यों में सुधार होता है। आपके बच्चे के लिए इसके शारीरिक लाभ भी हैं, जिसमें बेहतर साँस लेना भी शामिल है।
तंत्रिका तंत्र को शांत करके, मालिश आपके बच्चे के पेट दर्द को कम करने और नींद में मदद करता है। मालिश करने से आपके बच्चे की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है और त्वचा को पोषण मिलता है।
मालिश, बच्चे के साथ निजी समय बिताकर, उसके साथ अपने संबंध बनाने का सबसे प्रभावी तरीका है । यह आपके बच्चे की ज़रूरतों को समझने में भी आपकी मदद करता है।
मालिश आपके नवजात शिशु को जानने का एक शानदार तरीका है और इसकी मदद से आप अपने बच्चे को संभालने में भी आश्वस्त हो जाती हैं। अपने बच्चे के साथ समय बिताना उसकी ज़रूरतों व आवश्यकताओं के लक्षणों को समझने में आपकी मदद् करता है।
बच्चे के पेट की मालिश करने से, पेट से संबंधित विभिन्न समस्याएं, जैसे गैस, कब्ज़ और यहाँ तक कि पेट का दर्द भी कम होता है।
अपने बच्चे को मालिश करने का सबसे सही समय होगा जब वह भूखा न हो, नींद में या थका हुआ न हो। आप सुबह या शाम और दिन के किसी भी समय मालिश कर सकती हैं। बच्चे की मालिश करना उसे नहलाने, खिलाने–पिलाने और सुलाने को नियमित दिनचर्या में ढालने का एक प्रभावी तरीका है।
अनुशंसा की जाती है कि हर दिन मालिश का समय एक समान रखा जाए और समान क्रम में चीजों को किया जाए। ऐसी अनुशंसा इसलिए की जाती है क्योंकि बच्चों को हमेशा एक समान चीज़ों का होना पसंद होता है और एक दिनचर्या विकसित करने से आपके बच्चे को यह जानने में मदद मिलती है कि आगे क्या होने वाला है। हमेशा एक समान चीज़ों को करने से आपका बच्चा सुरक्षित महसूस करता है और वह खुश रहता है।
सोने से ठीक पहले अपने बच्चे की मालिश करना भी एक अच्छा विचार है, सोने से पहले मालिश करने से बच्चे को रात में अच्छी नींद आएगी और वह ज़्यादा लंबे समय तक सोएगा। हालांकि आपको शुरू में अपने नवजात शिशु के लिए नियमित क्रम में चीज़ों को करने या दिनचर्या निर्धारित करने में मुश्किल हो सकती है लेकिन जैसे–जैसे आपका बच्चा बढ़ता है, आप अपने बच्चे के लिए एक निर्धारित दिनचर्या बना पाएंगी ।
कई नई माताएं सोच में पड़ जाती हैं कि बच्चे की मालिश कब शुरू करें? ख़ैर, अपने नवजात शिशु की किसी भी तेल या लोशन की मालिश शुरू करने से पहले 10 से 14 दिनों तक प्रतीक्षा करने की सलाह दी जाती है। हालांकि समय से पहले पैदा हुए बच्चों के लिए, किसी भी तरह की मालिश शुरू करने से पहले डॉक्टर की स्वीकृति लेने की भी सलाह दी जाती है।
शिशु की मालिश करने से पहले आपको मालिश के लिए सबसे उपयुक्त जगह चुननी चाहिए जो आपके लिए और आपके शिशु के लिए आरामदायक होना चाहिए। आप उसे तौलिया या कंबल पर लिटाएं और यह सुनिश्चित करें कि कमरा आरामदायक और हल्का गर्म हो (न तो बहुत गर्म और न ही बहुत ज़्यादा ठंडा)।
पालतू जानवरों या मोबाइल फोन जैसे किसी भी ध्यान भंग करने वाली चीज़ों को दूर रखने की सिफारिश की जाती है। मालिश करते समय आप शिशु को कुछ संगीत सुना सकती हैं या गुनगुना सकती हैं। आप मालिश के लिए कोई भी अच्छा बेबी ऑइल या लोशन ले सकती हैं, क्योंकि यह आपके हाथों द्वारा शिशु की त्वचा में आसानी से हाथ फेरने में मदद करता है। यदि आपके शिशु की त्वचा पर एक्ज़िमा जैसी समस्या है, तो किसी भी तरह की मालिश को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें ।
हालांकि, सरसों का तेल, क्रीम, अपरिष्कृत मूंगफली का तेल आदि, जैसे कुछ तेल और लोशन हैं जिनका उपयोग शिशु की मालिश के लिए नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये तेल बच्चे की कोमल और नाजुक त्वचा को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
मालिश के लिए शिशु को तैयार करने के बाद, आप उसके सिर, चेहरे, पीठ, छाती, पेट, पैरों के लिए निम्नलिखित नवजात शिशु मालिश तकनीकों का उपयोग कर सकती हैं।
आप अपने हाथ में थोड़ा तेल लें और इसे अपने बच्चे के सिर पर थपथपाएं, फिर शिशु के सिर पर तेल फैलाने के लिए हल्के हाथों से सहलाएं। फॉन्टनेल ( बच्चे के सिर पर नर्म स्थान) का ख्याल रखें और उस पर दबाव न डालें।
