शिशु

शिशुओं और बच्चों में चेचक (छोटी माता)

यह सच कहा गया है कि निवारण हमेशा इलाज से बेहतर होता है। यदि आप अपने शिशु के किसी बीमारी की रोकथाम चाहते हैं, तो यह बेहद महत्त्वपूर्ण है कि आप उस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी लें। एक माँ को अपने शिशु के लिए कई स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं होती हैं और चेचक एक ऐसी बीमारी है जो कई मातापिता को डरा सकती है, यह लेख पढ़कर आपको इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी। चेचक के कारण, लक्षणों और उपचार के बारे में जाने ताकि आप अपने बच्चों को सुरक्षित रख सकें।

चेचक क्या है?

चेचक, जिसे वैरिसेला के नाम से भी जाना जाता है, यह एक विषाणुजनित संक्रमण है। चेचक में फ्लूजैसे लक्षण और बुखार के साथसाथ मरीज़ के पूरे शरीर पर छोटे, खुजली वाले चकत्ते या फफोले निकल आते हैं। जब यह संक्रमण बढ़ता है, तब चकत्ते द्रव से भरे फफोलों में बदल जाते हैं और जब यह फफोले सूखने लगते हैं, तब उन पर पपड़ीसी बन जाती है। शायद कुछ बच्चों के शरीर पर केवल कुछ ही चकत्ते दिखाई दें, परन्तु अन्य प्रभावित बच्चों के पूरे शरीर पर फफोले हो सकते हैं। आमतौर पर यह फफोले या चकत्ते चेहरे, कान, बाँह, छाती, पेट और पैरों पर दिखाई देते हैं। चेचक एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है और संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने वाला कोई भी व्यक्ति इससे आसानी से संक्रमित हो सकता है, यह बीमारी 12 साल से कम उम्र के बच्चों में काफी आम है।

क्या चेचक संक्रामक है?

चेचक एक बहुत ही संक्रामक रोग है और यह आसानी से एक बच्चे से दूसरे में फैल सकता है। यह निम्नलिखित तरीकों से फैल सकता है:

  • सीधा संपर्क
  • अप्रत्यक्ष संपर्क

सीधा संपर्क का अर्थ है चूमना और लार के माध्यम से संक्रमण फैलना। इसलिए, यदि आपके बच्चे को चेचक है, तो बच्चे को चूमें नहीं। अप्रत्यक्ष संपर्क का मतलब है फफोलों के द्रव के अप्रत्यक्ष संपर्क में आने से संक्रमण फैलना, यह संक्रमित बच्चे की खाँसी और छींक से भी फैल सकता है। हालांकि, चेचक मनुष्यों में बहुत संक्रामक है लेकिन यह विषाणु, कुत्तों या बिल्लियों जैसे पालतू जानवरों में नहीं फैलता।

कारण

चेचक वैरिसेला ज़ोस्टर विषाणु या वी.ज़ेड।वी के कारण होता है, इस विषाणु से शरीर पर दर्दनाक चकत्ते बनते हैं। इस बेहद संक्रामक विषाणु से शिशु और बच्चे आसानी से संक्रमित हो सकते हैं। ज़्यादातर यह पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है कि आपके बच्चे को यह संक्रमण कैसे और कब हुआ।ऐसा इसलिए है क्योंकि शरीर पर दाने के उभरने से पहले ही विषाणु फैला हो सकता है। इसलिए इस संक्रमण वाले किसी भी व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने वाला शिशु संक्रमित हो सकता है। एक बार संक्रमण हो जाए, तो संक्रमण होने के पहले सप्ताह या दो से तीन सप्ताह के भीतर बच्चे के शरीर पर दाने दिखाई देने लगते है।

चेचक के लक्षण

चेचक का संक्रमण आमतौर पर फ्लू जैसे लक्षणों के साथ शुरू होता है, शिशुओं और बच्चों में चेचक के निम्नलिखित लक्षण होते हैं:

