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माता-पिता का हमेशा यह प्रयास रहता है कि उनके बच्चे का विकास संपूर्ण और स्वस्थ हो। शिशुओं के मानसिक व शारीरिक विकास में अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता भी होती है। आपके बच्चे का शारीरिक विकास मुख्य रूप से उसके वजन में वृद्धि व उसकी स्थिरता पर निर्भर करता है। शिशु का सही वजन उसके पूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वजन बढ़ाने की प्रक्रिया भी वजन घटाने के समान थकाने वाली हो सकती है, इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
किसी भी बच्चे के लिए बचपन में ही कुपोषण का सामना करना सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। सबसे पहले इस बात की जानकारी होना कि ‘क्या आपका बच्चा कुपोषित है’, ही इसके उपचार की ओर एक पहला कदम है। डब्ल्यू.एच.ओ. के अध्ययन अनुसार प्रदान किए हुए मानदंड के रूप में बच्चे के विकास से उसके स्वस्थ और अस्वस्थ वजन की वृद्धि को समझने का एक सरल तरीका है।
ऑस्ट्रेलिया के स्तनपान संघ, जो बच्चे के विकास के लिए डब्ल्यू.एच.ओ. के समान मानकों का उपयोग करते हैं, उनके अनुसार शिशुओं के लिए वजन घटने और वजन बढ़ने के सामान्य मानक हैं:
ध्यान दें: ऊपर दिए हुए निर्देश यू.एन. के अध्ययन पर आधारित हैं। यदि आपके बच्चे का विकास इन मानकों के आधार पर नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से सलाह लें और जानें कि क्या आपका बच्चा प्राकृतिक रूप से प्रगति कर रहा है या नहीं।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर बच्चा अलग है और सबकी विकास दर समान नहीं होती है। कई बार बच्चे की विकास दर धीमी हो सकती है। अपने बच्चे के वजन पर नजर जरूर रखें परंतु यदि विकास बहुत धीरे हो रहा हो तो यह एक चिंताजनक संकेत हो सकता है। इस समस्या के लिए डॉक्टर से सलाह के अनुसार एक स्वस्थ पौष्टिक आहार नियम का पालन करें और इस बात का खयाल रखें कि घबराहट और जल्दबाजी में अपने बच्चे को अधिक न खिलाएं। बचपन से ही बच्चे में स्वस्थ आहार खाने की आदत डालने से यह सुनिश्चित हो जाता है कि आपका बच्चा हमेशा स्वस्थ भोजन का सेवन करेगा।
प्रत्येक बच्चे की एक अपनी अलग विकास गति होती है। जब तक आपके डॉक्टर चिंतित न हों और आपका बच्चा स्वस्थ रूप से भोजन करता हो, आप निश्चिंत रहें। क्योंकि धीमी गति से बच्चे के वजन की वृद्धि उसके प्राकृतिक विकास के आधार पर हो सकती है। शिशु का वजन धीरे-धीरे बढ़ना एक सामान्य बात है किंतु फिर भी इस पर नजर रखें।
विकास संबंधी महत्वपूर्ण पड़ावों को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर आपके बच्चे के वजन को माप सकते हैं। डॉक्टर बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए अपेक्षित वजन बढ़ने या वजन घटने का आकलन करते हैं। यह महत्त्वपूर्ण पड़ाव हर बच्चे के लिए अलग-अलग होते हैं जिसमें केवल वजन और लंबाई ही नहीं बल्कि अन्य कारक भी शामिल हैं, जैसे आपका बच्चा पहली बार कब मुस्कुराता है और कब वह अपने सिर को किसी ध्वनि की तरफ घुमाना शुरू करता है, क्या वह पलट सकता है, वह कब अपने हाथों को उठाकर अपने मुँह के पास ले जाता है और क्या वह बिना सहारे के अपनी गर्दन को उठा सकता है।
