बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

शिशुओं और बच्चों की बहती नाक के लिए घरेलू उपचार

बहती नाक छोटे बच्चों में एक आम समस्या है। उनकी इममैच्योर इम्युनिटी के वजह से ज्यादातर ऐसा होता है और एक बच्चे की नई चीजों को छूने या अपने मुँह में डालने की निरंतर इच्छा उसे इन्फेक्शन होने के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। जहाँ बड़े दवाई की बस एक गोली खाकर सर्दी या फ्लू को खत्म कर सकते हैं, वहीं हो सकता है कि शिशुओं के लिए ऐसा मुमकिन न हो। डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन के बिना बच्चों को दवाएं देना सही नहीं है। यदि आप अपने बच्चे की बहती नाक के लिए कुछ प्रभावी घरेलू उपचार खोज रही हैं, तो यह आपके लिए बिल्कुल सही पोस्ट है! आइए पढ़ें।

बच्चे में नाक बहने का क्या कारण है

शिशुओं में एक वर्ष में 6-8 बार ज़ुकाम या फ्लू होना सामान्य बात है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, यह आपके बच्चे की कमजोर इम्युनिटी के कारण होता है; हालांकि, जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होगा और अच्छा आहार लेना शुरू कर देगा, यह मजबूत होता जाएगा। यहाँ शिशुओं में बहती नाक के कुछ सामान्य कारण दिए गए हैं। आइए देखें;

  • यदि आपका बच्चा सर्दी या ज़ुकाम से पीड़ित है, तो आपके बच्चे को छाती में जमाव (चेस्ट कंजेस्शन), बुखार, खाँसी, छींक आना और नाक बहना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
  • यदि आपका बच्चा फ्लू से पीड़ित है, तो उसे भूख कम लगना, खाँसी और गंभीर ज़ुकाम के लक्षण जैसे नाक बहना हो सकता है।
  • यदि आपके बच्चे को किसी प्रकार का एलर्जिक रिएक्शन हुआ है, तो उसको त्वचा में खुजली, शरीर पर रैशेस, आँखों से पानी बहने और बहती हुई नाक की समस्या हो सकती है।

ये शिशुओं में नाक बहने के कुछ सामान्य कारण हैं; हालांकि, यदि आपको लगता है कि ऊपर दिए गए कारणों में से कोई भी आपके बच्चे पर लागू नहीं होता है, तो आगे की सहायता के लिए तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें।

बच्चों में बहती हुई नाक को कैसे रोकें

जब बच्चे अस्वस्थ होते हैं तो वे बहुत चिड़चिड़े और असहज हो जाते हैं। बहती हुई नाक ऐसी ही एक तकलीफ है जो आपके बच्चे को बहुत अन-कम्फर्टेबल महसूस करा सकती है। बच्चों में नाक बहने की समस्या को रोकने के कुछ प्रभावी तरीके यहाँ दिए गए हैं। आइए जानें;

1. बच्चे के तरल पदार्थ का सेवन बढ़ाएं

नाक बहने की समस्या से पीड़ित बच्चा अपने मुँह से साँस लेना शुरू कर सकता है। मुँह से साँस लेने के कारण शिशुओं में डिहाइड्रेशन हो सकता है या उनका मुँह सूख सकता है। इसलिए, आपके शिशु का स्तनपान या फॉर्मूला दूध का सेवन बढ़ाना महत्वपूर्ण है। यदि आपका शिशु छः महीने से अधिक का है, तो आप उन्हें पानी और अन्य तरल पदार्थ भी दे सकती हैं। आप अपने बच्चों के डॉक्टर से भी पूछ सकती हैं कि अपने शिशु को कौन कौन से तरल पदार्थ दे सकती हैं।

2. सक्शन बल्ब और स्राव

बहती हुई नाक आपके शिशु की नाक में बहुत अधिक बलगम पैदा कर सकती है, जिससे उसको साँस लेने में प्रॉब्लम हो सकती है। शिशु की नाक से बलगम निकालने के लिए एक सक्शन बल्ब का उपयोग किया जा सकता है जिससे वह बेहतर तरीके से साँस ले सके। यह बल्ब किसी भी मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध होती है और बिना किसी डॉक्टर के पर्चे के भी खरीदा जा सकता है। सुनिश्चित करें कि आप हर उपयोग के पहले और बाद में बल्ब को साफ करें।