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • जी मिचलाना
  • पेट दर्द
  • दर्द और वेदना
  • भूख न लगना

संक्रमित होने के कुछ दिनों बाद बच्चे के शरीर पर चकत्ते दिखाई देने लगते हैं, यह छोटे लाल दाने सबसे पहले आपके बच्चे के चेहरे पर दिखाई देते हैं और फिर वे शरीर के अन्य हिस्सों पर फैलते हैं । इसमें हाथ, धड़ और पैर जैसे हिस्से शामिल हैं, कुछ शिशुओं में केवल हल्के फफोले होते हैं लेकिन कुछ शिशुओं में फफोले समूहों में आते हैं और एक दूसरे से जुड़ते दिखाई देते हैं। चेचक के फफोले मुँह, सिर की त्वचा और रान जैसी नाज़ुक हिस्सों में होते हैं। यह बेहद दर्दनाक भी हो सकते है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा ढीले वस्त्र पहने। संक्रमण, चकत्तों के उभरने से कुछ दिन पहलेफैल सकता है और तब भी जब दाने पूरी तरह से सूख चुके हों।

चेचक की जटिलताएं

यदि चेचक के दौरान उचित देखभाल नहीं की जाए, तो बच्चों में दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इन जटिलताओं में शामिल हैं :

  • त्वचा संक्रमण कुछ घावों को बारबार खरोंचने से उनमें संक्रमण हो सकता है, और परिणामस्वरूप त्वचा संक्रमण हो सकता हैं
  • घावों से निशान

दुर्लभ स्थितियों में, कुछ गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे:

  • मस्तिष्क में सूजन, जिसे एन्सेफलाइटिस के रूप में भी जाना जाता है। यह बच्चों में मांसपेशियों के समन्वय को प्रभावित कर सकता है।
  • फेफड़ों में सूजन, जिसे वैरिसेला निमोनिया भी कहा जाता है।
  • गुर्दों में सूजन
  • अपेंडिसाइटिस
  • हृदय की मांसपेशियों में सूजन
  • जोड़ों में सूजन

हालांकि ये जटिलताएं बहुत दुर्लभ हैं, लेकिन ऐसी समस्याओं से बचने के लिए उचित सावधानी बरतने की ज़रूरत है।

दाद

दाद, त्वचा पर होने वाले चकत्ते होते है। यह उसी विषाणु के कारण होता है जो चेचक का कारण भी है। यदि आपका बच्चा पहले से ही चेचक का शिकार हो चुका है, तो यह विषाणु रीढ़ की तंत्रिका कोशिकाओं में रह जाता है। हालांकि यह उन कोशिकाओं के कामकाज को प्रभावित नहीं करता है किन्तु, यह विषाणु जीवन के बाद के चरणों में दाद का कारण बन सकता है। 12 साल से कम उम्र के बच्चों में दाद कम ही देखा गया है। यह बच्चों की तुलना में बड़ी उम्र के लोगों में काफी आम है।

चेचक का निदान

प्रारंभिक अवस्था में आपके बच्चे पर चेचक का निदान करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण भी फ्लू जैसे ही होते हैं। बच्चे को बुखार, नाक बह सकती है, सिर दर्द, खांसी, और बहुत थकान महसूस हो सकता है साथ ही भूख लगनी भी बंद हो सकती है। यह केवल कुछ दिनों के बाद होता है कि बच्चा पर्याप्त लक्षण दिखाए, जैसे कि चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों, जननांगों पर भी चकत्ते उभर सकते हैं। कुछ बच्चों के शरीर पर कुछ ही दाने हो सकते हैं जबकि, अन्य बच्चों में बहुत अधिक दाने भी दिख सकते हैं। इन दानों के कारण दर्द और खुजली हो सकती है, जैसे ही आप अपने बच्चे में इन लक्षणों को देखें तो संक्रमण को और फैलने से रोकने के लिए जल्द से जल्द चिकित्सीय सहायता लेना महत्त्वपूर्ण है।

बच्चों में चेचक का इलाज कैसे करें?