डॉक्टर पहले दो हफ्तों के अंदर शिशु की शारीरिक जांच के बाद महत्वपूर्ण पड़ाव तय करते हैं, जैसे क्या आपका बच्चा रोता है या किसी तरह की आवाजें निकालता है। जांच के बाद डॉक्टर बच्चे की आंतरिक समस्याओं को समझने के लिए उसके विकास के बारे में प्रश्न पूछ सकते हैं। यदि डॉक्टर को लगता है कि बच्चे को किसी प्रकार की समस्या हो रही है तो वह उसके कारण का पता लगाने के लिए प्रश्नों व चिकत्सीय परीक्षण के माध्यम से जांच करते हैं।
जो बच्चे प्री-मच्योर होते हैं यानि नियत समय से पहले जन्मे होते हैं, उनका वजन बढ़ने में कठिनाई हो सकती है। हालांकि जिस बच्चे का वजन शुरूआती दिनों में अधिक बढ़ता और कम होता है उसे यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है।
शिशु का वजन न बढ़ने के कारणों से पहले डॉक्टर ऊपर बताई हुई तकनीक का उपयोग करके जांच करेंगे कि क्या आपके बच्चे का विकास प्राकृतिक रूप से हो रहा है। इस जांच के मानदंड कुछ इस प्रकार हैं:
ऊपर दिए हुए लक्षणों के अनुसार आपके डॉक्टर बच्चे का वजन कम होने के कारणों को जानने का प्रयास कर सकते हैं। शिशुओं का वजन धीरे बढ़ने के कारण इस प्रकार हैं:
शिशु का वजन न बढ़ने का कारण यह हो सकता है कि उसे पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल पा रहा है या वह ठीक तरह से दूध नहीं पी रहा है। ठीक तरह से दूध न पीने का कारण बच्चे की जीभ में किसी प्रकार की समस्या होना या माँ का दूध बनने कठिनाई होना भी हो सकता है । माँ के दूध में गुणवत्ता की वृद्धि के लिए डॉक्टर की मदद लेना एक बेहतर विकल्प है। हालांकि इससे पहले आप बच्चे के स्वास्थ्य और दूध में आपूर्ति के बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें और इन समस्याओं का कारण जानें।
आपके बच्चे का वजन न बढ़ने का कारण पहले से हो रही समस्याओं के कारण भी हो सकता है, जैसे ऊपर बताई हुई शिशु की जीभ में समस्या होना या फिर माँ के स्तनों के निप्पल उलटे होना या मुड़ जाना। ये ऐसी समस्याएं हैं जो माँ और बच्चे दोनों के लिए तकलीफदेह हो सकती हैं और साथ ही इससे बच्चे को दूध पीने में कठिनाई भी हो सकती है। इस समस्या का उपचार पाने के लिए आप डॉक्टर से सलाह अवश्य लें और बताया हुआ पूरा परीक्षण करवाएं। परीक्षण के माध्यम से समस्या को समझकर डॉक्टर स्तनपान की समस्याओं का इलाज कर सकते हैं।
नियमित रूप से शिशु का वजन मापने या जांच से ही यह पता लग सकता है कि क्या उसका वजन पर्याप्त रूप से बढ़ रहा है या नहीं। बच्चे के मल, मूत्र और भोजन की आदतों पर नजर रखने और नियमित रूप से लिखकर रखने की भी सलाह दी जाती है। यदि आपके बच्चे की यह प्राकृतिक प्रक्रियाएं अनियमित हैं तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।
बच्चे के अधिक बीमार पड़ने से भी उसका वजन धीरे-धीरे बढ़ता है। यदि आपके बच्चे में फ्लू के लक्षण दिखते हैं तो उसे ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराने की आवश्यकता है। इससे बच्चे को पर्याप्त पोषण मिलने में मदद मिलती है और उसका वजन बढ़ने के साथ-साथ बच्चा रोग-मुक्त रहता है।
शिशुओं का वजन न बढ़ने का कारण गंभीर भी हो सकता है इसलिए समय पर इसकी जांच और निदान करना अनिवार्य है। आपके डॉक्टर बच्चे के वजन बढ़ने में देरी का निदान अनेक तरीकों से कर सकते हैं, जैसे;
डब्ल्यू.एच.ओ. सारणी, जिसका पहले उल्लेख किया गया है, वह एक लेखाचित्र दिखाता है जो प्रतिशतक और सेंटिल को जो पहले प्रतिशत और सेंटिल्स का ग्राफ दिखाता है। यदि इस ग्राफ में आपका बच्चा नीचे से 3% पर है तो इसका तात्पर्य है कि 100 में से सिर्फ 3 बच्चे आपके बच्चे से छोटे या बराबर के होंगे। यह बच्चों में देरी से वजन बढ़ने के निदान का सबसे तेज तरीका है।