शिशु के चेहरे पर थोड़ा तेल लगाएं और केवल अपनी उंगलियों से थपथपाएं। उंगलियों को माथे से ठोड़ी की ओर ले जाएं, भौहों पर हल्का दबाव डालकर अपनी उंगलियों को बाहर की दिशा में घुमाएं। शिशु के गाल, ठोड़ी और नाक पर हल्के हाथों से सहलाएं।
पेट की मालिश करने के बाद, अपने बच्चे के घुटनों को पेट तक मोड़ें और हल्का दबाव डालें। लगभग 30 सेकंड के लिए इस स्थिति में रखें और आप इस प्रक्रिया को कई बार दोहरा सकती हैं। शिशु की नाभि के नीचे पेट की मालिश करते समय नीचे की ओर हाथ से सहलाएं,ससे उसके पेट से गैस निकल जाएगी।
शिशु को पेट के बल लिटाएं, अपने दोनों हाथों से मालिश करने के लिए उसकी गर्दन के नीचे से नितंबों की ओर, अपने हाथों को फेरें। अपनी उंगलियों से, शिशु की रीढ़ की हड्डी पर हल्का दबाव बनाए रखते हुए गोलाई में उंगलियों को घुमाएं।
अपने दोनों हाथों को शिशु की छाती के बीच में रखें और कंधों की ओर, बाहर की तरफ हाथ फेरें । आप इसे कई बार दोहरा सकती हैं। आप अपना हाथ आड़े रखते हुए नीचे की ओर भी सहला सकती हैं।
शिशु की पसलियों के नीचे से शुरू करते हुए, पेट पर अपनी उंगलियों को गोल–गोल घुमाते हुए मालिश करें और साथ ही अपनी उंगलियों को नाभि के चारों ओर दक्षिणावर्त दिशा में घुमाते हुए भी मालिश करें। आप अपने हाथ को शिशु के पेट पर आड़े रखें और एक तरफ से दूसरी तरफ मालिश करें । यदि आपके शिशु की गर्भनाल पूरी तरह से सूखी नहीं है और ठीक नहीं हुई है तो उसके पेट की मालिश न करें।
शिशु के पैरों को जांघों से शुरू करते हुए टखने तक सहलाएं, बच्चे की जांघ को पकड़ें और अपने दोनों हाथों को विपरीत दिशाओं में हल्के–हल्के घुमाकर (जिस तरह से आप कपड़ा धोने के बाद उसे निचोड़ते हैं) नीचे की ओर सहलाएं।
शिशु के पैर को पकड़ कर उसके तलुए पर एड़ी से पैर की उंगली तक अपने अंगूठे का उपयोग करके हल्का दबाव डालें और शिशु के पूरे तलुए को सहलाने के लिए अपने हाथ का उपयोग करें। मालिश करते समय उसके पैर की उंगलियों को हल्का सा खींचें और उसके टखनों के पास हाथ को गोल–गोल घुमाते हुए मालिश करें।
आप ऊपर बताए तरीकों के अनुसार शिशु की मालिश कर सकती हैं, हालांकि सुनिश्चित करें कि आप बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से पर अधिक दबाव न डालें।
यहाँ कुछ सुझाव बताए गए हैं जिनका पालन करके आप अपने बच्चे की मालिश कर सकती हैं:
आपका शिशु बहुत नाज़ुक और कोमल है, इसलिए मालिश के दौरान अत्यधिक दबाव या ज़ोर लगा कर हाथ फेरना नहीं चाहिए।जननांगों और बच्चे के पेट व जांघ के बीच के भाग पर मालिश करने से बचें।
कभी भी रोते या चिड़चिड़े बच्चे की मालिश न करें, यदि आप पाते हैं कि आपका शिशु किसी विशेष अंग की मालिश करने के दौरान परेशानी महसूस कर रहा है, तो उस हिस्से को छोड़ कर दूसरे भाग की मालिश करने की सलाह दी जाती है। लेकिन, बच्चा अगर नाखुश या परेशान दिखाई देता है तो मालिश बंद कर दें।
आप मालिश करने के दौरान शिशु के साथ मुस्कुरा सकती हैं, खिल–खिला कर हँस सकती हैं या उससे बात कर सकती हैं, आप शिशु को गाना सुना सकती हैं या गुनगुना सकती हैं। बच्चे को बातचीत में लगाए रखने से वह दिलचस्पी लेता है और खुश रहता है।
सलाह दी जाती है कि रोज़ाना एक ही समय पर मालिश करें और उसके समय में कोई बदलाव न करें। नियमित दिनचर्या बनाए रखने से शिशु को उसकी आदत पड़ जाती है और इस तरह वह अधिक आरामदायक महसूस करता है और मालिश के लिए तैयार रहता है।
मालिश पूरी करने के बाद, आपको शिशु की हथेली और उंगलियों को अच्छी तरह से पोंछना चाहिए, क्योंकि शिशु आमतौर पर अपनी उंगलियों को मुंह में डालते हैं। अनुशंसा की जाती है कि मालिश के लिए ऐसा तेल चुने जो आपके शिशु के लिए सुरक्षित हो।
शिशु की मालिश उसके साथ संबंध को मज़बूत करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है, आप जब तक चाहें मालिश जारी रख सकती हैं। हालांकि, आपको शिशु की मालिश के बारे में अगर कोई चिंता या प्रश्न है, तो डॉक्टर से बात करने की सलाह दी जाती है।
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