आपके बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली ही चेचक विषाणु से लड़ती है। डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपचार में बच्चे के दर्द और परेशानी को कम करना शामिल होगा। इसके अलावा, निम्नलिखित बातें भी चेचक से संबंधित कुछ परेशानियों का ध्यान रख सकती हैं :

  • बुखार बुखार को नियंत्रित करने के लिए बच्चे को उचित दवाई दी जाती है। उपयोग की जाने वाली सबसे लोकप्रिय दवाओं में से एक एसाइक्लोविर है। अच्छे परिणामों के लिए शरीर में पहले चकत्तों के उभरने के 24 घंटे बाद ही इसे देना सही माना जाता हैए।
  • फफोले और घाव क्रीम और मलहम खुजली से राहत प्रदान करने और घावों को भरने के लिए लगाए जाते हैं । कैलामाइन एक ऐसा लोशन है जो खुजली को कम कर सकता है और बच्चे की त्वचा को आराम देता है।
  • आरामदायक कपड़े बच्चे को आरामदायक सूती कपड़े पहनाएं, उन्हें हल्के कपड़े पहनाने से अधिक आरामदायक महसूस होगा और उनके शरीर का तापमान भी नहीं बढ़ेगा।
  • हाथों के नाखून काटना बच्चे के नाखून काटने चाहिए, ताकि वे फफोलों पर खुजा न सके।
  • बच्चे को पानी की कमी न होने दें और खिलाते रहें पानी की कमी से बचाने के लिए बच्चे को पर्याप्त तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए उन्हें पानी देते रहें और मसालेदार भोजन या मीठे पेय जैसे कोला या मिल्कशेक से परहेज़ करें, खासकर अगर चेचक मुंह तक फैल गया है तो ऐसे खाद्य और पेय, दर्द को बढ़ा सकते हैं। आप बच्चे को अंडे, चिकन या कोई भी मांसाहारी आहारदे सकते हैं क्योंकि इसमें लाइसिन होता है, जो उपचार प्रक्रिया में मदद करता है और इसके अलावा आप उसे लहसुन, नारियल तेल और सेब साइडर सिरका भी दे सकते हैं।
  • नीम के पत्ते घावों को पीड़ादायक होने से बचाने के लिए नीम की पत्तियाँ एक और बेहतरीन उपाय है। आप या तो उन्हें पीसकर लेप बनाकर लगा सकते हैं या उबली पत्तियों के पानी को ठंडा करके उससे एक कपड़ा भिगोकर शरीर पोंछने में उपयोग कर सकते हैं।
  • गौज़ पैड्स बाइकार्बोनेट सोडा और पानी में एक गौज़ पैड्स भिगोएं और उन्हें घावों पर लगाएं, यह खुजली को कम करने का एक और उपाय है।
  • दस्ताने और जुराबें अपने बच्चों को हाथों में दस्ताने या जुराब पहनाकर, आप उन्हें अपनी त्वचा खुजाने से रोक सकते हैं, जिससे अन्यथा निशान पड़ सकते हैं।

निवारण

शिशुओं में चेचक को उसके टीकाकरण द्वारा सरलता से रोका जा सकता है। जिन बच्चों को चेचक का टीका लगा है, उन्हें इस संक्रमण से 80 से 90 प्रतिशत सुरक्षा मिलती है। सवाल यह है कि क्या टीका लगने के बाद भी चेचक हो सकता है?

