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शिशुओं की त्वचा संवेदनशील होती है, और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अभी भी विकासशील चरण में है। इसका तात्पर्य यह है कि वे संक्रमणों से असुरक्षित होते हैं। इस पर यदि मौसम की स्थिति प्रतिकूल नहीं है तो, शिशुओं की त्वचा पर इसका प्रकोप पड़ सकता है या उसकी त्वचा पर चकत्ते विकसित हो सकते हैं जिन्हें फोड़े भी कहा जाता है।
ऐसे परिदृश्य में स्थिति को और अधिक बिगड़ने से रोकने के लिए उचित स्वच्छता बनाए रखना और शिशु की त्वचा को शीतल रखना महत्वपूर्ण हो जाता है। आप अपने शिशु के लिए उपयोग किए जा रहे शिशु उत्पादों जैसे नहाने के साबुन, तेल या मलहम और सुगन्धित पाउडर को बदलने पर भी विचार कर सकती हैं। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो फोड़े दर्दनाक और गंभीर हो सकते हैं।
फोड़ा एक कोमल गांठ है जो तेल ग्रंथि या रोम कूप में संक्रमण के कारण त्वचा पर दिखाई देता है।संक्रमण आमतौर पर स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक जीवाणु के कारण होता है। जीवाणु त्वचा पर मौजूद हो सकते हैं जो त्वचा की छोटी दरारों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, या यह बालों के माध्यम से नीचे रोम कूप तक जा सकते है।जिस वजह से यह संक्रमण फिर एक फोड़ा बन जाता है।
शुरुआत में प्रभावित त्वचा लाल हो जाती है और एक गांठ दिखाई देती है। समय के साथ गांठ सफेद हो सकती है क्योंकि त्वचा के नीचे मवाद जमा होने लगता है। मवाद का निर्माण फोड़े को काफी दर्दनाक बना सकता है।
चेहरे, पीठ, गर्दन, कन्धों, जांघों और नितंबों पर फोड़े निकल आते हैं। कुछ मामलों में, शिशुओं को बुखार भी हो जाता है। शिशुओं में सामान्य फोड़े जैसे गर्मी के फोड़े घरेलू उपचार से ठीक हो सकते हैं; लेकिन जहाँ संदेह की स्थिति हो उसमें अनुभवी चिकित्सीय सहायता लेना ही उचित रहेगा।
कुछ शिशुओं में मवाद वाले फोड़े संक्रामक हो सकते हैं। वे ना केवल शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं, बल्कि इसके संपर्क में आने वाले लोगों को भी संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। तौलिए, चादर या दाँतों के ब्रश का आपस में प्रयोग करने से भी संक्रमण फैल सकता है।
मवाद वाले फोड़े स्टैफ नामक कीटाणु के उत्पादन के कारण बालों के रोम में संक्रमण से उत्पन्न होते हैं। मवाद वाले फोड़े छोटे दर्दनाक गांठो के रूप में शुरू होते हैं, लेकिन समय के साथ वे बड़े हो जाते हैं और मवाद से भर जाते हैं। विविध मवाद वाले फोड़ों को कार्बुनकल कहा जाता है।
शिशु के शरीर के किसी भी भाग पर मवाद वाले फोड़े हो सकते हैं क्योंकि बालों के रोम लगभग हमारी पूरी त्वचा पर मौजूद होते हैं। हालांकि, वे उन हिस्सों पर अधिक दिखाई देते हैं, जो पसीने और घर्षण से अतिसंवेदनशील होते हैं जैसे चेहरे, गर्दन, कांख, जांघ और नितंब। इसी कारण कई माताओं ने ध्यान दिया होगा की मवाद वाले फोड़े आमतौर पर गर्मी या बरसात के मौसम में होते हैं।
फोड़ा होने पर शिशु की त्वचा पर एक गांठ बन जाती है। समय के साथ यह बड़ा और लाल हो जाता है। यह दिखाई देने के लगभग एक सप्ताह बाद मवाद से भरना शुरू हो जाते हैं। यदि शरीर के प्राकृतिक रक्षा तंत्र पर छोड़ दिया जाए तो वे कुछ हफ़्ते के भीतर कम होना शुरू हो जाते हैं। यदि दो सप्ताह के बाद भी फोड़े गायब नहीं होते हैं या उनके कम होने के कोई संकेत दिखाई नहीं देते हैं; तब चिकित्सीय सहायता लेना बुद्धिमानी है।
कुछ चिकित्सीय स्थितियों में भी शिशु को फोड़े के विकास का जोखिम हो सकता है। वे हैं:
शिशुओं में फोड़ों के संकेत और लक्षण इस प्रकार हैं:
संक्रमण शरीर के अन्य भागों में फैला है या नहीं, यह पता लगाने के लिए चिकित्सक शिशु की सम्पूर्ण शारीरिक जांच कर सकते हैं। चिकित्सक फोड़े की उपस्थिति के लिए किसी अन्य अंतर्निहित चिकित्सा कारणों का पता लगाने के लिए फोड़े का परीक्षण भी कर सकते हैं। सभी कारणों का विश्लेषण करने के बाद चिकित्सक अपना निदान प्रस्तुत करेंगे।