ऐसा होने का अर्थ है कि वह कुपोषित हो सकता है।
डॉक्टर इस निदान की सलाह कुछ समय प्रतीक्षा करने के बाद ही देते हैं। रक्त का परीक्षण बच्चे पर दिखने वाले लक्षणों पर निर्भर करता है और यह परीक्षण विभिन्न समस्याओं के आधार पर ही किया जाता है।
डॉक्टर आपके परिवार में पहले इससे संबंधित किसी समस्या की जांच के लिए परीक्षण करने की सलाह दे सकते हैं। पारिवारिक समस्याओं या जेनेटिक समस्याओं के कारण भी बच्चों में धीमी गति से वजन बढ़ सकता है।
यदि शिशु का वजन न बढ़ने की समस्या पर ध्यान न दिया जाए तो यह उसके लिए अत्यधिक हानिकारक हो सकता है। बच्चों में वजन न बढ़ने के कारण जो समस्याएं उत्पन्न होती हैं, वे इस प्रकार हैं;
यदि आपका बच्चा कुपोषित है या उसका वजन बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है तो डॉक्टर से जांच करवाने की सलाह दी जाती है। निश्चिंत रहें, बच्चों में वजन को तीव्रता से बढ़ाने के लिए अनेक तरीके हैं। बच्चे को सही पोषण देने के लिए डॉक्टर से कई उपायों व उपचारों के बारे में चर्चा करें।
यदि आपके बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ उसका धीरे वजन बढ़ना भी जारी रहता है तो इसे अपर्याप्त वजन वृद्धि (फेलियर टू थ्राइव) कहा जाता है। इसका यह मतलब होता है कि हो सकता है आपके बच्चे के द्वारा आवश्यक पोषण व कैलोरी का सेवन करने के बाद भी उसकी आयु व लंबाई के अनुसार वजन में वृद्धि नहीं हो रही है।
अपने बच्चे का वजन धीरे-धीरे और निरंतर तरीके से बढ़ाना चाहिए। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिनके द्वारा आप अपने शिशु का वजन सही तरीके से बढ़ाने में प्रयास कर सकती हैं।
शिशु का वजन बढ़ाने के अनेक उपचारों में से कुछ सर्वश्रेष्ठ तरीके निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
शिशु का वजन बढ़ाने के लिए कभी-कभी प्रतीक्षा करने का विकल्प सबसे सही होता है। हो सकता है आपके बच्चे का वजन बढ़ाने की आवश्यकता अधिक हो किंतु फिर भी डॉक्टर उसे दवा देने की सलाह नहीं देते हैं। बच्चे का वजन बढ़ाने के लिए उसे ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराएं, बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए यही घरेलू उपचार सबसे बेहतरीन है।
शुरूआती 3 महीनों में बच्चे द्वारा केवल स्तनपान करने की स्थिति में कुछ संकेत यह जानने में मदद कर सकते हैं कि क्या स्तनपान से आपके बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है। वे संकेत इस प्रकार हैं;
शिशु का वजन न बढ़ने से संबंधित जानकारी लेने के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से चर्चा करने की सलाह दी जाती है क्योंकि डॉक्टर बच्चे की जांच करके अन्य समस्याओं के संकेत बता सकते हैं। आप अपने बच्चे के वजन को लेकर चिंता न करें क्योंकि शिशुओं का वजन बढ़ने या घटने की समस्या ज्यादातर पौष्टिक आहार का सेवन करने और दिनचर्या में बदलाव से ठीक की जा सकती है।
यद्यपि आपके लिए अपने बच्चे का वजन का न बढ़ना स्वाभाविक रूप से चिंता का विषय है। तथापि इस बात का खयाल रखें कि इसके अनेक कारकों का नियंत्रण आपके पास है। ये कारक आपको समझने में मदद करेंगे कि आपके शिशु के लिए क्या सही है और उसका वजन न बढ़ने की समस्या को कैसे हल किया जा सकता है।
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