कुछ बच्चे जो इस विषाणु से पूरी तरह सुरक्षा विकसित नहीं कर पाते हैं, उनमें संक्रमण के संपर्क में आने के बाद एक बार चेचक हो सकता है। हालांकि, यह चेचक मामूली होता है, इसमें कम चकत्ते उभरते हैं और लगभग कोई बुखार नहीं होता। 12 महीने से 15 महीने के बाद बच्चे को चेचक का टीकाकरण दिया जाता है और 4 से 6 साल की उम्र में बूस्टर खुराक की सलाह भी दी जाती है।

टीकाकरण को अकेले चेचक के लिए या अन्य टीकाकरण के साथ एकल टीकाकरण के रूप में दिया जा सकता है, जो एम.एम.आर.वी (गलसुआ, खसरा, रूबेला और वैरिसेला) के रूप में आता है।

रोग की रोकथाम के अन्य तरीकों में बच्चे को संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आने देना चाहिए क्योंकि यह बीमारी फैल सकती है। यह महत्त्वपूर्ण है कि बच्चा इस स्थिति को समझे क्योंकि वह इस नाज़ुक समय में उपेक्षित महसूस कर सकता है। इसके अलावा, स्वच्छता बनाए रखने से बच्चे को इस तरह की बीमारियों के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण करने में मदद मिलेगी। हालांकि, सबसे अच्छा तरीका यह सुनिश्चित करना है कि आपके बच्चे को चेचक टीका लगाया जाए।

चेचक का टीका

कुछ मातापिता मानते हैं कि छोटे बच्चे को चिकन पॉक्स का टीका देना अनावश्यक है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वयस्कों की तुलना में शिशुओं को चेचक होने की संभावना ज्यादा है है। उनका शरीर बिना अधिक कठिनाई के संक्रमण से लड़ते हैं। हालांकि, कई स्वास्थ्य चिकित्सक इस टीके की सलाह देते हैं, चेचक के टीके से सुरक्षा प्राप्त करना उचित है क्योंकि कभीकभी जटिलताएँ घातक हो सकती हैं। ऐसे परिदृश्य हैं, जहाँ बच्चे को मस्तिष्क, यकृत, गुर्दे या शरीर के अन्य भागों में गंभीर संक्रमण हो सकता है।

ये टीके सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के पास आसानी से उपलब्ध हैं। छोटे शिशुओं को चेचक का टीका दिया जाना बेहद सुरक्षित है। हालांकि यह टीका महंगा है, लेकिन फिर भी यह आपके बच्चे को सुरक्षा प्रदान करता है।

चेचक टीके के प्रकार,

इस विषाणु संक्रमण के इलाज में चेचक का टीकाकरण बहुत प्रभावी है। हालांकि ज्यादातर मामलों में यह टीका रोग से पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करता है, कुछ मामलों में बच्चे को फिर भी यह संक्रमण हो सकता है। टीका लगाए हुए बच्चों में चेचक के लक्षण बहुत हल्के होते हैं और इससे अधिक असुविधा नहीं होती है इसलिए बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को बीमारी से लड़ने देने की बजाए हमेशा चेचक का टीका लगवाने की सलाह दी जाती है, चेचक के टीके दो प्रकार के होते हैं:

  • वैरिसेला यह टीका केवल चेचक से बचाव के लिए दिया जाता है।

  • एम.एम.आर.वी यह गलसुआ, खसरा, रूबेला और वैरिसेला के लिए एक संयुक्त टीका है और चेचक से शरीर की रक्षा के लिए प्रभावी रूप से कार्य करता है।

आपको चेचक का टीका कब लगवाना चाहिए

चेचक का टीका जल्दसेजल्द बच्चे के जन्म के एक साल बाद ही दिया जा सकता है। टीका दो बार में दिया जाता है जो कम से कम तीन महीने के अंतर पर होना चाहिए इसलिए दवा की पहली बारी, 12 महीने से 15 महीने के बीच होनी चाहिए। दूसरी बारी या बूस्टर खुराक 4 से 6 वर्ष की आयु के बच्चे को दी जाती है। अगर किसी भी तरह से यह नियम छूट जाता है तो 13 या अधिक वर्ष का बच्चा 1 महीने के भीतर दो खुराक प्राप्त कर सकता है।

क्या चेचक का टीका सुरक्षित है?