आमतौर पर शिशु में होने वाले फोड़े किसी भी जटिलता को जन्म देने या चिकित्सीय हस्तक्षेप की आवश्यकता के लिए नहीं जाने जाते हैं। लेकिन यदि एक फोड़े को दबाया या छेद किया जाता है, तो उसके निशान पड़ सकते हैं। यदि फोड़ा बहुत बड़ा हो जाता है, तो यह त्वचा के नीचे चर्बीं का निर्माण कर सकता है। इसके लिए प्रतिजैविक दवाओं के साथ उपचार की आवश्यकता होती है। यदि फोड़ा मसा में बदल जाता है और इसके लुप्त होने का कोई संकेत नहीं दिखाई देता है, तो चिकित्सक द्वारा शल्य चिकित्सा का सुझाव दिया जा सकता है। मवाद वाले फोड़े संक्रामक होते हैं इसलिए इनसे निपटने के दौरान आपको अतिरिक्त देखभाल करने की ज़रूरत होती है।
कभी-कभी शिशु आवर्तक फोड़े से परेशान होते हैं। यह तब तक चिंता का कारण नहीं है जब तक आप अपने शिशु में अन्य संक्रमणों के संबंध में पुनरावृति नहीं देखती हैं।
आवर्तक फोड़े संक्रामक हो सकते हैं क्योंकि त्वचा पर रहने वाले जीवाणु एक शरीर से दूसरे शरीर में आसानी से स्थानांतरित हो जाते हैं। इसलिए यह पता लगाना आवश्यक है कि क्या परिवार का कोई सदस्य फोड़े से पीड़ित तो नहीं है और उससे शिशु को संक्रमण फैल रहा है।
संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उपयुक्त रोगाणुरोधक से प्रभावित क्षेत्र को नियमित रूप से साफ करना आवश्यक है। फोड़ा फटने की स्थिति में थोड़ी रूई और रोगाणुरोधक से इस क्षेत्र को साफ करें। सूखने पर, शिशु को इसे छूने से रोकने के लिए जाली या पट्टी से ढक दें। फोड़े को दबाने या छेदने से बचे ।क्योंकि इससे निशान पड़ सकते हैं और आस पास के क्षेत्रों में संक्रमण फैल सकता है।
यदि फोड़े बढ़ते या फैलते हुए दिखते हैं, तो चिकित्सक एंटीबायोटिक दवा लिख सकते है। इस बात को ध्यान में रखें कि फोड़ा भले ही ठीक हो जाए लेकिन दवा का कोर्स पूरा करें अन्यथा बीमारी का पुनरावर्तन हो सकता है। आप चिकित्सक से सलाह लेने के बाद फोड़े पर एक संक्रमण विरोधी लेप भी लगा सकती हैं। कुछ मामलों में, चिकित्सक शल्य चिकित्सा से फोड़े को खोलकर मवाद को बाहर निकालने का सुझाव दे सकते हैं। इस प्रक्रिया को बेहोशी के प्रभाव में किया जा सकता है।
शिशु के सिर के फोड़े अगर सामान्य संक्रमण से हुआ हो तो उसपर शल्यक स्पिरिट (रबिंग अल्कोहल) लगाकर ठीक किया जाता है। शल्यक स्पिरिट प्रभावित क्षेत्र को कीटाणुरहित कर देता है और उसे ठीक कर सकता है। आमतौर पर सिर पर कई फोड़े होने का संभावित कारण गर्मी और आर्द्र वाला मौसम होता है। ऐसे में प्रभावित जगहों पर नारियल तेल लगाना बहुत उपयोगी हो सकता है क्योंकि इसमें ठंडक देने वाले गुण होते हैं।
ज्यादातर मामलों में, फोड़े कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। फिर भी, आप शीघ्र उपचार के लिए निम्नलिखित घरेलू उपचार आजमा सकते हैं:
दर्द से तुरंत राहत के लिए, प्रभावित क्षेत्र और फोड़े पर कुछ मिनटों के लिए गर्म सेक रखा जा सकता है। इस क्रिया को दिन में कई बार किया जा सकता है। यह मवाद को फोड़े से बाहर निकलने में मदद कर सकता है जिसके बाद फोड़ा ठीक होना शुरू हो सकता है।
शहद को फोड़े पर लगाना भी अच्छा होता है, क्योंकि शहद एक प्राकृतिक रोगाणुरोधक है।
आप दलिया द्वारा उपचार का भी प्रयास कर सकती हैं। दलिया की गरम पट्टी बनाएं, दलिया को एक साफ सूती कपड़े में लपेटकर और इसे गर्म दूध में डुबोएं। दलिया कुशलता से सूजन को कम करता है जिससे घाव भरने की प्रक्रिया तेज होती है।
आप अजवायन के पत्तों के सेक का भी उपयोग कर सकती हैं। अजवायन के पत्तों को तब तक उबालें जब तक कि वे नरम न हो जाएं फिर अतिरिक्त पानी निकालने के बाद एक सेक तैयार करें। इस सेक को फोड़े पर लगाने से फोड़े को जल्द ठीक होने में मदद मिलती है।
हल्दी पाउडर, अपने रोगाणुरोधक गुणों के कारण, फोड़ों पर लगाने से उनके उपचार में उपयोगी साबित हो सकता है।
यदि एक फोड़ा फट जाता है, तो आप उस पर प्याज और लहसुन के रस का मिश्रण लगा सकती हैं। यह ना केवल कीटाणुओं को नष्ट कर सकता है बल्कि शीघ्र उपचार भी करता है।
शिशु को फोड़े से बचाने के लिए कुछ चीज़ें आजमाई जा सकती हैं । उनमें से कुछ हो सकते हैं :
आप चिकित्सक से परामर्श करते हैं यदि :
शिशु को फोड़े होना आमतौर पर बहुत चिंताजनक स्थिति नहीं होती है। शरीर की स्वाभाविक रक्षा प्रणाली आमतौर पर इसका ख्याल रखती है। लेकिन यदि आपको लगता है कि फोड़े कम नहीं हो रहे हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल रहे हैं तो हो सकता है कि यह कुछ अन्य अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति का संकेत है, उस समय आपको हमेशा बच्चे के लिए चिकित्सा उपचार करानी चाहिए।
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