3. बच्चे का सिर उपर उठाना

शिशु के सिर को ऊपर उठाना उसको बेहतर महसूस कराने के प्रभावी तरीकों में से एक है। यह न केवल बलगम के बेहतर स्राव में मदद करता है, बल्कि बलगम को गले में जाने से भी रोकता है, जिसके परिणामस्वरूप खाँसी की समस्या हो सकती है। एक या दो तौलिए लें और अपने बच्चे के सिर को 18 इंच तक ऊँचा करें। सुनिश्चित करें कि बच्चे का सिर इससे अधिक ऊँचा नहीं हो, क्योंकि यह उसके लिए बहुत असुविधाजनक हो सकता है।

4. पेट्रोलियम जेली

लगातार नाक बहने की वजह से बच्चे की नाक में दर्द हो सकता है, और यह आपके शिशु की संवेदनशील त्वचा को भी तकलीफ भी दे सकता है। उस जगह की सुरक्षा के लिए नाक के नीचे पेट्रोलियम जेली की एक मोटी परत लगाएं। वहाँ पर वेपोरब लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे जलन हो सकती है या यहाँ तक कि बच्चे को साँस लेने में तकलीफ हो सकती है।

ये बच्चों में नाक बहना रोकने के कुछ आसान तरीके हैं।

छोटे बच्चों व बड़े बच्चों में बहती नाक को रोकने के लिए प्राकृतिक घरेलु उपचार

छोटे बच्चों और बड़े बच्चों में बहती नाक के कुछ प्राकृतिक घरेलू उपचार इस प्रकार हैं:

  • अदरक और शहद का मिश्रण बहती नाक के उपचार के लिए बहुत ही अच्छा है। अदरक की जड़ का एक टुकड़ा घिसकर इसका रस निचोड़ लें। इसमें शहद मिलाएं और इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार अपने बच्चे को दें।
  • बच्चों में बहती नाक रोकने के लिए सरसों का तेल बहुत अच्छा होता है। हींग, लहसुन और अजवाइन के साथ सरसों का तेल गर्म करें। इस तेल से अपने बच्चे की पीठ और छाती की मालिश करें। आप एक-दो मालिश के बाद अपने बच्चे में सुधार देख सकती हैं।
  • शिशुओं में बहती नाक के लिए सबसे प्रभावी भारतीय घरेलू उपचारों में से एक नारियल का तेल और कपूर है। नारियल के तेल में थोड़ा कपूर मिलाएं और उसे गर्म करें। इसे अपने बच्चे की छाती, पीठ और गर्दन पर धीरे से लगाएं। यह न केवल बलगम के जमाव और बहती नाक को साफ करने में मदद कर सकता है, बल्कि उसे शांति से सोने में भी मदद कर सकता है।
  • बहती नाक को ठीक करने के लिए दुध में जायफल एक बेहतरीन घरेलू उपाय है। कुछ चम्मच दूध लें और उसमें एक चुटकी जायफल पाउडर डालें इसमें एक उबाल दें और इसे अपने बच्चे को देने से पहले ठंडा कर लें। यह आपके बच्चे को तुरंत राहत प्रदान करेगा।

ऊपर बताए गए उपायों के अलावा, सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा पूरी तरह से कपड़े पहने हुए है और सर्दियों में पर्याप्त गर्म कपड़े पहन रहा है। भाप आपके बच्चे की बहती नाक की समस्याओं को दूर करने का एक और अच्छा तरीका है।

यदि आपका बच्चा ऊपर बताए गए किसी भी घरेलू उपचार के उपयोग से बेहतर महसूस नहीं करता है, तो डॉक्टर को दिखाने की आवश्यकता हो सकती है।

यह भी पढ़ें:

शिशुओं की सर्दी ज़ुखाम के लिए 20 प्रभावी घरेलू उपचार
शिशु की नाक साफ करने के आसान तरीके

जया कुमारी

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