चेचक का टीका इस रोग की रोकथाम में प्रभावी है और यह शिशुओं के लिए भी बहुत सुरक्षित है। टीका आपके बच्चे के शरीर में एंटीबॉडी विकसित करके संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इस टीकाकरण में आपके बच्चे में विषाणु के कमज़ोर रूप का इंजेक्शन शामिल है। हालांकि, कुछ चकत्ते पड़ सकते हैं या और दर्द हो सकता है पर यह धीरेधीरे कम हो जाएगा।

हालांकि यह पूरी तरह से मातापिता पर निर्भर करता है कि वे बच्चे को चेचक का टीका लगवाएं या नहीं, पर यह स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा सुझाया गया है। टीका दिलाए हुए बच्चों में चेचक हल्का होता है और इससे बहुत परेशानी भी नहीं होती है ।

चेचक टीके के दुष्प्रभाव

चेचक का टीका बेहद सुरक्षित और प्रभावी है और इससे कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। लेकिन कुछ बच्चों में इस टीके को लगवाने के बाद विभिन्न दुष्प्रभाव हो सकते हैं। किसी भी अन्य दवाई की तरह, चेचक का टीका भी बच्चों में कुछ जटिलताओं का कारण बन सकता है जैसे :

  • बहती नाक, गले में दर्द
  • मांसपेशियों या जोड़ों का दर्द
  • बुखार
  • जहाँ टीका लगाया गया था उस जगह पर चकत्ते, सूजन या दर्द
  • त्वचा पर चकत्ते
  • थकान
  • सिरदर्द
  • सोने में दिक्कत

उपर्युक्त समस्याओं के अलावा, कुछ गंभीर जटिलताएं भी हैं जो दुर्लभ मामलों में उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे:

  • बहुत तेज़ बुखार
  • सांस लेने में दिक्कत
  • छाती में बेचैनी होना
  • आसानी से रक्तस्राव होना और घाव होना
  • व्यवहार में परिवर्तन
  • दौरे पड़ना

यदि उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण होता है, तो आगे इन भी जटिलताओं से बचने के लिए तुरंत चिकित्सीय सहायता लेने की सलाह दी जाती है।

क्या चेचक से पीड़ित बच्चा स्कूल जा सकता है?

चेचक अत्यधिक संक्रामक है और एक बच्चे से दूसरे में आसानी से फैल सकता है इसलिए होने पर अपने बच्चे को स्कूल भेजना उचित नहीं है। निशान या चकत्ते के उभरने से पहले ही संक्रमण सक्रिय हो जाता है और जैसे ही आप अपने बच्चे के शरीर पर कोई दाना या धब्बा देखें तो एक या दो दिन के लिए उन्हें स्कूल नहीं भेजने का निर्णय ले सकते हैं। यदि इसके साथ बुखार भी होता है तो यह विषाणु संक्रमण का पहला चरण हो सकता है। संक्रमित बच्चे की खाँसी या छींक से संक्रमण आसानी से फैल सकता है। जब तक सभी फफोले सूख न जाएं और कोई नई पपड़ी न बने तब तक आप अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजना चाहिए। जब तक संक्रमण खत्म नहीं हो जाता तब तक बच्चे को घर पर रहकर आराम करने के लिए कहें ।

निष्कर्ष : चेचक बेहद संक्रामक है लेकिन उचित सावधानी और देखभाल के साथ इस संक्रमण को दूर रखा जा सकता है। यह सलाह दी जाती है कि बीमारी से बचने के लिए बच्चे का टीकाकरण ज़रूर करवाएं क्योंकि इससे आपके बच्चे को यह विषाणु संक्रमण होने की संभावना कम होती है।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

21 hours ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

21 hours ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

21 hours ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago